एक लूला नाइट और एक अन्धा नाइट : रूसी लोक-कथा

Ek Loola Knight Aur Ek Andha Knight : Russian Folk Tale

किसी राज्य के एक देश में एक ज़ार और एक ज़ारिट्ज़ा रहते थे। उनके एक बेटा था जिसका नाम था इवान ज़ारेविच। इस ज़ारेविच का एक नौकर था जिसका नाम था ओक की टोपी वाला काटोमा ड्याडका ।

जब ज़ार और जारिट्ज़ा की काफी उम्र हो गयी और वे दोनों बीमार पड़ गये और उनको लगा कि अब वे कभी ठीक नहीं होंगे तो उन्होंने अपने बेटे इवान ज़ारेविच को बुलाया और उससे कहा — “बेटा अगर हम मर जाते हैं तो हमारे मरने के बाद तुम हमेशा ही काटोमा की सलाह लेना। उसकी सलाह से तुम्हारा भला होगा। तुम खुश रहोगे और अगर तुम ऐसा नहीं करोगे तो तुम मक्खी की तरह से मारे जाओगे।”

अगले दिन ही ज़ार और जारिट्ज़ा इस दुनियाँ से चल बसे। इवान ज़ारेविच ने उनको दफ़नाया और उनकी सलाह मानी। जल्दी ही, हो सकता है थोड़े ही दिन बीते हों या फिर ज़्यादा दिन बीते हों जब इवान ज़ारेविच बड़ा हो गया तो उसको शादी की इच्छा हुई । उसने काटोमा से कहा — “ओक की टोपी वाले काटोमा। अकेले रहना बड़ा मुश्किल काम है। मैं अब शादी करना चाहता हूँ।”

काटोमा बोला — “ज़ारेविच। जिस उम्र में अभी तुम हो उसमें तुमको एक दुलहिन ढूँढनी ही चाहिये। तुम बड़े वाले कमरे में जाओ जहाँ तुम्हें सारी कोरोलेवनी और ज़ारेवनी की तस्वीरें मिल जायेंगी। उनको ध्यान से देखना उनमें से जो तुम्हें पसन्द आये वह मुझे बताना। उसी से तुम्हारी शादी हो जायेगी।”

इवान ज़ारेविच उस बड़े कमरे में चला गया। वहाँ जा कर उसने सारी तस्वीरें देखीं तो उनमें से उसको सुन्दर अन्ना की तस्वीर पसन्द आयी।

वह इतनी सुन्दर थी कि वह दुनियाँ की सब राजकुमारियों से भी ज़्यादा सुन्दर थी। पर उसकी तस्वीर के नीचे लिखा था “वह जो उसके लिये कोई ऐसी पहेली ले कर आयेगा जिसको वह हल नहीं कर पायेगी वह उसी से शादी करेगी और जिसकी पहेली का उसने हल बता दिया तो वह मारा जायेगा।”

इवान ज़ारेविच ने यह पढ़ा और इसको पढ़ कर वह दुखी हो गया। वह काटोमा के पास गया और उससे कहा — “मैं बड़े कमरे में गया था वहाँ मुझे सुन्दर अन्ना पसन्द आयी पर मुझे मालूम नहीं कि मैं उससे शादी कर पाऊँगा या नहीं।”

काटोमा बोला — “हाँ ज़ारेविच। यह काम तो तुम्हारे लिये थोड़ा मुश्किल है। अगर तुम्हें वहाँ खुद अकेले ही जाना है तो तुम उससे नहीं जीत पाओगे। तुम मुझे अपने साथ ले चलो। और फिर जैसा मैं कहूँ तुम वैसा ही करना। सब ठीक हो जायेगा।”

सो इवान ज़ारेविच ने काटोमा से अपने साथ चलने की विनती की और उसको वचन दिया कि वह उसकी हँसी खुशी सब में उसका कहना मानेगा।

सो दोनों उस सुन्दर अन्ना ज़ारेवना की खोज में चल दिये। वे एक साल तक चले फिर दूसरे साल चले आीर फिर तीसरे साल भी चले। वे बहुत सारे देशों में घूमे।

इवान ज़ारेविच बोला — “हम लोग इतने दिनों से घूम रहे हैं इतनी सारी जगह देख चुके हैं और अब आखीर में सुन्दर अन्ना के राज्य में भी पहुँच रहे हैं पर हमने अभी तक उसके लिये कोई पहेली नहीं सोची।

काटोमा बोला — “अभी समय है।”

