दो बहिनें : इतालवी लोक-कथा
Do Behnein : Italian Folk Tale
एक बार की बात है कि दो बहिनें थीं – एक बहिन मारकीज़ थी और दूसरी बहिन बहुत गरीब थी।
मारकीज़ की एक बहुत बदसूरत सी बेटी थी और उस गरीब बहिन के तीन बेटियाँ थीं। वे तीनों अपनी रोजी रोटी कमाने के लिये सूत कातने का काम करती थीं।
एक दिन उनके पास मकान का किराया देने के लिये पैसे नहीं थे तो उनके मकान मालिक ने उनको घर से बाहर निकाल दिया और वे सड़क पर आ गयीं।
मारकीज़ का नौकर उधर से गुजर रहा था तो उसने मारकीज़ की बहिन और उसकी बेटियों को सड़क पर खड़ा देखा तो मारकीज़ को जा कर उनके बारे में बताया।
उसने मारकीज़ से उनको शरण देने की प्रार्थना की और वह तब तक उससे प्रार्थना करता रहा जब तक वह उनको अपने सामने वाले दरवाजे के ऊपर वाले कमरे में रखने के लिये तैयार नहीं हो गयी।
शाम को लड़कियाँ बैठीं और रोज की तरह वे लालटेन की रोशनी में अपना काम करने लगीं ताकि वे अपने लैम्प का तेल बचा सकें। पर यह मारकीज़ को अच्छा नहीं लगा।
उसने सोचा कि वे चीज़ें बरबाद कर रही हैं इसलिये उसने लालटेन बुझा दी। वे लड़कियाँ फिर चाँदनी में अपना सूत कातने लगीं।
एक शाम सबसे छोटी लड़की ने निश्चय किया कि वह तब तक जाग कर काम करेगी जब तक चाँद छिपेगा। सो जब चाँद उतरने लगा तो वह भी सूत कातती हुई उसके पीछे पीछे चल दी।
इस तरह वह जब वह उसके साथ चलते और सूत कातते हुए उसके पीछे पीछे चली जा रही थी तो एक तूफान में फँस गयी। वहीं पास में उसको एक मौनेस्टरी दिखायी दी तो वह शरण लेने के लिये उस मौनेस्टरी में चली गयी।
मौनेस्टरी में उसको 12 साधु मिले। उन्होंने उस लड़की से पूछा — “बेटी तुम इस तूफान में यहाँ क्या कर रही हो?”
वह बोली — “बाहर तूफान आया हुआ है सो मैं उस तूफान से बचने के लिये यहाँ आ गयी हूँ।”
उनमें से जो सबसे बड़ा साधु था वह बोला — “भगवान करे तुम और भी ज़्यादा प्यारी होती जाओ।”
दूसरा साधु बोला — “जब तुम अपने बालों में कंघी करो तो तुम्हारे बालों में से हीरे और मोती झड़ें।”
तीसरा साधु बोला — “जब तुम अपने हाथ धोओ तो तुम्हारे हाथों से कई प्रकार की मछलियाँ और ईल मछली गिरें।
चौथा साधु बोला — “जब तुम बोलो तो तुम्हारे मुँह से गुलाब और चमेली के फूलों की बारिश हो।”
पाँचवे साधु ने कहा — “तुम्हारे गाल दो सेबों की तरह से हो जायें।”
छठे साधु ने कहा — “जब तुम काम करो तो जैसे ही तुम उसे शुरू करो तो वह उसी समय खत्म हो जाये।”
तब तक तूफान थम चुका था सो उन्होंने उसको जाने का रास्ता दिखाया और कहा कि जब वह आधे रास्ते पहुँच जाये तो पीछे मुड़ कर देखे।
इसके बाद वह लड़की वहाँ से चली गयी। उसने उन साधुओं के कहे अनुसार आधे रास्ते जा कर पीछे मुड़ कर देखा तो वह तो इतनी चमकीली हो गयी जैसे कि तारा।
