एक राजकुमार जिसको भैंसा बना दिया : कश्मीरी लोक-कथा

Ek Rajkumar Jisko Bhainsa Bana Diya : Lok-Katha (Kashmir)

एक बार की बात है कि एक देश में एक राजा रहता था जिसके सोलह सौ रानियाँ थीं पर उनसे उसके बेटा केवल एक ही था। उसका यह बेटा बहुत सुन्दर था। राजा अपने इस बेटे की शादी किसी ऐसी राजकुमारी से करना चाहता था जो उसके बेटे जैसी ही सुन्दर हो।

इत्तफाक से एक और राजा था। उसके भी सोलह सौ रानियाँ थीं और एक बेटी थी। वह भी उसके राजकुमार जितनी ही सुन्दर थी। उस राजा की भी उतनी ही इज़्ज़त थी जितनी इसकी। जिस राजा के लड़का था उस राजा के पास एक बहुत ही अक्लमन्द और वफादार तोता था। राजा उससे बहुत सारे मामलों में सलाह लिया करता था और उसकी सलाह वह मानता भी था। बड़ी बड़ी मुश्किल समस्याओं में वह उसकी सलाह लेता था।

यही सोच कर इस समय भी उसने अपने तोते को बुलाया और उसको अपनी इच्छा बतायी। उसने उससे जाने के लिये कहा और वैसी ही बहू ढूँढने के लिये कहा जैसी वह अपने बेटे के लिये चाहता था।

तोता राजी हो गया। उसने राजा से कहा कि वह राजकुमार की पसन्द लिख कर उसके पैर में बाँध दे। राजा ने वैसा ही किया और वह वहाँ से उड़ चला।

वह एक पड़ोसी देश में पहुँचा जहाँ बहुत भारी बारिश हो रही थी सो उसको एक जंगल में शरण लेनी पड़ी। उसको एक पुराना खोखला पेड़ मिल गया जहाँ उसको लगा कि वह जगह उसके आराम के लिये ठीक रहेगी।

जैसे ही वह उसके अन्दर जाने के लिये उड़ा तो उसके अन्दर से एक आवाज आयी — “तुम अन्दर नहीं घुसना नहीं तो तुम अन्धे हो जाओगे।” सो तोता पेड़ के जड़ के पास एक टहनी उग रही थी उस पर जा कर बैठ गया और बारिश खत्म होने का इन्तजार करने लगा।

इतने में उस खोखली जगह में से एक मैना निकली और आ कर तोते के पास बैठ गयी। दोनों बहुत देर तक बात करते रहे। इस बीच तोते ने उसको बताया कि वह कहाँ जा रहा था। जैसा कि हम आगे चल कर देखेंगे उनकी यह मुलाकात बहुत अच्छी रही।

मैना उस राजकुमारी के लिये जो अपने पिता की अकेली बेटी थी बहुत सुन्दर राजकुमार की तलाश में थी। इस राजा के भी सोलह सौ रानियाँ थीं। तोता बोला तब तो हमारा राजा ही वह राजा होना चाहिये जिसके बेटे से उस राजकुमारी की शादी होनी चाहिये। तोते ने मैना को राजकुमार की पसन्द भी बतायी।

सो वे दोनों राजकुमारी के देश गये। जब वे वहाँ पहुँचे तो महल के एक नौकर ने उनको देखा तो राजा को जा कर बताया कि जिस मैना पर वह बहुत विश्वास करता था वह तो एक तोते के साथ घूम रही है और राजा के हुकुम को तो बिल्कुल भूल ही गयी है। जब राजा ने यह सुना तो उसने दोनों चिड़ियों को मारने का हुकुम दे दिया। महल के नौकर मैना से जलते थे इसीलिये उन्होंने मैना की बुराई राजा से कर दी थी।

मैना को इस बात का कुछ कुछ पता चल गया था सो वह ऊपर की खिड़की से उड़ी। उड़ते समय उसने राजा का बेरहम हुकुम सुन लिया था। वह तोते से बोली — “आओ राजा ने हमारे ऊपर झूठा इलजाम लगा कर हमको मारने का हुकुम दे दिया है। इससे पहिले कि राजा के तीर हमको मारें चलो हम यहाँ से दूर भाग चलें।” और वे दोनों वहाँ से दूर उड़ गये।

