दस तक गिनने के दो तरीके : लाइबेरिया लोक-कथा

Das Tak Ginne Ke Do Tareeke : Liberia Folk Tale

यह लोक कथा पश्चिमी अफ्रीका के लाइबेरिया देश की लोक कथाओं से ली गयी है। गणित की यह एक अच्छी लोक कथा है।

बहुत पुरानी बात है कि लाइबेरिया के एक घने जंगल में उस जंगल के राजा चीते ने अपने आने वाले जीवन के बारे में सोचना शुरू किया।

उसने सोचा कि जब वह सचमुच बूढ़ा हो जायेगा तो बीमार पड़ जायेगा और मर जायेगा। फिर उसके बाद उसका राज्य कौन सँभालेगा।

अगर कोई राजा अक्लमन्द है तो वह अपना वारिस चुनने के लिये अपने बूढ़े होने का इन्तजार तो नहीं करेगा न। वारिस वह होता है जो किसी के मर जाने पर उसकी जगह ले सके।

सो किसी अक्लमन्द को तो अपना वारिस तभी चुन लेना चाहिये जब वह तन्दुरुस्त हो और जवान हो। पर वह अपना वारिस कैसे चुने जब कि वह अपनी जानवरों की दुनिया के सभी जानवरों को एक सा चाहता हो। पर वह सबको तो वारिस नहीं चुन सकता न।

सो राजा चीता एक पेड़ के नीचे बैठ गया और सोचने लगा कि वह अपना वारिस कैसे चुने। कुछ देर बाद उसको एक तरकीब सूझी। उसने अपने दूतों को बुलाया और उनको सारे लाइबेरिया के जंगलों में भेजा और उनसे कहा कि वे सारे जानवरों से कहें कि वे सब राजा चीते के महल में आयें।

उस दिन वह सबको एक बहुत बड़ी दावत देगा और एक बहुत ही खास घोषणा भी करेगा। सो उसके सारे दूत लाइबेरिया के सब जंगलों में चारों तरफ दौड़ गये। उन्होंने सब जानवरों को यह खबर दे दी और दावत वाले दिन सभी जानवर राजा के महल में इकठ्ठा होगये।

राजा के महल में तो मेला लग गया। सारा जंगल जैसे ज़िन्दा हो उठा हो। ऐसा लगता था कि जैसे पूरे लाइबेरिया के सभी जंगलों के सारे जानवर वहाँ आ कर इकठ्ठा हो गये हों। उन सबने वहाँ खूब गाना गाया, खूब नाचा और बहुत अच्छा समय बिताया।

जब रात को चाँद पेड़ों के पीछे से ऊपर आ गया तब राजा चीता अपने महल में से निकल कर बाहर आया और उन सब जानवरों के बीच में आ कर खड़ा हो गया।

जब जानवरों ने राजा को देखा तो उसकी इज़्ज़त में उन्होंने गाना नाचना बन्द कर दिया और चुपचाप खड़े हो गये।

राजा बोला — “मैं कुछ दिनों से सोच रहा हूँ कि अपना वारिस चुन लूँ पर क्योंकि मैं तुम सब लोगों को एक सा प्यार करता हूँ इसलिये मैं यह तय नहीं कर पा रहा हूँ कि मेरा वारिस बनने के लिये तुम सबमें से सबसे ज़्यादा लायक कौन है। इसलिये मैंने एक मुकाबला रखा है। ”

कह कर चीता जंगल के पेड़ों के पीछे की तरफ गया और वहाँ से एक भाला लिये हुए लौटा और बोला — “तुम लोगों में से सबसे पहला जानवर जो इस भाले को आसमान में फेंकेगा और इसके जमीन पर गिरने से पहले दस तक गिन सकेगा वही मेरा वारिस होगा। ”

जैसे ही राजा चीते ने अपनी यह घोषणा खत्म की सारे जानवर आपस में कानफूसी करने लगे कि यह कैसे होगा। पर अचानक ही उनके पीछे से एक ज़ोर की आवाज आयी।

