देशभक्त राजद्रोही (स्पेनिश कहानी) : पेडरो ए. डे एलारकोन

Deshbhakt Rajdarohi (Spanish Story in Hindi) : Pedro. A. de Alarcon

सन् १८०८ के लगभग गेलीशियन के इलाके में पेडरोन नामक छोटे से गाँव में एक पेरेडीज का गारशिया अपने अत्तार के नियमित व्यवसाय के साथ-साथ लोगों का भाग्य बताने के लिए मेढक, साँप और वर्षा का पानी बेचा करता था। वह मानव-द्रोही कुँवारा था और उस प्रसिद्ध आदमी से बहुत कुछ मिलता हुआ, जिसने घूँसे की एक चोट से बैल को मार डाला था।

वह पतझड़ की शरद् और शोकपूर्ण रात थी। आकाश गहरे बादलों से घिरा हुआ था और सांसारिक रोशनी की पूरी अनुपस्थिति ने नगर की तमाम सड़कों और बाजारों में अपना साम्राज्य फैला रखा था।

उस भयानक रात के दस बजे, जिसको देश की दुःखी हालत ने और अधिक कुरूप बना दिया था; बाजार में, जिसको आजकल प्लाजा ऑफ कॉन्स्टीट्यूशन कहते हैं, मौन सायों का समूह आया जो आकाश एवं पृथ्वी की अंधकारमयी स्थिति से भी अधिक काला था। ये साए पेरेडीज के गारशिया की दवाइयों की दुकान की ओर बढ़े जो मृतकों के लिए बजनेवाली घंटियों से पहले या ठीक साढ़े आठ बजे पूरी तरह बंद हो चुकी थी।

‘‘हम क्या करें?’’ सायों में से एक ने बिलकुल ठीक गेलीशियन उच्चारण में कहा।

‘‘हमें किसी ने नहीं देखा।’’ दूसरे ने भाँपा।

‘‘आओ, दरवाजा तोड़ दें।’’ औरत ने सुझाव दिया।

‘‘और उन्हें मार डालें।’’ लगभग पंद्रह आवाजें बड़बड़ाईं।

‘‘मैं अत्तार के काम को संभाल लेता हूँ।’’ लड़का चिल्लाया।

‘‘हम सब उसकी देखभाल करेंगे।’’

‘‘यहूदी होने के नाते।’’

‘‘फ्रांस का भाग लेने के लिए।’’

‘‘उनका कहना है कि आज पच्चीस से अधिक फ्रांसीसी उसके साथ शराब पी रहे हैं।’’

‘‘वास्तव में मैं जानता हूँ, जैसे वे जानते हैं कि वे यहाँ सुरक्षित हैं। वे भीड़ के रूप में आए हैं।’’

‘‘यदि मैं अपने घर में होता! मैं तीन ठहरनेवालों को कुएँ में फेंक चुका हूँ।’’

‘‘मेरी पत्नी ने कल एक का सिर काट दिया।’’

‘‘और मैं,’’ सन्ंयासी ने कर्कश आवाज में कहा, ‘‘मैंने लकड़ी के जलते कोयले उनके कमरे में छोड़कर दो कप्तानों का दम घोंट दिया—कमरा जो पहले मेरे पास था।’’

‘‘और वह नीच अत्तार उनकी रक्षा कर रहा है।’’

‘‘कल वह कितना आदरणीय था, जब वह नीच परित्यक्तों के साथ घूम रहा था।’’

‘‘पेरेडीज के गारशिया से किसे इसकी आशा थी? एक महीने से अधिक नहीं हुआ कि वह अत्यंत पराक्रमी था, देशभक्त था, गाँव का बड़ा राज्याधिकारी।’’

‘‘हाँ, वह अपनी दुकान पर राजकुमार फरडीनेंड के चित्र कैसे बेचता था!’’

