चुहिया और एक ततैये की कहानी : अलिफ़ लैला

Chuhiya Aur Tataiye Ki Kahani : Alif Laila

एक बार एक चुहिया और एक मादा ततैया एक गरीब किसान के घर में एक साथ ही रहते थे। एक बार उस किसान का एक दोस्त बीमार पड़ गया तो डाक्टर ने उसको धुले तिल21 खाने की सलाह दी।

सो उस किसान ने एक आदमी से अपने दोस्त के लिये तिल माँगे। उस आदमी ने उस किसान को एक डिब्बा भर कर तिल दे दिये।

वह उन तिलों को ले कर घर गया और उन्हें अपनी पत्नी को दे कर उन्हें धो कर तैयार करने के लिये कहा। पत्नी ने उनको धोया और उनका छिलका निकाल कर सूखने के लिये डाल दिया। मादा ततैये ने जब उन तिलों को देखा वह उनको वहाँ से उठा उठा कर अपने छेद में ले जाने लगी। वह सारा दिन उनको ले जाती रही जब तक कि वह उनको काफी सारा नहीं ले गयी।

शाम को जब किसान की पत्नी आयी तो उसने देखा कि उसके बहुत सारे तिल तो वहाँ से जा चुके हैं। पहले तो वह वहाँ आश्चर्य करती खड़ी रही कि उसके तिल कौन ले गया पर फिर वह वहीं यह देखने के लिये बैठ गयी कि देखूँ तो ये तिल कौन ले जा रहा है। कुछ देर बाद जब मादा ततैया वहाँ वह तिल लेने के लिये आयी तो उसने देखा कि किसान की पत्नी तो वहाँ बैठी पहरा दे रही है।

उसने सोचा कि बस अब यहाँ तो मेरा काम खत्म हो गया। यह तो यहाँ मेरे ऊपर पहरा देने के लिये बैठी हुई है पर फिर भी आज मैंने काफी अच्छा काम कर लिया। अब मैं सीधी सादी बन सकती हूँ और जो कुछ भी मैंने बुरा काम किया है उससे हाथ धो सकती हूँ। ऐसा सोचते हुए वह अपने छेद में से तिल उठा कर वहीं ले जाने लगी जहाँ से वह उनको ले कर आ रही थी।

उसको तिल ले जाते देख कर किसान की पत्नी तुरन्त ही उठ खड़ी हुई और मादा ततैये को यह करते हुए देख कर सोचा कि लगता है इसने हमारा नुकसान नहीं किया है क्योंकि यह तो मेरे तिल उसके छेद से वापस ला रही है जिसने हमारा नुकसान किया है। मैं अभी यहीं बैठ कर उसको देखती हूँ जो वाकई में मेरे ये दाने उठा कर ले जाता रहा है। सो वह फिर वहीं बैठ गयी।

इतने में मादा ततैये ने चुहिया से जा कर कहा — “बहिन, वह कोई अच्छा आदमी नहीं होता जो दोस्ती में वफादार नहीं होता।”

चुहिया बोली — “मुझे तुम्हारा साथ भी अच्छा लगता है और तुम्हारे पास भी रहना अच्छा लगता है पर आज तुम यह सब क्यों कह रही हो?”

मादा ततैया बोली — “आज मकान मालिक कुछ तिल के बीज ले कर आया है। उसने तो पेट भर कर खा लिये हैं। बल्कि सबने पेट भर कर खा लिये हैं फिर भी उसके पास अभी और बहुत सारे बीज हैं। अगर तुम भी उसमें से कुछ ले लोगी तो तुम औरों से ज़्यादा अमीर हो जाओगी।”

यह सुन कर चुहिया बहुत खुश हो गयी और उधर चली जहाँ वे तिल सूख रहे थे। उसने देखा नहीं कि किसान की पत्नी वहाँ एक डंडी लिये बैठी थी।

सो वह तिलों की तरफ दौड़ी और उसने तिलों को खाना शुरू कर दिया। जैसे ही किसान की पत्नी ने देखा कि एक चुहिया उसके तिल खा रही है तो उसने फट से उसके सिर पर एक डंडी मारी। वह चुहिया बेचारी वहीं की वहीं मर गयी। यही अन्त था उस चुहिया के लालची होने का और किसी काम को बिना सोचे समझे करने के नतीजे को न समझने का।

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