दो बहनें : पंजाबी लोक-कथा

Do Behnein : Punjabi Lok-Katha

एक था राजा और उसकी एक थी रानी। दोनों अपने महल में प्रसन्नतापूर्वक और सुख से अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे। उनके घर दो पुत्रियों ने जन्म लिया। दोनों अपनी पुत्रियों को बहुत प्यार किया करते थे।

एक दिन रानी ने देखा कि एक चिड़े की चिड़िया मर गई है और चिड़िया के बच्चे भूख से तड़पने लगे हैं। कुछ दिनों बाद वह चिड़ा अपने घर पर एक और चिड़िया ले आया। उस चिड़िया ने पहली चिड़िया के बच्चों को झाड़ियों में फेंक दिया, जिस कारण उन्हें काफी तीखे ज़ख्म हो गए, जिनसे एक दिन उनकी मृत्यु हो गई।

यह देखकर रानी के हृदय में यह विचार आया कि भगवान न करे मेरे मरने के बाद कभी मेरे बच्चों का भी ऐसा ही हाल न हो जाए। रानी को अब इसी बात की बड़ी चिन्ता रहने लगी। एक दिन उसने राजा से कहा, “देखिये, आज आप मुझे यह वचन दीजिये कि यदि कभी मेरी मृत्यु हो जाती है, तो आप दूसरा विवाह कभी नहीं करेंगे।” राजा ने कहा, “अच्छा ! मैं दूसरा विवाह कभी नहीं करवाऊँगा, इस बात का मैं तुम्हें वचन देता हूँ।"

कुछ दिनों बाद रानी की मृत्यु हो जाती है और राजा अपनी प्रजा के कहने पर दूसरा विवाह कर लेता है। कुछ समय पश्चात् उस नई रानी ने एक अंधी लड़की को जन्म दिया। वह रानी अपनी उस अंधी लड़की को बहुत प्यार करती थी। अब नई रानी पहली रानी की बेटियों को बहुत दुःख देने लगी। इसके विपरीत नयी रानी अपनी कोख-जाई अंधी लड़की को हमेशा अपने साथ रखती और उसे सदैव विभिन्न प्रकार के व्यंजन खिलाती थी।

नई रानी अपनी सौतेली बेटियों को राजा की गाय चराने के लिए भेज देती। अपनी लड़की के हाथ उन दोनों बहनों के लिए गेहूँ का चोकर लगाकर गोबर की रोटी भेज देती। लड़कियाँ चोकर उतार कर रोटियाँ फेंक देती और चोकर खा लिया करतीं। इस प्रकार सोनी और मोनी नाम की दोनों बहनें अपनी माँ की समाधि पर जाकर रोने लगतीं। एक दिन मां की समाधि में से यह आवाज़ आई , बेटियो ! देखो, तुम किसी गाय को पकड़ कर उसका दूध पी लिया करो।" उन दोनों बहनों ने मां की आज्ञा का पालन करते हुए उसी तरह से गाय का दूध पीना आरम्भ कर दिया । जब रानी को इस बात का कहीं से पता चला कि ये लड़कियाँ तो चोरी-चोरी गाय का दूध पी-पीकर पहले से भी अधिक सेहतमंद हो गई हैं, तो रानी ने उस गाय को ही कहीं दूर भेज दिया।