सो वे दोनों चलते रहे चलते रहे कि रास्ते में काटोमा को सड़क पर पड़ा हुआ एक बटुआ दिखायी दिया। उसने इवान ज़ारेविच से कहा — “यहाँ है तुम्हारी ज़ारेवना के लिये पहेली। तुम उससे यह पहेली पूछना – “अच्छी चीज़ सड़क पर पड़ी हुई है। हमने उस अच्छी चीज़ को अच्छे के साथ ले लिया और अपने अच्छे के लिये इस्तेमाल किया।” यह पहेली वह ज़िन्दगी भर हल नहीं कर पायेगी।

क्योंकि अब तक की हर पहेली उसने अपनी जादू की किताब में देख कर हल की है और उसने लोगों के सिर कटवा दिये हैं।” आखिर इवान ज़ारेविच और काटोमा अन्ना के बड़े से महल में आये। उस समय ज़ारेवना अपने छज्जे पर खड़ी हुई थी। उसने अपने नौकरों को उनसे मिलने और पूछने के लिये भेजा कि वे कहाँ से आये हैं और क्या चाहते हैं।

इवान ज़ारेविच बोला — “मैं अपने बहुत दूर राज्य से सुन्दर अन्ना से शादी करने की इच्छा से आया हूँ।”

उसके नौकरों ने जा कर उसको यह बात बतायी तो उसने उनसे कहा कि वे ज़ारेविच को अन्दर ले आयें। वह उसके सलाहकारों राजकुमारों और बोयारों के सामने उससे एक पहेली पूछेगा। उसने इवान ज़ारेविच से कहा — “क्योंकि मैंने यह कसम खायी है कि मैं केवल उसी से शादी करूँगी जिस किसी की पहेली मैं नहीं सुलझा पाऊँगी। पर अगर मैंने उस उसका हल बता दिया तो उसको मरना होगा।”

इवान ज़ारेविच बोला — “ठीक है। अब आप मेरी पहेली सुनें। मेरी पहेली है “अच्छी चीज़ सड़क पर पड़ी हुई है। हमने उस अच्छी चीज़ को अच्छे के साथ ले लिया और अपने अच्छे के लिये इस्तेमाल किया।”

सुन्दर अन्ना ने अपनी किताब खोली पर उसको इस पहेली के बारे में कहीं कुछ नहीं मिला और वह इस पहेली को नहीं सुलझा सकी सो राजकुमारों और बोयारों ने मिल कर यह तय किया कि अन्ना को अब ज़ारेविच से शादी कर लेनी चाहिये पर वह अभी भी इस बारे में कुछ अनमनी थी। फिर भी उसको कुछ तो तय करना ही था।

पर दिल ही दिल में वह कुछ सोचती रही “मैं कैसे अपनी शादी की तारीख को आगे बढ़ाऊँ और इससे शादी करने से बच जाऊँ।” उसने सोचा कि ज़ारेविच को कुछ और तरीके से जाँचना चाहिये।

एक दिन उसने ज़ारेविच को अपने पास बुलाया और उससे कहा — “प्रिय इवान ज़ारेविच। ओ मेरे चुने हुए साथी। अब हमको शादी के लिये तैयार हो जाना चाहिये। मेहरबानी करके मेरा एक छोटा सा काम कर दो।

मेरे राज्य में फलाँ शहर में एक बहुत बड़ा लोहे का खम्भा खड़ा है। उसको हमारी शाही रसोईघर तक ला दो और उसको इतने छोटे छोटे टुकड़ों में काट दो जैसे कि आग जलाने के लिये लकड़ी काटते हैं।”

इवान ज़ारेविच बोला — “तुम क्या चाहती हो ज़ारेवना? क्या मैं यहाँ तुम्हारे जलाने का ईंधन काटने के लिये आया हूँ? क्या यह मेरा काम है? यह काम तो मेरा नौकर ही कर देगा।”

उसने काटोमा को पुकारा और उससे कहा कि वह उस गाँव में जा कर उस लोहे के खम्भे को ले कर आये और जलाने वाली लकड़ी की तरह से काट दे।

काटोमा तुरन्त गया उसे उखाड़ा अपने दोनों हाथों में लिया और उसे रसोईघर में ले आया। वहाँ ला कर उसने उसे जलाने वाली लकड़ी की तरह छोटे छोटे टुकड़ों में काट दिया। पर चार टुकड़े उसने बचा कर अपनी जेब में रख लिये। उसको लगा कि बाद में वह उनका इस्तेमाल कर लेगा।