राजा के नौकर उनको मारने गये तो बहुत देर तक ढूँढने पर भी उनको न पा सके तो अपने आपको यह तसल्ली देते हुए वापस आ गये कि लगता है कि उन चिड़ियों को शाही हुकुम का पता चल गया इसलिये वे किसी सुरक्षित जगह चली गयी हैं। तोता और मैना ने कुछ दिन तक इन्तजार किया ताकि लोग उस बात को भूल जायें फिर उसके बाद वे महल वापस आये और आ कर तोता राजा के दाँये घुटने पर और मैना राजा के बाँये घुटने पर जा कर बैठ गये।

उन्होंने राजा से पूछा — “आप हमको क्यों मारना चाह रहे थे? हम तो आपके वफादार हैं। वे लोग हमसे जलते हैं इसीलिये उन्होंने आपसे हमारी बुराई की। हम लोग दोनों बड़ी शान वाले उन राजाओं के नौकर हैं जो अक्लमन्द भी हैं और अमीर भी।

दोनों राजाओं के सोलह सोलह सौ रानियाँ है। उनमें से एक के केवल एक बेटा है और दूसरे के केवल एक बेटी है। इन दोनों राजाओं ने हालाँकि एक दूसरे को कभी देखा नहीं है पर ये दोनों अपने बच्चों की एक दूसरे के बच्चों से शादी करना चाहते हैं। एक राजा को ऐसी ही बहू चाहिये जैसी दूसरे राजा की बेटी है और दूसरे राजा को वैसा ही दामाद चाहिये जैसा कि दूसरे राजा का बेटा है। देखिये हम दोनों उन्हीं दोनों राजाओं के नौकर हैं। भगवान की कॄपा से हम लोग आपके राज्य के बाहर एक जंगल में मिले थे और अब यह अच्छी खबर ले कर आपके पास आये हैं।”

यह कह कर तोते ने अपना पैर राजा की तरफ बढ़ा दिया जिसमें राजकुमार की पसन्द लिखी हुई थी। वह सब पढ़ कर राजा को आश्चर्य भी हुआ और खुशी भी। पहले तो उसको चिड़ियों पर विश्वास ही नहीं हुआ फिर दोनों का एकसापन देख कर उसे उन पर विश्वास हो गया।

उसने तस्वीर ले कर अपने शाही जनानखाने40 में भेज दी और अपनी सोलह सौ पत्नियों से कहा कि वे उस तस्वीर को देख कर बतायें कि वह अपनी राजकुमारी के लिये उस राजकुमार को पसन्द करती हैं या नहीं।

कुछ दिन बीत गये पर तस्वीर वापस नहीं आयी। राजकुमारी को तो वह तस्वीर इतनी पसन्द आयी कि वह उसको अपने हाथ में ही लिये रखती। खैर कुछ दिन बाद जनानखाने से जवाब आया कि राजकुमार सबको बहुत पसन्द है। अब उसकी शादी जल्दी ही हो जानी चाहिये क्योंकि राजकुमारी तो राजकुमार को देखे बिना जी ही नहीं पा रही है।

जैसे ही यह जवाब राजा के पास पहुँचा तो राजा ने तोते को यह कह कर वापस भेज दिया कि वह अपने मालिक से कह दे कि राजकुमार की मनपसन्द लड़की मिल गयी है और वे चार महीने के अन्दर अन्दर शादी के लिये यहाँ आ जायें।

तोते ने आदर के साथ राजा को झुक कर नमस्कार किया और अपने देश उड़ गया। अपने देश पहुँच कर उसने राजा को अपनी यात्रा की सफलता के बारे में बताया। राजा यह सुन कर बहुत खुश हुआ। उसने तुरन्त ही इस शानदार मौके को शानदार तरीके से मनाने का हुकुम दे दिया।

राजकुमार के लिये सबसे कीमती और बढ़िया कपड़े बनवाये गये। घोड़ों के लिये बहुत शानदार जीन बनवायी गयीं। सिपाहियों की भी नयी और बढ़िया यूनीफार्म बनवायी गयी। बहुत सारे तरह की भेंटें जैसे अनमोल हीरे जवाहरात बढ़िया कपड़े मुश्किल से मिलने वाले फल कीमती मसाले और बढ़िया किस्म के इत्र इकट्ठा किये गये। हर चीज़ को याद कर करके इकट्ठा किया गया।

