चालाक चोर : इथियोपिया की लोक-कथा

Chalaak Chor : Ethiopia Folk Tale

यह इथियोपिया के दो चोरों की एक बहुत ही पुरानी कहानी है।

एक बार जब गायों को अन्दर रखने का समय आया तो एक चोर उन गायों के बीच में छिप गया और दूसरा उन गायों के मालिक के घर में शाम से ही छिप कर बैठ गया ताकि वह उसके घर में चोरी कर सके।

गायों का मालिक एक होशियार आदमी था। वह सोने से पहले हमेशा ही अपनी गायों की जाँच कर लेता था। सो उस रात भी सोने से पहले वह अपनी गायों की जाँच करने गया।

जैसे ही उसने अपनी मशाल की रोशनी गायों की जाँच के लिये उन पर फेंकी तो उसको वह चोर उन गायों के झुंड मे छिपा हुआ दिखायी दे गया।

पर गायों का मालिक बोला कुछ भी नहीं और घर का दरवाजा ठीक से बन्द करके सोने चला गया। चोर को भी पता चल गया कि गायों के मालिक ने उसे देख लिया है।

उसका साथी चोर बाहर उसका इन्तजार कर रहा था। अन्दर वाला चोर बहुत घबराया पर उसकी समझ में नहीं आया कि वह क्या करे।

उधर उसके साथी चोर को कुछ गड़बड़ दिखायी दी तो वह दीवार के सहारे सहारे उस जगह तक आया जहाँ अन्दर उसका साथी चोर छिपा बैठा था और उससे पूछा - "भाई, क्या हाल हैं?"

अन्दर वाले चोर ने रुआँसा सा हो कर कहा - "भाई, हाल बुरे हैं।गायों के मालिक ने मुझे देख लिया है और मैं अब मारा जाऊँगा। बाहर निकलने का भी अब कोई रास्ता नहीं है।"

साथी चोर ने उसे तसल्ली देते हुए कहा - "देखो, थोड़ा रुको, तसल्ली रखो और बोलो नहीं। मैं तुमको अभी बाहर निकालता हूँ।"

अन्दर वाले चोर ने पूछा - "कैसे निकालोगे भाई?"

साथी चोर बोला - "देखो मैं छत पर चढ़ता हूँ और इस मकान के बीच वाले खम्भे पर बैठ कर चिल्लाऊँगा "हे भगवान, तुम्हारी जय हो। तुम्हीं मुझे अन्दर लाये और तुम्हीं मुझे बाहर निकाल रहे हो। तुम्हारी जय हो।"

ऐसा कह कर मैं नीचे कूद जाऊँगा। गायों का मालिक मेरे कूदने की आवाज सुन कर बाहर आयेगा, मैं भागूँगा, वह मेरा पीछा करेगा और बस, इतनी देर में तुम बाहर निकल आना।"

अन्दर वाले चोर ने कहा - "तरकीब तो अच्छी है। मैं ऐसा ही करता हूँ।"

सो बाहर वाला चोर उस मकान की छत पर चढ़ गया और बीच वाले खम्भे के पास बैठ कर ज़ोर से चिल्लाया - "हे भगवान, तुम्हारी जय हो। तुम्हीं सबकी रक्षा करने वाले हो। तुम्हीं मुझे अन्दर लाये और तुम्हीं मुझे बाहर निकाल रहे हो। तुम्हारी जय हो।"

ऐसा कह कर वह अपनी योजना के अनुसार नीचे कूद गया।

कूदने की आवाज सुन कर गायों का मालिक बाहर निकला और यह सोच कर कि चोर भाग निकला है वह उस आदमी को पकड़ने दौड़ा।

बाहर वाला चोर भागने में बहुत तेज़ था सो वह तो पल भर में ही यह जा और वह जा।

उधर दरवाजा खुला देख कर और मौका पा कर अन्दर वाला चोर भी बाहर निकल आया और बच कर भाग गया। गायों के मालिक को किसी के भागने की आवाज तो सुनायी दी पर कोई आदमी दिखायी नहीं दिया।

कुछ पल तो उसने उसका पीछा करने की कोशिश की परन्तु उसे जल्दी ही पता चल गया कि उन पैरों की आवाज का पीछा करना बेकार था।

फिर उसको अपने घर के दरवाजा खुला होने का भी डर था सो वह उलटे पैरों घर लौट आया। उसने अन्दर झाँक कर देखा तो अन्दर वाला चोर तो भाग चुका था।

उसने बहुत सोचा पर उसकी समझ में कुछ न आया कि यह सब कैसे हुआ। वह अन्दर जा कर घर का दरवाजा बन्द करके फिर से सो गया।

उधर वह चोर आजाद हो कर अपने साथी से जा मिला। इस तरह एक चोर ने अपने साथी चोर की मदद की।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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