अगले दिन ज़ारेवना बोली — “प्रिय ज़ारेविच। मेरे चुने हुए पति। कल हम लोग शादी करेंगे। मैं एक गाड़ी में चर्च जाऊँगी और तुमको एक बहुत ही बढ़िया घोड़ा दिया जायेगा। तुम खुद उसको अपने बैठने के लिये तैयार कर लेना।”

“हाँ मुझे अपना घोड़ा तैयार करना होगा पर यह काम तो मेरा नौकर भी कर सकता है।”

सो इवान ज़ारेविच ने काटोमा को पुकारा और उससे कहा — “तुम अस्तबल में जाओ वहाँ से घोड़ा लो और उसे मेरे लिये कल के लिये देखभाल कर तैयार करके रखो। मुझे कल उस पर सवार हो कर चर्च जाना है।”

इस बात के कहने से काटोमा ज़ारेवना के दिल में छिपी बुरी भावना को समझ गया। वह तुरन्त ही अस्तबल में गया और वहाँ के रखवालों से घोड़ा निकालने के लिये कहा। तो 12 सईसों ने 12 ताले खोले 12 दरवाजे खोले और 12 जंजीरों से बँधा घोड़ा बाहर निकाल कर लाये।

काटोमा उस घोड़े के पास गया और जैसे ही वह उसके ऊपर उछल कर बैठा तो घोड़ा हवा में बहुत ज़ोर से कूदा – इतना ऊँचा कि किसी ऊँचे पेड़ की चोटी से भी ऊँचा, बस बादलों और आसमान से नीचा।

पर काटोमा उस पर बहुत ही मजबूती से बैठा हुआ था। एक हाथ से उसने उसकी गरदन के बाल पकड़े और दूसरे हाथ से अपनी जेब में से एक लोहे की तख्ती निकाली और उसे उस घोड़े के दोनों कानों के बीच में मार दिया।

उसकी एक तख्ती टूट गयी तो उसने दूसरी निकाल ली। उसकी दूसरी तख्ती भी टूट गयी तो उसने तीसरी तख्ती निकाल ली और जब उसकी तीसरी तख्ती भी टूट गयी तो उसने चौथी तख्ती निकाली।

घोड़ा अब तक इन तख्तियों से बहुत थक चुका था सो वह आदमी की आवाज में बोला — “काटोमा बाबा। मेरे अन्दर थोड़ी सी ज़िन्दगी तो छोड़ दो। मैं धरती पर आ जाऊँगा और फिर जो तुम कहोगे वही करूँगा।”

काटोमा बोला — “तो ओ नीच जानवर सुनो। कल इवान ज़ारेविच तुम्हारे ऊपर बैठ कर शादी करने के लिये चर्च जायेगा।

जब नौकर लोग तुम्हें बड़े आँगन में ले कर जायें और इवान ज़ारेविच तुम्हारे पास आये तुम्हारे ऊपर हाथ रखे तो बिल्कुल चुपचाप खड़े रहना। अपने कान मत काटना।

जब वह तुम्हारे ऊपर चढ़ जाये तो उसके सामने अपने खुरों पर झुक जाना और अपने अगले खुरों को इस तरह से जमीन में घुसा कर उठना जिससे लगे कि तुम बहुत भारी बोझा उठा रहे हो।” इसके बाद घोड़ा अधमरा सा हो कर जमीन पर गिर पड़ा।

काटोमा ने जो उसकी पूँछ के पास बैठा हुआ था सईसों को बुलाया और उनसे कहा कि वे अब उसको अस्तबल में ले जायें।

अगला दिन आया और आया चर्च में जाने का समय। ज़ारेवना की गाड़ी तैयार थी और ज़ारेविच को वह जादुई घोड़ा दिया गया जिस पर बैठ कर उसको चर्च जाना था।

बहुत सारे देशों के राजकुमार और लोग वहाँ जमा थे। वे सब ज़ारेविच और ज़ारेवना को सफेद पत्थर के महल से चर्च जाने का नजारा देखने आये हुए थे। ज़ारेवना अपनी गाड़ी में बैठी यह देखने का इन्तजार कर रही थी कि जब ज़ारेविच घोड़े पर बैठेगा तो क्या होगा।

उसका विचार था कि जैसे ही इवान ज़ारेविच घोड़े पर बैठेगा घोड़ा उछल कर उसे हवा में उछाल देगा और उसकी हड्डी हड्डी इधर उधर मैदान में बिखर जायेंगी।

