चोलू दे दो : उत्तर प्रदेश की लोक-कथा
Cholu De Do : Lok-Katha (Uttar Pradesh)
पति और पत्नी थे। पत्नी परिश्रम से जी चुराती थी। बैठे-बैठे वह देवता से मांगती रहती थी। जब उसका घाघरा फट गया तो वह धनेश्वर देवता के मन्दिर जाने लगी और घाघरा मांगने लगी। प्रतिदिन वह पूजा की थाली लेकर मन्दिर जाती और घाघरे की मांग करती। एक दिन उसका पति पीछे से चला गया। उसने अपनी पत्नी का सारा नाटक देखा। उसकी पत्नी ने देवता को धूप-दीप कर चढ़ावा भी चढ़ाया और हाथ जोड़कर मांगने लगी “धनेश्वर देवता, घाघरा दे दो। धनेश्वर देवता, घाघरा दे दो।”
जब उसके पति से रहा नहीं गया तो वह पीछे से बोल पड़ा- “अगर उन की पिंजाई-कताई नहीं करोगी और चोलू के लिए परिश्रम नहीं करोगी तो धनेश्वर देवता घाघरा क्यों देगा?” (साभार : प्रियंका वर्मा)