एक बिल्ली जो रानी बन गयी : कश्मीरी लोक-कथा
Ek Billi Jo Rani Ban Gayi : Lok-Katha (Kashmir)
“उफ़! उफ़! मेरा इतनी सारी स्त्रियों से शादी करने का क्या फायदा जब भगवान ने मुझे उनसे एक बेटा भी नहीं दिया। अगर मैं मर गया तो मेरा नाम तो इस देश से मिट ही जायेगा।”
ऐसा कहते हुए काश्मीर का एक बहुत बड़ा राजा अपने जनानखाने में गया और उसने अपनी बहुत सारी रानियों को धमकी दी कि अगर उन्होंने उसको अगले साल मे एक बेटा नहीं दिया तो वह उनको अपने राज्य से निकाल देगा।
राजा तो यह कह कर चला गया और उसकी सब पत्नियों ने उसके जाने के बाद भगवान शिव की प्रार्थना करनी शुरू कर दी कि वह राजा की इच्छा पूरी करने में उनकी सहायता करें।
वे उत्सुकता से कई महीनों तक इस उम्मीद में इन्तजार करती रहीं कि वह राजा को यह अच्छी खबर सुना सकें। पर आखिर उनको पता चल गया कि उनका यह इन्तजार बेकार था। अगर उनको शाही महल में रहना है तो उनको कुछ और तरकीब इस्तेमाल करनी पड़ेगी।
सो नियत समय पर राजा को सूचित कर दिया गया कि उसकी एक रानी को बच्चे की आशा हो गयी थी। कुछ समय बाद यह खबर फैला दी गयी कि उस रानी को एक बेटी हुई है। पर जैसा कि हमने बताया ऐसा कुछ था ही नहीं और ऐसा कुछ हुआ भी नहीं।
तो फिर सच क्या था? सच तो यह था कि उनके यहाँ एक बिल्ली थी जिसने कई बच्चों को जन्म दिया था। उनमें से एक बच्ची को एक रानी ने अपना लिया था।
जब राजा ने यह खबर सुनी तो वह तो बहुत खुश हो गया। उसने बच्चे को अपने पास लाने के लिये कहा। रानियों ने यह तो पहले से ही सोच रखा था कि राजा की यह इच्छा तो स्वाभाविक थी और वह ऐसी इच्छा करेगा भी सो इस बात के लिये वे पहले से ही तैयार थीं।
उन्होंने दूत से कहा — “जाओ और राजा से कहना कि ब्राह्मणों ने कहा है कि बच्ची को उसकी शादी से पहले उसके पिता को नहीं देखना।” इस तरह से यह मामला कुछ समय के लिये टल गया।
राजा भी लगातार अपनी रानियों से अपनी बेटी के बारे में पूछताछ करता रहता था। रानियाँ उसको उसके बारे में अच्छा अच्छा बताती रहतीं – उसकी सुन्दरता के बारे में उसकी होशियारी के बारे में। यह सब सुन सुन कर राजा बहुत खुश होता रहा।
हालाँकि राजा एक बेटा चाहता था पर वह यह सोच कर सन्तुष्ट हो गया कि भगवान ने उसको बेटी ही दी तो कोई बात नहीं वह उसके लिये एक ऐसा दुलहा तलाश करेगा जो उसके लायक हो और फिर बाद में उसका राज्य सँभाल सके।
समय आने पर राजा ने अपनी बेटी के लिये दुलहे की खोज करनी शुरू की। एक अच्छा होशियार और सुन्दर लड़का ढूँढ लिया गया और शादी की तैयारियाँ शुरू हो गयीं।
अब राजा की रानियाँ क्या करें। अब तो उनके लिये अपने धोखे को आगे बढ़ाना नामुमकिन हो गया। दुलहा आयेगा तो वह भी अपनी होने वाली पत्नी को देखना चाहेगा। इसके अलावा राजा भी अब अपनी बेटी को देखना चाहेगा।
सो उन्होंने सोचा कि “अच्छा तो यही होगा कि हम राजकुमार को यहाँ बुलायें और उसको सब बता दें। फिर जो होता हो उसका इन्तजार करें। अभी हम लोग राजा को छोड़ते हैं। उसको सन्तुष्ट करने के लिये फिर बाद में सोचेंगे।”