इवान ज़ारेविच घोड़े के पास गया उसकी पीठ पर अपना हाथ रखा और उस पर चढ़ने के लिये लोहे के छल्ले पर अपना पैर रखा पर इस पर भी घोड़ा वैसे ही खड़ा रहा जैसे पत्थर का बना हो। उसने अपना कोई भी कान नहीं काटा। उसके बाद ज़ारेविच उस पर चढ़ गया।

फिर उसने अपने आगे के खुर धरती में गड़ा कर अपना सिर झुकाया। उसके बाद उसकी बारहों जंजीरें खोल दी गयीं। फिर वह ऐसे खड़ा हो गया जैसे कि उसके ऊपर कोई भारी बोझा लदा हो। उसकी पीठ से पसीने की धाराऐं बहने लगीं।

उसको हाँक कर जब इवान ज़ारेविच वहाँ से चला तो वहाँ मौजूद सारे लोगों के मुँह से निकला — “ओह कितना शानदार ज़ारेविच है। कितनी ताकत है इसमें।”

यह देख कर सुन्दर अन्ना ज़ारेवना तो आश्चर्यचकित रह गयी। दुलहा और दुलहिन चर्च पहुँचे वहाँ उनकी शादी हो गयी।

दोनों एक दूसरे के हाथों में हाथ डाले चर्च से बाहर आये। ज़ारेवना अभी भी अपने पति की ताकत को जाँचना चाहती थी सो उसने उसका हाथ ज़ोर से भींचा। पर उसने उसे इतनी ज़ोर से भींचा कि वह खड़ा नहीं रह सका। उसका खून उसके सिर में चढ़ गया और उसकी आँखें करीब करीब बाहर निकलने वाली हो गयीं।

अन्ना ज़ारेवना ने सोचा “तो तुम इस तरह के हीरो हो। तुम्हारे ओक की टोपी वाले नौकर काटोमा ने मुझे अच्छा धोखा दिया है। मैं बहुत जल्दी ही उसको देख लूँगी।”

अन्ना ज़ारेवना भगवान के भेजे हुए अपने पति इवान ज़ारेविच के साथ उसी तरह से रह रही थी जिस तरह से एक अच्छी पत्नी को रहना चाहिये। वह हमेशा ही उसका कहना मानती थी। पर वह हमेशा यही सोचती रहती थी कि काटोमा को कैसे मारा जाये। अगर वह यह जानती तो वह ज़ारेविच को तो बड़ी आसानी से अपने रास्ते से हटा सकती थी। पर यह करने से पहले उसने कई बार इवान से कुछ कहा पर इवान ज़ारेविच ने उस पर विश्वास ही नहीं किया। उसने काटोमा की हमेशा ही तरफदारी की।

एक साल बाद उसने अपनी पत्नी से कहा — “प्रिय ज़ारेवना। अब मैं तुमको ले कर अपने घर जाना चाहूँगा।”

ज़ारोवना ने कहा — “जरूर। हम दोनों एक साथ चलेंगे। मुझे भी तुम्हारा राज्य देखने की बहुत इच्छा है।”

सो दोनों इवान के राज्य चल दिये। काटोमा कोचवान के पीछे बैठा। चलने के कुछ देर के बाद ही इवान को झपकी आने लगी।

सुन्दर अन्ना ने उसको सोते से अचानक उठाया और बोली — “सुनो इवान ज़ारेविच। तुम तो हमेशा सो जाते हो और कुछ देखते ही नहीं। देखो न काटोमा मेरा कहा नहीं मानता। वह जानबूझ कर गाड़ी को पत्थरों और गड्ढों के ऊपर से ले जा रहा है।

मुझे लगता है कि वह हमें मारना चाहता है। मैंने उससे नम्रता से कहा भी कि वह ऐसा न करे पर वह मेरे ऊपर केवल हँस दिया। मैं इस तरह से नहीं रह सकती अगर तुम उसको कुछ कहोगे नहीं।”

इवान ज़ारेविच कुछ उनींदा सा हो रहा था सो वह काटोमा से गुस्सा हो गया। उसने अपनी पत्नी से कहा — “तुम जैसा चाहो वैसा करो।”

सो राजा की बेटी ने अपने नौकरों को हुकुम दिया कि वे काटोमा की टाँगें काट दें। काटोमा बेचारा क्या करता। उसने यह सब अपनी किस्मत पर छोड़ दिया और सब कुछ सहन कर लिया। उसने सोचा — “अगर मुझे यह सब सहना ही है तो ज़ारेविच को जल्दी ही यह पता चल जायेगा कि यह परेशानी कहाँ है।”

