निडर आदमी : आयरिश लोक-कथा
Dauntless Man : Irish Folktale
एक बार की बात है कि एक स्त्री थी जिसके लौरैन्स और कैरौल नाम के दो बेटे थे। लौरैन्स शुरू से ही बड़ा निडर था और कैरौल शाम से ही घर में छिप कर बैठ जाता था।
उन दिनों आयरलैंड में कुछ ऐसा रिवाज था कि जब कभी कोई मर जाता था तो उसकी कब्र की तीन दिन तक रखवाली करनी पड़ती थी क्योंकि रात को कब्रिस्तान में प्रेत आत्माएँ घूमती रहती थीं और कभी कभी वे कब्र से शरीर को चुरा कर भी ले जाती थीं। जब लौरैन्स और कैरौल की माँ मरी तो इन दोनों को भी अपनी माँ की कब्र की रखवाली करनी थी। कैरौल बोला — “भाई, तुम तो बड़े निडर हो तो आज तुम ही माँ की कब्रा की पहरेदारी करो तो जाने।”
लौरैन्स बोला — “तुम क्या समझते हो कि मैं अपनी माँ की कब्र्र की रखवाली नहीं कर सकता? मेरे अन्दर इतना साहस है कि मैं यह काम बड़े आराम से कर सकता हूँ।” यह कह कर लौरैन्स चला गया।
वह माँ की कब्रा के पास पहुँचा और वहाँ पास में पड़े एक पत्थर के ऊपर बैठ कर पहरा देने लगा। बहुत रात बीत गयी। उसे नींद भी आने लगी कि उसने देखा कि बिना शरीर का एक सिर लुढ़कता हुआ चला आ रहा है।
वह डरा नहीं। उसने अपनी तलवार निकाल ली कि अगर वह उसके पास आया तो वह उसको अपनी तलवार से काट कर रख देगा। पर वह उसके पास आया ही नहीं।
लौरैन्स भी उसको बराबर देखता रहा। इतने में सवेरा हो गया। वह बिना शरीर का सिर गायब हो गया और इधर लौरेन्स भी अपने घर वापस आ गया।
कैरौल ने पूछा — “भाई, तुमने कब्रिस्तान में कुछ देखा क्या?”
लौरैन्स बोला — “हाँ, देखा तो था, और आज अगर मैं वहाँ न होता तो मेरी माँ के शरीर की चोरी जरूर हो जाती।”
कैरौल ने फिर पूछा — “जो कुछ तुमने देखा वह ज़िन्दा था कि मुर्दा?”
लौरैन्स बोला — “यह तो मुझे पता नहीं चला क्योंकि वह तो बिना शरीर का एक सिर था।”
कैरौल मुस्कुरा कर बोला — “तुम डरे नहीं?”
लौरैन्स बोला — “नहीं, बिल्कुल भी नहीं। तुम्हें मालूम नहीं क्या कि मैं दुनियाँ में किसी भी चीज़ से नहीं डरता।”
कैरौल बोला — “तो फिर तुम अगर आज फिर से माँ की कब्र की पहरेदारी करो तो जानूँ?”