‘‘और अब वह नेपोलियन के चित्र बेचता है।’’

‘‘वह आक्रमणकारियों से रक्षा के लिए हमें उकसाया करता था।’’

‘‘और अब जबकि वे पेडरोन में आ गए हैं तो यह उनसे जा मिला है।’’

‘‘और आज रात तमाम प्रमुखों को रात का भोज दे रहा है।’’

‘‘सुनो, वे क्या शोर मचा रहे हैं। अच्छा होगा कि वे यहाँ न कहें—‘महाराजाधिराज’ अमर रहें।’’

‘‘शांति रखो,’’ सन्ंयासी बड़बड़ाया—‘‘बहुत जल्दी है।’’

‘‘आओ, हम उन्हें मदहोश कर दें,’’ एक बुढि़या ने कहा, ‘‘फिर हम प्रवेश कर जाएँगे और एक भी जीवित नहीं बचेगा।’’

‘‘मैं कहता हूँ, हमें अत्तार का घेराव करना चाहिए।’’

‘‘यदि तुम चाहो तो उसके आठ भाग कर सकते हो। फ्रांसीसियों से सहानुभूति रखनेवाला एक फ्रांसीसी से अधिक घृणित है। एक फ्रांसीसी विदेश में पाँव दबाकर चलता है, परंतु फ्रांस से सहानुभूति रखनेवाला अपने देश को बेचकर उसका अनादर करता है। एक फ्रांसीसी हत्या करता है और उसकी सहायता करनेवाला पितृघाती है।’’

पेरेडीज के गारशिया ने पी, हँसा और दूसरों की तरह व्यर्थ की बकवास की या संभवतः उनसे अधिक और वह शाही मुद्दों के लिए इतना वाकपटु था कि यदि सीजर के सिपाही उसे सुनते तो उसका आलिंगन करते, उसकी प्रशंसा करते और उसके सम्मान में गीत बनाते!

जब उपर्युक्त दृश्य अत्तार की दुकान के दरवाजे के सामने घट रहा था; पेरेडीज का गारशिया और उसके मनमौजी साथी अत्यंत मौजी और व्यसनी लोलुपता से रीझ रहे थे।

अत्तार की मेज पर बीस फ्रांसीसी और मुखिया तथा अधिकारी थे।

पेरेडीज का गारशिया पैंतालीस वर्ष का था; वह लंबा, सूखा-सा और रक्षित मृतक शरीर से अधिक पीला था। कोई कहेगा कि उसकी त्वचा काफी पहले भर चुकी थी; उसका माथा, गरदन के पीछे तक आता था; उसके चमकीले गंजेपन को धन्यवाद जो धीमी रोशनी दे रहा था; उसकी भोथरी आँखें मांसहीन गड्ढों में जड़ी थीं जैसे पहाड़ों से घिरी झीलें जो केवल अँधेरा, भ्रम और उनमें झाँकनेवालों के लिए मृत्यु ही प्रस्तुत करती हैं—झीलें, जो कुछ भी प्रतिबिंबित नहीं करतीं, जो कभी-कभी उदासीनता से गुजरती हैं, परंतु उनमें परिवर्तन नहीं होता, जो उनकी सतह पर गिरनेवाली हर चीज को निगल जाती हैं और कुछ भी नहीं लौटातीं, जिनको कोई नाप नहीं सका है और जिनको कोई नदी नहीं भरती, जिसके लिए भावना प्रतिलोम समुद्र का तल ढूँढ़ती है।

रात का खाना प्रचुर था, शराब अच्छी थी; बातचीत प्रफुल्ल और उत्तेजित थी। फ्रांसीसी लोग हँसे, कसमें खाईं, ईश्वर निंदा की, गाना गया, तंबाकू पीया, खाया और पीया; सबकुछ एक-साथ किया।

उनमें से एक ने नेपोलियन के गुप्त प्रेम के मामले को बताया, दूसरे ने मेडरिड में दो मई की रात के बारे में चर्चा की, तीसरे ने पेरामिड की लड़ाइयों की बात की और चौथे ने लुई XVI की फाँसी के बारे में बताया।

पेरेडीज के गारशिया ने पी, हँसा और दूसरों की तरह व्यर्थ की बकवास की या संभवतः उनसे अधिक और वह शाही मुद्दों के लिए इतना वाकपटु था कि यदि सीजर के सिपाही उसे सुनते तो उसका आलिंगन करते, उसकी प्रशंसा करते और उसके सम्मान में गीत बनाते!

‘‘श्रीमानो,’’ अत्तार ने कहा था—‘‘हम स्पेनवाले तुम्हारे विरुद्ध लड़ते हैं, यह इतनी ही मूर्खता है, जितनी निरर्थक। तुम रेवोल्युशन के बेटे, स्पेन को इसके पारंपरिक जहालत से निकालने, पक्षपात से स्वतंत्र करवाने, धार्मिक अंधकार को दूर करने, पुराने रिवाजों को बेहतर बनाने के लिए आए हो और सिखाने आए हो अपरिवर्तनशील एवं लाभदायक सचाई कि कोई परमात्मा नहीं है, पुनर्जन्म नहीं है, पश्चात्ताप, उपवास, शुद्धता और अन्य सार्वभौमिक अच्छाइयाँ काल्पनिक मूर्खताएँ हैं और सभ्य समाज के योग्य नहीं हैं; नेपोलियन ही सच्चा मसीहा है, लोगों के दुःखों को दूर करता है और मानव जाति का मित्र है। श्रीमानो, महाराजाधिराज चिर-जीवी हों, जितना मैं चाहता हूँ!’’