उसकी दोनों टाँगें काट दी गयीं। ज़ारेवना ने चारों तरफ देखा तो उसको सड़क के किनारे एक बड़ा से पेड़ का कटा हुआ तना दिखायी दे गया। उसने अपने नौकरों से कहा कि वे काटोमा को उसके ऊपर बिठा दें और इवान ज़ारेविच को उसने एक रस्सी से अपनी गाड़ी के पीछे बाँधा और अपने राज्य वापस लौट पड़ी। काटोमा बेचारा अपनी कटी टाँगे लिये पेड़ के कटे तने पर बैठा बैठा ज़ोर ज़ोर से रोता रहा।

“विदा इवान ज़ारेविच। मूझे भूलना नहीं।”

अब इवान ज़ारेविच गाड़ी के पीछे उछलता कूदता चला जा रहा था। उसको पता चल गया था कि उसने एक बहुत बड़ी गलती कर दी है पर अब उसका कोई इलाज नहीं था।

जब अन्ना ज़ारेवना फिर से अपने राज्य पहुँची तो अब ज़ारेविच को उसकी गायें की देखभाल करनी पड़ती थी। हर सुबह वह उसकी गायों को बाहर खुले मैदान में ले जाता और हर शाम उनको वापस शाही बाड़े में ले कर आता। ज़ारेवना अपने छज्जे पर बैठी रहती और यह देखती रहती कि उसकी कोई गाय खो तो नहीं गयी।

इवान ज़ारेविच रोज़ गाय गिनता और उनको उनके बाड़े में पहुँचाता। और आखिरी गाय के पूँछ के नीचे एक बार चूमता। गाय को भी पता था कि बाड़े में जाने से पहले उससे क्या आशा की जाती है सो अन्दर घुसने से पहले ही वह दरवाजे पर खड़ी हो जाती और अपनी पूँछ ऊपर उठा देती।

उधर काटोमा सारे दिन वहीं उस पेड़ के कटे तने के ऊपर बिना खाना खाये और पानी पिये ही बैठा रहा। वह वहाँ से उतर ही नहीं सका।

उसको लगा कि वह तो वहाँ बैठा बैठा भूख और प्यास से ही मर जायेगा। इत्तफाक से पास में ही एक घना जंगल था वहाँ एक नाइट91 रहता था। वह अन्धा था मगर बहुत ताकतवर था।

वह अपने घर से एक तरह की खुशबू फैलाता था जिससे जंगली जानवर उधर आ जाते थे और वह उनके पीछे भाग कर उनको मार लिया करता था। उसको इस बात की कोई परवाह नहीं थी कि वह कोई खरगोश था या लोमड़ा था या फिर कोई भालू था।

उसको पकड़ कर वह उसको अपने खाने के लिये भून लेता था। वह किसी भी जानवर से इतनी तेज़ भाग सकता था जितना कि वह कूद मारता था।

एक दिन एक लोमड़ा उधर आया। नाइट को सुनायी दिया और वह उसके पीछे पीछे भागा। वह लोमड़ा भागते भागते उधर ही आ निकला जिधर काटोमा बैठा हुआ था। उधर आ कर वह घूमा और वापस जाने लगा।

वह अन्धा नाइट भी उसके पीछे पीछे भागता हुआ वहाँ तक आ पहुँचा और वह भी घूमा तो उसका सिर उस पेड़ के कटे हुए तने से टकरा गया जिस पर काटोमा बैठा था।

वह इतनी ज़ोर से टकराया कि पेड़ का तना जड़ से उखड़ गया। काटोमा नीचे गिर गया और पूछा — “तुम कौन हो?” वह अन्धा आदमी बोला — “मैं अन्धा नाइट हूँ। मैं यहाँ इस जंगल में तीन साल से रह रहा हूँ और जंगली जानवरों को खा कर गुजारा करता हूँ। मैं जानवर पकड़ सकता हूँ और उसको अपने आप से आग पर भून कर खा सकता हूँ। नहीं तो मैं भूख से मर जाता।”

“क्या तुम जन्म से अन्धे हो?”

