चिड़ियें, जानवर और बढ़ई : अलिफ़ लैला

Chidiyen Janwar Aur Badhayi : Alif Laila

जानवरों की यह कहानी बहुत ही मजेदार है। हो सकता है कि तुम इसको बार बार पढ़ना पसन्द करो और हर किसी को खास करके अपने छोटे भाई बहिनों को बार बार सुनाना पसन्द करो।

बहुत पुरानी बात है कि एक मोर अपनी पत्नी के साथ एक समुद्र के किनारे रहता था। वहाँ बहुत सारे जंगली जानवर रहते थे इसलिये वह और उसकी पत्नी रात को एक पेड़ की शाख पर सोया करते थे और रात को ही खाने की खोज में भी निकला करते थे। पर दिन ब दिन उनका डर बढ़ता ही जाता था सो एक दिन उन्होंने वहाँ से कहीं और जाने का इरादा कर लिया। वे अपने घर के आस पास चारों तरफ घूमे और उन्होंने एक टापू ढूँढ लिया जहाँ बहुत सारे नाले थे और बहुत सारे फलों के पेड़ थे। सो वे दोनों वहीं चले गये और जा कर वहीं रहने लगे।

कुछ समय बाद जहाँ वे मोर और मोरनी रह रहे थे उस पेड़ के नीचे एक बतख आयी। उन्होंने उस बतख से उसके बारे में पूछा तो बतख बोली — “मैं तो इस आदमी से बहुत परेशान हूँ,।”

मोर बोला — “डरो नहीं। तुम्हारी हिफाजत करने के लिये हम लोग यहाँ हैं।”

बतख यह सुन कर बहुत खुश हुई और उसने अल्लाह का बहुत बहुत शुक्रिया अदा किया।

मोरनी बोली — “समुद्र में से हो कर इस टापू पर कोई आदमी कैसे आ सकता है? इसलिये तुम खुश रहो और उस आदमी की बिल्कुल चिन्ता न करो जिससे तुम इतनी परेशान हो।”

इस पर बतख बोली — “मैं तो वहाँ खुशी खुशी रह ही रही थी कि एक रात जब मैं सो रही थी तो एक आवाज ने मुझसे कहा — “तुमको आदमी से बहुत सावधान रहना चाहिये। उसका कभी विश्वास न करना क्योंकि वह बहुत ही चालाक होता है। वह समुद्र से मछली बाहर निकाल सकता है, वह चिड़ियों को अपनी गोली का निशाना बना सकता है। और यही नहीं वह तो हाथी को भी अपने जाल में फाँस सकता है। उसकी शरारतों से कोई नहीं बच सकता। वह बहुत ही ताकतवर है।”

मैं तुमको वही बता रही हूँ जो मैंने सुना। बस उस दिन से मैं इतनी डर गयी कि मेरा डर गया ही नहीं। मैं इधर गयी, मैं उधर गयी। फिर में एक पहाड़ पर आयी। वहाँ मैंने एक शेर के बच्चे को एक गुफा के दरवाजे पर बैठे देखा। वह मुझे देख कर बहुत खुश हुआ और उसने मुझे अपने पास बुलाया।

जब मैं उसके पास पहुँची तो उसने मुझसे पूछा — “तुम्हारा नाम क्या है और तुम्हारा स्वभाव कैसा है?”

मैंने कहा — “मेरा नाम बतख है और मैं एक किस्म की चिड़िया हूँ। पर तुम यहाँ क्या कर रहे हो?”

शेर का बच्चा बोला — “मेरे पिता ने मुझे आदमी के बारे में सावधान कर दिया है कि मैं उससे बच कर रहूँ पर इस रात मैंने सपने में एक आदमी देखा।”

बतख आगे बोली — “और फिर उसने मुझे आदमी के बारे में वही बताया जो मैंने तुमको अभी बताया।

सो मैंने उस शेर के बच्चे से कहा — “ओ शेर के बच्चे, मैं तुम्हारी शरण में आ जाती हूँ क्योंकि तुम तो उसको मार सकते हो। आखिर तुम तो जानवरों के राजा हो न।” और मैंने उससे आदमी को मारने की प्रार्थना की।

वह शेर का बच्चा वहाँ से तुरन्त ही उठ गया और सड़क की तरफ भागा। मैं उसके पीछे पीछे भागी। भागते भागते हम दोनों सड़क की एक ऐसी जगह आ गये जहाँ से सड़क दो तरफ जाती थी। वहाँ एक नंगा गधा धूल में लोट रहा था।

शेर के बच्चे ने उससे पूछा — “तुम्हारी किस्म क्या है और तुम यहाँ क्यों आये हो?”