‘‘वाह, वाह, धन्यवाद!’’ दो मई के आदमी चिल्लाए।

अत्तार ने अकथनीय वेदना के साथ अपना माथा झुकाया।

शीघ्र ही दृढ़ता से उसे उठाया और पहले की तरह शांत हो गया। शराब का एक गिलास पीया और कहना जारी रखा, ‘‘मेरे एक पुरखा, पेरेडीज का गारशिया—एक जंगली, सेमसन, हरकुलीस, क्रोटोना कामिलो, ने दो सौ फ्रांसीसियों को एक दिन में मार डाला—मेरा विश्वास है, यह इटली में हुआ था। तुम देखते हो कि वह फ्रांसवालों को इतना नहीं चाहता था जितना कि मैं! उसने ग्राडाँ राज्य के मूरों से लड़ाइयों में अच्छी बहादुरी का प्रदर्शन किया; कैथोलिक राजा ने स्वयं उसे नाईट बनाया और उसने क्यूरीनल में कई बार गारद के घोड़े की सवारी की जब हमारा चाचा एलेक्जेंडर बोरगिया पोप था। ओह, तुम नहीं...तुम नहीं सोचते कि मेरे पुरखे ऐसे प्रख्यात थे। इस पेरेडीज के डीयागो गारशिया के लिए, यह मेरा धैर्य है जो कि अत्तार के रूप में वंशज बना है—इसने कोसंजा और मैन फ्रेडोनिया को लिया, आक्रमण करके केरीनोला में प्रवेश किया और पैविया की लड़ाई में अच्छा काम किया। वहाँ हमने फ्रांस के राजा को कैदी बनाया जिसकी तलवार मेडरिड में तीन शताब्दियों तक रही थी और अब तीन महीने पहले हमसे सराय के रखवाले के लड़के ने ली जो तुम्हारे पास आता है और जिसको मुरात कहते हैं।’’

यहाँ अत्तार पुनः रुक गया। कुछ फ्रांसीसी उसे उत्तर देना चाहते थे, परंतु उसने खड़े होकर और अपने व्यवहार से सबको शांत करके ऐंठन से गिलास को थामा और जोर से चिल्लाया, ‘‘मैं तुम्हारे स्वास्थ्य के लिए पीता हूँ। भद्र पुरुषो, भले ही मेरा पुरखा कोसा जाए, क्योंकि वह जंगली था और अब नरक की गहराइयों में पड़ा है। फ्रांसिस प्रथम और नेपोलियन बोनापार्ट के फ्रांसीसी अमर रहें।’’

‘‘वे अमर रहें!’’ आक्रमणकारियों ने संतुष्ट होकर प्रत्युत्तर दिया और अपने-अपने गिलास खाली कर दिए।

उसी समय उन्होंने बाजार या कहो, दुकान के दरवाजे पर शोर सुना।

‘‘क्या तुमने सुना?’’ फ्रांसीसियों ने पूछा।

पेरेडीज का गारशिया मुसकराया—‘वे मुझे मारने आए हैं।’

‘‘कौन?’’

‘‘पेडरोन के मेरे पड़ोसी।’’

‘‘क्यों?’’

‘‘क्योंकि मैं फ्रांसीसियों से सहानुभूति रखता हूँ। कुछ रातों से उन्होंने मेरे घर को घेर रखा है, परंतु इससे हमें क्या अंतर पड़ता है? आओ, हम अपना खाना खाएँ।’’

‘‘हाँ, चलो,’’ मनमौजियों ने कहा, ‘‘तुम्हारी रक्षा के लिए हम हैं।’’

और गिलास की जगह, बोतल से बोतल टकराते हुए ‘नेपोलियन अमर रहें’, ‘फरडीनंड मुर्दाबाद’, ‘गालीशिया मुर्दाबाद’ के नारे एक-साथ लगते रहे।

पेरेडीज के गारशिया ने आशा की कि स्वास्थ्य के लिए पीना उनको शांत कर देगा और वह उदासीन स्वर में बोला—

‘‘सेलेडोनियो!’’