“नहीं सुन्दर अन्ना ने मेरी आँखें निकाल ली हैं।”

काटोमा बोला — “भाई। मैं लूला हूँ। सुन्दर अन्ना ने मेरी दोनों टाँगे काट दी हैं।”

सो दोनों ने तय किया कि वे दोनों एक साथ रहेंगे और एक दूसरे की सहायता करेंगे।

अन्धे ने काटोमा से कहा — “तुम मेरी पीठ पर बैठ जाओ और मुझे रास्ता दिखाते रहना। मैं अपनी टाँगों से तुम्हारी सेवा करूँगा और तुम अपनी आँखों से मुझे रास्ता दिखाना।”

सो अन्धे ने काटोमा को अपनी पीठ पर बिठा लिया और काटोमा वहाँ बैठा बैठा उसको कहता रहा “दाँये चलो बाँये चलो या सीधे चलो।”

काफी दिनों तक वे जंगल में रहे और अपने खाने के लिये खरगोश लोमड़े और भालू पकड़ते रहे।

एक दिन काटोमा बोला — “हम यहाँ अकेले क्यों रहें। मुझे किसी ने बताया है कि शहर में एक अमीर सौदागर रहता है जिसके एक बेटी है। उनका यह भी कहना है कि वह गरीबों और लँगड़े लूले लोगों पर बहुत ज़्यादा दया करती है और उनको अपने हाथ से दान देती है।

चलो भाई हम उसे ले आते हैं वह हमारे साथ हमारे घर की देखभाल करने वाली की तरह से रहेगी।”

सो अन्धे ने एक गाड़ी ली लूले को उस गाड़ी में बिठाया और शहर की तरफ चल दिया। वह सौ दागर के घर तक पहुँच गया। जब सौदागर की बेटी ने अपनी खिड़की से बाहर झाँका तो वह उनको देखते ही दान देने के लिये कुछ लाने के लिये दौड़ी। वह काटोमा के पास आयी और बोली — “लो इसे भगवान का आशीवाद समझ कर ले लो।”

उसने उससे दान लिया उसका हाथ पकड़ कर खींचा अपनी गाड़ी में बिठाया और अन्धे से बोला — “चलो भाई।”

वह अन्धा भी इतनी तेज़ी से भाग चला कि कोई घोड़ा भी उसको पकड़ नहीं सकता था। सौदागर की कोई भी कोशिश काम नहीं की।

दोनों नाइट्स उस लड़की को जंगल में अपने घर ले आये और बोले — “हमारे साथ हमारी बहिन की तरह से रहो और हमारे घर की देखभाल करो। हम गरीब लोगों के पास कोई खाना बनाने वाला और सफाई करने वाला नहीं है। भगवान तुम्हें इसका फल जरूर देगा।”

सो सौदागर की बेटी उनके साथ रहने लगी। दोनों नाइट्स उसको बहुत प्यार करते थे और उसकी बहुत इज़्ज़त करते थे जैसे वह उनकी अपनी बहिन हो।

कभी कभी वे शिकार के लिये जाते तब उनकी बहिन घर में घर की देखभाल खाना बनाने और कपड़े धोने के लिये अकेली रह जाती।

एक दिन पतली टाँगों वाली बाबा यागा92 वहाँ जंगल में उसके मकान में आयी और उसका खून चूस कर ले गयी। अब जब भी वे नाइट्स घर में नहीं होते तो वह वहाँ आती और उसका खून चूस जाती। इसका फल यह हुआ कि लड़की धीरे धीरे पीली पड़ने लगी और कमजोर होने लगी।

अब अन्धा आदमी तो अन्धा था वह तो देख नहीं सकता था पर काटोमा को लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ है। सो उसने अपने साथी से कहा और दोनों ने अपनी बहिन से पूछा कि क्या बात थी। उधर बाबा यागा ने उसको यह बात किसी को बताने से मना कर रखा था तो कई दिनों तक तो वह बहुत डरी डरी रही। वह उनको अपनी मुश्किल बता ही नहीं सकी।

पर आखीर में उसके पीछे पड़ कर उन्होंने जान ही लिया। उसने उनको सब कुछ बता दिया — “हर बार जब आप लोग बाहर शिकार पर चले जाते हैं तो एक बहुत ही बुढ़िया यहाँ आती है। उसका चेहरा बहुत बुरा है उसके लम्बे लम्बे सफेद बाल हैं। वह अपना सिर नीचे छाती तक लटकाये रहती है और आ कर मेरा खून चूसती है।”

सुनते ही अन्धा नाइट बोला — “मुझे पता चल गया। जरूर ही वह बाबा यागा होगी। थोड़ा इन्तजार करो हम उसके साथ उसी की तरह का बरताव करेंगे।

कल को हम लोग शिकार पर नहीं जायेंगे। हम लोग उसको घर में ही पकड़ने की कोशिश करेंगे और उसे कैद कर लेंगे।” अगली सुबह वे दोनों शिकार पर चले गये। अन्धे ने काटोमा से कहा “तुम इस बैन्च के नीचे छिप जाओ और वहाँ बिना हिले डुले बैठे रहना। मैं आँगन में जाता हूँ और खिड़की के नीचे उसका इन्तजार करता हूँ।

