ढोल में वृद्ध : उत्तर प्रदेश की लोक-कथा
Dhol Mein Vriddh : Lok-Katha (Uttar Pradesh)
एक गांव में वृद्धों की इज्जत नहीं होती थी। सभी वृद्धों ने कुछ दिनों तक तो अपने परिवार वालों को अपने स्तर पर बहुत समझाया। किन्तु किसी भी परिवार के लोग नहीं सुधरे तो उन्होंने कहना ही छोड़ दिया। उन्हें जैसी भी रूखी-सूखी मिलती, खाकर चुप रहते थे। उनसे जितना कार्य हो जाता था कर लेते थे। एक दिन क्या हुआ कि उस गांव से दो मील दूर दूसरे गांव में बारात जानी थी। किन्तु वधु पक्ष की एक ही शर्त थी कि बारात में कोई बुजुर्ग नहीं हो। सभी जवान ही हो। वर पक्ष ने वैसा ही किया। किन्तु एक वृद्ध ढोल में घुस कर उनके साथ चला ही गया था।
बारात लडकी के घर में पहुंच गई थी। कोई वद्ध बाराती न देखकर लड़की वाले बहुत खुश हुए। बारात का बहुत मान-सम्मान हुआ। जब लग्न लगने का समय आया तो वधु के पिता ने कहा, “लग्न तभी होगा अगर वर पक्ष कुत्ते की पूंछ नीचे करवा लेंगे।”
मामूली-सी बात समझकर एक बाराती ने कुत्ते की पूंछ बड़े प्यार से नीचे की परन्तु कुत्ते ने फिर ऊपर कर ली। कई बारातियों ने अनेक बार पूंछ नीचे करने की कोशिश की, पर कुत्ता पुनः ऊपर कर लेता था। अब तो वधु पक्ष ने उनकी खूब हंसी उड़ायी। ढोल के बीच छिपे वृद्ध ने कहाकुत्ते के पिछले भाग में छड़ी मारो, कुत्ता पूंछ नीचे कर लेगा।” एक बाराती ने जोर की छड़ी कुते के पीछे मारी। कुते ने तुरन्त पूंछ नीचे कर ली और च्यांऊ-च्यांऊ करता भाग गया।
वधु के पिता ने फिर कहा कि यदि बाराती गांव की नदी के बहाव को निचली ओर से ऊपर की ओर बहाना शुरू कर देंगे। वह तभी लगन देंगे। यह कार्य तो कोई भी नहीं कर सकता था। अब बिना दुल्हन के बारात की वापसी के भय से सभी बगले झांकने लगे थे। बेइज्जती के डर से दुल्हा, उसके मां-बाप और बाराती परेशान हो गए थे। ढोल के भीतर छिपे वृद्ध ने धीरे से कहा- “भोलेयो, दुल्हन के बाप से कहो कि वह पूरी नदी का पानी सूखा दें फिर वह नदी के पानी को नीचे से ऊपर की ओर बहा देंगे।”
दुल्हे के पिता ने अपने समधी को नदी सुखाने के लिए कहा तो उसकी बोलती बन्द हो गई। वह लग्न देने को मान गया। आनन्दपर्वक शादी हो गई। अब सभी को पता चल चुका था कि सयानों (वृद्धों) का होना कितना आवश्यक है। अब पूरे गांव ने वृद्धों को पूरा मान-सम्मान और प्यार देने का दृढ़ संकल्प कर लिया था। (साभार : प्रियंका वर्मा)