गधा बोला — “मेरी किस्म गधा है और मैं आदमी से दूर भाग रहा हूँ।”

शेर के बच्चे ने पूछा — “क्या तुम डरते हो कि वह तुमको मार देगा?”

गधा बोला — “नहीं नहीं वह बात नहीं। मैं डरता हूँ कि वह मुझ पर काठी रख देगा, फिर वह मुझ पर सवारी करेगा और मुझे मेरी ताकत से भी ज़्यादा भगायेगा।

और अगर मैं रेंकूँगा तो वह मुझे मारेगा। जब मैं बूढ़ा हो जाऊँगा तो वह मुझको पानी ढोने वालों को दे देगा जो मेरे ऊपर फिर पानी ढोयेंगे।”

सो ओ मोरनी, जब मैंने गधे से यह सब सुना तो मैं तो काँप गयी और मैंने शेर के बच्चे से कहा — “तुमने सुना? मैं इस सबसे बहुत डरती हूँ।”

शेर के बच्चे ने गधे से फिर पूछा — “तो फिर अब तुम कहाँ जा रहे हो?”

गधा बोला —“मैंने आज सुबह सुबह एक आदमी देखा था सो अब मैं वहाँ जा रहा हूँ जहाँ मुझे वह आदमी न ढूँढ सके।”

जब हम लोग ये बातें कर रहे थे कि तभी धूल का एक और बादल उठा और एक घोड़ा हमने अपनी तरफ आता हुआ देखा।

शेर के बच्चे ने उससे पूछा — “तुम्हारी क्या किस्म है और तुम इस रेगिस्तान में इस तरह क्यों भागे जा रहे हो?”

घोड़ा बोला — “मेरा नाम घोड़ा है और मैं आदमी से भाग रहा हूँ।”

शेर का बच्चा बोला — “तुमको यह कहते हुए शरम आनी चाहिये। तुम इतने शाही जानवर हो कर भी आदमी से डर कर भाग रहे हो? देखो, मुझे देखो। मैं इतना छोटा हूँ फिर भी मैंने यह सोच लिया है कि मैं उस आदमी का सामना करूँगा जिससे सब डरते हैं और उसे खा जाऊँगा ताकि मैं इस बतख की रक्षा कर सकूँ। पर तुम तो जो मैंने तय किया है उससे वापस लौटे जा रहे हो। तुमने कहा कि तुमको आदमी ने गुलाम बना रखा है और तुम उस को जीत नहीं सके।”

घोड़ा हँसा और बोला — “हाँ तुम ठीक कह रहे हो। मैंने अभी तुमको यही कहा। असल में उसको जीतना मेरी ताकत से बाहर है। वह मुझे बाँध सकता है, वह मुझ पर सवारी कर सकता है और जब मैं बूढ़ा और कमजोर हो जाऊँगा तो वह मुझको मशीन चलाने वाले को बेच देगा जो मुझसे मशीन घुमवाता रहेगा। मेहरबानी करके मुझे इन सब मुसीबतों की याद मत दिलाओ जो वह मुझे देगा।”

शेर का बच्चा यह सुन कर बहुत गुस्सा हुआ। उसने घोड़े से पूछा — “तुमने उसको कब छोड़ा था?”

घोड़ा बोला — “मैंने उसको दोपहर को छोड़ा था और तभी से वह मेरे पीछे है।” कह कर वह घोड़ा वहाँ से दौड़ता हुआ चला गया।

जब शेर का बच्चा घोड़े से इस तरह की बातें कर रहा था तो उसने एक और धूल का बादल अपनी तरफ उड़ता हुआ आता हुआ देखा।

उसमें से एक गुस्से से भरा एक ऊँट निकल कर आ रहा था। जब उस छोटे से शेर के बच्चे ने उस बड़े से ऊँट को देखा तो उसको लगा कि आदमी आ गया। वह उस पर कूदने को ही था कि मैंने उससे कहा — “ओ राजकुमार, यह आदमी नहीं है। यह तो ऊँट है और इसके भागने से ऐसा लग रहा है कि यह भी आदमी से डर कर भाग रहा है। तुम इससे ज़रा पूछ कर देखो तो कि यह इस तरह से क्यों भागा आ रहा है।”

इतने में ऊँट दौड़ता दौड़ता वहाँ आ गया। आ कर उसने शेर के बच्चे को सलाम किया।

शेर के बच्चे ने पूछा — “तुम इतनी तेज़ तेज़ क्यों भागे आ रहे हो?”

