गधे की ताकतें : चीनी लोक-कथा
Donkey’s Powers : Chinese Folktale
यह बहुत पुरानी बात है कि एक बार चीन में एक सिल्क का सौदागर अपने गधे को चीन चू शहर ले कर गया। यह चीन चू शहर एक घाटी की बड़ी नीची ढलान पर एक अकेली जगह पर बसा हुआ था।
जब वह वहाँ पहुँचा तो शाम हो गयी थी। शाम को वहाँ के कुछ लोग शाम की सैर करने के लिये निकले हुए थे और कुछ लोग छोटे छोटे होटलों में खाना खा रहे थे।
वह सौदागर शहर की मुख्य सड़क से हो कर जा रहा था कि वह यह देख कर आश्चर्यचकित हो गया कि काफी लोग उसको देख कर अपनी अपनी मेजों से उठ कर खड़े हो गये। ऐसा असल में इसलिये भी हुआ क्योंकि उन्होंने आज से पहले कभी गधा नहीं देखा था।
कुछ बच्चे तो उस अजीब जानवर को देख कर बहुत ही खुश थे और कुछ उसके खुरदरे भूरे बालों को देख कर और उसके रेंकने की तेज़ आवाज को सुन कर ही डर गये थे।
शहर के लोग उसको देख कर जितने ज़्यादा उत्सुक थे वह गधा उतनी ही ज़्यादा ज़ोर से रेंक रहा था और अपने दाँत दिखा रहा था।
यह देख कर कि लोग उसको इतनी ज़्यादा उत्सुकता से देख रहे थे वह गधा भी एक नये विश्वास के साथ सड़क पर चला जा रहा था औैर उसका मालिक सौदागर भी बहुत खुश खुश उसके पीछे पीछे चल रहा था।
उस रात गधा रात भर इधर उधर करवटें बदलता रहा पर वह रात भर सो नहीं सका। सो उसने यह तय किया कि वह रात को इधर उधर घूमेगा। बस वह वहाँ से उठा और भाग लिया। वह भागता रहा भागता रहा पर वह यह नहीं देख पाया कि वह कहाँ जा रहा था।
जब वह थक कर रुका तो उसने देखा कि वह तो एक जंगल में आ गया था। यह देख कर उसने जब तक सुबह होती है वहीं आराम करने का निश्चय किया। सुबह को जब उसकी नाक और कान पर ठंडी ओस की बूँद पड़ी तब कहीं जा कर उसकी आँख खुली।
जब उसने देखा कि उसके सब बाल ओस की बूँदों से नम हो गये हैं तो उसकी सारी पीठ में ठंड की एक लहर सी दौड़ गयी और वह काँप गया। हिम्मत कर के वह उठा, उसने अपने शरीर को हिला कर झटका दे कर उन ओस की बूँदों को झटक दिया।
उसने सोचा कि जाने से पहले वह थोड़ी सी घास खा ले सो वह अपना सिर नीचा कर के घास खाने लगा। जब वह घास खा रहा था तो उसने अपने पीछे कुछ फुसफुसाहट सुनी।
लेकिन जल्दी ही वह फुसफुसाहट ज़ोर की आवाज में बदल गयी। यह आवाज इतने ज़ोर की थी कि वह गधा अपने नाश्ते पर ध्यान ही नहीं दे सका।
जब उसने इधर उधर देखा तो उसने देखा कि कई देखने वाले उसके अजीब और बड़े साइज़ को देख रहे हैं। उसने सोचा कि अगर लोग मुझे इतने आश्चर्य से देख रहे हैं तो मुझे लगता है कि इन जानवरों को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हैं।
फिर उसने अपने मन में सोचा कि मैं उनको कुछ ऐसी चीज़ दिखाऊँ जिससे कि वे कुछ सोच सकें।
गधे ने अपना सिर उठाया, बहुत ज़ोर से ढेंचू ढेंचू किया और अपने पिछले पैर हवा में उछाले। यह देख कर चिड़ियों और जानवरों ने बहुत ज़ोर से चीख मारी और अपने अपने घोंसलों और घरों में घुस गये।
केवल एक तोता ही ऐसा था जो नहीं डरा। उसने खुशी से अपने पंख फड़फड़ाये और जो कुछ उसने देखा था वह बताने के लिये चीते की तरफ उड़ गया। इस बीच गधा अपनी ताकत दिखाने के इस शो पर बहुत खुश था। वह फिर अपनी घास खाने लगा।
तोते से इस अजीब जानवर की कहानी सुनकर चीता अपने इस ताकतवर दुश्मन जानवर को देखने के लिये बहुत उत्सुक हुआ और वह झाड़ियों में से होता हुआ इस जानवर को देखने के लिये तुरन्त ही दौड़ पड़ा। जब साफ मैदान आया तो वह वहीं रुक गया और फिर कुछ सोच विचार कर आगे बढ़ा जहाँ वह गधा अभी भी घास खा रहा था।