कंदरा में प्रवेश के लिए साहस न करते हुए, लिपिक डरे-डरे चेहरे के साथ दरवाजे पर कटघरे से टकराया।

‘‘सेलेडोनियो, कागज और स्याही ले आओ।’’ अत्तार ने शांति से कहा।

लड़का लिखने के सामान के साथ लौट आया।

‘‘बैठो,’’ मालिक ने कहना जारी रखा—‘‘अब जो संख्या मैं बोलता जाऊँगा, उसे लिखते जाना। इसके लिए दो पृष्ठों को दो स्तंभों में बाँट दो। दाएँ स्तंभ के ऊपर लिखो—‘खर्च’ और दूसरे के ऊपर लिखो ‘आमदनी’।’’

‘‘हम पराक्रमी पुरुष हैं,’’ उसने इसे समाप्त करते हुए पुकारा, ‘‘हमने ७० बोतलें पी ली हैं, संभवतः इक्कीस व्यक्तियों में बाँटकर १५०, क्योंकि हर एक ने अपना हिस्सा लिया है। मैं दोहराता हूँ, हम पराक्रमी पुरुष हैं।’’

‘‘श्रीमान्,’’ लिपिक काँप गया—‘‘दरवाजे पर बलवा हो रहा है, वे चिल्ला रहे हैं—‘अत्तार मुर्दाबाद’ और वे अंदर आना चाहते हैं।’’

‘‘चुप रहो, और उनको अपने आपपर छोड़ दो। जो मैं कहूँ, लिखो।’’

फ्रांसीसी यह देखकर कि मौत सिर पर मँडरा रही है और अत्तार अपना हिसाब-किताब ठीक करने में व्यस्त है, प्रसन्नता से मुसकराया। सेलेडोनिया ने अपना सिर उठाया और संख्याओं की प्रतीक्षा करते हुए कलम को तैयार किया।

‘‘आओ देखें, भद्र पुरुषो,’’ पेरेडीज के गारशिया ने अपने घनिष्ठ साथियों से कहा,‘‘मैं चाहता हूँ कि आप लोग एक अकेले टोस्ट से मेरा सहयोग करें। मेज पर सीटों के हिसाब से शुरू करें। तुम कप्तान, मुझे बताओ कि पाईरनीज पार करने के बाद तुमने कितने स्पेनवासियों को मारा है?’’

‘‘शाबाश, कितना बढि़या खयाल है!’’ फ्रांसीसी चिल्लाया।

‘‘मैंने,’’ पूछे गए व्यक्ति ने मूँछों पर ताव देकर सीधे होते हुए कहा, ‘‘व्यक्तिगत तौर पर अपनी तलवार से—ओह, दस या बारह को।’’

‘‘ग्यारह दाएँ स्तंभ में।’’ अत्तार लिपिक की ओर देखकर चिल्लाया।

लिपिक ने लिखने के बाद दोहराया, ‘‘खर्च ग्यारह।’’

‘‘चलते रहो,’’ मेजबान ने कहना जारी रखा, ‘‘और तुम एम. जूलियस?’’

‘‘मैंने छह।’’

‘‘और कमांडेंट तुमने?’’

‘‘मैंने बीस।’’

‘‘मैंने आठ।’’

‘‘मैंने चौदह।’’

‘‘मैंने कोई नहीं।’’

इस प्रकार हर-एक ने अपनी बारी पर बताया और लिपिक दाएँ स्तंभ में लिखता चला गया।

‘‘आओ कप्तान, अब देखें,’’ पेरेडीज के गारशिया ने कहा, ‘‘हम पुनः तुमसे शुरू करते हैं। अब बाकी लड़ाई में, जब तक यह चलती है, मानो तीन वर्ष तक, कितने स्पेनवासियों को मारने का तुम्हारा विचार है?’’

‘‘ओह,’’ कप्तान ने उत्तर दिया—‘‘इसका कौन अनुमान लगा सकता है?’’

