चुहिया राजकुमारी : फ़िनलैंड की लोक-कथा

Chuhia Rajkumari : Finnish Folktale/Folklore

एक बार बहुत दूर उत्तर की जमीन पर फ़िनलैंड देश में एक किसान रहता था। उसके तीन बेटे थे।
जब वे बड़े हो गये तो उसने अपने तीनों बेटों से कहा — “बेटा अब तुम लोग बड़े हो गये हो सो अब तुम लोगों को शादी कर लेनी चाहिये। तुम लोग जाओ और अपने अपने लिये पत्नी ढूँढो।
मैं तुम तीनों को बहुत प्यार करता हूँ और मैं चाहता हूँ कि तुम लोगों को अच्छी अच्छी पत्नियाँ मिलें।

इसलिये जो भी लड़कियाँ तुम लोग अपने लिये चुनोगे पहले मैं उनका इम्तिहान लूँगा कि वे तुम्हारे लिये अच्छी पत्नियाँ बनेंगी या नहीं। उसके बाद ही तुमको अपनी चुनी हुई लड़की से शादी की इजाज़त मिलेगी। ”
उसके बेटों ने पूछा — “पर वे हमें मिलेंगी कहाँ पिता जी। ”
पिता बोला — “मैं चाहता हूँ कि तुम तीनों एक एक पेड़ काटो और फिर जिस दिशा में तुम्हारा पेड़ कट कर गिरे तुम उसी दिशा में अपनी पत्नी को ढूँढने जाओ। अगर तुमको उस दिशा में बहुत दूर भी जाना पड़े तो भी मुझे यकीन है कि तुमको अपनी पत्नी मिल जायेगी। ”

सबसे बड़े बेटे ने जो पेड़ काटा तो वह पेड़ पूर्व की तरफ गिरा। वह बोला — “यह तो बहुत अच्छा है। मुझे मालूम है कि पूर्व में एक बहुत प्यारी सी देहाती लड़की रहती है। मैं उसके घर जाऊँगा उसको अपने साथ शादी के लिये पटाऊँगा और फिर उससे शादी कर लूँगा। ” बीच वाले बेटे का काटा हुआ पेड़ पश्चिम की तरफ गिरा तो वह भी बोला — “यह तो बहुत अच्छा है। मुझे मालूम है कि पश्चिम में भी एक बहुत प्यारी सी देहाती लड़की रहती है। मैं उसके घर जाऊँगा उसको अपने साथ शादी के लिये पटाऊँगा और फिर उससे शादी कर लूँगा। ”

जब तीसरे सबसे छोटे बेटे ने अपना पेड़ काटा तो वह उत्तर की तरफ गिरा। यह देख कर उसके दोनों बड़े भाई हँस दिये। क्योंकि वे जानते थे कि उत्तर की तरफ तो केवल जंगल और बरफ थी। उधर की तरफ कोई लड़की कहाँ होगी।
वे बोले — “तुझको तो किसी रेनडियर या भेड़िये से शादी करनी पड़ेगी। क्योंकि उत्तर में तो कोई लड़की ही नहीं है। ”
फिर भी सबसे छोटा बेटा जिसका नाम माइकल था अपने पिता की इच्छा के अनुसार अपनी पत्नी ढूँढने के लिये उत्तर की तरफ चल दिया।

दोनों बड़े भाइयों ने अपने पिता का खेत छोड़ा और उस लड़की के पिता के लिये कुछ भेंटें लीं जिससे वे शादी करना चाहते थे और कुछ भेंट अपनी होने वाली पत्नियों के लिये लीं ताकि वे उनको खुश कर सकें और अपनी अपनी दिशाओं में चल दिये।
माइकल भी जंगल में होता हुआ उत्तर की तरफ चल दिया। हालाँकि वह जानता था कि उसको तो उधर कोई लड़की मिलने वाली थी नहीं जो उसकी पत्नी बन सके फिर भी वह उस जंगल में बहुत दूर तक चलता ही चला गया। आगे जा कर वह एक झोंपड़ी के पास आ पहुँचा।
उस झोंपड़ी को देख कर उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसको लगा कि शायद वह उत्तर में अपनी पत्नी पा सके। उसने झोंपड़ी का दरवाजा खटखटाया तो दरवाजा खुला। वह उसके अन्दर घुसा तो उसने देखा कि झोंपड़ी तो खाली थी। वहाँ तो बस एक छोटी सी चुहिया एक मेज पर बैठी थी। माइकल अपने आपसे बोला — “अरे यहाँ तो कोई नहीं है। ”

