चार राजकुमार जो पत्थर बन गये : कश्मीरी लोक-कथा
Char Rajkumar Jo Patthar Ban Gaye : Lok-Katha (Kashmir)
यह बहुत पुरानी बात है कि एक राजा था जिसके चार बेटे थे। उसने उनको कह रखा था कि वे दिन रात उसके राज्य में पहरा दें और देखें कि उसके राज्य में कोई दुखी तो नहीं है किसी को किसी चीज़ की जरूरत तो नहीं है।
एक सुबह की बात है कि सबसे बड़े राजकुमार को पहरा देते समय एक जोगी मिल गया। वह जोगी एक तालाब के किनारे बैठा हुआ था और उसके पास चार घोड़े घास चर रहे थे। उसने देखा कि वे घोड़े जितने भी घोड़े उसके पिता के पास थे उनसे कुछ अलग ही नस्ल के थे और उनसे अच्छे भी थे।
सो वह जोगी के पास गया और उससे पूछा — “ओ जोगी तुम कौन हो और तुम यहाँ कब आये। तुम्हें यहाँ क्या चाहिये।”
जोगी बोला — “मुझे तुम चाहिये।”
राजकुमार ने आश्चर्य से पूछा — “मैं क्यों? मैं इस देश के राजा का सबसे बड़ा बेटा हूँ। मेरे पिता ने मुझे इस देश को देखने भालने के लिये कहा है कि मैं यह देखूँ किसी को किसी चीज़ की जरूरत तो नहीं है। तो तुम यह बताओ कि तुमको किसी चीज़ की जरूरत तो नहीं है।”
जोगी ने फिर वही जवाब दिया — “मुझे केवल तुम चाहिये और कुछ नहीं। पर अगर तुम्हें कुछ चाहिये तो तुम मुझे बताओ मैं तुम्हारे लिये वह ला दूँगा।”
राजकुमार बोला — “ओ जोगी मैं तुम्हारे इन बढ़िया घोड़ों में से एक घोड़े पर सवारी करना चाहता हूँ।”
जोगी बोला — “ठीक है। तुम अपनी सवारी के लिये कोईसा एक घोड़ा ले लो पर ध्यान रखना कि शाम होने से पहले पहले इसे यहाँ वापस ले आना। जब तुम यहाँ आओगे तो मैं उम्मीद करता हूँ कि मैं तुम्हारी दिन भर की सवारी के बारे में तुम्हारे कुछ अनुभव जरूर सुनूँगा।”
राजकुमार ने एक घोड़ा चुना और उस पर सवार हो कर चल दिया। जैसे ही राजकुमार उस घोड़े पर चढ़ा तो उस घोड़े ने तो बहुत तेज़ी से भागना शुरू कर दिया और वह एक जंगल की तरफ जा रहा था।
वह एक सब्जी के बागीचे के पास जा कर रुक गया। उस बागीचे के चारों तरफ ऐसी बाड़ लगी थी कि उसके अन्दर कोई नहीं घुस सकता था। राजकुमार जंगल की तरफ कुछ दूर और गया और फिर वहाँ से लौटने लगा।
जब वह वापस लौट रहा था तो उसने देखा कि उस सब्जी के बागीचे के बाड़े में लगे सारे डंडे हँसिया बन गये हैं और बागीचे में से सब्जियाँ काट रहे हैं। यह देख कर उसे आश्चर्य तो बहुत हुआ पर उसकी वजह उसकी समझ में नहीं आयी कि ऐसा कैसे हुआ। वह वहाँ से चल कर जोगी के पास आ गया।
जोगी ने उससे पूछा कि उसकी घोड़े की सवारी कैसी रही। उसने रास्ते में क्या कुछ देखा। राजकुमार बोला — “मैंने एक बागीचा देखा जिसके चारों तरफ एक ऐसी बाड़ लगी हुई थी जिसमें से अन्दर जाना नामुमकिन था। मैं उससे थोड़ा और आगे चला गया। फिर जब मैं वापस लौट कर आया तो देखा कि उसी बाड़ के डंडे हँसिया बने उस बागीचे में से सब्जी काट रहे हैं।”
जोगी ने पूछा — “जानते हो इसका क्या मतलब है?”
