चतुर गवैया : इथियोपिया की लोक-कथा

Chatur Gavaiya : Ethiopia Folk Tale

बहुत पुरानी बात है कि इथियोपिया के एक गाँव में एक गवैया रहता था। किसी शादी के मौके पर या फिर किसी इज़्ज़तदार मेहमान के आने पर उसको वहाँ गाने के लिये बुलाया जाता था। उससे उसको जो पैसे मिल जाते थे उसी से वह अपना गुजारा करता था।

एक बार कुछ ऐसा हुआ कि उसके पास ऐसे बहुत सारे मौके आये जब उसको कई जगह गाने के लिये बुलाया गया और उसको बहुत सारी आमदनी हुई।

एक दिन उसने सोचा कि इतना सारा सोना घर में रखना ठीक नहीं है इसलिये इसको जमीन में कहीं गाड़ देना चाहिए। उसने एक थैले में अपना सारा सोना रखा और रात के समय उसको अपने घर के पीछे वाले बागीचे में गाड़ आया।

गवैये का पड़ोसी यह जानता था कि इस गवैये के पास बहुत सोना है इसलिए वह हमेशा उसकी चौकीदारी करता रहता था। उसने गवैये को अपना सोने का थैला गाड़ते हुए भी देख लिया था।

जब गवैया रात को अपने बागीचे में गया था तो उसके पड़ोसी ने सोचा कि जरूर ही वह अपना सोना गाड़ने गया होगा क्योंकि इसी लिये तो वह वहाँ रात को गया था।

काफी रात बीत जाने के बाद वह पड़ोसी गवैये के बागीचे में दबे पाँव चुपचाप गया और बिना कोई आवाज किये वह जगह खोद कर उसके सोने का थैला निकाल लिया।

उसने थैला खोल कर देखा तो उस थैले में तो सचमुच ही सोना भरा था। वह बहुत खुश हुआ और उस जगह को पहले जैसा बना कर वह जिस तरह दबे पाँव वहाँ गया था उसी तरह दबे पाँव वह उस सोने के थैले को ले कर वापस अपने घर लौट आया।

कुछ ही दिनों में गवैये को पता चल गया कि किसी ने उसका सोना भरा थैला चुरा लिया है। उसने कई बार अपने पड़ोसी को अपनी चौकीदारी करते हुए देखा था इसलिये उसका पहला शक अपने पड़ोसी पर ही गया।

अब वह अपना सोना उससे कैसे वापस ले वह यही सोचने लगा। तुरन्त ही उसके दिमाग में एक तरकीब आ गयी और वह उठ कर अपने पड़ोसी के घर पहुंचा।

उसने अपने पड़ोसी से कहा - "दोस्त, मैं तुमसे एक सलाह माँगने आया हूं। मेरे पास एक थैला सोना था जो मैंने अपने पीछे वाले बागीचे में गाड़ दिया था पर अब मेरे पास एक थैला सोना और जमा हो गया है। इस सोने को अब मैं कहाँ रखूं?"

पड़ोसी यह सुन कर बहुत खुश हुआ कि अब उसे एक थैला सोना हड़पने का मौका और मिलेगा इसलिए वह तुरन्त ही बोला - "इसमें सोचने की क्या बात है, वहीं गाड़ दो जहाँ पहले गाड़ा था।"

"धन्यवाद दोस्त, तुम्हारी सलाह के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।" कह कर वह गवैया वहाँ से अपने घर चला आया।

गवैये के जाते ही पड़ोसी के दिमाग में यह बात आयी कि अगर यह गवैया मेरी बात मान कर अपना सोने का थैला उसी जगह गाड़ने गया तो यह भेद खुल जायेगा कि किसी ने उसका पहला वाला थैला चुरा लिया है और फिर शायद यह अपना दूसरा थैला वहाँ न गाड़े इसलिये मुझे इसका पुराना वाला थैला पहले से ही वहीं गाड़ देना चाहिये।

जब वह अपना दूसरा सोने का थैला भी वहाँ गाड़ देगा तब मैं उसका सारा सोना एक साथ निकाल लाऊंगा। सो उस रात पड़ोसी फिर बागीचे में गया और गवैये का पुराना वाला सोने का थैला उसी जगह पर गाड़ आया।

गवैया होशियार था। वह उस रात सोया ही नहीं था क्योंकि उसकी तरकीब के अनुसार पड़ोसी को वहाँ पुराना वाला सोने का थैला गाड़ने आना चाहिये था, और गवैये ने देखा कि वह वहाँ आया और उसका पुराना वाला थैला गाड़ कर चला गया।

कुछ देर बाद गवैया अपने घर से निकला और उसने अपना वह पुराना वाला सोने का थैला निकाल कर पत्थरों से भरा एक नया बड़ा थैला वहाँ गाड़ दिया।

उधर पड़ोसी की ऑखों में भी नींद कहाँ? वह भी चौकन्ना हो कर घात लगाए बैठा था। उसने देखा कि गवैये ने एक छोटा थैला जमीन में से निकाला और उसकी जगह एक बड़ा सा थैला वहाँ गाड़ दिया।

वह यह सोच कर बहुत खुश हुआ कि अब उसे पहले से कहीं ज़्यादा सोना मिल जाएगा। बड़ी कठिनाई से उसने वह रात और अगला दिन काटा। अगली रात वह मौका पाते ही वह गवैये के बागीचे की तरफ गया और वह बड़ा सा पत्थरों का थैला निकाल कर जल्दी जल्दी घर वापस आ गया।

थैले के बोझ से वह बहुत खुश था पर घर आ कर जब उसने वह थैला खोला तो अपना सिर पीट कर रह गया क्योंकि उस थैले में तो सोने की बजाय पत्थरों के टुकड़े थे। गवैये ने उसे धोखा दिया।

इस तरह उस गवैये ने समझदारी से अपने चोर पड़ोसी से अपना चुराया हुआ सोना वापस लिया।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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