महीने जल्दी ही गुजर गये। इतनी तैयारियों में समय कब निकल गया पता ही नहीं चला।

पर अफसोस शादी के कुछ दिन पहले ही राजकुमार का पिता बीमार पड़ा और मर गया। परिवार वालों के लिये यह एक बहुत बड़ा धक्का था। राजकुमार को अपना जाना टालना पड़ा क्योंकि ऐसे समय पर वहाँ से चलना उसका अपने पिता का अपमान करना दिखाता था सो उसने कुछ समय तक इन्तजार किया।

जैसे ही उसके पिता की मौत का अफसोस का समय बीता वह वहाँ से चल दिया। तोते ने उसको रास्ता दिखाया। राजकुमारी के देश कोई बहुत दूर नहीं था सो वे जल्दी ही वहाँ पहुँच गये। राजकुमार ने अपने डेरे महल के पास वाले बागीचे में डाल दिये। अगर राजकुमार उस बागीचे में न घुसा होता तो अच्छा होता

क्योंकि वहाँ उसका तोता मर गया। उस वफादार चिड़िया को वहाँ के माली ने मार डाला क्योंकि वह कुछ खजूर तोड़ कर राजकुमार की तरफ फेंक रहा था।

जैसे ही राजकुमार के ऊपर यह मुसीबत आयी उसके कुछ देर बाद ही उसने सुना कि राजकुमारी के पिता ने अपनी बेटी की शादी उससे करने से इनकार कर दिया क्योंकि उसका पिता मर गया था। बागीचे में डेरा डालने के कुछ दिन बाद ही राजकुमारी बाहर सैर करने के लिये अपनी पालकी में जा रही थी कि इत्तफाक से वह उसी रास्ते से गुजरी जिस रास्ते पर वह बागीचा था। उसने बागीचे पर नजर डाली तो वहाँ राजकुमार को देखा तो वह उसे पहचान गयी क्योंकि उसकी तस्वीर अभी भी उसके पास थी।

उसने उस समय तो उससे कुछ नहीं कहा और अपनी पालकी ढोने वाले कहारों को वापस महल चलने के लिये कहा। उसको अपना प्रेमी मिल गया था। उसी समय से उसको सब कुछ बहुत अच्छा लगने लगा।

शाम को खाने के समय उसने अपने खाने में से आधा खाना खाया और बचा हुआ आधा खाना राजकुमार की तस्वीर के साथ राजकुमार को भेज दिया। उसने अपनी नौकरानी से कहा कि वह राजकुमार से कहे कि वह उसे खा ले और अगर वह न खाये तो उसमें अपनी उँगली घुसा दे।

नौकरानी ने वैसा ही किया। राजकुमार ने खाना नहीं खाया तो नौकरानी ने उसको खाने की प्लेट में उँगली घुसाने के लिये कहा। जब उसने प्लेट में रखे चावल में अपनी उँगली घुसायी तो वहाँ उसको अपनी तस्वीर मिली।

उसने सोचा कि राजकुमारी तो मुझे प्यार करती है। ऐसा सोच कर उसने अपने हाथ पोंछे एक चिट्ठी राजकुमारी के नाम लिखी और उसे नौकरानी को दे कर वापस भेज दिया।

जब राजकुमारी ने वह चिट्ठी पढ़ी तो उसके मन में राजकुमार से मिलने की इच्छा ने जोर पकड़ लिया। उसने आधी रात को अपना घोड़ा तैयार करवाया अशर्फियों से भरा एक थैला लिया और उस बागीचे की तरफ चल दी जहाँ राजकुमार ठहरा हुआ था।

राजकुमार तो उसको देख कर आश्चर्य में पड़ गया।

राजकुमारी बोली — “तुम आश्चर्य में मत पड़ो मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ और इसी लिये मैं छिप कर तुम्हारे पास आयी हूँ। मेरे पिता तुमसे मेरी शादी की इजाज़त नहीं देंगे। चलो अपना घोड़ा तैयार कर लो और मुझे अपने साथ अपने देश ले चलो। वहाँ हमारा कोई कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा।”

सो दोनों घोड़ों पर सवार हो कर राज्य से बाहर की तरफ चल दिये। कुछ घंटों तक तो वे काफी तेज़ी से चले पर फिर एक पेड़ के नीचे आराम करने के लिये लेट गये।