राजकुमार बोला — “नहीं मैं तो नहीं जानता।”
जोगी बोला — “नहीं जानते? और तुम्हारे पिता ने तुमको इस राज्य की देखभाल करने के लिये कहा है जाओ तुम पत्थर के हो जाओ।” जोगी के यह कहते ही राजकुमार पत्थर का हो गया।
अगली सुबह राजा का दूसरा बेटा शहर की देखभाल के लिये निकला। वह भी उसी जोगी के पास पहुँच गया। उसने भी जोगी के बढ़िया घोड़े देखे तो वह भी उन बढ़िया घोड़ों को देख कर बहुत खुश हो गया।
वह भी जोगी के पास रुका और उससे पूछा कि वह कौन है और वहाँ कहाँ से आया है। जोगी बोला — “मैं यहाँ इस देश में कुछ दिनों से घूम रहा हूँ। ये चारों घोड़े मेरे हैं। क्या तुम इनमें से किसी एक घोड़े की सवारी करना चाहोगे?
कल राजा का सबसे बड़ा बेटा यहाँ आया था। उसने इनमें से एक घोड़े की सवारी करनी चाही। मैंने उसको किसी भी घोड़े को चुनने और उसकी सवारी की इजाज़त दे दी। पर जब सवारी करके वह वापस आया तो जो कुछ उसने रास्ते में देखा था वह उसका मतलब मुझे समझा न सका तो मैंने उसको पत्थर का बना दिया।”
राजकुमार बोला — “अच्छा? मगर उसने ऐसा क्या देखा जिसे वह तुम्हें समझा नहीं सका?”
तब जोगी ने उसे बताया कि उसने क्या देखा था और यह वायदा किया कि अगर वह इस बात को उसे समझा सका कि वे डंडे हँसियों में क्यों बदल गये थे तो वह उसके भाई को ज़िन्दा कर देगा।
राजकुमार बोला — “जोगी तुमने तो यह बहुत ही मुश्किल सवाल पूछ लिया। जब मैंने उसे देखा ही नहीं जिसके बारे में तुम मुझसे पूछ रहे हो तो मैं उसे तुम्हें कैसे समझा सकता हूँ। हाँ अगर मैं तुम्हारा एक सुन्दर घोड़ा ले जाऊँ और उसे देख आऊँ तो शायद मैं तुम्हें समझा सकूँ।”
जोगी ने उसको इजाज़त दे दी और वह एक घोड़ा ले कर वहाँ से चला गया। वह घोड़ा भी उसको एक जंगल की तरफ ले गया। वहाँ जा कर उसने देखा कि नयी पैदा हुई बछिया अपनी माँ को दूध पिला रही है। वह बहुत देर तक इस अजीब दॄश्य को देखता रहा और फिर जोगी के पास लौट आया।
जोगी ने पूछा — “तुमने रास्ते में क्या देखा?”
राजकुमार ने उसे बताया कि उसने देखा कि नयी पैदा हुई बछिया अपनी माँ को दूध पिला रही थी। जोगी ने उससे भी पूछा — “क्या तुम बता सकते हो कि इसका क्या मतलब हुआ?” राजकुमार बोला — “मैं नहीं जानता।”
जोगी बोला — “क्या? तुम नहीं जानते?”