‘‘हिसाब लगा लो, मैं निवेदन करता हूँ।’’

‘‘ग्यारह और लिख लो।’’

‘‘ग्यारह बाईं ओर।’’ पेरेडीज के गारशिया ने लिखवाया और सेलेडोनियो ने दोहराया, ‘‘आमदनी ग्यारह।’’

‘‘और तुम?’’ अत्तार ने पहलेवाले क्रम से पूछा।

‘‘मैं पंद्रह।’’

‘‘मैं बीस।’’

‘‘मैं एक सौ।’’

‘‘मैं एक हजार।’’

इस प्रकार फ्रांसीसियों ने उत्तर दिया।

‘‘इन सबको दस-दस में लिखो, सेलेडोनियो!’’ अत्तार ताना देते हुए बड़बड़ाया, ‘‘अब इनका पृथक् जोड़ करो।’

विनीत युवक, जिसने प्राणनाशक पसीने के साथ संख्याओं को लिखा था, को बूढ़ी औरत की तरह भयभीत होकर जोड़ करना पड़ा।

कुछ देर की भयानक चुप्पी के बाद उसने अपने मालिक से कहा, ‘‘खर्च २८५; आमदनी १,२००।’’

‘‘इसका अर्थ यह है,’’ पेरेडीज के गारशिया ने आगे कहा, ‘‘२८५ मरे और १,२०० को मरने का हुक्म सुनाया गया; कुल जमा खर्च १,४८५ पीडि़त व्यक्ति।’’

उसने इतनी भयानक और गहरी आवाज में इन शब्दों की घोषणा की कि फ्रांसीसी एक-दूसरे को शंका से देखने लगे।

अब अत्तार एक नया हिसाब-किताब चुकता कर रहा था।

‘‘हम पराक्रमी पुरुष हैं,’’ उसने इसे समाप्त करते हुए पुकारा, ‘‘हमने ७० बोतलें पी ली हैं, संभवतः इक्कीस व्यक्तियों में बाँटकर १५०, क्योंकि हर एक ने अपना हिस्सा लिया है। मैं दोहराता हूँ, हम पराक्रमी पुरुष हैं।’’

इसके साथ दरवाजे का चौखटा चरमराया और लड़का विचलित होकर हकलाया, ‘‘अब वे अंदर आ रहे हैं।’’

‘‘अब कितने बजे हैं?’’ अत्तार ने भरपूर शांति से पूछा।

‘‘ग्यारह, परंतु क्या तुम उन्हें दरवाजा तोड़ते सुन रहे हो?’’

‘‘तोड़ने दो उन्हें। अब समय आ गया है।’’

‘‘समय? किसलिए?’’ फ्रांसीसी उठते हुए बड़बड़ाए।

परंतु वे इतनी पी गए थे कि कुरसियों से उठ नहीं पाए।

‘‘उनको अंदर आने दो,’’ कठिनाई से तलवारों को निकालते हुए और खड़ा होने में विफल होते हुए वे नशे के स्वर में बोले, ‘‘उन नीच लोगों को आने दो, हम उनकी अगवानी करेंगे।’’

इसके साथ ही नीचे दुकान में शीशियों के टूटने की आवाज आई जिनको लोग तोड़ रहे थे और सीढि़यों पर मिला-जुला शोर मचा—

‘‘फ्रांसीसियों से सहानुभूति रखनेवाला मुर्दाबाद।’’

घर में शोर सुनकर पेरेडीज का गारशिया उठा, मानो कमानी ने धक्का दिया हो, और मेज का सहारा लिया ताकि पुनः कुर्सी पर न गिर जाए। उसने अकथनीय प्रसन्नता से अपने चारों ओर देखा और अपने होंठों पर बिजली सी अमर मुसकान को प्रदर्शित किया।

इस तरह अपना बाह्य रूप बदलते हुए उसने सुंदर मौत की कँपकँपी और जोश के अधीन टूटे-फूटे तथा संताप के मृत्यु घंटे की सलाहट की तरह पवित्र, ये शब्द कहे, ‘‘फ्रांसीसियो, यदि तुममें से कोई या सभी २८५ देशवासियों की मृत्यु का बदला लेने और साथ ही दूसरे १,२०० आदमियों की जान बचाने के लिए अवसर को अनुकूल पाते हो, यदि तुम अपने अस्तित्व का बलिदान करके अपने पुरखों के तिरस्कृत साए को दूर करना चाहते हो तो २८५ वीरों के हत्यारों को दंडित करो और 1,200 भाइयों को मौत से छुटकारा दिलाओ, इस प्रकार देशभक्त सेना में राष्ट्रीय स्वतंत्रता के योद्धाओं में वृद्धि करो; क्या तुम एक क्षण के लिए अपने दुःखी जीवन पर नजर डालोगे? परमात्मा के शत्रुओं को मारने की कीमत चुकाने के लिए क्या तुम सैमसन की तरह मंदिर के खंभों का आलिंगन करते हुए मौत से हिचकिचाओगे?’’