और तुम बहिन। तुम ऐसा करो कि तुम यहाँ बैठ जाओ। अगर बाबा यागा यहाँ आती है तो जब तुम उसके बालों में कंघी करो तो उसके कुछ बालों की चोटी बना कर उनको खिड़की से बाँध देना। मैं उसके सफेद बालों से उसको पकड़ लूँगा।”

जैसा प्लान बनाया गया था वैसा ही किया गया। अन्धे ने बाबा यागा को उसके लम्बे सफेद बालों से पकड़ लिया और चिल्लाया — “ओ काटोमा। आओ बाहर आओ। इस नीच बुढ़िया को पकड़ कर रखो जब तक मैं मकान में आ कर इसे पकड़ता हूँ।”

बाबा यागा ने जब यह सुना तो उसने अपना सिर उठा कर भाग जाने की कोशिश की पर वह ऐसा कर न सकी। वह बहुत इधर उधर हुई बहुत चिल्लायी पर उससे कोई फायदा नहीं हुआ।

काटोमा अपनी बैन्च से बाहर निकल आया और उसके ऊपर आ कर गिर पड़ा जैसे उस पर कोई लोहे का पहाड़ गिर गया हो। उसने उसका गला घोट दिया जब तक कि उसको चाँद तारे नजर नहीं आने लगे।

अन्धा मकान से बाहर आ गया और बोला — “चलो अब हम लकड़ी का एक बहुत बड़ा ढेर बनाते हैं और बाबा यागा को उसमें जला कर उसकी राख चारों तरफ उड़ा देते है।”

बाबा यागा उनसे विनती करने लगी — “अरे मेरे बाप लोगों। मुझे माफ कर दो। तुम लोग जो कहोगे मैं वही करूँगी।”

“ठीक है ओ पुरानी बुढ़िया। पहले तो हमें तू ज़िन्दगी और मौत के पानी का कुँआ दिखा।”

“अगर तुम मुझे मारोगे नहीं तो मैं तुम्हें वह दिखा दूँगी।”

तब काटोमा अन्धे की पीठ पर चढ़ गया और बाबा यागा को उसके बालों से पकड़ लिया। फिर वे जंगल के बहुत गहरे हिस्से में पहुँच गये।

वहाँ पहुँच कर उसने उनको वह ज़िन्दगी और मौत के पानी का कुँआ दिखाया और कहा कि यही वह ठीक करने वाले पानी का कुँआ है जिससे लोगों को ज़िन्दगी मिलती है।

अन्धा बोला — “ज़रा ख्याल रखना काटोमा। गलती मत करना। अगर अबकी बार यह हमें धोखा देगी तो फिर हम उसे ज़िन्दगी भर ठीक नहीं कर पायेंगे।”

सो काटोमा ने पेड़ से एक टहनी तोड़ी और उसे कुँए में फेंक दी। वह मुश्किल से कुँए में गिरी होगी कि वह तो जल उठी। काटोमा चिल्लाया — “तो यह तेरा दूसरा धोखा है।”

तो दोनों नाइट्स ने उसको उठा कर कुँए में फेंकने के लिये उठाया पर फिर वह उनसे उनकी दया की भीख माँगने लगी और कसम खाने लगी कि वह अबकी बार उनको धोखा नहीं देगी। बाबा यागा अबकी बार उनको एक दूसरे कुँए पर ले गयी और बोली — “अबकी बार मैं ठीक कह रही हूँ यही वह ज़िन्दगी और मौत के पानी का कुँआ है।”

काटोमा ने फिर से एक सूखी टहनी उठायी और उस कुँए में डाल दी। इससे पहले कि वह पानी को छूती भी वह तो हरी हो गयी और उसमें कल्ले फूटने लगे।

काटोमा बोला “यह पानी ठीक है।”

अन्धे ने उससे अपनी आँखें धोयीं तो वह तुरन्त ही देखने लगा। फिर उसने काटोमा को उस पानी में डुबोया तो उसकी टाँगें बढ़ने लगीं।

दोनों बहुत खुश थे बोले — “अब हम ठीक हो गये हैं तो अब हम अपने तरीके से रहेंगे। पर पहले हम बाबा यागा से तो अपना हिसाब चुकता कर लें। हम अगर अभी उसे माफ कर देते हैं तो इससे हमारा कोई भला नहीं होगा क्योंकि इस दुश्मनी की वजह से वह ज़िन्दगी भर हमारे पीछे पड़ी रहेगी।”