जब वह घर पहुँची तो उसने पहला काम तो यह किया कि उसने एक बरतन में पानी भरा और उसमें अपने हाथ डुबो दिये। तुरन्त ही उस बरतन में दो ताजा र्ईल मछली आ गयीं जैसे उनको अभी अभी पकड़ कर लाया गया हो।
उसकी माँ और बहिनों को यह देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ तो उन्होंने उससे कहा कि वह उनको सब बात बताये कि यह सब कैसे हुआ।
फिर उन्होंने उसके बालों में कंघी की तो उनमें से बहुत सारे हीरे और मोती निकल पड़े। उसकी माँ और बहिनों ने उन सबको इकठ्ठा कर लिया और वे उनको अपनी मारकीज़ मौसी के पास ले गयीं।
मारकीज़ ने तुरन्त ही उनसे उसका सारा हाल पूछा और अपनी बेटी को वहाँ भेजने का निश्चय किया क्योंकि उसकी लड़की को तो सुन्दरता की बहुत ज़्यादा जरूरत थी।
उसने अपनी बेटी को छज्जे पर खड़े हो कर पूरी शाम इन्तजार करने के लिये कहा। और जब चाँद ढलने लगा तो उसने उसको भी सूत कातते हुए चाँद के पीछे पीछे भेजा।
उसको वह मौनेस्टरी भी मिल गयी और वहाँ वे 12 साधु भी मिल गये जो उसकी मौसी की लड़की को मिले थे। उन साधुओं ने उस लड़की को तुरन्त पहचान लिया कि वह मारकीज़ की बेटी थी और साथ में यह भी जान लिया कि वह वहाँ क्यों आयी थी।
वहाँ बैठे सबसे बड़े साधु ने कहा — “भगवान करे तुम और ज़्यादा बदसूरत हो जाओ।”
दूसरे साधु ने कहा — “जब तुम अपने बालों में कंघी करो तो तुम्हारे बालों से बहुत सारे साँप निकलें।”
तीसरा साधु बोला — “जब तुम अपने हाथ धोओ तो तुम्हारे हाथों से बहुत सारे हरे गिरगिट निकलें।”
चौथा साधु बोला — “जब तुम बोलो तो तुम्हारे मुँह से बहुत सारी गन्दगी निकले।”
इसके बाद उन्होंने उसको वहाँ से भेज दिया। मारकीज़ तो अपनी बेटी के वापस आने का बहुत बेचैनी से इन्तजार कर रही थी पर जब उसकी बेटी घर वापस लौटी तो उसने देखा कि वह तो पहले से भी ज़्यादा बदसूरत हो गयी थी।
यह देख कर उसकी माँ को तो इतना धक्का लगा कि वह तो बस मरते मरते ही बची।
उसने उससे पूछा कि उसके साथ क्या हुआ था तो जैसे ही उसने बोलने के लिये मुँह खोला तो उसके मुँह से बहुत सारी गन्दगी निकलते देख कर तो वह बेहोश ही हो गयी।
इस बीच वह सुन्दर लड़की एक बार दरवाजे के पास बैठी थी कि एक राजा उधर से गुजरा। राजा ने उसको देखा तो उसको उस लड़की से प्रेम हो गया। उसने शादी के लिये उसका हाथ माँगा तो उसकी मारकीज़ मौसी ने हाँ कर दी।
वह लड़की अपनी मारकीज़ मौसी के साथ जो उसकी सबसे ज़्यादा करीब की रिश्तेदार थी उस राजा के साथ उसके देश चली गयी।
थोड़ी दूर जाने के बाद राजा आगे आगे चला गया ताकि वह अपने महल में अपनी पत्नी का ठीक से स्वागत कर सके। जैसे ही राजा आँखों से ओझल हुआ तो मारकीज़ ने दुलहिन को पकड़ कर उसकी आँखें निकाल कर उसको एक गुफा में फेंक दिया और अपनी बेटी को राजा की गाड़ी में बैठा दिया।
जब राजा ने अपनी रानी की बदसूरत बहिन को गाड़ी से उतरते देखा तो वह डर गया।
उसने धीरे से पूछा — “इसका क्या मतलब है?”