अगले दिन सुबह तरोताजा हो कर वे फिर से अपनी यात्रा पर चल दिये।

वे लोग बहुत दूर नहीं गये थे कि उनको घोड़े पर सवार सात डाकू मिल गये। राजकुमार बोला — “चलो हम तेज़ी से भाग चलते हैं क्योंकि हम इनसे लड़ नहीं सकते।”

सो दोनों ने अपने अपने घोड़ों को एड़ लगायी और उनको भगा दिया पर डाकू भी घुड़सवारी में होशियार थे और उनके घोड़े अभी अभी निकले थे थके नहीं थे सो वे भी उनके पीछे पीछे भाग लिये।

राजकुमार बोला — “इस तरह भागने से कोई फायदा नहीं है। वे हमारे पास ही आ रहे हैं। अब हम क्या करें?”

राजकुमारी बोली — “तब हमें उनका डट कर मुकाबला करना चाहिये।” कह कर वह अपनी जीन पर बैठी बैठी ही पीछे की तरफ मुड़ गयी और एक तीर उन डाकुओं पर चलाया। फिर दूसरा फिर तीसरा और इस तरह से उसने सात तीर चला कर सातों डाकुओं को मार डाला। खुशी खुशी वे अपनी यात्रा पर फिर से आगे बढ़ चले। उस रात वे आराम करने के लिये एक गाँव में रुके। उस गाँव में एक जिन्न रहता था। जिन्न के एक बेटा था जिसका केवल आधा शरीर था। इसी गाँव में राजकुमार और राजकुमारी एक तालाब के किनारे रुक गये।

जब वे सो रहे थे तो जिन्न ने अपने बेटे से कहा — “तुम जल्दी से जाओ और राजकुमार को तो मार डालो और राजकुमारी घोड़े और खजाने को यहाँ ले आओ।”

बेटा यह सुन कर बहुत खुश हुआ कि अब उसको खून पीने को मिलेगा। बस उसने अपना काम खत्म किया ही था कि राजकुमारी जाग गयी। उसने चारों तरफ देखा तो उसको अपना प्रेमी मरा पड़ा दिखायी दिया और एक बदसूरत आधा आदमी उसकी लाश के पास खड़ा था। यह सब देख कर वह डर गयी।

फिर भी वह हँस कर बोली — “अच्छा हुआ तुमने उसे मार दिया। अब तुम मुझे अपने साथ ले चलो और मुझसे शादी कर लो। पर पहले इस मरे हुए शरीर को कहीं गाड़ दो तब हम यहाँ से जायेंगे।”

तुरन्त ही एक कब्र खोदी गयी। उस आधे आदमी ने राजकुमारी को उसे देखने के लिये बुलाया तो उसने कहा — “अरे यह तो बहुत छोटी है थोड़ी और गहरी खोदो।”

जिन्न के बेटे ने वह कब्र एक फुट गहरी और खोद दी। राजकुमारी बोली — “यह तो अभी भी छोटी है।”

जिन्न के बेटे ने कब्र और चौड़ी और और गहरी खोद दी। जब वह यह कर रहा था कि राजकुमारी ने उसकी तलवार निकाल ली और उसकी गरदन उसके धड़ से अलग कर दी।

अपना बदला लेने के बाद वह फफक फफक कर रो पड़ी। उसका प्रेमी तो मर चुका था। उसने उसकी लाश ली और उसको तालाब के किनारे तक ले गयी। अब वह वहाँ बैठ कर रोने लगी। यह उसके लिये बड़े दुख का समय था। उसको लगा कि वह भी मर जाती तो अच्छा था।

जब वह वहाँ बैठी रो रही थी तो इत्तफाक से वहाँ से एक साधु की पत्नी गुजरी। उसको बहुत दुखी देख कर वह उसके पास रुकी और उससे पूछा कि क्या बात थी वह क्यों रो रही थी। राजकुमारी ने राजकुमार की लाश की तरफ इशारा करते हुए उसे बताया कि वह क्यों रो रही थी।

स्त्री बोली — “बेटी धीरज रखो शायद मैं तुम्हारी कुछ सहायता कर सकूँ। तुम तब तक यहीं इन्तजार करो जब तक मैं वापस लौट कर आती हूँ।” कह कर वह वहाँ से चली गयी।