उस छोटी चुहिया ने कहा — “मैं यहाँ हूँ माइकल। ” वह वहाँ मेज पर बैठी अपने छोटे पंजों से अपनी मूँछें सँवार रही थी।
“पर तुम तो एक छोटी सी चुहिया हो। मुझे तो आशा थी कि मुझे यहाँ एक सुन्दर सी लड़की मिलेगी जिसको मैं अपनी पत्नी बनाऊँगा। ”
तब उसने उसको अपनी और अपने भाइयों की शादी के बारे में अपने पिता की इच्छा बतायी।
फिर वह बोला — “मुझे मालूम है कि वे लोग तो शादी कर ही लेंगे। पर मैं भी यह नहीं चाहता कि मेरे पिता मेरी तरफ से नाउम्मीद हों कि मैं अपनी पत्नी नहीं ढूँढ सका। ”
छोटी चुहिया बोली — “तुम मुझसे अपनी पत्नी बनने के लिये क्यों नहीं कहते? यहाँ उत्तर में तो कोई लड़की रहती नहीं पर मैं तुम्हें प्यार करूँगी और तुम्हारे लिये वफादार भी रहूँगी। ”
माइकल ने उस छोटी चुहिया को अपने हाथों में उठाया तो उसने माइकल के लिये अपनी मीठी आवाज में गाना शुरू कर दिया।
माइकल उसको और पास से देखने के लिये अपने चेहरे तक ले कर आया तो वह चुहिया उसकी उँगलियों पर चढ़ गयी और अपनी छोटी सी नाक से उसके गाल सहलाने लगी।
माइकल उस छोटी सी चुहिया को पसन्द किये बिना नहीं रह सका। इसके अलावा वह अपने पिता को नाउम्मीद भी करना नहीं चाहता था।
वह बोला — “ठीक है ओ छोटी चुहिया। मैं अपने पिता से जा कर कह दूँगा कि मुझे अपनी पत्नी मिल गयी। ”
यह सुन कर चुहिया बोली — “पर तुम्हारे लिये एक चुहिया से शादी करना बहुत मुश्किल होगा। ऐसा करते हैं कि मैं यहीं ठहरती हूँ तब तक तुम अपने पिता को इस खबर के लिये तैयार करके आओ। ”
माइकल की समझ में आ गया कि वह चुहिया ठीक कह रही थी सो वह चुहिया को वहीं छोड़ कर अकेला ही घर वापस लौट गया।
सबसे बड़े भाई ने कहा — “मेरी वाली की तो बहुत सुन्दर आँखें है। ”
बीच वाले भाई ने कहा — “और मेरी वाली के तो बाल और मुस्कान दोनों ही बहुत सुन्दर है। तुमको शादी करने के लिये कोई लोमड़ी या भेड़िया मिला क्या?”
माइकल ने उनसे इतनी ज़ोर से कहा ताकि उसके पिता भी सुन लें — “तुम लोग मेरी चिन्ता मत करो। मुझे तो एक बहुत ही प्यारी और नाज़ुक सी चीज़ मिल गयी है। और वह मखमल के कपड़े पहनती है। ”
“मखमल के कपड़े?” कह कर उसके दोनों बड़े भाई ज़ोर से हँस पड़े। “तुमने तो लगता है कि उस उत्तरी जंगल और बरफ में कोई राजकुमारी ढूँढ ली है। ”
माइकल बोला — “हाँ मखमल के कपड़े। बिल्कुल राजकुमारियों की तरह से। और जब वह मेरे लिये गाती है तो उसकी मीठी आवाज तो मुझे बहुत ही अच्छी लगती है। ”
यह सुन कर उसके दोनों बड़े भाई उससे जलने लगे कि उनके छोटे भाई को तो उत्तर में भी इतनी अच्छी लड़की मिल गयी। पर इसमें वे क्या कर सकते थे।
कुछ दिन बाद पिता बोला — “मैं अभी भी यह तय नहीं कर पा रहा हूँ कि किसको सबसे अच्छी पत्नी मिली है। इसलिये मैं चाहता हूँ कि मेरी हर एक बहू मेरे लिये डबल रोटी बनाये ताकि मैं यह देख सकूँ कि वह तुमको ठीक से खाना खिला सकेगी भी या नहीं। ”
सुनते ही दोनों बड़े भाई अपने छोटे भाई माइकल से बोले — “मुझे मालूम है कि मेरी वाली सबसे अच्छी डबल रोटी बनायेगी। पर माइकल तुम्हारी राजकुमारी?”
माइकल बोला — “यह तो मुझे उससे पूछना पड़ेगा। ”
पर असल में तो वह चिन्ता कर रहा था कि उसकी चुहिया डबल रोटी बनायेगी भी कैसे। फिर भी वे तीनों भाई एक साथ घर से निकल पड़े अपनी अपनी होने वाली पत्नियों से डबल रोटी बनवाने के लिये।

