चाँद का छोटा भाई : इराकी लोक-कथा
Chand Ka Chhota Bhai : Iraqi Folk Tale
जंगल में रहती थी एक चिड़िया । उसे हर समय कुछ न कुछ कहते रहने की आदत थी। इसलिए जंगल के जानवरों ने उसका नाम रख दिया था - बातूनी चिड़िया। पता नहीं कहाँ से नई-नई बातें खोजकर लाती थी हर दिन ।
एक दिन बातूनी चिड़िया जंगल में दाना चुग रही थी। तभी घास के बीच कुछ चमकता दिखाई दिया। वह था एक सिक्का, कभी किसी आते-जाते मुसाफिर की जेब से गिर गया होगा। चिड़िया ने सिक्के को अपनी चोंच से उलट दिया, ध्यान से देखने लगी । वह सोच रही थी- 'यह क्या है? कहाँ से आया?'
बातूनी चिड़िया सोचती रही। तभी उसे एक कहानी याद आ गई जो उसकी दादी ने कभी सुनाई थी । कहानी आकाश में चमकने वाले चाँद के बारे में थी, जो कभी-कभी धरती पर उतर आता था । चिड़िया को लगा - 'यह चन्दा ही है जो धरती पर उतर आया है।' उसने आकाश की ओर देखा, पर उस समय तो दिन था। सब तरफ धूप बिखरी थी। बातूनी चिड़िया आकाश में नहीं देख सकी। फिर सिक्के को चोंच में दबाकर अपने घोंसले में ले आई।
जल्दी ही उसने पूरे जंगल को बता दिया कि धरती पर चाँद उतर आया है और उसके घोंसले में आराम कर रहा है। सारे जानवर चिड़िया की विचित्र बात पर हँसने लगे। लेकिन चिड़िया ने कहा - " जिसे आसमान के चन्दा से मिलना हो, वह मेरे घोंसले में आकर मिल सकता है। मैं एकदम सच कह रही हूँ ।"
पहले तो बातूनी चिड़िया की बात पर विश्वास करने को कोई तैयार नहीं था, पर जब उसने घोंसले में पड़े चाँदी के गोल सिक्के को दिखाया तो कुछ जानवरों ने सोचा - 'हो सकता है, चिड़िया सच कह रही हो ।'
यह खबर उल्लू और चमगादड़ ने भी सुनी। दोनों ने अलसाए स्वर में कहा - "सच तो केवल रात के समय ही पता चल सकता है। क्योंकि चन्दा तो रात में ही आकाश में दिखाई देता है।"
रात हुई, आकाश में चाँद निकल आया। दूसरे पक्षी सो गए, पर उल्लू और चमगादड़ के साथ बातूनी चिड़िया जाग रही थी । आखिर उसे अपनी बात प्रमाणित जो करनी थी । चमगादड़ ने कहा - "लो, देख लो, चन्दा तो आकाश में है। वह भला धरती पर क्यों आएगा ! बातूनी चिड़िया को तो बस गप्प मारने की आदत है ।"
सुनकर चिड़िया ने नींद भरी आँखें आकाश की ओर उठाईं और देखा-सचमुच चन्दा तो ऊपर चमक रहा था। एक बार तो उसका मन उदास हो गया, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। सोचती रही, सोचती रही । एकाएक उसने कहा- “ठीक है चाँद आकाश में है, और मेरे घोंसले में उसका भाई बैठा है ।"
उल्लू बोला- “चाँद तो आकाश में अकेला है। उसका कोई भाई होता तो आकाश में जरूर दिखाई देता ।"
चिड़िया ने बात बनाई–‘" जैसे पेड़ अनेक हैं, हम जंगल के पशु-पक्षी अनेक हैं, बस उसी तरह चाँद भी बहुत सारे हैं। रही बात सारे चन्द्रमाओं के आकाश में दिखाई देने की, तो जब एक चाँद से ही रात में उजाला हो जाता है, तब बाकी सब चन्द्रमाओं को चमकने की क्या जरूरत है भला !"
उल्लू और चमगादड़ समझ गए कि बातों में बातूनी चिड़िया को हराना मुश्किल है। वे घूमने चले गए और चिड़िया को नींद आ गई।
सुबह चिड़िया जागी तो झट चाँद के छोटे भाई को टटोला। उसका दिल धक्क से रह गया। घोंसले में रखा सिक्का गायब था। वह घण्टों ढूँढ़ती रही, पर चाँद का छोटा भाई न मिला। हुआ यह था कि अनेक पक्षियों ने सिक्के को चोंच में उठाकर देखा था । सब चाँद के छोटे भाई को देखना चाहते थे । बस, उसी हड़बड़ी में सिक्का न जाने कहाँ गिर गया था ।
थक-हार कर बातूनी चिड़िया आँसू बहाने लगी । न दाना चुगा, न पानी पिया। बार-बार एक ही बात कह रही थी - " आखिर चाँद का भाई मुझे बिना बताए क्यों चला गया। क्या मेहमान को इस तरह चुपचाप जाना चाहिए ।"
जंगल के पक्षियों ने चिड़िया को बहुत समझाया। दिन ढल गया। रात हुई तो उल्लू और चमगादड़ आए। उन्होंने सब कुछ सुन लिया था। उल्लू ने कहा – “चिड़िया बहन, दुख न करो। असल में हुआ यह कि रात में चाँद ने आकाश से अपने छोटे भाई को सन्देश भेजा था कि तुरन्त चला आए। उस समय तुम सो रही थीं। चाँद के छोटे भाई ने तुम्हें बहुत बहुत जगाया, पर तुम्हारी नींद नहीं टूटी। आखिर बेचारा चला गया। जाते समय मैंने और चमगादड़ ने उसे विदा किया था। चाँद के छोटे भाई ने मुझसे कहा था कि हम उसकी तरफ से तुमसे क्षमा माँग लें। उसने कहा कि जैसे ही मौका मिलेगा, पर फिर तुमसे मिलने आएगा।”
उल्लू और चमगादड़ की बात सुनकर बातूनी चिड़िया ने अपने आँसू पोंछ लिए । बोली - " अगर ऐसा है तब ठीक है।" फिर वह अपनी नींद पर गुस्सा होने लगी। उसने उल्लू और चमगादड़ से पूछा - " आप दोनों रात में कैसे जागते हैं? अगर मुझे बता दो तो मैं रात में जागूँगी और दिन में सोया करूँगी?”
उल्लू और चमगादड़ ने कहा - " चिड़िया बहन, यह रहस्य तो हम भी नहीं जानते। हाँ, अगली बार चाँद का छोटा भाई आए तो यह बात तुम उसी से पूछना ।”
बातूनी चिड़िया की तसल्ली हो गई और फिर वह आराम की नींद में डूब गई। उसे उम्मीद थी कि चाँद का छोटा भाई एक न एक दिन उससे फिर मिलने जरूर आएगा।