कौर्नु और उसके तीन बेटे : कैनेडा की लोक-कथा
Cornu Aur Uske Teen Bete : Lok-Katha (Canada)
एक बार कौर्नु नाम का एक आदमी अपने तीन बेटों के साथ राजा के महल में रहता था। उधर राजा के भी तीन बेटे थे। दोनों के बेटे आपस में अच्छे दोस्त थे।
पर एक दिन राजा के बेटों और कौर्नु के बेटों में झगड़ा हो गया और इस झगड़े में राजा का एक बेटा मारा गया।
उस शाम राजा ने कौर्नु को बुलाया और कहा — “तुम्हारे तो तीन बेटे घर वापस आ गये परन्तु मेरे दो ही बेटे घर वापस आये इसलिये मैं तुम्हें और तुम्हारे तीनों बेटों को मौत की सजा सुनाता हूँ। पर अगर तुम फलाँ राजा से मेरे लिये उसकी मशहूर घोड़ी ला दो तो मैं तुम लोगों को छोड़ भी सकता हूँ।”
कौर्नु और उसके तीनों बेटे वह घोड़ी लाने चल दिये। रास्ते में वे आटा पीसने की एक चक्की के पास रुके और चक्की वाले से पूछा कि वे उस राजा के महल में कैसे जा सकते थे।
चक्की वाले ने कहा — “मैं तुम लोगों को अनाज की बोरियों में बन्द कर देता हूँ। इस तरह तुम लोग राजा के महल में अन्दर आसानी से जा सकते हो।”
कह कर उसने उन चारों को अनाज की बोरियों में बन्द कर दिया और मजदूर लोग बिना किसी शक के उन बोरियों को राजा के महल में ले गये।
उस रात उन्होंने राजा की उस मशहूर घोड़ी पर साज सजाने की कोशिश की परन्तु वह घोड़ी इतनी ज़ोर से हिनहिनायी कि उन लोगों को फिर से बोरियों में छिप जाना पड़ा।
राजा ने जब अपनी घोड़ी की हिनहिनाहट सुनी तो उसने अपने सिपाहियों को उसकी खोज खबर लेने के लिये भेजा। सिपाहियों को सभी चीजें, अपनी जगह पर रखी मिलीं तो वे वहाँ से चले गये। जब राजा के सिपाही वहाँ से चले गये तो कौर्नु और उसके बेटे फिर से अपनी अपनी बोरियों में से बाहर निकले और फिर से उस घोड़ी पर साज सजाने की कोशिश की परन्तु वह घोड़ी फिर से हिनहिना दी।
राजा ने फिर से अपने सिपाहियों को भेजा पर सिपाहियों को फिर से कोई गड़बड़ नजर नहीं आयी क्योंकि कौर्नु और उसके तीनों बेटे फिर से अपनी अपनी बोरियों में जा छिपे थे सो वे फिर से वहाँ से चले गये उन्होंने फिर तीसरी बार उस घोड़ी पर साज सजाने की कोशिश की तो वह फिर से हिनहिनायी। इस बार राजा ने सिपाहियों को भेजने की बजाय खुद ही आना ठीक समझा। वह आया और उसने उन चारों को खोज लिया।
उसने कौर्नु से पूछा — “क्या तुम इससे पहले कभी मौत के इतने नजदीक खड़े थे जितना कि आज खड़े हो? अगर ऐसा है और अगर तुम अपनी कहानी से इसे साबित कर सकते हो तो मैं तुम्हारे एक बेटे को ज़िन्दा छोड़ दूँगा।”
कौर्नु बोला — “जी हाँ, एक बार मैं मौत के इतने ही पास खड़ा था जितना कि आज खड़ा हूँ और मैं इसे अपनी कहानी से साबित कर सकता हूँ।
एक बार की बात है कि मैं गायें दुह रहा था कि वहाँ 12 बड़े बड़े बिल्ले आये। उनमें से एक बिल्ले ने मेरे ऊपर बड़ी ज़ोर से चिल्लाना शुरू किया तो मैंने उससे पूछा — “तुमको क्या चाहिये?”