छोटी चुहिया ने जब माइकल को वापस आते देखा तो वह तो गाने नाचने लगी। और जब उसने आ कर उसे यह बताया कि उसको डबल रोटी बनानी है तो वह हँस दी।
माइकल बोला — “मैं तो तुमसे यह कहते हुए डर रहा था कि तुम डबल रोटी बना दो। ”
वह फिर हँसी और एक छोटी सी घंटी बजा कर बोली — “तुमको तुम्हारी डबल रोटी जरूर मिलेगी माइकल। बस ज़रा सा इन्तजार करो। ”
माइकल ने देखा कि छोटी चुहिया के घंटी बजाते ही दरवाजे से सैंकड़ों की तादाद में चूहे चले आ रहे हैं। छोटी चुहिया ने उनसे कहा — “तुम सब जाओ और गेहूँ के सबसे बढ़िया वाले दाने ले कर आओ। ”
वे सब चूहे तुरन्त ही वहाँ से भाग गये और कुछ ही देर में गेहूँ के सबसे बढ़िया वाले दाने ले कर वहाँ आ गये। छोटी चुहिया ने उन गेहूँ के दानों से डबल रोटी बनानी शुरू कर दी।
माइकल बड़े आश्चर्य से उस छोटी चुहिया को उन गेहूँ के दानों से डबल रोटी बनाते देखता रहा।
अगले दिन तीनों भाई अपनी अपनी डबल रोटियाँ ले कर अपने पिता के पास पहुँचे। सबसे बड़ा भाई राई की बनी डबल रोटी ले कर आया था। बीच वाला भाई जौ की बनी डबल रोटी ले कर आया था।
पिता ने उन दोनों की डबल रोटियाँ चखीं और कहा कि उनकी होने वाली पत्नियों ने बहुत अच्छी डबल रोटियाँ बनायी हैं। देहाती लड़कियों को जैसी डबल रोटी बनानी चाहिये उन्होंने वैसी ही डबल रोटियाँ बनायी है। वह सन्तुष्ट था कि शादी के बाद उसकी दोनों बहुएँ उसके बेटों को ठीक से खाना खिलाती रहेंगीं।
तब माइकल ने अपनी सफेद डबल रोटी अपने पिता को दी। पिता ने उसको भी देखा और चखा तो बोला — “अरे यह तो बहुत सुन्दर सफेद डबल रोटी है जरूर किसी अच्छे और मँहगे अनाज की होगी। लगता है कि तुम्हारी होने वाली पत्नी बहुत अमीर है। ”
माइकल बोला — “उसने तो बस घंटी बजायी और उसके नौकर उसके लिये डबल रोटी बनाने का आटा ले कर आ गये। और उसने फिर डबल रोटी बना दी। ”
दोनों बड़े भाई बहुत खुश हुए जब उनके पिता ने कहा — “अब हम एक और इम्तिहान लेंगे। तुम सबकी होने वाली पत्नियों को एक काम और करना पड़ेगा। मैं देखना चाहता हूँ कि वे सिलाई भी कर सकती हैं या नहीं। तुम लोग उनके हाथ के बुने हुए कपड़े का नमूना ले कर आओ”
यह सुन कर दोनों बड़े भाई तो खुश थे क्योंकि वे जानते थे कि उनकी होने वाली पत्नियाँ कपड़ा बुनना जानती थीं पर वे यह तो सोच भी नहीं सकते थे कि कोई राजकुमारी भी कपड़ा बुन सकती है तो उनके छोटे भाई का क्या होगा।
माइकल भी चिन्तित था। वह भी यही सोचता था कि कोई चुहिया भी कपड़ा बुन सकती है क्या। फिर भी वह सोच कर मुस्कुराया कि अगर वह चुहिया कपड़ा न भी बुन सकेगी तो भी कम से कम वह उस बोलने वाली चुहिया से फिर से मिल तो सकेगा।
जब माइकल चुहिया के पास पहुँचा तो चुहिया उसको देख कर फिर बहुत खुश हो गयी। वह तुरन्त ही माइकल के खुले हाथों पर चढ़ गयी और वहाँ नाचने लगी।
माइकल बोला — “मै तुमको देख कर बहुत खुश हूँ चुहिया रानी लेकिन...”
“लेकिन क्या माइकल। क्या तुम्हारे पिता को कुछ और चाहिये?”
“वह तुम्हारे हाथ के बुने हुए कपड़े का नमूना देखना चाहते हैं। क्या तुम कपड़ा बुन सकती हो? मैंने तो कभी सुना नहीं कि कोई चुहिया भी कपड़ा बुन सकती है। ”
यह सुन कर चुहिया फिर हँसी और एक बार फिर उसने अपनी छोटी घंटी बजायी और एक बार फिर उसी दरवाजे से सैंकड़ों की तादाद में चूहे वहाँ आ गये। वे अपनी राजकुमारी के हुकुम के लिये उसकी तरफ देखने लगे।
चुहिया ने उनसे कहा — “जाओ और सबसे बढ़िया अलसी की रुई ले कर आओ। ”
जब वे अलसी की रुई ले आये तो उस चुहिया ने उस रुई का बहुत ही बढ़िया धागा कातना शुरू किया। धागा कातने के बाद उसने उसका एक बहुत ही बढ़िया रूमाल बुना। वह इतना बढ़िया और बारीक बुना हुआ था कि उसने उसको बुनने के बाद गिरी के एक खोल में रख दिया।
फिर वह माइकल से बोली — “लो इस गिरी के खोल को तुम अपने पिता के पास ले जाओ। इससे उनको पता चल जायेगा कि मैं कपड़ा भी बुन सकती हूँ या नहीं। ”

