चालाक बूढ़ा बिल्ला : अफ्रीकी लोक-कथा
Chalaak Boodha Billa : African Folk Tale
एक बार एक समय में अफ्रीका में एक जवान बिल्ला रहता था। वह बहुत तेज़ था, बहुत ताकतवर था और हमेशा ही उसके पास बहुत सारा खाना रहता था। वह वहाँ का सबसे अच्छा चूहे पकड़ने वाला था सो सारे चूहे उससे बहुत डरते थे।
धीरे धीरे वह बिल्ला बूढ़ा हो गया। उम्र के साथ साथ वह शरीर से भी कमजोर होता गया और उसके शरीर की तेज़ी भी खत्म होती गयी। इस वजह से अब उसको कभी कभी खाना भी नहीं मिलता था और उसको भूखे ही रह जाना पड़ता था।
पहले चूहे जब भी उसको आते देखते थे तो भाग जाते थे और छिप जाते थे परन्तु अब जबसे वह बूढ़ा हो गया था तबसे न उनको उससे भागने की जरूरत थी और न ही छिपने की।
अब वह खड़े खड़े देखते रहते, हँसते रहते। बूढ़ा बिल्ला बेचारा इतना कमजोर हो गया था कि वह उनके पास होते हुए भी उनको नहीं पकड़ सकता था।
एक दिन जब बिल्ला बहुत भूखा था तो उसने अक्लमन्दी से चूहा पकड़ने की सोची। वह एक जगह जा कर अपनी पीठ के बल बिना हिले डुले लेट गया। उसको ऐसे शान्त लेटा देख कर चूहे उसके पास आये और हँसने लगे।
चूहों ने सोचा कि “अरे आज बिल्ले को क्या हो गया यह तो हमको पकड़ने की कोशिश भी नहीं कर रहा है। ” पर फिर भी बिल्ला न बोला और न हिला।
धीरे धीरे एक छोटी चुहिया उसके पास तक पहुँच गयी और उसको छू कर तुरन्त ही दूसरे चूहों के पास वापस आ गयी। पर बिल्ले ने सोच रखा था कि आज वह बिल्कुल नहीं हिलेगा सो वह बिल्कुल भी नहीं हिला।
उसको इस तरह शान्त लेटा देख कर चूहों की हिम्मत बढ़ गयी। उनमें से एक चूहा बोला — “लगता है कि यह बिल्ला आज मर गया। ”
बस फिर क्या था चूहे धीरे धीरे उसके पास आने लगे। फिर वे एक एक करके उसके शरीर पर चढ़ कर खेलने लगे। वे कभी आगे जाते, कभी पीछे जाते। इस तरह दौड़ते हुए वे हँस भी रहे थे पर वह बिल्ला न कुछ बोला और न हिला।
एक बार एक चूहा भागते भागते बिल्ले के सिर तक पहुँच गया और हँस हँस कर नाचने लगा “आहा, बिल्ला तो मर गया। आहा, बिल्ला तो मर गया। ”
पर तभी बिल्ले ने आँख खोली और उस चूहे को मुँह में दबा लिया। दो चूहे उसने अपने दोनों अगले पंजों में पकड़ लिये।
उस रात उन दो चूहों से उसकी खूब अच्छी दावत हुई। अगली कुछ रातों में भी उसने खूब खाना खाया। उसके खाने में वे बेवकूफ चूहे होते थे जो यह सोचते थे कि वह मर गया है और वे उसके पास तक आ जाते थे।
कभी कभी बिल्ले की तरह से झूठ बोलना भी फायदा करता है।
(साभार : सुषमा गुप्ता)