सारे जानवरों ने तुरन्त ही पीछे मुड़ कर देखा तो एक तरफ को हट गये क्योंकि एक हाथी अपने पैर पटकते हुए वहाँ चला आ रहा था। असल में हाथी उस मुकाबले में हिस्सा लेने के लिये आ रहा था।

जैसे जैसे वह आगे बढ़ता आ रहा था वह कहता चला आ रहा था — “मेरे रास्ते से हटो, मेरे रास्ते से हटो। मैं राजा बनूँगा। मैं सबसे बड़ा हूँ इसलिये मैं ही राजा बनूँगा। ”

राजा चीते ने कहा — ठीक है ठीक है। तुम सबसे पहले इस मुकाबले हिस्सा ले सकते हो। पर इससे पहले कि तुम भाला आसमान में फेंको तुमको जीत का नाच करना पड़ेगा। ”

हाथी ने उस खाली जगह में घूम घूम कर अपनी सूँड़ और पैर पटक पटक कर नाच किया। नाचने के कुछ मिनट बाद ही उसने भाला उठाया, उसको अपनी सूँड़ में लपेटा और अपना सिर थोड़ा सा पीछे करते हुए उस भाले को आसमान में फेंक दिया।

फिर उसने गिनती गिनना शुरू किया — “एक, दो, तीन, चार। ” और उसका भाला उसके चार कहते ही जमीन पर गिर गया। इस तरह हाथी यह मुकाबला हार गया। अपनी इस हार पर वह इतना गुस्सा था कि कि वह बहुत देर तक अपने पैर पटकता रहा।

राजा चीता बोला — “हाथी, तुमको एक मौका मिलना था सो वह तुमको मिल गया। अब दूसरे जानवरों को इस मुकाबले में हिस्सा लेने का मौका दिया जायेगा। ” यह सुन कर हाथी वहाँ से चला गया।

हाथी के जाने के बाद जानवरों में फिर से कानाफूसी होने लगी कि फिर उन्होंने अपने पीछे से आती एक ज़ोर की आवाज सुनी। पीछे मुड़ कर देखा तो अब की बार एक सूअर पैर पटकता चला आ रहा था।

आते आते सूअर कहता आ रहा था — “मेरे रास्ते से हटो। मैं राजा बनूँगा क्योंकि मैं बहुत ताकतवर हूँ। ”

राजा चीता बोला — “ठीक है ठीक है। तुमको मुकाबले के नियम तो मालूम हैं सो भाला फेंकने से पहले तुम जीत का नाच नाचो उसके बाद भाला फेंकना। ”

सो सूअर ने भी जीत का नाच नाचा। पहले वह जमीन पर गिर गया और फिर एक पैर पर खड़ा हो कर उस सारी खाली जगह में ऊपर नीचे कूदता रहा।

कुछ देर बाद उसने अपने तेज़ पंजों से जमीन में गड्ढा खोदा। वह गड्ढा इतना ज़्यादा गहरा था कि जब वह उसके अन्दर खड़ा हो गया तो केवल उसका सिर ही दिखायी दे रहा था।

उसने वह भाला अपने दाँतों में दबाया और ऊपर आसमान की तरफ फेंक दिया। फिर उसने गिनती गिननी शुरू की — “एक, दो, तीन, चार, पाँच, छह। ” और उसके छह कहते ही भाला नीचे जमीन पर गिर गया।

इस तरह सूअर भी वह मुकाबला हार गया। वह भी अपनी इस हार पर इतना ज़्यादा दुखी हुआ कि उसने अपने नथुनों से बहुत सारी हवा निकाली और बहुत सारी धूल उड़ायी।

राजा चीते ने कहा — “सूअर, तुमको भी एक मौका मिलना था सो मिल गया और तुम हार गये। ” सो सूअर को भी वहाँ से जाना पड़ा।