घर जा कर उस स्त्री ने अपने पति को राजकुमारी का सारा हाल बताया और उससे राजकुमार को ज़िन्दा कर देने की प्राथना की। साधु बोला — “अफसोस। वह जगह तो शैतान औरत और उसके भयानक बेटे की है। मैं अभी राजकुमारी के पास जाता हूँ और उसको तसल्ली देने के लिये राजकुमार को ज़िन्दा करता हूँ।”

साधु तुरन्त ही राजकुमारी के पास गया तो वह तो सहायता का इन्तजार ही कर रही थी जो साधु की पत्नी उससे वायदा करके गयी थी। साधु बोला — “मुझे तुम्हारे बारे में सब पता चल चुका है और मैं तुम्हारी सहायता करने के लिये आया हूँ। मैं तुम्हारा राजकुमार तुमको वापस कर दूँगा।”

उसने राजकुमार की लाश का सिर अपने एक हाथ में लिया और उसका शरीर दूसरे हाथ में लिया और दोनों को जोड़ दिया। दोनों जुड़ गये तो लाश ज़िन्दा हो गयी। पहले उसके हाथ पैर हिले फिर उसने आँखें खोलीं फिर होठ खोले और वह बोल पड़ा। जब राजकुमारी ने यह देखा तो उससे न रहा गया वह दौड़ कर राजकुमार के गले लग गयी और खुशी को मारे रो पड़ी। सबके लिये यह बहुत ही खुशी का मौका था यहाँ तक कि उस साधु के लिये भी जिसने उसको ज़िन्दा किया था।

उस रात राजकुमार और राजकुमारी किसी दूसरी जगह चले गये। यहाँ राजकुमारी की जान बहुत बड़े खतरे में थी। इस जगह एक जादूगरनी रहती थी। उसके एक बेटी थी। जैसे ही उसकी बेटी ने राजकुमार को देखा तो वह उससे प्रेम कर बैठी और उससे शादी करनी चाही।

इसके लिये उसने एक तरकीब सोची। उसने अपनी माँ से राजकुमार और राजकुमारी को अपने घर खाने के लिये बुलाने के लिये कहा। जादूगरनी ने उनको अपने घर खाने के लिये बुलाया।

जब राजकुमार उनके घर के कमरे देख रहा था तो जादूगरनी ने उसके गले में रस्सी का फन्दा डाला और उसको एक भैंसे में बदल दिया।

सारा दिन वह भैंसा जादूगरनी की बेटी के पीछे पीछे घूमता रहा। जहाँ वह जाती वह उसके पीछे जाता। रात को वह उसके गले से रस्सी का फन्दा निकाल लेती तो वह राजकुमार बन जाता और उसके साथ सोता।

इस तरह कई दिन बीत गये। राजकुमारी बहुत दुखी थी।

उसको पता ही नहीं था कि वह क्या करे। कभी वह सोचती कि राजकुमार ने उसको छोड़ दिया है। कभी वह सोचती कि शायद उसका कत्ल हो गया है।

जब वह और न सह सकी तो उसने एक आदमी रूप रखा और उस देश के राजा के पास गयी और उससे कोई काम माँगा। राजा उसकी शक्ल सूरत और बोलने के ढंग से बहुत प्रभावित हुआ तो उसने उसको अपना डिप्टी इन्सपैक्टर आफ पुलिस यानी कोतवाल रख लिया।

इस कोतवाल को बहुत सारे घरों के बहुत सारे भेद मालूम थे। उसके नीचे बहुत तेज़ और कोई भी काम करने के लिये तुरन्त तैयार सिपाही काम करते थे।

कोतवाल को केवल आदमी की ऊँचाई और उसकी शक्ल सूरत बतानी होती थी और उसको उसे ढूँढने के लिये कहना होता था। बस सारा राज्य तब तक छान मारा जाता जब तक कि वह आदमी मिलता।

