चोर और कुरसी : इथियोपिया की लोक-कथा

Chor Aur Kursi : Ethiopia Folk Tale

कुछ समय पुरानी बात है कि इथियोपिया के डेसी शहर में एक चोर रहता था। यह चोर अपने काम में बहुत चतुर था। उसने अपनी चतुराई से अब तक बहुत सारी चीज़ें चुरा लीं थीं, जैसे किताबें, घोड़े, कपड़े, खाना आदि।

उस चोर में एक खूबी थी कि वह जो भी चाहता था चुरा लेता था कोई उसको पकड़ नहीं सकता था। उसकी चोरी की एक कहानी बहुत मशहूर है, आज हम तुम्हें वही कहानी सुनाते हैं।

एक दिन यह चोर एक कैफे में गया। वहाँ वह आम लोगों की तरह मेज पर नहीं बैठा। वह उस कमरे में चारों तरफ घूमने लगा। उसने वहाँ दीवारों पर लगी तस्वीरों की तरफ देखा, उसने अलमारी में रखी बोतलों की तरफ देखा, उसने अपने चारों तरफ बैठे आदमियों की तरफ देखा।

फिर इधर उधर देख कर उस चोर ने एक कुरसी उठायी और उसे लिये लिये दरवाजे की तरफ बढ़ चला। वह दरवाजे के बाहर निकला। उसने सड़क पार की। सड़क पार करने के बाद उसने वह कुरसी अपनी कमर पर रखी और धीरे धीरे सामने वाले मैदान की तरफ चल दिया।

पहले तो कैफे का वेटर उसको देखता रहा। उसकी समझ में ही नहीं आया कि वह आदमी कर क्या रहा है पर बाहर जाने के कुछ समय बाद तक भी जब वह कैफे के अन्दर नहीं लौटा तो वह कुछ घबराया।

वह कैफे के बाहर की तरफ भागा और चोर को इधर उधर देखने की कोशिश की तो वह उसे दिखायी दे गया। वह बड़े आराम से कुरसी उठाये हुए सामने वाला मैदान पार कर रहा था।

वह वहीं से चिल्लाया - "रुक जाओ, यह कुरसी वापस लाओ। यह कैफे की कुरसी है।"

चोर ने उसकी आवाज सुनी तो वह रुक गया। वह डरा नहीं, वह जानता था कि उसको क्या करना है। उसने वह कुरसी आराम से जमीन पर रख दी और उस पर आराम से बैठ गया।

जब वेटर ने उसको मैदान में कुरसी पर बैठे देख लिया तो उसकी जान में जान आयी। उसने सोचा कि यह अच्छा हुआ वह बैठ गया। अब वह कैफ़े की कुरसी आसानी से वापस ले कर आ सकता है।

ऐसा सोच कर वह आगे बढ़ता रहा। जब वेटर चोर के काफी पास पहुँच गया तो चोर ने वेटर को ऐसे आवाज लगायी जैसे वह कैफे में बैठा हो - "वेटर, इधर आओ।"

वेटर तुरन्त बोला - "साब, क्या चाहिये?"

चोर बोला - "एक प्याला कौफी।"

वेटर ने पूछा - "चीनी वाली या बिना चीनी वाली?"

चोर बोला - "चीनी वाली।"

वेटर तुरन्त ही चोर से आर्डर ले कर उलटे पैरों वापस कैफे की तरफ लौट पड़ा चोर ग्राहक के लिये चीनी वाली कौफी लाने। उधर वेटर के जाते ही चोर ने कुरसी उठायी और अपने रास्ते चल दिया।

है न मजेदार कहानी? नहीं नहीं, यह कहानी नहीं है यह तो सच्ची घटना है।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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