सूअर के जाने के बाद जानवरों में फिर से फुसफुसाहट शुरू हुई — “यह तो बड़ा मुश्किल मुकाबला है। इस मुकाबले को तो हाथी भी नहीं जीत सका जो कि बहुत बड़ा है और सूअर भी नहीं जीत सका। वह तो बहुत ताकतवर है। लगता है इस मुकाबले को कोई जीत ही नहीं सकेगा। ”

तभी उन्होंने पीछे से आती हुई फिर से एक ज़ोर की आवाज सुनी। उन्होंने फिर पीछे मुड़ कर देखा तो उन्हें अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ। एक बन्दर उछलता कूदता चला आ रहा था।

आते समय वह गा रहा था — “मैं यह कर सकता हूँ। मैं यह कर सकता हूँ। मुझे मालूम है कि मैं यह कर सकता हूँ। ”

राजा चीता बोला — “ठीक है ठीक है बन्दर। आओ और आ कर पहले अपना जीत वाला नाच शुरू करो। ”

बन्दर बोला — “यकीनन राजा जी, यकीनन। मुझे नाचना बहुत अच्छा लगता है। सब लोग पीछे हो जाओ ओर मुझे नाचने के लिये जगह दो। ”

सारे जानवर थोड़ा थोड़ा पीछे हट गये ताकि बन्दर को नाचने के लिये थोड़ी और जगह मिल जाये और बन्दर ने नाचना शुरू कर दिया।

वह ऊपर नीचे, इधर उधर सब जगह कूद कूद कर उछलता रहा। फिर उसने जमीन पर पड़ी पेड़ की एक शाख उठा ली और उसको हिला हिला कर कूदता रहा।

राजा चीता बोला — “ठीक है बन्दर। अब यह लो यह रहा तुम्हारा भाला। फेंको इसको और गिनो दस तक। ”

बन्दर ने भाला लिया, कुछ दूर पीछे हटा, फिर उसने अपनी बाँह पीछे की और हवा में कूद कर भाला आसमान में फेंक दिया।

उसने गिनना शुरू किया — “एक, दो, तीन, चार, पाँच, छह, सात, आठ। ” और आठ कहते न कहते उसका भाला भी जमीन पर आ गिरा। इस तरह बन्दर भी वह मुकाबला न जीत सका।

यह देख कर बन्दर बहुत परेशान हो गया। वह अपनी इस हार पर इतना गुस्सा हुआ कि चारों तरफ लोटने लगा और कई तरह की सफाई देने लगा।

उसने राजा से एक मौका और देने की प्रार्थना की पर राजा चीते ने कहा — “नहीं बन्दर नहीं। सभी जानवरों को केवल एक एक मौका ही दिया जा रहा है। तुमको भी एक मौका मिलना था सो तुम्हें मिल गया। अब तुम जा सकते हो। ” सो बन्दर को भी वहाँ से जाना पड़ा।

बन्दर की हार के बाद तो जानवरों को विश्वास सा हो गया कि यह मुकाबला जीतना तो बहुत ही मुश्किल है।

एक जानवर बोला — “हे भगवान, यह मुकाबला कितना मुश्किल है। हम तो सोचते थे कि हमारा राजा कितना अक्लमन्द है पर वह तो अपनी अक्लमन्दी हमारे ही ऊपर दिखा रहा है।

यह भी हो सकता है कि वह जानता हो कि कोई भी यह भाला आसमान में इतना ऊँचा न फेंक सकता हो जो वह उसके गिरने से पहले दस तक गिनती गिन सके।

यह राजा हम सबको बेवकूफ साबित करना क्यों चाह रहा है। मैं यहाँ बेवकूफ बनने के लिये नहीं खड़ा मैं तो घर जा रहा हूँ। ”

सो कुछ जानवरों ने अपने अपने घरों को जाना शुरू कर दिया पर जैसे ही वे अपने अपने घरों की तरफ जाने के लिये पलटे उन्होंने पीछे से आती हुई एक और आवाज सुनी।

उन्होंने फिर पीछे मुड़ कर देखा तो उनकी आँखें तो फटी की फटी रह गयीं। एक बहुत ही छोटा सा बारहसिंगा भीड़ में से चला आ रहा था। आगे आ कर वह बोला — “अभी रुको, मुझे भी कोशिश कर लेने दो। शायद मैं इसे कर सकता हूँ। ”