राजकुमार उसके इस सवाल का जवाब नहीं दे पाया क्योंकि इससे पहले ही वह पत्थर का बन चुका था।
तीसरी सुबह तीसरा राजकुमार शहर की देखभाल के लिये निकला और वह भी जोगी के पास आया। उसने भी उसके घोड़े देखे। वह भी उसके घोड़े देख कर आश्चर्यचकित रह गया। उसने उससे पूछा कि वह कौन था और उसको इतने सुन्दर घोड़े कहाँ से मिले।
उसके इन सवालों पर ध्यान न देते हुए जोगी ने उससे उसके पास बैठ जाने के लिये कहा। बातों बातों में उसने पता चला लिया कि यह भी राजकुमार था और अपने दो बड़े भाइयों की खोज में निकला था। उसने उसको बता दिया कि उसके दोनों बड़े भाइयों के साथ क्या हुआ।
फिर उसने बाद में उससे यह भी कहा कि वह उसके दोनों भाइयों को ज़िन्दा कर देगा अगर वह यह बता दे कि बाड़े के डंडे हँसियों में क्यों बदल गये थे और नयी पैदा हुई बछिया अपनी माँ को दूध क्यों पिला रही थी।
राजकुमार बोला — “बहुत बहुत धन्यवाद। अगर आप मुझे अपना एक घोड़ा दे दें तो मैं इन अजीब चीज़ों को देख कर आ सकता हूँ और तब शायद आपको समझा सकूँ।”
जोगी बोला — “हाँ हाँ क्यों नहीं। तुम इनमें से कोई सा घोड़ा ले लो मगर ध्यान रखना कि शाम होने से पहले ही यहाँ वापस आ जाना।”
राजकुमार ने उन घोड़ों में से एक घोड़ा लिया और उस पर सवार हो कर चल दिया। वह घोड़ा भी उसको जंगल की तरफ ले गया जहाँ उसने देखा कि एक आदमी अपनी पीठ पर लकड़ियाँ लादे लिये जा रहा है। वह केवल उन्हीं लकड़ियों से सन्तुष्ट नहीं है जो उसने इकट्ठी कर ली हैं बल्कि वह रास्ते में पड़ी और भी लकड़ियाँ उठाता जा रहा है।
राजकुमार ने सोचा इसका क्या मतलब हो सकता है। जब मैं जोगी के पास पहुँचूँगा तो मैं जोगी को इसका क्या मतलब बताऊँगा। अफसोस यह राजकुमार भी इस दॄश्य का मतलब समझाने में नाकामयाब रहा और जोगी ने इसको भी पत्थर में बदल दिया।
अगली सुबह राजा का चौथा और आखिरी बेटा शहर की देखभाल के लिये और अपने भाइयों को ढूँढने के लिये निकला तो वह भी जोगी के पास आ निकला।
उसने जोगी को प्रणाम किया और उससे पूछा कि क्या उसने उसके तीनों भाइयों को देखा है। जोगी बोला — “हाँ देखा है।” कह कर उसने एक तरफ इशारा करते हुए उससे कहा कि देखो तुम्हारे तीनों भाई ये खड़े हैं। मैंने ही उनको पत्थरों में बदल दिया है क्योंकि उन्होंने पास के जंगल में जो कुछ देखा था वे उनको मुझे समझा नहीं सके। पर मैं उनको ज़िन्दा कर सकता हूँ अगर तुम मुझे उन सबका मतलब समझा दो तो।”
इसके बाद उसने उन राजकुमारों द्वारा देखे हुए तीनों दॄष्य उसको बता दिये। राजकुमार बोला — “अगर आप मुझे अपना एक घोड़ा सवारी के लिये दे दें तो शायद मैं उनका मतलब बता सकूँ। मैं खुद उस जंगल में जा कर उनको देखना चाहता हूँ।”
जोगी ने उसको इजाज़त दे दी और राजकुमार उन घोड़ों में से एक घोड़ा ले कर जंगल की तरफ चल दिया।
जब वह जंगल में पहुँचा तो वहाँ उसने एक तालाब देखा जिसमें से पानी बह बह कर निकल कर दूसरे तालाबों को भर रहा था। उस समय वह बड़ा वाला तालाब खाली था क्योंकि उसका सारा पानी उन छोटे तालाबों को भरने में लग चुका था।
शाम को जब वह जोगी के पास लौटा तो जोगी ने उससे भी वही सवाल किया जो उसने उसके तीनों बड़े भाइयों सो किया था कि उसने रास्ते में क्या देखा और उसका क्या मतलब था। यह राजकुमार भी जोगी के इस सवाल का जवाब देने में नाकामयाब रहा। सो जोगी ने इसको भी पत्थर में बदल दिया।
जब राजा को पता चला कि कई दिनों से उसके चारों बेटों में से किसी का भी कोई पता नहीं है तो उसको शक हुआ कि उसके बेटों पर जरूर ही कोई मुसीबत आ पड़ी है। अब वह खुद उनको ढूँढने के लिये निकल पड़ा।
ढूँढते ढूँढते वह भी जोगी के पास आया। उसने भी जोगी से पूछा — “जोगी जी क्या आपने मेरे चारों बेटों को कहीं देखा है?”