ऊँट बोला — “ओ राजकुमार, मैं आदमी से डर कर भाग रहा हूँ।”

शेर के बच्चे ने फिर पूछा — “ऐसा कैसे हुआ कि तुम इतने बड़े हो कर आदमी से भाग रहे हो? अगर तुम उसको अपने एक पैर से भी मारोगे तो भी वह मर जायेगा।”

ऊँट बोला — “ओ सुलतान के बेटे, तुम उसे नहीं जानते। उसके सामने कोई खड़ा नहीं हो सकता। वह मेरी नाक में रस्सी डालेगा और उस रस्सी को अपने छोटे छोटे बच्चों को पकड़ा देगा और फिर उनके पीछे पीछे मुझे चलना पड़ेगा।

वह मुझसे दिन रात कड़ी मेहनत करवायेगा। फिर जब मैं बूढ़ा और कमजोर हो जाऊँगा तो वह मुझे किसी कसाई को बेच देगा जो मुझे मार कर मेरी खाल और मेरा माँस दोनों बेच देगा। मेरी उन मुसीबतों को न पूछो जो मुझे आदमी के हाथों सहनी पड़ती हैं।”

शेर के बच्चे ने फिर पूछा — “तुमने आदमी को कब छोड़ा?”

ऊँट बोला — “शाम को। और वह मेरे पीछे ही आ रहा होगा। मुझे जंगल में जाने दो राजकुमार मुझे रोको नहीं।”

शेर का बच्चा बोला — “तुम तब तक इन्तजार करो जब तक मैं उसको फाड़ कर उसका माँस तुमको खाने के लिये नहीं दे देता।”

ऊँट बोला — “मुझे डर है कि राजकुमार कि वह बहुत ही चालाक है।”

जब ऊँट शेर के बच्चे से ऐसी बातें कर रहा था कि एक और धूल का बादल उठा और एक बहुत ही पतला दुबला आदमी उसमें से प्रगट हुआ।

उस आदमी के कन्धे पर बढ़ई के औजारों वाली एक टोकरी रखी थी। उसके सिर पर पेड़ की एक शाख और आठ लकड़ी के तख्ते रखे हुए थे। कुछ बच्चे उसका हाथ पकड़े पकड़े चल रहे थे। वह बहुत धीरे धीरे चला आ रहा था। वह तब तक कहीं नहीं रुका जब तक कि वह शेर के बच्चे के पास तक नहीं आ गया।

जब मैंने उसको देखा तो मैं तो डर के मारे नीचे गिर पड़ी पर वह शेर का बच्चा उठा और उससे मिलने के लिये आगे बढ़ा। शेर के बच्चे को अपनी तरफ आते हुए देख कर आदमी बोला — “ओ बादशाह। मेहरबानी करके मुझे इस धोखे से बचाइये।”

और वह उसके सामने रोने और शिकायतें करने लगा। उसका रोना और शिकायतों को सुनते हुए शेर का बच्चा बोला — “मैं तुमको इस डर से जरूर बचाऊँगा। मैं इस जंगल के राजा का बेटा हूँ। यह तो मेरा कर्तव्य है कि मैं इस जंगल में रहने वाले हर जीव की रक्षा करूँ। यह सब तुम्हारे साथ किसने किया है? और तुम हो कौन?

मैंने अपनी सारी ज़िन्दगी में तुम्हारे जैसा कोई और नहीं देखा। न ही तुम्हारे जैसी कोई सुन्दर शक्ल देखी है और न ही तुम्हारे जैसी किसी की मीठी बोली सुनी है।”

आदमी बोला — “ओ बादशाह, मैं एक बढ़ई हूँ और जिसने भी मेरे साथ बुरा किया है वह आदमी है। इस रात के बाद कल की सुबह वह आपके साथ होगा।”

यह सुन कर तो शेर का बच्चा गुस्से से दहाड़ा और बोला — “अल्लाह की कसम, मैं उसका इन्तजार करूँगा और मैं तब तक अपने पिता के पास नहीं लौटूँगा जब तक मैं उसको जीत नहीं लूँगा।

मैं देख रहा हूँ कि तुम बहुत छोटे छोटे कदम रख रहे हो और तुम इन जंगली जानवरों के साथ ठीक से चल भी नहीं पा रहे हो। यह बताओ कि तुम जा कहाँ रहे हो?”

