काउन्टैस कैथलीन ओशी : आयरिश लोक-कथा
Countess Kathleen Oshi : Irish Folktale
यह बहुत पुरानी बात है कि आयरलैंड में अचानक ही पुराने आयरलैंड के दो अनजान व्यापारी देखे गये। उनके बारे में न तो किसी ने पहले कभी सुना था और न किसी ने पहले कभी उनको देखा था पर वे वहाँ की भाषा बहुत अच्छी तरह बोल रहे थे।
दोनों ही की उमर करीब करीब पचास साल थी। दोनों ही बड़ी शान्ति से अपनी ज़िन्दगी बिता रहे थे। वे वहाँ पर अपनी अपनी थैलियों में रखे पीले पीले सोने के सिक्के गिनने के अलावा और कोई काम नहीं करते थे।
एक दिन उनकी मकान मालकिन ने उनसे कहा — “भलेमानसों, ऐसा कैसे है कि आप लोग इतने अमीर हैं फिर भी आप लोग कोई भला काम नहीं करते। किसी को कुछ देते नहीं हैं।”
उनमें से एक बोला — “बात तो आप ठीक कहती हैं परन्तु हम खुद किसी को दान देना नहीं चाहते क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि कोई बहाना बना कर हमको धोखा दे दे। परन्तु अगर कोई गरीब हमारा दरवाजा खटखटायेगा तो हम उसे जरूर कुछ न कुछ दे देंगे।”
बस फिर क्या था अगले ही दिन यह अफवाह फैल गयी कि शहर में दो अजनबी अमीर आये हैं और अपना सोना बाँटना चाहते हैं। सो उनके दरवाजे पर सोना लेने वालों की लाइन लग गयी। उन दोनों ने शैतान के लिये लोगों की आत्माएँ खरीदनी शुरू कर दीं। एक बूढ़े की आत्मा का दाम बीस सोने के सिक्के था और एक कुँआरी लड़की की आत्मा तो बहुत ही मँहगी थी।
उन्हीं दिनों उस शहर में एक काउन्टैस कैथलीन ओशी रहती थी। वह बहुत सुन्दर थी और लोग उसको बहुत प्यार करते थे क्योंकि वह बहुत ही दयालु थी।
जैसे ही उसने यह सब सुना कि ये दो लोग भगवान से उसकी आत्माएँ खरीद रहें हैं तो उसने अपने बटलर यानी नौकर को बुलाया और उससे पूछा — “पैट्रिक, मेरे खजाने में सोने के कितने सिक्के हैं?”
पैट्रिक बोला — “एक लाख।”
“और रत्न?”
पैट्रिक बोला — “वह भी उतने ही दाम के हैं।”
कैथलीन ने फिर पूछा — “और मेरी जायदाद, किले, जंगल, जमीन?”
पैट्रिक बोला — “वे दोनों के दुगुने दाम के हैं।”
कैथलीन बोली — “ठीक है पैट्रिक़ तुम मेरे सोने के सिक्कों के अलावा मेरा सब कुछ बेच दो और मुझे बताओ कि वह सब कितने का बिका। बस मेरा यह घर और इसके चारों तरफ की जमीन छोड़ देना।”
दो दिन के बाद कैथलीन के हुक्म से सारा पैसा गरीबों में उनकी जरूरतों के अनुसार बाँट दिया गया। यह बात उन शैतानों को अच्छी नहीं लगी क्योंकि अब वे आत्माएँ नहीं खरीद पा रहे थे। सो एक नौकर की सहायता से वे दोनों उस काउन्टैस के घर में घुस गये और उसका बाकी बचा पैसा चुरा लिया। हालाँकि काउन्टैस ने उन दोनों को रोकने की बहुत कोशिश की पर कामयाब न हो पायी।
कहते हैं कि उसने कई बार क्रास बनाने की कोशिश की परन्तु उसके हाथ जैसे बँध गये थे और वह फिर उन गरीबों की सहायता भी न कर सकी।
करीब आठ दिन के बाद देश के पश्चिमी हिस्से से अनाज आया। पर ये आठ दिन लोगों को आठ युग की तरह दिखायी दिये। इन आठ दिनों के लिये गरीबों के लिये बहुत सारे पैसों की जरूरत थी और कैथलीन के पास अब कुछ था नहीं सो वह बहुत परेशान रही।
उसने कुछ सोचा और उन आत्माओं के व्यापारियों के पास पहुँची। उन्होंने उससे पूछा — “तुमको क्या चाहिये?”
कैथलीन बोली — “तुम लोग आत्माएँ खरीदते हो?”
वे बोले “हाँ”।
कैथलीन बोली — “देखो, मैं तुमसे एक सौदा करने आयी हूँ। मेरे पास एक आत्मा है जो बहुत कीमती है और वह मेरी आत्मा है।”
कैथलीन की यह बात सुन कर दोनों व्यापारियों को बड़ा आश्चर्य हुआ। उनकी मुठ्ठियाँ भिंच गयीं और उनकी आँखों में चमक आ गयी। वे बड़े खुश थे कि उनको कैथलीन की आत्मा मिल रही थी।
उन्होंने उससे पूछा — “ओ सुन्दर लड़की, बोल कितना माँगती है अपनी आत्मा के लिये?”
कैथलीन बोली — “पन्द्रह लाख सोने के सिक्के।”
वे बोले “चल, दिये।” और यह कह कर उन्होंने उसके आगे एक काली मुहर लगी खाल बढ़ा दी जिस पर उसने काँपते हाथों से दस्तखत कर दिये। पैसा उसको दे दिया गया।
घर पहुँचते ही उसने पैट्रिक को बुलाया और कहा — “देखो ये पैसे लो और आठ दिन तक इनको गरीबों में थोड़ा थोड़ा बाँटो और आज के बाद अब एक भी आत्मा उन शैतानों को नहीं बेची जायेगी।” कह कर वह एक कमरे में बन्द हो गयी और सबको यह कह दिया कि कोई आ कर उसको तंग न करे।
तीन दिन बीत गये, न तो उसने किसी को बुलाया और न वह खुद ही बाहर निकली। जब दरवाजा खोला गया तो उसकी ठंडी और अकड़ी हुई लाश मिली।
परन्तु उसकी आत्मा के सौदे को भगवान ने नहीं माना क्योंकि उसकी आत्मा ने अपनी जनता को उस तरह की गन्दी मौत से बचाया था।
आठ दिन बीत जाने के बाद तो वहाँ पर काफी खाने पीने का सामान आ गया। सब लोग खुशहाल हो गये। उधर वे आत्माओं के व्यापारी भी न जाने कहाँ चले गये परन्तु ब्लैकवाटर के लोगों को अभी भी यह लगता है कि लूसीफ़र ने अभी भी उनकी आत्माओं को बाँध रखा है जब तक कि वे कैथलीन की आत्मा उसे वापस नहीं कर देते।
1. Lucifer - Lucifer word occurs only once in the Hebrew Bible. There it meant the “Morning Star”. Later Christian tradition came to use the Latin word for "morning star", lucifer, as a proper name ("Lucifer") for the devil; as he was before his fall. As a result, “Lucifer” has become a by-word for Satan/the Devil in the church.
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)