लौरैन्स बोला — “आज की यह शर्त मैं तुमसे लगाता हूँ।
आज मुझे नींद आ रही है। माँ की कब्र की रखवाली के लिये आज तुम जाओ।”
कैरौल बोला — “मुझे तो अगर कोई दुनियाँ भर का खजाना भी दे न, तो भी मैं यह काम नहीं कर सकता।”
लौरैन्स बोला — “पर अगर आज कब्र की पहरेदारी न की गयी तो माँ का शरीर चला जायेगा।”
कैरौल बोला — “अगर तुम आज और कल के बदले में यह काम कर लो तो फिर मैं तुमसे कभी किसी काम के लिये नहीं कहूँगा। पर मुझे ऐसा लग रहा है कि जैसे तुम कुछ डर गये हो।”
लौरैन्स बोला — “तुमको यह बताने के लिये कि मैं डरा नहीं हूँ मैं दोनों दिन माँ की कब्र की पहरेदारी करूँगा।” और यह कह कर वह सोने चला गया।
शाम होने पर वह उठा, अपनी तलवार सँभाली और कब्रिस्तान की तरफ चल दिया। वह सीधा उसी पत्थर के पास पहुँचा जहाँ वह पिछले दिन बैठा था और उसी पत्थर पर बैठ कर अपनी माँ की कब्र की पहरेदारी करने लगा।
आधी रात के करीब फिर उसको कोई बड़ी सी चीज़ ज़ोर की आवाज के साथ अपनी तरफ आती दिखायी दी। उसने तुरन्त अपनी तलवार निकाली और उससे उसके दो टुकड़े कर दिये। मगर तुरन्त ही वे दोनों टुकड़े गायब भी हो गये।
सुबह होने पर लौरैन्स घर वापस आ गया।
कैरौल ने उससे फिर पूछा — “भाई, आज भी तुमने कहीं कुछ देखा क्या?”
लौरैन्स बोला — “हाँ देखा था और अगर आज भी मैं माँ की कब्र की पहरेदारी न कर रहा होता तो आज तो माँ का शरीर उसकी कब्र से ज़रूर ही चला जाता।”
कैरौल ने पूछा — “क्या वही बिना शरीर वाला सिर फिर से वहाँ आया था?”
लौरैन्स बोला — “नहीं, अबकी बार वह तो नहीं था पर वह कोई बड़ी सी काली सी चीज़ थी जो मेरी माँ की कब्र खोद रही थी तभी मैंने अपनी तलवार से उसके दो टुकड़े कर दिये।”
उस दिन लौरैन्स फिर सो गया और जब वह शाम को उठा तो फिर अपनी तलवार ले कर कब्रिस्तान की तरफ चल दिया। और फिर उसी पत्थर पर बैठ कर माँ की कब्र की पहरेदारी करने लगा। इस बार आधी रात के बाद उसे कोई सफेद सी चीज़ आती दिखायी दी। वह तुरन्त ही अपनी तलवार निकाल कर उसे भी मारने के लिये तैयार हो गया।
लौरैन्स ने देखा कि उस सफेद चीज़ के ऊपर एक आदमी का सिर था और उसके दाँत बहुत बड़े थे। जैसे ही लौरैन्स ने उसको मारने के लिये अपनी तलवार उठायी तो वह सिर बोला — “रुक जाओ, तुमने अपने माँ के शरीर की रक्षा की है और तुम्हारे जैसा बहादुर आदमी तो इस आयरलैंड की धरती पर और दूसरा कोई है भी नहीं। अगर तुम ढूँढने निकलोगे तो एक बहुत बड़ा खजाना तुम्हारा इन्तजार कर रहा है।”
सबेरा होने पर लौरैन्स घर पहुँचा तो कैरौल ने फिर पूछा —
“भाई, आज भी तुम्हें कोई दिखायी दिया क्या?”
लौरैन्स बोला — “हाँ दिखायी तो दिया परन्तु क्योंकि मैं वहाँ था इसी लिये मेरी माँ का शरीर बच गया पर अब उसके शरीर को कोई खतरा नहीं है।”
अगले दिन लौरैन्स ने कैरौल से कहा कि वह उसको उसके हिस्से का पैसा दे दे क्योंकि वह देश विदेश घूमने जाना चाहता है। कैरौल ने उसके हिस्से का पैसा उसे दे दिया और लौरैन्स देश विदेश घूमने के लिये निकल पड़ा।
चलते चलते वह एक बड़े से शहर में पहुँचा। वहाँ वह एक डबल रोटी बनाने वाले के घर पहुँचा और खाने के लिये उससे डबल रोटी माँगी।
डबल रोटी वाला उससे बात करने लगा तो बातों बातों में उसने पूछा कि वह कहाँ जा रहा था। लौरैन्स बोला कि वह किसी ऐसी चीज़ की तलाश में था जो उसे डरा सके।
डबल रोटी वाले ने पूछा “क्या तुम्हारे पास काफी पैसा है?”