जब तीनों भाई अपने पिता के पास पहुँचे तो दोनों बड़े भाई मुस्कुराये। उनको ऐसा लग रहा था कि जैसे उनके सबसे छोटे भाई के पास कोई बुना हुआ कपड़ा था ही नहीं।
इसका मतलब यह था कि उसकी होने वाली पत्नी उनके पिता को खुश नहीं कर पायेगी। जबकि माइकल ने गिरी का वह खोल जिसमें उसका बुना हुआ कपड़ा रखा था अपनी जेब में रखा हुआ था।
पिता ने दोनों बड़े बेटों के लाये हुए कपड़े देखे। उसने कहा — “तुम लोगों की होने वाली पत्नियाँ तुम्हारे लिये अच्छा कपड़ा बनायेंगी और तुमको ठीक से कपड़े पहनायेंगी और गरम रखेंगी। उनका काम सादा है पर समय के साथ साथ सुधरता जायेगा। ”
फिर उसने माइकल से पूछा — “बेटे तुम्हारी होने वाली पत्नी के हाथ का बुना कपड़ा कहाँ है। क्या तुम्हारी होने वाली पत्नी भी तुम्हारे लिये कोई कपड़ा बुन सकी?”
माइकल ने अपनी जेब से गिरी का एक खोल निकाला और अपने पिता को दे दिया।
उसके भाई तो उसको देखते ही हँस पड़े — “तो तुम्हारी राजकुमारी ने हमारे पिता को कपड़े की बजाय गिरी का एक खोल भेजा है। ”
तब उनके पिता ने गिरी के उस खोल को खोला तो देखा कि उसके अन्दर तो तह किया हुआ एक बहुत बढ़िया कपड़ा रखा था। उसने उसकी तह खोली तो देखा कि वह तो दुनिया का सबसे अच्छा कपड़ा था। उसने तो इतना अच्छा कपड़ा पहले कभी देखा ही नहीं था।
उसको देख कर तो उसके बड़े भाइयों की हँसी रुक गयी। पिता को भी उस कपड़े को देख कर बहुत आश्चर्य हुआ।
वह भी बोला — “यह तो बहुत सुन्दर काम है। तुम्हारी होने वाली पत्नी इतना सुन्दर और बढ़िया कपड़ा कैसे बुन पायी?”
माइकल बोला — “उसने अपनी छोटी सी घंटी बजायी और उसके नौकर उसके लिये अलसी की रुई ले आये। तब उसने उसका धागा बनाया और फिर यह रूमाल बुन दिया। ”
पिता बोला — “यह सब तो बहुत अच्छा था अब मैं तुम लोगों की होने वाली पत्नियों से मिलना चाहूँगा ताकि फिर तुम लोगों की शादी की जा सके सो तुम उनको यहाँ ले कर आओ। ”
यह सुन कर माइकल ने सोचा कि अगर मैं अपनी होने वाली पत्नी को यहाँ ले कर आऊँगा तो मेरे बड़े भाई जब यह देखेंगे कि इसकी होने वाली पत्नी तो एक चुहिया है मुझ पर हँसेंगे। और मेरे पिता भी मेरी उससे शादी करने पर राजी नहीं होंगे। पर मैं उस सबकी चिन्ता नहीं करता।