जोगी ने एक तरफ खड़े चार पत्थर के खम्भों की तरफ इशारा कर दिया। राजा यह देख कर सकते में आ गया। उसके मुँह से निकला — “कहीं आपका यह मतलब तो नहीं कि वे पत्थर में बदल गये हैं।”
जोगी बोला — “हाँ ये ही हैं वे। मैंने ही उनको पत्थरों में बदल दिया है क्योंकि वे मुझे जंगल में देखे हुए कुछ दॄश्यों के मतलब नहीं समझा सके। फिर भी मैं उनको ज़िन्दा कर सकता हूँ अगर तुम उनका मतलब मुझे समझा दो तो। अगर तुम्हें चाहिये तो तुम मेरा एक घोड़ा ले कर जंगल जा सकते हो।”
राजा बोला — “नहीं धन्यवाद। इसकी कोई जरूरत नहीं है। पर अगर आप मुझे यह बता सकें कि उन्होंने क्या देखा जिसको वे आपको नहीं समझा सके तो शायद मैं उनको आपको समझाने की कोशिश कर सकूँ।”
तब जोगी बोला — “राजन तुम्हारे सबसे बड़े बेटे ने जंगल में एक सब्जी का बागीचा देखा जिसके चारों तरफ ऐसी बाड़ लगी थी जिसको पार कर उसके अन्दर जाना नामुमकिन था। पर जब वह वहाँ से लौटा तो उसने देखा कि उस बाड़ के डंडे हँसिये बन कर उस बागीचे की सब्जी काट रहे हैं। इसका क्या मतलब है।”
राजा बोला — “यह एक ऐसे आदमी की तस्वीर है जिसके पास कुछ पैसा सुरक्षा के लिये रखा गया हो और जब उस पैसे का मालिक अपना पैसा उससे वापस माँगने आया हो तो उस आदमी ने उसके पैसे को या तो कहीं छिपा दिया हो या फिर उसे खर्चकर दिया हो जिससे कि उस पैसे के मालिक को उसका पैसा न मिल पा रहा हो।”
जैसे ही राजा ने अपना वाक्य पूरा किया कि उसका बड़ा बेटा उसके सामने ज़िन्दा और तन्दुरुस्त खड़ा हो गया। जोगी ने अपना दूसरा सवाल किया — “तुम्हारे दूसरे बेटे ने एक नयी पैदा हुई बछिया को अपनी माँ को दूध पिलाते देखा। इसका क्या मतलब है।”
राजा बोला — “बड़ी अजीब सी बात है कि उसको यह देख कर किसी एक ऐसी स्त्री की याद नहीं आयी जो अपनी बेटी की कमाई पर ज़िन्दा रहती हो।”
राजा के यह कहते ही उसका दूसरा बेटा भी ज़िन्दा हो कर उसके सामने आ खड़ा हुआ। तब जोगी ने अपना तीसरा सवाल पूछा — “राजन तुम्हारे तीसरे बेटे ने एक ऐसा आदमी देखा जो अपनी पीठ पर लकड़ियाँ लादे लिये जा रहा था। वह अपने उस ढेर से सन्तुष्ट नहीं था और रास्ते में उसको और जो लकड़ियाँ मिलती जा रही थीं वह उनको भी उठाता जा रहा था। इसका क्या मतलब है।”
राजा बोला — “यह इस बात को बताता है कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो उनके पास जो कुछ भी होता है वे उससे सन्तुष्ट नहीं होते उनको हमेशा ही और ज़्यादा की इच्छा बनी रहती है।” जैसे ही राजा ने ये शब्द बोले कि उसका तीसरा बेटा भी ज़िन्दा हो कर उसके सामने आ खड़ा हुआ।
अब जोगी ने अपना चौथा और आखिरी सवाल पूछा — “राजन तुम्हारे सबसे छोटे बेटे ने जंगल में एक तालाब देखा जिसने छह दूसरे तालाबों को पानी देने के लिये अपने आपको खाली कर दिया। इसका क्या मतलब है।”
राजा बोला — “जोगी जी वह बड़ा तालाब दुनियाँ के उन आदमियों के समान है जो दूसरों को देने के लिये अपना सब कुछ खर्च कर देते हैं पर बदले में उन्हें क्या मिलता है। कुछ भी नहीं।”
जैसे ही राजा यह बोला उसका चौथा बेटा भी ज़िन्दा हो कर उसके सामने आ खड़ा हुआ। राजा और उसके चारों बेटे खुशी खुशी अपने महल वापस लौट आये। कुछ समय बाद ही राजा ने अपनी गद्दी छोड़ कर अपना राज्य अपने बच्चों को दे दिया और वह खुद जंगल में शान्ति से रहने चला गया।
(सुषमा गुप्ता)