इस पर लौरैन्स बोला — “हाँ मेरे पास पचास पौंड हैं।”
डबल रोटी वाला बोला — “ठीक है मैं तुमको पचास पौंड और दूँगा अगर तुम मेरे बतायी हुई जगह पर चले जाओ तो।”
लौरैन्स बोला — “अगर वह जगह यहाँ से बहुत दूर नहीं है तो मैं तुम्हारी शर्त मान लेता हूँ।”
डबल रोटी बनाने वाला बोला — “ओह नहीं नहीं, वह तो यहाँ से एक मील दूर भी नहीं है। शाम होने तक तुम यहीं रहो। रात में तुम उस कब्रिस्तान में जाना। वहाँ पर एक पुराना चर्च है। निशानी के तौर पर तुम वहाँ से मुझको वहाँ रखा हुआ एक प्याला ला कर दे देना।”
डबल रोटी बनाने वाले ने जब यह शर्त उसके सामने रखी थी तब उसे पूरा विश्वास था कि शर्त वही जीतेगा क्योंकि उस कब्रिस्तान में एक भूत रहता था और वहाँ जो कोई भी जाने की कोशिश करता था वह भूत उसको मार डालता था।
रात हुई तो लौरैन्स अपनी तलवार ले कर उस कब्रिस्तान में पहुँचा। वह चर्च के दरवाजे तक पहुँच गया। अपनी तलवार की नोक मार कर उसने चर्च का दरवाजा खोला। दरवाजा खुलते ही उसमें से लम्बे सींगों वाला एक बड़ा काला बकरा निकला। लौरैन्स ने तुरन्त ही उस पर तलवार से वार किया तो बकरा तो भाग गया पर वह जगह उसके खून से लाल हो गयी। लौरैन्स अन्दर चला गया, उसने वहाँ रखा प्याला उठाया और ला कर डबल रोटी वाले को दे दिया। इस तरह लौरैन्स शर्त जीत गया।
डबल रोटी वाले ने पूछा — “भाई, तुमने वहाँ कुछ देखा?”
लौरैन्स बोला — “हाँ, मुझे वहाँ पर एक बड़ा काला बकरा दिखायी दिया था। उसको मैंने तलवार से मारा तो बकरा तो भाग गया पर तलवार के वार से उसका काफी खून बह गया। इतना कि उसमें एक नाव तैर सकती थी। मुझे लगता है कि वह बकरा तो अब तक कभी का मर गया होगा।”
सबेरा होते ही डबल रोटी वाले ने काफी लोगों को इकठ्ठा किया और चर्च की तरफ चला तो वहाँ वाकई काफी सारा खून पड़ा पाया। यह सब देख कर वह पादरी के पास पहुँचा और उसको बताया कि अब चर्च में काला बकरा नहीं है।
पादरी को तो विश्वास ही नहीं हुआ सो वह खुद चर्च गया और वहाँ जा कर देखा तो वास्तव में अब वहाँ कोई काला बकरा नहीं था सो वह तो बहुत ही खुश हो गया। क्योंकि जब भी वह वहाँ पूजा किया करता था वह काला बकरा आ कर उसकी पूजा की सारी चीजें, इधर उधर कर दिया करता था।
आज उस पादरी ने निडर हो कर बिना किसी रोक टोक के पूजा की और लौरैन्स को खास आशीर्वाद दिया और साथ ही उसको पचास पौंड और भी दिये।
अगले दिन लौरैन्स फिर से अपने सफर पर निकल पड़ा। सारा दिन वह सफर करता रहा पर उसे कोई घर ही नहीं दिखायी पड़ा। आधी रात के समय वह एक सुनसान अकेली घाटी में आ गया। आसमान में पूरा चाँद खिला हुआ था। उसकी रोशनी पूरी घाटी में फैली पड़ी थी।
उसी रोशनी में उसने देखा कि एक जगह पर बहुत सारे लोग इकठ्ठा हैं और वे दो आदमियों को भागते हुए देख रहे थे। इतने में उन दो आदमियों में से एक आदमी ने एक गेंद लौरैन्स की छाती में मारी।
लौरैन्स का हाथ तुरन्त ही अपनी छाती की तरफ चला गया ताकि वह उस गेंद को वहाँ से निकाल सके पर वहाँ तो गेंद नहीं थी बल्कि कुछ और ही था – वहाँ तो एक आदमी का सिर था।
लौरैन्स ने उस सिर को ही पकड़ लिया तो वह सिर चीखने लगा और बोला — “क्या तुमको मुझसे डर नहीं लग रहा है?”