बढ़ई बोला — “मैं तो आपके पिता जी के वजीर लिंक्स के पास जा रहा हूँ। क्योंकि जब उन्होंने सुना कि उनके जंगल में एक आदमी ने कदम रखा है तो वह तो खुद ही उससे बहुत डर गये हैं। उन्होंने मुझे बुला भेजा है कि मैं उनके लिये एक घर बना दूँ ताकि उस घर में वह आदमी से बच कर रह सकें। कोई आदमी उन के घर में न आ सके। इसी लिये मैं ये तख्ते ले कर उधर ही की तरफ जा रहा हूँ। इन तख्तों से मैं उनके लिये घर बनाऊँगा।”

शेर के बच्चे ने जब यह सुना तो वह लिंक्स से जल उठा। उसको लगा कि उसके पिता के वजीर से पहले उसके लिये एक घर बनना चाहिये सो उसने बढ़ई से कहा — “अभी तुम्हें उसकी सहायता करने की कोई जरूरत नहीं है इन तख्तों से पहले तुम मेरे लिये एक घर बना दो।

जब तुम मेरा घर बना चुको तब तुम लिंक्स के पास जा सकते हो और उसके लिये वह सब कर सकते हो जो वह चाहे।”

बढ़ई बोला — “अल्लाह कसम मैं अभी आपके लिये घर नहीं बना सकता जब तक मैं लिंक्स के लिये घर न बना लूँ। पर हाँ जैसे ही मैं उनका घर बना कर खत्म कर लूँगा मैं आपके पास आ जाऊँगा और सबसे पहले आपका ही घर बनाऊँगा।”

शेर का बच्चा चीखा — “अल्लाह की कसम मैं भी तुमको यह जगह छोड़ने देने वाला नहीं जब तक कि तुम इन तख्तों से मेरे लिये घर नहीं बना देते।”

यह कह कर वह आदमी के ऊपर कूद पड़ा। उसने उसकी औजारों की टोकरी उसके कन्धे से गिरा दी और उसको भी जमीन पर गिरा कर उसको बेहोश सा कर दिया।

शेर का बच्चा फिर बोला — “तुम कमजोर हो, तुम्हारे अन्दर ताकत नहीं है तुमको आदमी से डरना चाहिये।”

यह सुन कर बढ़ई उससे बहुत नाराज हो गया पर प्रगट में मुस्कुरा कर बोला — “ठीक है, ठीक है। आप ठीक कह रहे हैं। मैं पहले आप ही के लिये घर बना दूँगा।”

कह कर वह शेर के बच्चे के लिये उन तख्तों से घर बनाने में लग गया।

उसने सबसे पहले उन तख्तों से जो वह अपने साथ लाया था एक बक्सा बनाया। उस बक्से का दरवाजा उसने खुला छोड़ दिया जिसके लिये उसने एक बड़ा मजबूत ढकना बनाया जिसमें बहुत सारे छेद थे।

फिर उसने एक हथौड़ा और कुछ पुरानी कीलें निकालीं और शेर के बच्चे से बोला — “अब इस खुली जगह के रास्ते से आप अपने घर में घुस जाइये ताकि मैं इसको आपके नाप का बना सकूँ।”

शेर का बच्चा अपने उस नये घर को देख कर बहुत खुश हुआ और उस बक्से में घुस गया। बढ़ई बोला — “अब आप इसमें अपनी टाँगों और हाथों को सिकोड़ कर बैठ जाइये।”

शेर के बच्चे ने वैसा ही किया पर उसकी पूँछ फिर भी बाहर ही रह गयी। वह बाहर आना चाहता था पर बढ़ई बोला — “ज़रा रुक जाइये। मुझे देखने दीजिये अगर मैं आपकी पूँछ के लिये भी थोड़ी सी जगह बना सकूँ तो।”

बढ़ई ने उसकी पूँछ भी किसी तरह से उस बक्से के अन्दर ठूँस दी। फिर उसने वह छेदों वाला ढक्कन उस बक्से के दरवाजे पर कीलों से जड़ दिया।

यह देख कर शेर का बच्चा चिल्लाया — “ओ बढ़ई, यह तुमने मेरे लिये कैसा तंग घर बनाया है? यह तो बहुत ही छोटा है। मुझे इसमें से बाहर निकालो। इसमें तो मेरा दम घुट रहा है।”

बढ़ई हँसते हुए बोला — “अब आप इसमें से बाहर नहीं निकल सकते ओ जंगल के राजकुमार। आप जाल में फँस चुके हैं और अब यहाँ से बचने का कोई रास्ता नहीं है।”

“यह तुम क्या कह रहे हो?”