पर राजकुमारी को राजकुमार के बारे में कुछ पता न चल सका हालाँकि उसको यह पता चल गया कि जिस घर में वह और राजकुमार ठहरे थे वह घर एक जादूगरनी का था। वह उसके घर बार बार गयी। वहाँ उसने एक भैंसा इधर उधर घूमता हुआ देखा तो पर उसको यह पता न चल सका कि वह उसका अपना प्यारा राजकुमार था और उस जादूगरनी ने उसको भैंसे में बदल दिया था। धीरे धीरे इस कोतवाल और जादूगरनी की बेटी में दोस्ती बढ़ती गयी। जादूगरनी की बेटी ने सोचा कि यह कोतवाल सचमुच में आदमी था जबकि वह तो आदमी के वेश में राजकुमारी थी। वह कोतवाल को चाहने लगी और उसने उसको कई भेंटें दीं। इन भेंटों में एक ऐसा कपड़ा भी था जैसा पहले कभी किसी ने नहीं देखा था। राजकुमारी ने यह कपड़ा ला कर अपनी एक खिड़की में टाँग लिया। अभी हम देखेंगे कि यह कपड़ा राजकुमारी के भविष्य के लिये क्या करने वाला है।

एक सुबह महल का एक नौकर उस खिड़की के नीचे से गुजरा जिसमें कोतवाल ने यह कपड़ा टाँग रखा था। वह नौकर उस कपड़े के रंग और उसकी बनावट देख कर दंग रह गया। घर आ कर वह रानी से मिलने गया और जो कुछ उसने देखा था वह सब उसको बताया।

रानी को भी उस सुन्दर कपड़े को देखने की इच्छा हो आयी सो उसने राजा से प्रार्थना की कि वह उस कोतवाल को बुलाये और उसमें से कुछ कपड़ा उसके लिये मँगवा कर दे।

राजा ने ऐसा ही किया तो कोतवाल ने उसको वह सारा का सारा कपड़ा ही भेज दिया जो उसके पास था। जब रानी ने उसको देखा तो वह उसको इतना अच्छा लगा कि उसने राजा से कहा कि वह कोतवाल से कहे कि वह उसको वैसा ही कपड़ा और ला कर दे।

जब राजा ने रानी का हुकुम कोतवाल को सुनाया तो उसने कहा कि यह काम ज़रा मुश्किल है पर वह अपनी पूरी कोशिश करेगा। राजा के महल से वह सीधे जादूगरनी के घर गया और उससे वैसा ही कपड़ा और माँगा। जादूगरनी ने कहा कि अफसोस वह इसमें उसकी कोई सहायता नहीं कर सकती। उसका एक भाई है वह भी जादूगर है। बहुत दिनों पहले वह किसी दूर देश चला गया था उसी ने उसको यह कपड़ा भेजा था।

कोतवाल ने कहा कि वह अपने भाई को लिखे कि वह वैसा ही कपड़ा और भेज दे।

जादूगरनी ने कहा कि वह यह नहीं कर सकती क्योंकि जहाँ वह गया है वहाँ के सारे आदमियों को उसने खा लिया है और अब वहाँ उसके और शेरों के अलावा और कोई नहीं रहता। इन शेरों को भी वह एक तरह की घास खिला कर आधा भूखा रखता है। हालाँकि वे उस घास को खाना पसन्द नहीं करते।

इस तरह से जो कोई भी वहाँ जाता है कोई भी शेर या तो किसी झाड़ी में से निकल आता है या फिर किसी चट्टान के पीछे से निकल आता है और उसको खा जाता है। इस तरह से वहाँ कई लोगों की जानें जा चुकी हैं। ऐसे में मैं कैसे किसी को वहाँ भेज सकती हूँ। ऐसे खतरे वाले काम के लिये मैं वहाँ किसी को नहीं भेज सकती।

कोतवाल बोला — “अच्छा तो तुम मुझे बस यह बता दो कि तुम्हारा भाई कहाँ रहता है। मैं वहाँ जाऊँगा और उससे कपड़ा ले कर आऊँगा। क्योंकि मुझे तो उसके पास जाना ही है नहीं तो राजा मेरी जान ले लेगा। जब तक कि मैं वह कपड़ा ले कर नहीं आता मैं तो यहाँ भी सुरक्षित नहीं हूँ। इसलिये तुम मुझे बताओ कि तुम्हारा भाई कहाँ रहता है मैं उसके पास जा कर उससे मिलूँगा और कपड़ा ले कर आऊँगा।”

जादूगरनी बोली — “ठहरो अगर तुम्हारी यह हालत है तो मैं तुम्हारी सहायता अवश्य करूँगी। मेरे पास मिट्टी का एक छोटा सा बरतन है जिससे मेरे भाई की ज़िन्दगी बँधी है। जब तक यह बरतन मेरे पास सुरक्षित है तब तक मेरा भाई भी सुरक्षित है पर जैसे ही यह बरतन टूटेगा तो मेरा भाई मर जायेगा। मैं अपनी बेटी की खातिर इस बरतन को तोड़ दूँगी क्योंकि मेरी बेटी तुमको प्यार करती है।”