लौरैन्स बोला — “नहीं, मुझे तुमसे डर क्यों लगेगा?” और लौरेन्स के ये शब्द बोलते ही वहाँ उसको दिखायी देने वाला सब कुछ गायब हो गया और वह फिर से उस चाँदनी भरी घाटी में अकेला खड़ा रह गया।
चलते चलते वह एक दूसरे शहर में आया। वहाँ घूमते घूमते वह सड़क के किनारे बने एक बड़े से घर के सामने रुक गया। रात होने वाली थी सो वह रात को वहीं सोना चाहता था।
तभी एक नौजवान घर में से बाहर निकला और उससे पूछा — “क्या चाहते हो भाई?”
लौरैन्स बोला — “मैं एक ऐसी चीज़ की तलाश में हूँ जिससे मैं डर जाऊँ।”
वह नौजवान बोला, "तब तुमको दूर जाने की जरूरत नहीं है।”
कह कर वह उसको अपने सामने वाले घर में ले गया और बोला — “देखो, इस मकान में नीचे एक तहखाना है। वहाँ जा कर तुम अपने लिये आग जला लो। मैं तुम्हें खूब सारा खाना पीना भेज देता हूँ। अगर तुम सुबह तक वहाँ रह गये तो मैं तुमको पचास पौंड दूँगा।”
लौरैन्स बोला “मैं तैयार हूँ।”
इतना कह कर लौरैन्स नीचे तहखाने में चला गया और वहाँ जा कर उसने आग जलायी। तभी एक लड़की उसके लिये खूब सारा खाना और शराब की बोतलें ले कर आ गयी। लौरैन्स ने आराम से खाना खाया और सोने के लिये लेट गया।
आधी रात के करीब वहाँ एक घोड़ा और साँड़ आ गये और आपस में लड़ने लगे। लौरैन्स ने कुछ नहीं कहा, बस वह केवल उनकी लड़ाई देखता रहा। जब वे लड़ते लड़ते थक गये तो वे चले गये। उधर लौरैन्स भी सो गया।
सुबह उस नौजवान ने ही आ कर उसे उठाया। उस नौजवान को लौरैन्स को ज़िन्दा देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ।
उसने पूछा — “क्या तुमने रात को यहाँ कुछ देखा?”
लौरैन्स बोला — “हाँ देखा था। एक घोड़ा और एक साँड़ आये और आपस में लड़ने लगे। वे करीब करीब दो घंटे तक लड़ते रहे फिर चले गये।”
उस नौजवान ने पूछा — “तुम डरे नहीं?”
लौरेन्स बोला “नहीं।”
वह नौजवान बोला — “अगर तुम आज रात को यहाँ और रुको तो मैं तुम्हें पचास पौंड और दूँगा।” लौरैन्स इसके लिये भी राजी हो गया।
रात दस बजे लौरैन्स सोने की तैयारी कर रहा था कि वहाँ दो काले बकरे आये और आ कर लड़ने लगे। लौरैन्स आज भी उनकी लड़ाई केवल देखता रहा, कुछ किया नहीं। रात को बारह बजे के बाद वे भी चले गये।
अगले दिन उस नौजवान ने आ कर पूछा — “क्या कल रात तुम्हें कुछ दिखायी दिया?”
