चाँद में दाग : मेघालय की लोक-कथा
Chand Mein Daag : Lok-Katha (Meghalaya)
रात में सुंदर चमकते चाँद में काले-काले दाग आते हैं। शायद इसी से यह कहावत बनी होगी - चाँद में दाग होना अर्थात्
किसी सुंदर वस्तु में कमी होना । खासी लोककथा के अनुसार पहले चाँद में दाग नहीं था। चाँद और भी सुंदर था। चाँद के
काले धब्बे को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से एक खासी लोककथा है ।
ऐसा माना जाता है कि चाँद, सूरज, हवा, आग - ये सभी 'दैवी परिवार' के सदस्य थे । इनमें सूरज, हवा, आग - ये तीन
बहनें थीं तथा चाँद इनका इकलौता भाई था। इन भाई-बहनों में सूरज और चाँद सबसे सुंदर थे। दोनों की सुन्दरता अदभुत
थी जहाँ भी जाते ; इनकी सुन्दरता लोगों को चौका देती, माँ ने इन्हें इतने अच्छे संस्कार दिए थे कि चारों आपस में
मिलकर रहते थे। हमेशा एक दूसरे की मदद किया करते थे । इनका परिवार एक खुशहाल परिवार था । जिसे देखकर लोग
इनसे ईर्ष्या करते थे ।
धीरे-धीरे चारों भाई-बहन हँसते-खेलते बड़े होने लगे। उनके रूप-गुण की चर्चा दूर-दूर तक होने लगी । बहनें समझदार थीं,
अत: ज़िम्मेदार निकलीं परन्तु भाई चाँद बुरी संगति में पड़ गया । उसकी संगति बौने जाति के लोगों के साथ हो गई ; जो
केवल अपनी कद-काठी के कारण ही नहीं छोटे थे अपितु काम भी गंदे करते थे । कमज़ोर लोगों को सताना, उन्हें तंग
करना, बात-बात पर गालियों का प्रयोग करना इनकी आदत बन चुकी थी । ये जुआ खेलते थे और नशा भी करते थे । चाँद
ने भी ये काम करने शुरू कर दिए । चाँद की माँ और बहनों ने उसे खूब समझाया पर चाँद नहीं माना। वह अपनी जिद पर
अड़ा रहा।
एक दिन माँ के खूब समझाने पर उसने क्रोध में आकर कहा - मैं अब बड़ा हो गया हूँ, अत: अपना भला-बुरा खुद सोच
सकता हूँ । वह गुस्से से पैर पटकते हुए घर छोड़ कर चला गया । माँ बेचारी क्या करती ? अपने राह से भटके हुए बच्चे को
भाग्य के सहारे छोड़ दिया और ईश्वर से प्रार्थना की कि ईश्वर उसके बच्चे को सही रास्ता दिखाए ।
चाँद को घर छोड़ कर गए बहुत दिन बीत गये थे। समय हर घाव को भर देता है अत: अब पूरे परिवार को चाँद के बिना
रहने की आदत हो गयी थी। दूसरी तरफ घर छोड़ कर गया चाँद अपने दुष्ट मित्रों के साथ खूब मस्ती करता । उनके साथ
मिलकर हर गंदे काम करता था। यहाँ उसे रोकने-टोकने वाला कोई नहीं था। वह अपने आपको आज़ाद पंछी की तरह
महसूस करता था । अब वह दोस्तों के साथ पूरी दुनिया की सैर करता ।
कहा जाता है कि अच्छा काम करने का सुख हमेशा रहता है; परन्तु बुरा काम व्यक्ति को ज्यादा सुखी नहीं बना सकता ।
धीरे-धीरे चाँद का मन भी बुरे कामों से ऊब गया । उसे अपने दोस्तों के बीच उठना-बैठना अच्छा न लगता । चाँद को अपने
प्यारे परिवार की याद आती । अपनी माँ की हर सीख उसके कानों में गूंज उठती । उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि
वह क्या करे ?
एक दिन उसने घर वापिस जाने का निर्णय ले ही लिया । कई दिनों बाद वह अपने घर पहुँचा । घर में उसे कोई पहचान न
सका क्योंकि लगातार बुरे काम करने के कारण उसकी चमक-दमक फीकी पड़ गयी थी; चेहरे की रौनक उड़ चुकी थी उसे
घर में वापिस आया देखकर घर वाले खुश नहीं हुए क्योंकि उसने अपने ख़राब कामों से अपने पूरे परिवार का नाम मिट्टी में
मिला दिया था। हाँ, उसके लौटने से उसकी सबसे प्यारी बहन सूरज बहुत खुश थी। उसने घरवालों को समझाया कि चाँद
अब कोई गलत काम भविष्य में नहीं करेगा । सूरज के समझाने पर माँ चाँद को रखने के लिए तैयार हो गयी
कुछ समय बाद घर पर सबकुछ ठीक हो गया । एकबार फिर पूरा परिवार मिलजुल कर रहने लगा । सबने सोचा कि चाँद अब
बदल गया है और उसकी बुरी आदतें भी बदल गयीं हैं लेकिन बुरी आदतें आसानी से पीछा नहीं छोड़तीं । चाँद की बुरी नज़र
अपनी बहन सूरज पर पड़ी । उसे सूरज संसार की सबसे सुन्दर स्त्री लगी । उसने यह भी नहीं सोचा कि सूरज उसकी सगी बहन है
। कई दिनों तक वह अपनी भावनाओं को मन में छिपाए रहा परन्तु अब उससे नहीं रहा गया । वह माँ के पास गया और
बेशर्मी से बोला - माँ, मैं सूरज से शादी करना चाहता हूँ । मैंने लगभग सारी पृथ्वी का भ्रमण किया है ; मैंने सूरज जैसी
सुन्दर स्त्री नहीं देखी ।
यह सुनकर माँ दंग रह गई । वह चाँद को डांटती हुई बोली - तुम्हें शर्म नहीं आती ऐसी बात करते हुए ? सूरज तुम्हारी बहन
है।
चाँद ने हँसते हुए उत्तर दिया - शर्म किस बात की ? मैं संसार का सबसे सुन्दर पुरुष हूँ और
सूरज सबसे सुन्दर स्त्री । सूरज जैसी सुन्दर जीवनसंगिनी मुझे और कहीं नहीं मिल सकती । यह सुनकर माँ को बहुत क्रोध आया
। उसने स्पष्ट कह दिया - हमारे यहाँ भाई-बहन की शादी नहीं हो सकती । इसके साथ उसने चाँद को घर से निकाल दिया।
वह ऐसे बुरे विचारों वाले अपने बेटे को घर पर नहीं रखना चाहती थी ।
कहते हैं जब चाँद बाहर जा रहा था , तब सूरज वहाँ आ गई । उसने सारी बातें सुन लीं उसके मन में अपने भाई के प्रति
गहरी नफ़रत जाग उठी । गुस्से में आकर उसने सामने पड़ी राख चाँद के मुँह पर फेंक दी । अंगारों से भरी राख़ से चाँद का
चेहरा जल गया और काले धब्बे पड़ गए ।
तब से लेकर आजतक चाँद अपनी बहन के प्रति गन्दी भावना रखने के कारण नज़रें नहीं मिला पा रहा है वह उससे
अपना मुँह छिपाता फिर रहा है । यही कारण है कि सूरज दिन में निकलता है और चाँद रात में । सच ही है कि चेहरा एक
दर्पण है जिस पर मनुष्य के मनोभावों की छाया दिखाई देती है ।
(डा. अनीता पंडा)