चिड़ा और मोर : अलिफ़ लैला

Chida Aur Mor : Alif Laila

एक बार की बात है एक चिड़ा रोज सुबह सुबह चिड़ियों के राजा से मिलने जाता था और सारा दिन उसकी सेवा में खड़ा रहता था। वह सबसे पहले वहाँ पहुँचता था और सबसे बाद में वहाँ से वापस आता था।

एक बार कुछ चिड़ियों ने एक पहाड़ पर एक मीटिंग की। उनमें से एक ने दूसरी से कहा — “हालाँकि हम लोग आपस में बहुत अलग अलग हैं पर अगर हमारा एक राजा हो जो हमारी देखभाल करता रहे तो इससे हमारे सारे भेद भाव खत्म हो जाते हैं और हम लोग एक हो जाते हैं।”

तभी वह चिड़ा वहाँ आया और उसने उन सबको मोर को अपना राजा चुनने की सलाह दी। यही मोर वह राजकुमार था जिसको वह चिड़ा रोज मिलने जाया करता था।

सो उन चिड़ियों ने उस मोर को अपना राजा चुन लिया और उस चिड़े को उसका वज़ीर बना दिया। अब वह चिड़ा उसकी सेवा में खड़े रहने की बजाय उसके और बहुत सारे दूसरे काम भी देखने लगा।

एक दिन ऐसा हुआ कि वह चिड़ा अपने समय पर राजा के पास नहीं आया तो मोर उसके बारे में चिन्तित हो गया। पर थोड़ी ही देर में वह चिड़ा आ गया।

मोर ने उससे पूछा — “वज़ीर जी आज तुमको देर क्यों हो गयी? तुम जानते हो कि तुम मेरे सारे नौकरों में मेरे सबसे ज़्यादा नजदीक हो और मेरे सबसे प्यारे लोगों में भी सबसे ज़्यादा प्यारे हो फिर भी ...।”

चिड़ा बोला — “राजा साहब, असल में मैं जब इधर आ रहा था तो मैंने एक चीज़ देखी जिस पर मुझे कुछ शक हो रहा है उससे मैं डर भी गया और उसी वजह से मुझे देर भी हो गयी।”

मोर ने पूछा — “और वह ऐसी क्या चीज़ है?”

चिड़ा बोला — “राजा साहब, मैंने एक आदमी को अपने घोंसले के पास एक जाल बिछा कर बैठे हुए देखा। उसने उस जाल के बीच में कुछ दाने बिखरा रखे थे और वह उनसे कुछ दूरी पर बैठा था।

मैं वहाँ बैठा देखता रहा कि वह क्या करता है। तभी मैंने देखा कि एक सारस और उसकी पत्नी उस जाल में फँस गये। वे दोनों रोने लगे।

शिकारी उठा और उन दोनों को उठा कर अपने घर ले गया। यही बात मुझे परेशान कर रही थी और यही वजह थी जिसकी वजह से मुझे आने में इतनी देर भी हो गयी। पर अब मैंने सोच लिया है कि मैं उस जाल के डर की वजह से उस घोंसले में नहीं रहूँगा।”

मोर बोला — “तुम अपना घर मत छोड़ो क्योंकि जो कुछ तुम्हारी किस्मत में लिखा है उसके खिलाफ कुछ नहीं हो सकता।”

चिड़ा उसकी बात मान गया और धीरज रख कर वहीं रहता रहा। वह अपना ख्याल रखता रहा और राजा के लिये खाना ले कर जाता रहा। राजा को उस खाने में से जो अच्छा लगता था वह वह खा लेता था फिर पानी पीता और बाद में चिड़े को वापस भेज देता।

एक दिन चिड़ा राजा के मामलों को देख रहा था कि उसने दो चिड़ों को जमीन पर लड़ते हुए देखा तो अपने मन में सोचा कि मैं जो राजा का वज़ीर हूँ तो उसका वज़ीर होने के नाते दो चिड़ों को लड़ते हुए कैसे देख सकता हूँ।

अल्लाह की कसम मुझे जा कर उनमें शान्ति करानी चाहिये। यह सोच कर वह उनमें शान्ति कराने के लिये उड़ा पर शिकारी ने तो अपना जाल सब तरफ फेंक रखा था और वह चिड़ा उनके बीच में जा कर फँस गया।

चिड़े के फँसते ही वह शिकारी उठा और उस चिड़े को यह कहते हुए अपने घर ले गया — “आज कितना सुन्दर चिड़ा मेरे हाथ लगा है। मैंने इतना सुन्दर और मोटा चिड़ा इससे पहले कभी नहीं देखा। आज तो मजा आ गया।”

उधर वह चिड़ा सोच रहा था — “मैं तो उसी जाल में फँस गया जिसका मुझे डर था और इस काम को भी किसी और ने नहीं बल्कि मोर ने खुद ने ही मुझे करने को कहा था। पर मुझे मोर को इस बात के लिये जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिये क्योंकि मेरी किस्मत तो मोर नहीं बदल सकता और अपनी किस्मत से तो मोर भी नहीं बच सकता।”

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