लौरैन्स बोला — “हाँ, कल रात यहाँ दो काले बकरे आये थे। वे भी लड़ते रहे और फिर चले गये।”
नौजवान ने पूछा — “तुम डरे नहीं?”
“नहीं तो।”
नौजवान बोला — “अच्छा, तो आज की रात तुम और रुको और मैं तुमको कल पचास पौंड और दूँगा।”
सो तीसरी रात जब लौरैन्स सोने की तैयारी कर रहा था तो एक बूढ़ा वहाँ आया। यह वही बूढ़ा था जो लौरैन्स के पास तब आया था जब वह अपनी माँ की कब्र की रखवाली कर रहा था और जिसने उसे खजाने की खोज में यात्रा पर भेजा था।
वह लौरेन्स से बोला — “तुम आयरलैंड के सबसे अच्छे आदमी हो। मुझे मरे हुए बीस साल हो गये तबसे आज तक मैं तुम्हारे जैसे आदमी की तलाश में हूँ।
आओ मैं तुमको खजाना दिखाता हूँ। तुम्हें याद है न? जब तुम अपनी माँ की कब्र की पहरेदारी कर रहे थे तब मैंने तुमसे कहा था कि एक बहुत बड़ा खजाना तुम्हारा इन्तजार कर रहा है। आज वह समय आ गया है।”
वह लौरेन्स को और भी नीचे वाले तहखाने में ले गया और सोने से भरा एक बड़ा सा बर्तन दिखाते हुए बोला — “यह सब खजाना तुम्हारा है अगर बीस पौंड तुम मेरी विधवा पत्नी मैरी को दे दोगे और उससे मेरी की हुई एक गलती की माफी माँग लोगे। उसके बाद तुम यह घर खरीद लेना और मेरी बेटी से शादी कर लेना। फिर तुम ज़िन्दगी भर खुश और अमीर रहना।”
सबेरे वह नौजवान फिर आया और लौरैन्स से पूछा कि क्या उसने वहाँ रात में कुछ देखा था?
इस बार लौरेन्स बोला — “हाँ, देखा था और यह पक्की बात है कि इसमें हमेशा ही भूत रहेगा। पर दुनियाँ की कोई भी चीज़ मुझे किसी से भी नहीं डरा सकती। मैं यह घर और इसके चारों तरफ की जमीन खरीदना चाहता हूँ।”
नौजवान बोला — “मैं यह घर तो तुम्हें मुफ्त दे दूँगा पर इसके चारों तरफ की जमीन तुम्हें एक हजार पौंड से कम में नहीं दूँगा और मुझे विश्वास है कि तुम्हारे पास इतने पैसे होंगे नहीँ।”
लौरैन्स बोला — “मेरे पास इतना सारा पैसा है जिसका तुम्हें अन्दाजा भी नहीं है। मुझे मंजूर है।”
जब उस नौजवान को यह पता चला कि लौरैन्स इतना ज़्यादा अमीर है तो उसने लौरैन्स को अपने घर खाने की दावत दी। लौरेन्स उसके घर गया। वहाँ जब उस बूढ़े की लड़की ने उसको देखा तो वह उस पर मोहित हो गयी।
लौरेन्स फिर मैरी के घर गया। वहाँ उसने उसे बीस पौंड दिये और उस बूढ़े की गलती के लिये माफी माँगी। फिर उसने उस नौजवान की बहिन के साथ शादी कर ली और खुशी खुशी रहने लगा। जितने दिन भी वह ज़िन्दा रहा कभी किसी से डरा नहीं।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)