डोमिंगो का बिल्ला : ब्राज़ील की लोक-कथा
Domingo’s Cat : Lok-Katha (Brazil)
एक बार की बात है कि एक आदमी था जो बहुत बहुत बहुत ही गरीब था। वह इतना गरीब था कि उसको अपना पेट भरने के लिये अपने घर की कोई न कोई चीज़ बेचनी पड़ती थी।
ऐसा करते करते एक दिन ऐसा भी आया जब उसके घर की सारी चीज़ें बिक गयीं बस एक बिल्ला रह गया उसके पास। उसको अपने बिल्ले से पहुत प्यार था। वह उससे बोला — “ओ बिल्ले, चाहे कुछ भी हो जाये पर मैं तुझको अपने से कभी अलग नहीं करूँगा। तुझको बेचने से तो मैं भूखा रहना ज़्यादा पसन्द करूँगा।”
बिल्ला बोला — “ओ मेरे अच्छे मालिक। भगवान आपको शान्ति दे। जब तक आपके पास मैं हूँ आप भूखे नहीं मरेंगे। मैं आपको और अपने आपको दोनों को अमीर बनाने के लिये दुनियाँ में बाहर जा रहा हूँ।”
कह कर वह बिल्ला जंगल की तरफ भाग गया। वहाँ जा कर वह एक जगह खोदता रहा खोदता रहा। जितनी बार भी उसने वहाँ जमीन खोदी उसमें से चाँदी के सिक्के निकले।
बिल्ले ने उनमें से बहुत सारे सिक्के उठाये और उनको अपने मालिक के पास ले गया ताकि वह उनसे खाना खरीद सके। बाकी बचे हुए सिक्के वह राजा के पास ले गया और उसको दे आया।
अगले दिन बिल्ला फिर जंगल गया और वहाँ उसने सोने के सिक्के खोदे और उनको राजा को दे आया। उसके अगले दिन वह फिर जंगल गया वहाँ उसने अबकी बार हीरे खोदे और उनको राजा के पास ले गया।
तो राजा ने पूछा — “ये कीमती भेंटें तुम्हें कौन दे रहा है और इतनी बढ़िया भेंटें मुझे कौन भेज रहा है।”
बिल्ला बोला — “यह मेरे मालिक डोमिंगो हैं जो इतनी कीमती भेंटें आपको भेज रहे हैं।”
अब राजा के एक बहुत ही सुन्दर बेटी थी। डोमिंगो की भेजी हुई भेंटें देख कर राजा ने सोचा कि यह डोमिंगो तो लगता है कि राज्य का कोई सबसे अमीर आदमी है। सो उसने निश्चय किया कि वव्ह अपनी बेटी की शादी उससे तुरन्त ही कर देगा। उसने बिल्ले की सहायता से शादी का इन्तजाम कर लिया।
जब बिल्ले ने डोमिंगो का बताया कि वह उसकी शादी राजा की बेटी से तय कर आया है तो डोमिंगो बोला पर मेरे पास तो शादी में पहनने के लिये कपड़े तक नहीं हैं मैं राजा की बेटी से शादी कैसे कर सकता हूँ।
बिल्ला बोला — “तुम बिल्कुल चिन्ता न करो। यह सब तुम मेरे ऊपर छोड़ दो मैं सब सँभाल लूँगा।”
बिल्ला राजा के पास गया और बोला — “राजा साहब। हमारे साथ एक बहुत ही खराब घटना घट गयी है। जिस दर्जी के पास हमारे मालिक डोमिंगो के शादी के कपड़े सिल रहे थे उसकी दूकान में आग लग गयी है और वह दर्जी और उसके सब नौकर उसमें जल कर मर गये हैं।
यहाँ तक कि मेरे मालिक के सब कपड़े भी उस आग में जल गये हैं। दूसरे दर्जी से सिलवाने में तो समय लगेगा। योर मैजेस्टी के पास कुछ कपड़े तो होंगे जो वह उनको शादी के लिये उधार दे सकें।”
राजा ने यह सुन कर बहुत दुख प्रगट किया और अपने पास से कीमती से कीमती कपड़े निकाल कर उसके पहनने के लिये भेज दिये। इस तरह डोमिंगो राजा के कीमती कपड़ों में तैयार हो कर शादी के लिये गया।
शादी के बाद डोमिंगो बिल्ले से बोला — “पर मेरे पास तो राजकुमारी को ले जा कर ठहराने के लिये कोई ढंग का घर भी नहीं है। मैं उसको कहाँ ले कर जाऊँगा।”
बिल्ला बोला — “तुम चिन्ता न करो मैं देखता हूँ।”
बिल्ला फिर से जंगल चला गया। वहाँ जंगल में एक बहुत बड़ा किला था जिसमें एक बड़े साइज़ का आदमी रहता था। बिल्ला सीधा उस बड़े साइज़ के आदमी के पास गया और बोला — “ओ बड़े साइज़ के आदमी, मैं तुम्हारा किला अपने मालिक डोमिंगो के लिये उधार लेना चाहता हूँ। क्या तुम मेहरबानी कर के मुझे इसे कुछ देर के लिये उधार दोगे?”
यह सुन कर वह बड़े साइज़ का आदमी तो बहुत गुस्सा हो गया और अपनी सबसे भयानक आवाज में चिल्ला कर बोला — “नहीं बिल्कुल नहीं। मैं तुमको अपना यह किला तुम्हारे मालिक डोमिंगो या किसी और के लिये किसी भी हालत में बिल्कुल उधार नहीं दूँगा।”
बिल्ला बोला — “ठीक है मत दो।” कह कर उसने बड़े साइज़ के आदमी को पलक झपकते ही एक माँस के टुकड़े में बदल दिया और खा गया। अब वह सारा किला उसका था और खाली था। बड़े साइज़ के आदमी का महल तो बहुत ही बढ़िया था। उसमें एक कमरा चाँदी की चीज़ों से सजा था। एक दूसरा कमरा सोने की चीज़ों से सजा था। और एक तीसरा कमरा हीरों की चीज़ों से सजा था।
उसके बागीचे के दरवाजे के पास एक बहुत सुन्दर नदी बहती थी।
यह इन्तजाम कर के वह तुरन्त ही अपने मालिक डोमिंगो के पास भाग गया और बोला — “मालिक आपका महल तैयार है। चलें।”
वह डोमिंगो और उसकी दुलहिन को उसी नदी में एक शाही नाव में बिठा कर उस महल में ले कर आया। जब डोमिंगो अपनी दुलहिन के साथ उस महल तक आया तो उसने देखा कि बिल्ला तो उस महल की एक खिड़की में बैठा हुआ गा रहा था।
वे खुशी खुशी अपने महल में घुसे और वहाँ रहने लगे।
इसके बाद उन्होंने उस बिल्ले को फिर कभी नहीं देखा। वह जंगल में चला गया और वहीं गायब हो गया। शायद वह वहाँ से किसी और गरीब आदमी को अमीर बनाने चला गया होगा। यह भी हो सकता है कि वह वहाँ से वह कभी तुम्हारे सामने आ जाये। कौन जाने। और अगर आ जाये तो बस उसे जाने मत देना।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)