लड़की ने इसका जवाब देने के लिये अपना मुँह खोला ही था कि उसकी साँस की बू से राजा वहीं बेहोश सा गिर पड़ा।
तब मारकीज़ ने राजा को एक कहानी बना कर सुनायी कि उस लड़की पर किसी ने जादू कर दिया है उस जादू की वजह से वह वैसी हो गयी है।
पर राजा को इस कहानी पर विश्वास नहीं हुआ और उसने उन दोनों माँ बेटी को जेल में डलवा दिया।
उधर वह अन्धी लड़की उस गुफा में पड़ी पड़ी रोती रही और सहायता के लिये पुकारती रही। तभी वहाँ से एक बूढ़ा गुजर रहा था। उसने उसका रोना और चिल्लाना सुना तो उसके पास आया। उसको उस बुरी दशा में देख कर वह उसको उठा कर अपने घर ले गया।
अब उसका घर तो हीरे और मोतियों से, गुलाब और चमेली के फूलों से और ईल और मछलियों से भर गया। उसने उन सबसे दो टोकरियाँ भर लीं और उनको ले कर राजा की खिड़की के नीचे उनको बेचने के लिये खड़ा हो गया।
लड़की ने उससे कहा था कि वह राजा को वे हीरे जवाहरात आँखों के बदले में बेचे सो जब मारकीज़ ने उस बूढ़े को जवाहरात खरीदने के लिये बुलाया तो उसने उससे उनकी वही कीमत माँगी।
मारकीज़ ने अपनी बहिन की लड़की की एक आँख दे कर उन सब सुन्दर चीज़ों को खरीद लिया। उसने सोचा कि वह राजा से यह कहेगी कि यह सब उसकी बेटी ने पैदा किया है।
बूढ़ा वह एक आँख ले कर वहाँ से चल दिया और वह एक आँख ला कर उस लड़की को दे दी। उस लड़की ने अपनी वह आँख अपनी आँख की जगह लगा ली।
अगले दिन वह फिर वैसी ही टोकरियाँ ले कर महल गया और उनको भी उसने एक आँख के बदले में बेचने के लिये कहा।
मारकीज़ जो राजा को इस बात का विश्वास दिलाने के लिये बहुत उत्सुक थी कि वह हीरे मोती फूल मछलियाँ आदि सब उसकी बेटी ने पैदा किये थे उसने उस बूढ़े से वे दोनों टोकरियाँ भी अपनी बहिन की बेटी की दूसरी आँख दे कर खरीद लीं।
पर राजा को इस बात का विश्वास नहीं दिलाया जा सका कि वह सब उस लड़की ने ही पैदा किया है क्योंकि वह जब भी उस लड़की के पास जाता तो उसकी साँसों से अभी भी वैसी ही बू आती जैसी कि पहली बार आयी थी।
अब उस गरीब बहिन की लड़की को तो अपनी आँखें मिल गयीं थीं सो एक दिन उसने एक कपड़े पर कढ़ाई करके अपनी तस्वीर बनायी और उस तस्वीर को बूढ़े को दे कर बेचने के लिये उसी सड़क पर रखवा दिया जिस पर राजा का महल था।
राजा उधर से निकला तो उसने वह तस्वीर देखी तो उसने बूढ़े से पूछा — “यह तस्वीर किसने बनायी है?”
बूढ़े ने उसको सारी कहानी सुना दी। तो राजा बोला कि वह उस लड़की से मिलना चाहता है। बूढ़ा राजा को अपने घर ले गया। राजा ने उस लड़की को पहचान लिया और वह उसको अपने महल ले आया।
मारकीज़ को उसने गरम तेल में डाल कर उबाल कर मार दिया और अपनी रानी के साथ खुशी से रहने लगा। बाद में उसने अपनी रानी के परिवार को भी अपने महल में बुलवा लिया।
(साभार : सुषमा गुप्ता)