सो उन्होंने राजकुमार को बुलवाया और उसको सब कुछ बता दिया। उन्होंने उससे यह पहले से ही वायदा करवा लिया कि वह इस बात को अपने तक ही रखेगा यहाँ तक कि अपने माता पिता को भी नहीं बतायेगा।
शादी बहुत धूमधाम से मनायी गयी जैसी कि इतने बड़े और अमीर राजा की बेटी की होनी चाहिये। राजा को इस बात के लिये आसानी से मना लिया गया कि वह पालकी में बैठी दुलहिन को अभी न देखे।
पालकी में केवल बिल्ली ही थी और वह राजकुमार के देश सुरक्षित रूप से पहुँच गयी। राजकुमार ने जानवर की बहुत अच्छी तरह से देखभाल की और उसको अपने निजी कमरे में बन्द करके रखा। उस कमरे में वह किसी को घुसने नहीं देता था अपने माता पिता को भी नहीं।
एक दिन जब राजकुमार वहाँ नहीं था तो उसकी माँ ने सोचा कि वह आज बेटे के कमरे के बाहर से ही अपनी बहू से बात करेगी।
सो वह बेटे के कमरे के बाहर ही खड़ी हो कर ज़ोर से बोली — “बहू मुझे बहुत अफसोस है कि तुम यहाँ इस कमरे में बन्द हो और तुमको किसी से मिलने की इजाज़त नहीं है। इस बात से तो तुम जरूर ही बहुत दुखी होगी। खैर, आज मैं बाहर जा रही हूँ, तुम अगर चाहो तो आज बिना किसी डर के कि कोई तुम्हें देख लेगा बाहर निकल सकती हो। तुम बाहर आओगी न?”
बिल्ली सब समझ गयी और यह सुन कर बहुत रोयी जैसे कोई इन्सान रोता है। ओह उसके आँसू तो राजकुमार की माँ के दिल को छेद ही गये। यह देख कर उसने इस मामले पर अपने बेटे से सख्ती से बात करने का फैसला किया कि जैसे ही वह आयेगा वह उससे जरूर ही बात करेगी।
बिल्ली के आँसू पार्वती जी तक पहुँचे तो वह तुरन्त ही अपने स्वामी शिव जी के पास गयीं और उनसे प्रार्थना की कि वह उस लाचार बिल्ली पर दया करें।
शिव जी बोले — “उससे कहना कि एक तेल है जो अगर वह अपने शरीर के सारे बालों पर मल ले तो वह एक बहुत सुन्दर स्त्री बन जायेगी। वह तेल उसको उसी कमरे में रखा मिल जायेगा जिसमें वह बन्द है।”
पार्वती जी ने इस अच्छी खबर को बिल्ली को देने में बिल्कुल भी देर नहीं की। बिल्ली ने भी तुरन्त ही तेल ढूँढा और उसको अपने शरीर के सारे बालों पर मल लिया। तुरन्त ही वह एक बहुत सुन्दर लड़की में बदल गयी।
पर एक बहुत छोटी सी जगह उसने अपने कन्धे पर छोड़ दी जिस पर बिल्ली के बाल अभी भी मौजूद थे। वह उसने जानबूझ कर छोड़े थे ताकि उसका पति उसकी इस हरकत को उसकी कोई चाल न समझ ले और उसको अपनी पत्नी मानने से इनकार कर दे।
शाम को राजकुमार घर लौटा तो अपनी सुन्दर पत्नी को देख कर बहुत खुश हुआ। अब उसकी वे सारी चिन्ताऐं खत्म हो गयीं कि अब वह अपनी माँ को अपने अकेलेपन का क्या जवाब देगा। उसको तो बस खुश खुश मुस्कुराती हुई बहू को देखना था और उसका रोना तो बिल्कुल बेकार था।
कुछ हफ्ते बाद राजकुमार अपनी सुन्दर पत्नी को ले कर अपने ससुर से मिलने गया। राजा ने उसको अपनी बेटी समझा और उसको देख कर वह बहुत खुश हो गया।
उसकी सब पत्नियों ने भी बहुत खुशियाँ मनायीं कि उनकी प्रार्थनाऐं स्वीकार कर ली गयीं और अब वे महल में रह सकती थीं।
समय आने पर राजा ने भी अपने दामाद को राजा बना दिया। सो वह अब दो राज्यों का राजा बन गया – अपने पिता के राज्य का और अपने ससुर के राज्य का। इस तरह वह बहुत अमीर राजा बन गया।
(सुषमा गुप्ता)