दादी कहती थी (बाल एकांकी) : शकुंतला अग्रवाल शकुन

Dadi Kehti Thi (Baal Ekanki) : Shakuntala Agrwal Shakun

पात्र परिचय

अक्षत- छात्र
जयंत- छात्र
रोहित-छात्र
कनक- छात्रा
विनय-छात्र
और मेम

परिदृश्य

स्कूल का एक क्लास-रूम जिसमें मेम के लिए एक टेबल कुर्सी लगी है। छात्रों के लिए अलग से टेबल कुर्सियाँ लगी है। छात्रों के सामने वाली दीवार पर श्यामपट्ट लगा हुआ है। बाकि दीवारों पर कुछ पर्यावरण व महापुरुषों की तस्वीरें लगी है। छात्र अपने स्थान पर बैठे हैं। मेम का प्रवेश होता है।

पर्दा उठता है---

सब छात्र मेम का अभिवादन करते हैं। तभी मेम की नजर अक्षत पर पड़ती है।

मेम:--अक्षत! चार दिन तक छुट्टी पर क्यों थे?

अक्षत:--मेम! मेरे पापा की तबीयत खराब थी।

मेम:-- क्या हो गया था?

अक्षत:-- हार्ट-अटेक आया था और ऑक्सीजन की कमी भी हो गई थी।

मेम:-- आपके पापा अब ठीक है?

अक्षत:-- हाँ, अब ठीक है।

मेम:--बच्चों! आज हम यह सीखेंगे कि पर्यावरण को शुद्ध कैसे रखें? पर्यावरण में ऑक्सीजन की कमी क्यों होती है? इस पर विचार करेंगे।

अक्षत:--मेम! आक्सीजन तो पेड़-पौधों से मिलती है।

मेम:-- सही कहा, पेड़-पौधे कार्बनडाइ-ऑक्साइड लेते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते है। वही ऑक्सीजन जीवों के लिए प्राणवायु है। लेकिन आजकल पेड़-पौधे कम हो गए है। जिससे पर्यावरण भी प्रदूषित हो गया।

रोहित:--मेम! पेड़-पौधों से कचरा बहुत होता है।

मेम:-- जिसे तुम कचरा कह रहे हो, उससे तो जैविक- खाद बनती है।

रोहित:-- यह जानकारी तो हमको थी ही नहीं।

मेम:--बच्चों! यह जैविक-खाद, खेत में अनाज उगाने के लिए बहुत उपयोगी होती है।

कनक:-- दादी कहती थी, पेड़-पौधे हमें ऑक्सीजन व फल- फूल के साथ जड़ी-बूटियाँ भी देते हैं। जिस दिन पेड़ खत्म , हम भी खत्म। इसीलिए तो हमारे पूर्वज पेड़ों की पूजा करते थे। मेरी मम्मी भी वट,पीपल व तुलसी की पूजा करती है।

मेम:--कनक! आपकी दादी बहुत समझदार थी। तभी पर्यावरण के प्रति इतनी सजग थी।

कनक:--जी, मेम!

मेम:-- बच्चों! आजकल पेड़,पौधों को काटा जा रहा है। कभी सरकार के द्वारा विकास के नाम पर, कभी रुपयों की भूख मिटाने के लिए लोगों के द्वारा। जिससे जीव-जन्तुओं का जीना भी दूभर हो गया।

जयंत: हाँ, मेम! हमारे घर के यहाँ सबने यह कहकर ही पेड़-पौधे कटवा दिए कि पत्ते सूख कर गिरते हैं जिससे कचरा बहुत होता है। अब हमारे आस-पास कोई पेड़-पौधे नहीं है।

मेम:-- बच्चों! यही तो गलती कर रहे हैं हम, अपनी सुविधाओं के लिए प्रकृति का विनाश कर रहे हैं।
यदि यह पेड़-पौधे नहीं होते तो, हम सबको गर्मी में तपना पड़ता । पेड़-पौधे शीतल-हवा व छाँव देते हैं। जिससे तापमान ज्यादा नहीं बढ़ पाता।

विनय:---ए. सी. है, ए. सी. में गर्मी नहीं लगती, मेम!

मेम:--बच्चो! मैं जानती हूँ गर्मी तो नहीं लगती, लेकिन ए. सी. में ज्यादा समय तक रहने से बीमारियाँ घेरने लगती है। क्योंकि ए. सी. का कमरा हर ओर से बन्द होता है जिससे हवा का आवागमन बन्द हो जाता है। अत: ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। और व्यक्ति के शरीर पर आलस्य हावी होने लगता है।

जयंत:-- मेम! ज्यादा ए.सी. में रहने वाले का शरीर भी मोटा हो जाता है।

कनक:-- ओ,हो! मैं तो अब कभी भी ए. सी. में नहीं सोऊँगी, पंखे में ही सोऊँगी। और मम्मी से कहूँगी, घर के बाहर पेड़ और गमलों में पौधे लगाओ।

मेम:-- शाबाश! अब यह बताओ कि आम,केले, सेब, संतरे व अन्य सभी फल कहाँ से प्राप्त होते हैं?

कनक:- पेड़-पौधो से, मेम!

मेम:-- और जड़ी-बूटियाँ कहाँ से मिलती है।

अक्षत:-- पेड़-पौधो से, मेम!

मेम:-- अरे, वाह, अक्षत ! शाबाश।

बच्चों! लेकिन फिर भी अंधाधुंध पेड़-पौधों की कटाई हो रही है। मानव स्वयं अपने पैर काट रहा है। यदि हमने नये पेड़ दुगनी संख्या में लगाना शुरू नहीं किया तो ऑक्सीजन की भारी कमी हो जाएगी। फिर श्वाँस लेना भी मुश्किल हो जाएगा।

बच्चे:--(एक स्वर में) अब हम किसी को पेड़-पोधै नहीं काटने देंगे।

मेम:--पेड़-पौधे नहीं काटने दोगे यह अच्छी बात है। लेकिन पेड़-पोधै लगाने की आवश्यकता भी तो है।

बच्चे:-- हम अपना जन्म-दिवस केक काटकर नहीं बल्कि पेड़ लगाकर मनाएँगे।

मेम:-- बहुत बढ़िया, आप सभी को पेड़-पौधों का महत्त्व समझ आ गया। पर्यावरण के प्रति जागरूकता की अत्यंत आवश्यकता है। आप जहाँ भी पेड़-पौधे कटते देखोगे वहीं विरोध करोगे। प्रतिज्ञा करो।

बच्चे:-- (खड़े होकर बच्चे दृढ़-स्वर में प्रतिज्ञा करते हैं) हम प्रतिज्ञा करते हैं कि कभी भी पेड़-पौधे नहीं काटेंगे और न काटने देंगे। और नये पेड़ भी लगाएँगे।

मेम:--आओ बच्चो! हम अभी से शुरुआत करें, अपनी स्कूल में पेड़ लगाकर।
सब मिलकर पेड़ रोपते हैं।

(पर्दा गिरता है)

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