उसने मेरे लिये डबल रोटी बनायी। उसने मेरे लिये कपड़ा बुना। वह गाती है वह नाचती है वह बहुत दयालु भी है। मैं तो बस उसी की परवाह करता हूँ चाहे वह एक चुहिया ही सही। ”
यही सोच कर वह फिर से चुहिया के घर की तरफ चल दिया ताकि वह उसको साथ ले कर अपने पिता से मिलवाने के लिये उनके पास आ सके।
वह फिर से उसी झोंपड़ी में जा पहुँचा। उसको देखते ही चुहिया फिर से उसके हाथों में चढ़ गयी।
माइकल ने उससे कहा कि उसके पिता उससे मिलना चाहते हैं।
छोटी चुहिया तो यह सुन कर खुशी से पागल सी हो गयी। उसने अपनी वह छोटी सी घंटी एक बार फिर बजायी तो पहले की तरह से फिर से वहाँ सैंकड़ों चूहे दरवाजे से अन्दर आ गये। उसने उनसे कहा कि वे उसकी गाड़ी तैयार करें।
जल्दी ही गिरी का एक खोल वहाँ आ गया। उस गिरी के खोल को दो चूहे खींच रहे थे। एक चूहा उस गाड़ी के कोचवान की जगह बैठ गया। दूसरा चूहा एक नौकर की तरह उस गाड़ी के पीछे एक बक्से पर बैठ गया। उस नौकर चूहे ने छोटी चुहिया को गाड़ी में बिठाया और गाड़ी वहाँ से चल दी।
माइकल भी मुस्कुराता हुआ अपनी होने वाली पत्नी की गाड़ी के साथ साथ अपने पिता के घर चल दिया।
वह चुहिया से कहता जा रहा था — “मेरे भाई मुझ पर हँस सकते हैं। यहाँ तक कि मेरे पिता भी शायद इस शादी से खुश नहीं होंगे पर मैं इस बात की चिन्ता नहीं करता। मैं हमेशा तुम्हारी रक्षा करूँगा। और तुम और मैं हमेशा खुश रहेंगे। मैं तुमको उसी तरह से रखूँगा जैसे कोई अपनी असली पत्नी को रखता है। ”
जब वे जा रहे थे तो उनको एक पुल पार करना था। यह पुल जंगल पार करके एक नदी पर बना हुआ था।
जब माइकल यह सब कह रहा था तभी वे उस पुल पर पहुँचे तो वहाँ हवा इतने ज़ोर से चल रही थी कि गिरी के खोल की वह गाड़ी, उस गाड़ी का कोचवान, उसके दोनों काले चूहे जो उस चुहिया की गाड़ी खींच रहे थे, चुहिया राजकुमारी और उसके दोनोंं नौकर सब उस हवा में उड़ गये और नदी में डूब गये। और माइकल उनको गिरने से रोक भी न सका।
उसकी आँखों में आँसू आ गये। उसके मुँह से निकला — “ओह छोटी चुहिया, मुझे तुम्हारे इस तरह पानी में गिरने का बहुत अफसोस है। तुम मेरे ऊपर कितनी मेहरबान थीं। मुझे तुम्हारे साथ बात करना और तुम्हारा गाना बहुत याद आयेगा। और अब जब तुम चली गयी हो मुझे तब पता चल रहा है कि मैं तो तुमको अपनी असली पत्नी की तरह से ही चाहता था। ”