जब चीते ने गधे का साइज़ देखा तो वह बड़ा नाउम्मीद हुआ पर फिर भी उसने यह निश्चय किया कि वह उसकी ताकत का यह तमाशा देखने के लिये उसका इम्तिहान जरूर लेगा कि उसको इस जानवर की ताकत से कहींं कोई खतरा तो नहीं है।
गधे ने भी तिरछी निगाह से चीते को देख लिया। हालाँकि उसने भी चीते को पहले कभी नहीं देखा था पर फिर भी उसको ऐसा कुछ नहीं लगा कि उसे चीते से डरना चाहिये।
इसलिये उसने उसको भी अपनी ताकत का एक नमूना दिखाने का फैसला कर लिया सो वह जितनी ज़ोर से अपने दाँत पीस सकता था उतनी ज़ोर से उसने अपने दाँत पीसे। इससे बहुत ज़ोर की आवाज हुई।
चीता उसके दाँत पीसने की आवाज सुन कर डर गया और पास की झाड़ियों में सिकुड़ कर दुबक गया। उसको लगा कि अगर गधे के दाँतों की आवाज ही इतनी तेज़ है तो वह तो उसको खा भी सकता है।
गधा अपने नये दुश्मन जानवर के साथ इतना अधिक आनन्द महसूस कर रहा था कि उसने फिर एक बार अपने दाँतों के बीच में से बहुत ज़ोर की हिस की आवाज निकाली।
पर इत्तफाक से चीता उसी समय एक कीचड़ वाले गड्ढे में फिसल गया और वह उसकी हिस की आवाज नहीं सुन सका। बदकिस्मती से जंगल के दूसरे जानवरों ने चीते का वह गिरना देख लिया। धीरे धीरे वह जंगल का राजा किसी तरह से उस गड्ढे में गीला और कीचड़ में सना हुआ निकला।
गधे ने चीते को अपनी ओर आते हुए और फिर अपने से कुछ दूर ही सिकुड़ कर बैठते हुए देख लिया था। अब तक गधे को लग रहा था कि वह चीते से भी लड़ सकता है, जंगल के सारे जानवरों से भी अकेला ही निपट सकता है और उनको हरा सकता है।
वह बिना कुछ सोचे समझे बदकिस्मत चीते की तरफ बढ़ा, अपने पीछे वाले पैर उठाये और उसके कन्धे पर मारे। उसके पैरों की मार से चीता एक काँटों वाली झाड़ी में जा गिरा।
वह उस झाड़ी में से अपने घावों को चाटता हुआ अपनी बाँयी टाँग से लँगड़ाता हुआ बाहर निकला और उसको लगा कि अब वह अपनी पुरानी ताकत फिर कभी वापस नहीं पा सकता।
चीता इन सब हालात पर विचार करते हुए धीरे धीरे गधे से दूर उस मैदान के किनारे की तरफ चल दिया।
पर फिर उसको ध्यान आया कि गधे के खुर के नाखून बहुत तेज़ नहीं हैं और उसके दुश्मन ने केवल अपनी रक्षा के हथियार ही उसको दिखाये हैं – अपने खुर और दाँत, या न कि हमला करने वाले हथियार।
यह सोच कर वह फिर से गधे के पास गया और खेल खेल में उसने उसकी पूँछ और पिछली टाँगें अपने पंजों से पकड़ लीं। यह देख कर गधे ने बहुत ज़ोर से ढेंचू ढेंचू किया और अपनी टाँगों से चीते को एक बार फिर मारा।
चीते ने सोचा – “इसका मतलब मैं ठीक था। यह बस अपनी टाँगें ही हवा में फेंक सकता है या फिर ज़ोर की आवाज ही निकाल सकता है और कुछ नहीं कर सकता।”
यह सोच कर चीता गधे पर कूदा और उसने अपने दाँत गधे की गर्दन में घुसा दिये। गधे को न तो बचने का ही मौका मिला और न ही उसके पास अपनी सुरक्षा का कोई तरीका था। वह बेचारा बेमौत मारा गया।
जंगल के सारे जानवर चीते की तरफ तारीफ की नजर से देख रहे थे और चीता अपना स्वादिष्ट खाना खा रहा था। गधे के मरने की खबर चारों तरफ बहुत जल्दी ही फैल गयी।
तब से गधे खुले मैदानों में और पहाड़ियों के आस पास ही रहते हैं और घने जंगलों में नहीं जाते।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)