ऐसा कह कर उसने मिट्टी का वह बरतन जमीन पर मार कर तोड़ दिया और बोली — “जाओ अब तुम निडर हो कर जाओ अब तुम्हें कोई डर नहीं है। वहाँ के शेर अब चाहे घास खायें या कुछ और पर अब वे हर उस आदमी को नहीं खायेंगे जो वहाँ जायेगा। जाओ भगवान तुम्हें सुखी और धनवान बनाये।”

जादूगरनी ने तो यह सोचा ही नहीं था कि यह कोतवाल राजकुमारी है – उस राजकुमार की होने वाली पत्नी जिसको उसने भैंसा बना कर रखा हुआ है।

अगली सुबह राजकुमारी ने थोड़े से सिपाही लिये राजा से जाने की इजाज़त माँगी और अपने काम पर चल दी। उस देश में पहुँच कर उसने तुरन्त ही जादूगर का घर ढूँढा जो उसे जल्दी ही मिल गया। उसके घर में वैसे कपड़ों के बहुत सारे ढेर लगे हुए थे। इनके अलावा वहाँ और भी बहुत सारा खजाना था।

राजकुमारी ने उसका वह सारा कपड़ा और खजाना लिया और राजा के महल की तरफ लौट चली। राजा उसके इस काम से इतना खुश हुआ कि उसने उसको बहुत सारी भेंटें दीं और उसको अपना वारिस घोषित कर दिया।

कुछ साल गुजर गये। राजा मर गया। अब वह कोतवाल उस राज्य पर राज कर रहा था। उसको कुछ कुछ पता चल गया था कि राजकुमार को क्या हुआ था सो उसने अपने राज्य भर के सारे भैंसों को अपने सामने पेश होने का हुकुम दिया।

सारे भैंसे एक जगह आ कर इकट्ठे हुए। राजकुमारी ने खुद ने उन सबकी जाँच की। वह उनसे बोली पर उनमें से किसी भी भैंसे ने उसकी बात का जवाब नहीं दिया और न उसको पहचाना। फिर उसने पुलिस को हुकुम दिया कि वे लोग सब जगह जा कर देखें कि किसने उसका हुकुम नहीं माना।

पुलिस के कुछ आदमी जादूगरनी के घर आये तो उन्होंने देखा कि उसने अपना भैंसा राजा के पास नहीं भेजा था। उन्होंने भैंसे को रस्सी से पकड़ा और राजा के पास ले गये। जादूगरनी ने उसकी जादुई रस्सी को अपने हाथ में पकड़े रखने की बहुत कोशिश की पर सब बेकार। पुलिस ने उसको छोड़ा ही नहीं। वे उस भैंसे को रस्सी से पकड़ कर जादूगरनी से दूर ले गये।

राजा ने देखा कि उसके भेजे हुए पुलिस के लोग एक भैंसा पकड़ कर ला रहे हैं तो वह उनसे मिलने के लिये आगे तक आयी कि लो भैंसे की रस्सी तो अचानक टूट गयी और उसकी जगह एक सुन्दर राजकुमार खड़ा था।

राजकुमारी बोली — “यकीनन यह जादूगरनी तो बहुत ही नीच औरत है। इसको इस दुनियाँ में रहने का कोई हक नहीं है। कल सुबह इसको मार दिया जाये और राजकुमार को हमारे महल में ठहराया जाये।

अब आगे की कहानी तो बिल्कुल साफ है। राजा यानी राजकुमारी ने अपनी सच्चाई राजकुमार को बतायी। फिर उसने अपनी जनता को बुलाया और उससे कहा — “देखो तुम्हारा राजा एक स्त्री है। इस वेश बदलने का मेरा उद्देश्य अपने राजकुमार को ढूँढना था। मेरा उद्देश्य अब पूरा हो गया इसलिये अब तुम लोग राजकुमार को अपना राजा और मुझे अपनी रानी मान लो।” लोगों ने उनको अपना राजा और रानी मान लिया और फिर सब खुशी खुशी रहे।

(सुषमा गुप्ता)

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