चिंकी और जादुई पेन (बाल कहानी) : डॉ. मुल्ला आदम अली

Chinki Aur Jadui Pen (Hindi Children's Story) : Dr. Mulla Adam Ali

गर्मियों की छुट्टियाँ थीं और गाँव के छोटे से स्कूल में पढ़ने वाली चिंकी रोज़ घर पर कुछ न कुछ नया करने की कोशिश कर रही थी। किताबों से उसे बहुत लगाव था और वह अक्सर अपनी नानी से कहानियाँ सुनती रहती थी।

एक दिन जब वह घर की पुरानी अलमारी साफ़ कर रही थी, उसे एक लकड़ी का पुराना डिब्बा मिला। डिब्बे के ऊपर सुनहरे अक्षरों में लिखा था—"कल्पनाओं का पेन"। उसने आश्चर्य से डिब्बा खोला, तो अंदर एक नीली स्याही वाला पेन रखा हुआ था। पेन देखने में साधारण था, लेकिन उसे हाथ में लेते ही जैसे बिजली सी दौड़ गई।

चिंकी ने पेन से सबसे पहले एक छोटी सी चिड़िया बनाई। जैसे ही उसने बिंदु लगाया, चिड़िया ज़िंदा हो गई और कमरे में उड़ने लगी! चिंकी की आँखें खुशी और हैरानी से चमक उठीं। यह कोई साधारण पेन नहीं था, यह सचमुच जादुई पेन था।

अब चिंकी का मन कुछ बड़ा करने को हुआ। उसने अगले दिन अपने गाँव के लिए एक सुंदर बग़ीचा बना दिया—कागज़ पर! और फिर जैसे ही आखिरी पेड़ पर रंग भरा, हकीकत में गाँव के बाहर एक सुंदर बग़ीचा उग आया, जिसमें तरह-तरह के फूल और पक्षी थे।

गाँव के लोग बहुत खुश हुए। उन्होंने सोचा कि यह किसी देवता का चमत्कार है। लेकिन चिंकी को मालूम था कि यह सब उसके पेन का कमाल है। उसने किसी को कुछ नहीं बताया।

फिर एक दिन गाँव में बहुत ज़ोर की आँधी आई। आँधी में स्कूल की छत उड़ गई, पेड़ गिर गए और बिजली के खंभे टूट गए। लोग घबरा गए। चिंकी ने चुपचाप एक नई, सुंदर और मजबूत स्कूल बिल्डिंग का चित्र बनाया और पेन से उसे रंग दिया। अगले दिन स्कूल की नई बिल्डिंग सबके सामने खड़ी थी, एकदम चमचमाती और मजबूत!

अब गाँव वाले सोच में पड़ गए—ये चमत्कार कौन कर रहा है?

चिंकी के दोस्त गुड्डू ने उसे एक दिन पेन से कुछ बनाते हुए देख लिया। वह दौड़कर बाकी बच्चों को ले आया। सबने देखा कि जो चिंकी बनाती है, वो सच हो जाता है।

गुड्डू ने कहा, "ये पेन तो गाँव की सबसे बड़ी ताक़त है! हम इससे सब कुछ बना सकते हैं!"

लेकिन चिंकी ने मुस्कुराकर कहा, "पेन ताक़तवर ज़रूर है, लेकिन उसका इस्तेमाल सोच-समझकर और दूसरों की भलाई के लिए ही करना चाहिए।"

उस दिन के बाद चिंकी और उसके दोस्त मिलकर गाँव की ज़रूरतें पूरी करने में जुट गए। उन्होंने सड़कें बनाई, किताबें बनाईं, और यहाँ तक कि एक छोटा अस्पताल भी बना दिया। पेन केवल उनके भले कामों के लिए था।

पर एक दिन, गाँव में एक लालची आदमी आया। उसे जब पेन के बारे में पता चला, तो उसने उसे चुराने की कोशिश की। लेकिन जैसे ही उसने पेन उठाया, वह पेन राख बनकर उड़ गया।

चिंकी उदास हो गई। लेकिन उसी रात सपने में एक बूढ़े बाबा आए और बोले, "तुमने इस पेन का सही इस्तेमाल किया, अब तुम्हें इसकी ज़रूरत नहीं, क्योंकि अब तुम्हारा मन ही जादुई बन चुका है।"

सुबह उठते ही चिंकी ने अपनी खुद की कहानी लिखी—बिना जादुई पेन के। और क्या मज़े की बात थी, उसकी कहानी स्कूल की पत्रिका में छपी और सबने खूब तारीफ की।

अब चिंकी सब बच्चों को सिखाती है—"कल्पनाओं की सबसे बड़ी ताक़त हमारे मन में होती है। बस हमें उसे पहचानना होता है।"

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