सोनी और मोनी दोनों बहनें रोती हुई फिर एक दिन माँ की समाधि पर गईं। समाधि में से आवाज़ आई कि इस समाधि से कुछ ही कदम आगे बरगद के एक वृक्ष के साथ एक बेरी खड़ी हुई है। तुम दोनों वहाँ जाकर उसमें लगे हुए कुछ बेर खा लिया करो। इस प्रकार वे दोनों बेर खा कर अपनी भूख मिटाने लगीं। एक दिन जब सौतेली माँ ने देखा कि ये दोनों बेटियाँ तो बेर खा कर सेहतमंद होती जा रही हैं, तो रानी ने राजा से कह कर वह बेरी ही कटवा दी। रानी ने राजा से यह भी कहा कि मैं तभी जीवित रहूँगी, यदि आप इन दोनों लड़कियों को जाकर यहाँ से कहीं दूर छोड़ आओ। राजा ने रानी की बात मान ली और वह सोनी और मोनी से कहने लगा, “चलो मैं तुम्हें तुम्हारे ननिहाल छोड़ आता हूँ। दोनों लड़कियाँ अपने पिता की बात मान गईं और उसके साथ चल पड़ीं। राजा उन दोनों को लेकर जंगल की ओर चल पड़ा। बहुत दूर जाकर राजा उनसे कहने लगा कि मैं दीर्घ शंका से निवृत्त होकर अभी आता हूँ। तब तक तुम धीरे-धीरे इसी मार्ग पर आगे चलती रहो।

लड़कियों को आगे चलने के लिए कह कर राजा एक कुएँ के ऊपर दुपट्टा लटका कर चला गया। दोनों लड़कियाँ बहुत देर तक व्यर्थ ही अपने पिता की प्रतीक्षा करती रहीं, परन्तु राजा न आया। अब वे अपने पिता को खोजने लग गई। एक स्थान पर दुपट्टा लटका हुआ देखकर उन्होंने सोचा कि हो न हो, यहीं पर हमारे पिताजी हैं, परन्तु जब उन्होंने दुपट्टा उठाया तो देखा कि राजा वहाँ पर नहीं था। वे दोनों रोती हुई जंगल में एक बन्दरिया के घर चली गई। उस बंदरिया के पास कुछ भैंसें थीं। उस बन्दरिया ने सोचा कि ये लड़कियाँ तो मुझसे मेरी भैंसें छीनने के लिए ही आई लगती हैं। यही सोचकर उस बंदरिया ने उन दोनों लड़कियों से झगड़ा कर लिया। लड़कियाँ ताकतवर थीं, इसलिए उन्होंने बंदरिया को मार भगाया और उसकी भैंसों को स्वयं सँभाल लिया।

इस प्रकार ये दोनों बहनें आपस में मिल-जुल कर अपना गुज़ारा करने लगीं। यदि छोटी बहन मोनी भैंसें चराने के लिए ले जाती थी, तो बड़ी बहन सोनी उसके पीछे घर सँभालती थी। एक दिन किसी देश का राजकुमार शिकार खेलते हुए उस जंगल में आया और उसकी भेंट सोनी से हुई। राजकुमार ने सोनी से पूछा कि, “क्या तुम मुझसे विवाह करोगी?" सोनी ने कहा कि मेरी बहन मोनी भैंसे चराने के लिए गई है, मेरे जाने के बाद यहाँ वह बिल्कुल अकेली ही रह जाएगी। इस पर राजकुमार ने सोनी से कहा कि तुम अपने पीछे सरसों बिखेरती चलो। वह अपने आप राह देखती हुई तुम्हारे पीछे आ जाएगी। इस प्रकार राजकुमार ने सोनी को अपनी रानी बना लिया। उधर मोनी सरसों के पीछे-पीछे आने लगी, तो मार्ग में राजकुमार के दूतों ने उसे उठा कर किसी जंगल में बाँध दिया। मोनी एक ओर भूख-प्यास से व्याकुल थी और दूसरी ओर उसे अपनी बहन की चिंता सता रही थी, परन्तु एक दिन सोनी अपने पति के साथ मोनी को खोजने निकली। एक स्थान पर उसने पाया कि मोनी को किसी ने एक पेड़ के साथ बाँध कर रखा हुआ है। सोनी और राजकुमार ने उसे खोला। फिर मोनी ने उन्हें सारी बात बताई। राजा ने अपने दूतों को कठोर दण्ड दिया और सोनी के कहने पर राजकुमार ने मोनी से भी विवाह कर लिया। अब मोनी भी राजकुमार की रानी बन गई। अब दोनों बहनें सुख-शान्तिपूर्वक रहने लगीं।

साभार : डॉ. सुखविन्दर कौर बाठ

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