“आप उसी जाल में फँस चुके हैं जिससे आप बहुत डर रहे थे।”

शेर के बच्चे ने जब यह सुना तब उसको पता चला कि यही वह आदमी था जिसके बारे में उसने इतना सब सुन रखा था। मैं भी वहाँ से थोड़ी दूर हट गयी यह देखने के लिये कि वह आदमी अब शेर के बच्चे का क्या करेगा।

उस बढ़ई ने उस बक्से के पास एक गड्ढा खोदा, बक्से को उस गड्ढे में फेंका और फिर मेरे तो डर का ठिकाना ही न रहा जब उसने उसमें आग लगा दी। शेर का बच्चा बेचारा वहीं जल कर मर गया।”

जब मोरनी ने बतख से यह कहानी सुनी तो उसने उसको उसकी सुरक्षा के लिये तसल्ली दी और उससे कहा कि क्योंकि वे लोग सब टापू पर थे इसलिये किसी आदमी का वहाँ आना बिल्कुल नामुमकिन था।

बतख बोली — “मुझे डर है कि मेरे ऊपर आज रात को ही कहीं कोई मुसीबत न आ पड़े क्योंकि मुझे फिर उससे कोई नहीं बचा सकता।”

वे लोग जब ये बातें कर रहे थे तो टापू पर धूल का एक बादल उड़ा और उनकी तरफ बढ़ा। जब वह बादल साफ हुआ तो उन्होंने देखा कि एक हिरन31 वहाँ खड़ा था।

मोरनी बोली — “अरे यह तो हिरन है। यह हमको कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता क्योंकि यह बेचारा तो केवल घास फूस खाता है।”

हिरन ने उन सबको सलाम किया और उनसे कहा — “मैं तो यहाँ केवल इसी लिये आया हूँ क्योंकि यहाँ बहुत सारी घास उगी हुई है। मेरा यहाँ आने का और कोई मतलब नहीं है।”

उसकी दोस्ती भरी बातें सुन कर वे सब बहुत खुश हुए। रात हो गयी थी सो खाना खा कर सब सो गये।

सबकी ज़िन्दगी खुशी खुशी चलते ज़्यादा दिन नहीं बीते थे कि एक दिन एक पानी का जहाज़ आया जो रास्ता भटक कर उधर आ निकला था। उस जहाज़ के आदमियों ने तुरन्त ही इन तीनों दोस्तों को देख लिया।

उनको आते देख कर मोरनी तो पेड़ के ऊपर जा बैठी। हिरन रेत के मैदान की तरफ भाग गया पर बतख तो डर के मारे वहीं की वहीं खड़ी रह गयी। सो उन्होंने उसका पीछा किया और उसको पकड़ कर अपने जहाज़ पर ले गये।

मोरनी तुरन्त उड़ कर हिरन के पास पहुँची। हिरन ने बतख के बारे में पूछा तो मोरनी ने उसे बताया कि दुश्मन उसको अपने जहाज़ पर ले गये हैं और हो सकता है कि अब तक उन्होंने उसको मार भी दिया हो।

मोरनी खुद भी बतख को इस बुरी हालत में फँसा देख कर उसकी वजह से वह टापू छोड़ना चाह रही थी पर हिरन ने उसकी इस सलाह को नहीं माना सो वे कुछ और दिनों तक वहीं साथ साथ रहे।

मोरनी बोली — “शायद बतख जहाज़ की वजह से नहीं मरी बल्कि वह इसलिये मरी क्योंकि उसने “अल्लाह की जय हो” नहीं कहा था। मुझे तुम्हारे लिये भी ओ हिरन यही डर लगता है क्योंकि तुम भी “अल्लाह की जय हो” नहीं बोलते।”

यह सुन कर हिरन ने भी “अल्लाह की जय हो” कहना शुरू कर दिया और फिर वे वहाँ बहुत दिनों तक आराम से रहे।

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