वह बोला “हमें गाय चाहिये।” और उन बिल्लों ने खड़े खड़े वहाँ की सारी गायें खानी शुरू कर दीं।
यह देख कर मैं डर के मारे पास वाले पेड़ पर चढ़ गया पर मेरे पेड़ पर चढ़ते ही वह पेड़ झुकने लगा।
वे बिल्ले मुझे भी खाने वाले थे कि इतने में एक आदमी आया और उसने सभी बिल्लों को मार डाला और मुझे बचा लिया। इस तरह मैं उस समय मौत के उतने ही पास खड़ा था जितना कि अब।”
राजा मान गया कि उस समय वह सचमुच मौत के इतने ही पास था जितना कि अब और उसने उसका एक बेटा छोड़ दिया।
राजा फिर बोला — “यदि तुम दोबारा भी मौत के इतने ही पास खड़े थे जितने कि आज और तुम अपनी यह बात अपनी कहानी से साबित कर सकते हो तो मैं तुम्हारे एक और बेटे को ज़िन्दा छोड़ दूँगा।”
कौर्नु बोला — “जी हाँ सरकार, एक बार और भी मैं इसी तरह मौत के पास खड़ा था जितना कि अब। मैं आपको उसकी कहानी भी सुनाता हूँ।
मैं पहले नाव खेया करता था। एक बार मैं किनारे किनारे अपनी नाव में कहीं जा रहा था तो मैंने देखा कि एक राक्षस एक लड़की को मारने ही वाला था कि मैंने उसे चिल्ला कर रोकने की कोशिश की पर वह राक्षस कहाँ सुनने वाला था।
उसने उस लड़की को मार दिया और फिर वह मेरी तरफ बढ़ा। उसकी केवल एक ही आँख ठीक थी सो मैंने उससे अपने बचाव के लिये कहा — “मैं तुम्हारी दूसरी आँख ठीक कर सकता हूँ।”
वह राजी हो गया। मैंने कुछ गरम गरम चीज़ों को मिला कर उसकी अच्छी वाली आँख में डाल दीं इससे वह अन्धा हो गया। उसने मुझे पकड़ने की काफी कोशिश की पर वह मुझे पकड़ न सका क्योंकि वह तो अन्धा हो गया था।
पास की एक गुफा में उसकी बकरियाँ थीं। मुझे नहीं मालूम था कि वे बकरियाँ उसकी थीं सो मैं गुफा में बकरियों के बीच छिप गया।
उसने अपने बेटे से गुफा का दरवाजा खोलने और बकरियों को बाहर निकालने के लिये कहा और वह खुद गुफा के दरवाजे पर खड़े हो कर बकरियों को छू छू कर बाहर निकालने लगा।
वहाँ एक छोटी सी बकरी भी थी। मैं उसको अपनी पीठ पर बिठा कर उस राक्षस की टाँगों के बीच में से निकल गया। जब मैं बाहर निकल गया तब मैंने उस राक्षस से ज़ोर से कहा — “तुम मुझे पकड़ सकते हो तो पकड़ लो।”
राक्षस बोला — “तुम बहुत होशियार हो इसलिये यह लो तुम यह अँगूठी ले लो।”
और एक अँगूठी उसने मेरी तरफ फेंक दी। मैंने वह अँगूठी उठा कर पहन ली।
राक्षस ने मुझसे पूछा — “तुमने वह अँगूठी पहन ली?”
मैंने कहा — “हाँ पहन ली।”
अब राक्षस बोला — “ओ अँगूठी, मेरे पास आओ।”
और उस अँगूठी ने मुझे उस राक्षस की ओर खींचना शुरू कर दिया। मैंने राक्षस से बचने के लिये अपनी उँगली काट दी और वहाँ से किसी तरह भाग लिया। इस तरीके से मैं दूसरी बार भी मौत से बाल बाल बचा।”
राजा को विश्वास हो गया कि वह सच कह रहा था इसलिये उसने उसके दूसरे बेटे को भी छोड़ दिया।
राजा फिर बोला — “यदि तुम तीसरी बार भी मौत के इतने ही पास खड़े थे जितने कि आज और तुम इस बात को अपनी कहानी से साबित कर दो तो मैं तुम्हारे तीसरे बेटे को भी छोड़ दूँगा।”
कौर्नुबोला — “जी हाँ, मैं एक बार और भी मौत के इतने ही करीब खड़ा था जितना कि आज खड़ा हूँ और मैं इसको अपनी कहानी से साबित कर सकता हूँ। सुनिये।
मैं एक बार समुद्र के किनारे खड़ा हुआ था कि एक बहुत ही सुन्दर जहाज वहाँ आया। मैं उस जहाज पर चढ़ गया और वह मुझे ले कर समुद्र में बने एक घर की तरफ चल दिया।
उस घर में एक स्त्री एक बच्चे के साथ खेल रही थी। मैंने उस स्त्री से पूछा कि वह क्या कर रही है तो वह बोली कि वह वहाँ पर रह रहे राक्षस के खाने के लिये उस बच्चे को मारने वाली है। मैंने उससे कहा कि अगर वह उस बच्चे को कहीं छिपा देगी तो मैं उसे बचाने की कोशिश करूँगा। उसने ऐसा ही किया। उसने बच्चे को छिपा दिया।
फिर मैं ऊपर चला गया और वहाँ पड़े मुर्दों में जा कर लेट गया और सो गया। जब वह राक्षस वहाँ आया तो मैंने उसे मार दिया और उस बच्चे को बचा लिया और वह बच्चा तुम थे।”
उस राजा ने जब कौर्नु की यह कहानी सुनी तो वह बहुत खुश हुआ और उसने कौर्नु और उसके तीनों बेटों को छोड़ दिया।
फिर कौर्नु ने उसको अपने राजा की कहानी सुनायी कि किस तरह उसके बेटों से राजा का एक बेटा मारा गया था और किस तरह उसने उन चारों को मारने का हुकुम दिया था पर इस घोड़ी के लाने पर कैसे वह उन सबको ज़िन्दा छोड़ देगा।
यह सब कह कर उसने उससे उसकी अपनी वह खास घोड़ी देने की प्रार्थना ताकि वह उस राजा से अपनी और अपने बेटों की जान बचा सके।
राजा कौर्नु से उसके सच बोलने से इतना खुश हुआ कि उसने अपनी वह खास घोड़ी उसको दे दी। कौर्नु उसको ले कर चला गया और उसको राजा को दे कर अपनी और अपने बेटों की जान बचायी।
(अनुवाद : सुषमा गुप्ता)