यह सुन कर सारे जानवर हँस पड़े। हाथी बारहसिंगे से बोला — “क्या मतलब? क्या तुम सोचते हो कि तुम यह काम कर सकते हो? जब मैं यह काम नहीं कर सका तो तुम कैसे कर सकते हो। जाओ जाओ अपने घर वापस जाओ। ”

इस पर तो जानवर और बहुत ज़ोर से हँस पड़े। जानवरों को हँसता देख कर राजा चीता चिल्लाया — “हँसो नहीं। मैं तुम लोगों को इस तरह से बारहसिंगे की हँसी उड़ाने की इजाज़त नहीं दे सकता। यह कौन कहता है कि जो काम बड़े जानवर नहीं कर सकते वह कोई छोटा जानवर भी नहीं कर सकता।

अब अगर बारहसिंगा इस मुकाबले में हिस्सा लेना चाहता है तो उसको भी दूसरे जानवरों की तरह इस मुकाबले में हिस्सा लेने का मौका दिया जायेगा। सब शान्ति से खड़े रहो। अब बारहसिंगा अपना जीत का नाच नाचेगा। ”

सो लाइबेरिया के जंगलों की उस मुकाबले की रात बारहसिंगा अपनी जीत का नाच नाचा। पर उसका नाच दूसरे जानवरों से काफी अलग था।

वह पहले तो कुछ देर तक अपने पैर बाहर निकाल कर और अपना सिर आसमान की तरफ उठा कर गोले में घूमता रहा जैसे वह भगवान को अपने ज़िन्दा रहने के लिये धन्यवाद दे रहा हो।

फिर वह जानवरों की तरफ घूमा जैसे कि वह उन जानवरों से कह रहा हो कि वह उनको बहुत प्यार करता है और उनके साथ इस समय बैठ कर उसे बहुत अच्छा लग रहा है।

आखीर में बारहसिंगे ने घूम कर राजा की तरफ देखा जैसे वह कह रहा हो कि वह अपने राजा को भी बहुत प्यार करता था जो अक्लमन्द होने के साथ साथ मेहरबान भी था।

फिर वह थोड़ा पीछे हटा, उसने अपने दाँतों में भाला दबाया और अपनी सारी ताकत के साथ भागना शुरू किया। जब वह उस साफ जगह के बीच में पहुँचा जहाँ से उसको भाला फेंकना था तो वह ऊपर कूदा और भाला आसमान में फेंक दिया।

फिर वह चिल्लाया — “पाँच और पाँच दस। ”

यह सुन कर सारे जानवर चुपचाप खड़े रह गये पर हाथी बोला — “यह क्या है?”

बन्दर ने भी सिर खुजलाते हुए कहा — “पाँच और पाँच दस?”

तब राजा चीता आगे आया और उसने सबको समझाया। वह बारहसिंगे से बोला — “बारहसिंगे, तुम ठीक कहते हो। पाँच और पाँच दस होते हैं और इसी तरह से तीन और सात भी दस होते हैं। और भी कई तरह से हम दस तक गिन सकते हैं।

दस तक गिनने का केवल एक ही तरीका नहीं होता – एक, दो, तीन, चार, पाँच, छह, सात, आठ , , ,। ”

यह मुकाबला यह पता करने के लिये नहीं था कि कौन सबसे बड़ा जानवर है या कौन सबसे ज़्यादा ताकतवर जानवर है यह मुकाबला तो यह जानने के लिये था कि कौन सबसे ज़्यादा अक्लमन्द जानवर है। ”

और इस तरह से राजा चीते के मरने के बाद जंगल का सबसे छोटा जानवर बारहसिंगा राजा बन गया। इसलिये नहीं कि वह सब से बड़ा जानवर था या सबसे ज्यादा ताकतवर जानवर था बल्कि इस लिये कि वह सबसे ज़्यादा अक्लमन्द जानवर था।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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