जब वह ऐसा बोल रहा था तभी उसने देखा कि एक बहुत बड़ी सुनहरी गाड़ी जिसको दो बहुत सुन्दर घोड़े खींच रहे थे नदी के किनारे किनारे आ रही थी।
एक लम्बा सा नौकर उस गाड़ी के पीछे खड़ा हुआ था। एक बहुत सुन्दर लड़की उस गाड़ी में बैठी हुई थी। इतनी सुन्दर लड़की तो माइकल ने पहले कभी देखी नहीं थी।
वह खुद बरफ जैसी सफेद थी। उसके होठ बैरीज़ जैसे लाल थे। उसने सफेद मखमल के कपड़े पहने हुए थे और अपने सुनहरे बालों में बहुत सारे जवाहरात पहने हुए थे।
उसने माइकल को पुकार कर कहा — “क्या तुम मेरे साथ मेरी गाड़ी में बैठना पसन्द नहीं करोगे माइकल? मैं अपने होने वाले पति के पिता से मिलने जा रही हूँ। ”
माइकल कुछ दुखी आवाज में बोला — “नहीं मैं नहीं बैठ सकता। मेरी अपनी होने वाली पत्नी तो यहाँ नदी में डूब गयी है। ”
उस सुन्दर लड़की ने कहा — “तुमने मुझे नहीं खोया है माइकल। मैं ही तुम्हारी वह छोटी चुहिया हूँ। मैंने ही तुम्हारे पिता के लिये डबल रोटी बनायी थी मैंने ही तुम्हारे पिता के लिये कपड़ा बुना था।
मैं अब तक एक जादू के ज़ोर में थी जिसने मुझे एक चुहिया बना दिया था। जब तुमने कहा कि तुम मुझे प्यार करते हो बस तभी मेरा वह जादू टूट गया और मैं फिर से आदमी बन गयी। चलो अब हम तुम्हारे पिता के पास चलते हैं ताकि वह हमारी शादी की इजाज़त दे दें। ”
फिर वे माइकल के पिता के घर पहुँचे। वहाँ जा कर वह उन लडकियों से मिला जो उसके भाइयों से शादी करने वाली थीं।
पिता ने सबको अपना आशीर्वाद दिया और अपने सब बेटों की शादी उनकी लायी हुई लड़कियों से शादी कर दी।
माइकल के दोनों बड़े भाई अपने पिता के खेत पर अपनी अपनी पत्नियों के साथ आराम से रहे। माइकल अपनी चुहिया के साथ उसके राज्य चला गया। वहाँ वे जब तक ज़िन्दा रहे खुशी खुशी रहे।

(सुषमा गुप्ता)

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