‘‘यह क्या कह रहा है?’’ फ्रांसीसियों ने प्रश्न किया।

‘‘श्रीमान्, हत्यारे पिछले कमरे में हैं।’’ सेलेडोनिया चिल्लाया।

‘‘उन्हें प्रवेश करने दो,’’ पेरेडीज के गारशिया ने पुकारा—‘‘उनके लिए बड़े कमरे का दरवाजा खोल दो। उन सबको आने दो और देखने दो कि पाविमा के सिपाही का वंशज कैसे मरता है।’’

फ्रांसीसी लोग विस्मित, मूर्ख, बेजार और आलस्य से अपनी कुरसियों के साथ इस विश्वास से लगे रहे कि स्पेन के रहनेवाले ने जिस मृत्यु की बात की थी, वह उपद्रवियों के कारण कमरे में आनेवाली है, अतः उन्होंने मेज पर पड़ी तलवारों को उठाने का भरसक प्रयत्न किया, परंतु अपनी अंगुलियों की दुर्बलता के कारण उनके मूठों तक को नहीं पकड़ सके; ऐसा लगता था कि आकर्षण की अजेय शक्ति के कारण लोहा, लकड़ी के साथ चिपक गया था!

इस अवस्था में चिल्लाते हुए पचास से अधिक मर्द और औरतें, छडि़यों, कटारों और पिस्तौलों से लैस, चमकीली आँखों के साथ कमरे में टूट पड़े।

‘‘इन सबको मरने दो।’’ पहले प्रवेश करनेवाली औरत चीखी।

‘‘रुक जाओ।’’ पेरेडीज का गारशिया, इस आवाज में, इस ढंग से और इस दृष्टि से चिल्लाया कि चिल्लाहट ने फ्रांसीसियों की स्थिरता और चुप्पी में बढ़ोतरी कर दी और भीड़ पर शांत भय छा गया। किसी को ऐसी विरोधरहित और शोकाकुल अगवानी की आशा नहीं थी।

‘‘तुमको अपनी कटार चमकाने की जरूरत नहीं,’’ अत्तार ने कहना जारी रखा—‘‘मैंने पितृभूमि की स्वतंत्रता के लिए तुम सबसे अधिक कर दिया है। मैंने फ्रांसीसियों से सहानुभूति का बहाना किया है। तुम बीस मुखियों और अधिकारियों को देखते हो—आक्रमणकारी—बीस—इनको हाथ मत लगाओ, ये कैदी हैं।’’

स्पेन निवासियों के दिलों से भय और प्रशंसा की चीख निकली। दो कदम आगे बढ़े और देखा कि अधिकांश मनमौजी मर चुके थे—उनके सिर आगे को झुके हुए, मेज तक बाजू फैले हुए और तलवारों की मूठों पर हाथ अकड़े हुए! बाकी मृत्यु से जूझ रहे थे।

‘‘पेरेडीज का गारशिया अमर रहे!’’ मरते हुए शूरवीर को घेरकर स्पेन निवासी चिल्लाया।

‘‘सेलेडोनियो,’’ अत्तार बड़बड़ाया—‘‘अफीम कम पड़ गई है। कोसना को अफीम के लिए भेजो।’’

पेडरोव के उसके पड़ोसियों को तब पता चला कि अत्तार ने भी जहर पी लिया था।

अब कोई भी उस दृश्य को देख सकता था, जो उतना ही प्रभावशाली था जितना भयावना! उसे अपनी गोद और बाँहों में लिये, औरतें भूमि पर बैठी थीं; उन्होंने दुलार और आशीर्वाद से उसे इतना व्याकुल किया, जितना पहले उसकी मृत्यु के लिए किया था। आदमियों ने मेज पर पड़ी बत्तियों को इकट्ठा किया और घुटनों के बल झुकते हुए उन्हें देशभक्त के ऊपर थामा। अंतिम छाया में बीस मरे हुए थे। मर रहे कुछ आदमी पड़े थे और कुछ कभी-कभी डरावने बोझ से गिर रहे थे।

प्रत्येक फ्रांसीसी के भूमि पर गिरने से जो मृत्यु की आह सुनाई देती थी, उससे पेरेडीज के गारशिया के चेहरे पर तेजस्वी मुसकराहट खिल जाती थी—पेरेडीज के गारशिया की आत्मा—परमात्मा के दूत के आशीर्वाद और अपने देश के भाइयों के शोक के साथ शीघ्र ही स्वर्ग को लौट गई।

(अनुवाद: भद्रसेन पुरी)

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