सो वे उसको पहले वाले कुँए के पास ले गये और उसको उसी कुँए में फेंक दिया। वह उस कुँए में गिरते ही जल कर मर गयी। काटोमा ने सौदागर की बेटी से शादी कर ली और फिर तीनों सुन्दर अन्ना ज़ारेविच के राज्य गये ताकि वे इवान ज़ारेविच को वहाँ से आजाद करा सकें।

वे लोग शहर गये और वहाँ वे इवान ज़ारेविच की गायों के झुंड से मिले। काटोमा बोला — “रुक जाओ ओ चरवाहे। तुम ये गायें कहाँ ले कर जा रहे हो?”

इवान ने जवाब दिया —“रानी जी के महल में। जब गायें घर आती हैं तो वह उनको हमेशा गिनती हैं ताकि उनको यह पता रहे कि उनकी सारी गायें घर आ गयीं या नहीं।”

काटोमा बोला — “तुम मेरे कपड़े पहन लो और मैं तुम्हारे कपड़े पहन लेता हूँ। मैं ये गायें हाँक कर महल ले जाता हूँ।”

“नहीं भाई यह नहीं चलेगा। अगर ज़ारेवना को पता चल गया तो फिर उसका फल मुझे ही भुगतना पड़ेगा।”

काटोमा बोला — “नहीं तुम डरो नहीं। तुम्हें कुछ नहीं होगा। तुम्हारे ऊपर किसी तरह की कोई आफत नहीं आयेगी। काटोमा तुम्हारी जमानत लेता है।”

इवान ज़ारेविच ने एक लम्बी सी साँस ले कर कहा — “ओ भले आदमी। काश वह आज यहाँ होता तो मैं ये गायें यहाँ नहीं चरा रहा होता।”

तब काटोमा ने उसको अपना चेहरा दिखाया कि वह कौन था। उसे देखते ही इवान ज़ारेविच ने उसे प्यार से गले लगा लिया और ज़ोर ज़ोर से रो पड़ा। “मुझे तो यह आशा ही नहीं थी कि मैं तुम्हें फिर से देख पाऊँगा।”

सो उन दोनों ने आपस में अपने कपड़े बदले और काटोमा उसकी गायें ले कर शाही बाड़े की तरफ चल दिया।

सुन्दर अन्ना ज़ारेवना अपने छज्जे पर निकल कर आयी। उसने अपनी गायें गिनी और उससे कहा कि वह उनको उनके बाड़े में ले जाये। सारी गायें अपने अपने बाड़ों में चली गयीं पर आखिरी गाय पीछे रह गयी।

अपनी आदत के अनुसार बाड़े में जाने से पहले उसने अपनी पूँछ उठा दी। काटोमा उसके ऊपर कूद पड़ा और बोला — “ओ नीच जानवर। तू यहाँ रुकी क्यों?”

उसने उसकी पूँछ को पकड़ कर इतनी ताकत लगा कर खींचा कि उसकी सारी की सारी खाल ही उसके हाथों में आ गयी।

जब सुन्दर अन्ना ज़ारेवना ने यह देखा तो वह बहुत ज़ोर से चिल्लायी — “यह नीच चरवाहा क्या कर रहा है। उसको पकड़ कर मेरे पास लाओ।”

सो उसको नौकरों ने उसको पकड़ा और उसे अन्ना ज़ारे वना के पास ले गये। ज़ारेवना ने उसकी तरफ देखा तो देखा कि वह तो इवान ज़ारेविच नहीं है तो उसने पूछा — “तुम कौन हो?”

काटोमा बोला — “मैं वह काटोमा हूँ जिसकी टाँगें एक बार तुमने कटवा दी थीं और उसको कटे हुए पेड़ के तने पर बिठा कर वहाँ से चली गयीं थीं।”

तब ज़ारेवना ने सोचा कि अगर इसकी टाँगें वापस आ सकती हैं तो मैं इसके खिलाफ कुछ नहीं कर सकती। उसने उससे और ज़ारेविच से माफी माँगी।

वह अपने पापों पर बहुत पछतायी और कसम खायी कि वह हमेशा इवान ज़ारेविच को प्यार करेगी और उसका कहा मानेगी। इवान ज़ारेविच ने उसे माफ कर दिया और उसके बाद वे मिलजुल कर रहे। वह नाइट जो पहले कभी अन्धा था उनके साथ ही रहा। पर काटोमा अपनी पत्नी के साथ उसके पिता के घर चला गया और वह वहीं उसी के पास रहा।

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