चकमक डिबिया (डैनिश कहानी) : हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन

Chakmak Dibiya (Danish Story in Hindi) : Hans Christian Andersen

सड़क पर एक सैनिक आ रहा था; दाएँ बाएँ! दाएँ बाएँ! उसकी पीठ पर एक झोला और कमर में तलवार थी। वह लड़ाई पर गया हुआ था और अब घर लौट रहा था। सड़क पर उसे एक जादूगरनी मिली। वह बड़ी बदसूरत थी। उसका नीचे का होंठ छाती तक लटक रहा था।

वह बोली, 'शुभ संध्या, युवक सैनिक, तुम्हारी तलवार बहुत सुंदर है और तुम्हारा झोला खूब बड़ा है। तुम सच्चे सैनिक दिखते हो! मैं तुम्हें जितना चाहोगे उतना धन दूंगी।'

सैनिक ने जवाब दिया, 'धन्यवाद, बूढ़ी जादूगरनी।'

जादूगरनी ने उस पेड़ की तरफ इशारा किया जहाँ वे खड़े थे और कहा, 'तुम वह बड़ा पेड़ देख रहे हो? उसका तना खोखला है। तुम पेड़ पर चढ़कर उस छेद में घुस जाना और अंदर ही अंदर फिसलते हुए नीचे उतर जाना। मैं तुम्हारी कमर से एक रस्सी बाँधकर ऊपर पकड़े रहूँगी। जब तुम मुझे बुलाओगे तो मैं तुम्हें वापस ऊपर खींच लूंगी।'

सैनिक ने पूछा, 'मुझे पेड़ के अंदर नीचे जाकर क्या करना है?'

जादूगरनी बोली, पैसे लाना!' और हँस पड़ी। अब मेरी बात सुनो। जब तुम बिल्कुल नीचे पहुँचोगे तो वहाँ एक बड़ा गलियारा होगा।वहाँ सौ लैंप जलते होने के कारण तुम्हें सब कुछ साफ दिखेगा। तुम्हें तीन दरवाज़े मिलेंगे; तुम सबको खोल सकोगे क्योंकि उनके तालों में चाभी लगी होगी। पहले में जाना, कमरे के बीच में एक आलमारी के ऊपर तुम्हें एक कुत्ता दिखाई देगा जिसकी आँखें प्याले जितनी बड़ी होंगी। पर उससे घबराना मत। मैं तुम्हें अपना नीला चारखाने का कपड़ा,गी; उसे फर्श पर बिछाना, कुत्ते को उसके ऊपर बिठाना, फिर वह तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा। इसके बाद आलमारी खोलना। उसमें ताँबे के सिक्के होंगे, जितने चाहो निकाल लेना। अगर तुम्हें चाँदी के सिक्के चाहिए तो उससे अगले कमरे में जाना। वहाँ तुम्हें दूसरा कुत्ता मिलेगा। उसकी आँखें चक्की के पाटों जैसी होंगी पर तुम उससे भी मत डरना। उसे भी कपड़े पर बिठाकर जितना चाहो धन ले लेना। अगर तुम सोना चाहोगे तो वह भी मिल सकता है; वह तीसरे कमरे में होगा। उस कुत्ते को देखने तक इंतजार करो; उसकी आँखें शहर के गोल टॉवर जितनी बड़ी हैं पर तुम चिंता मत करना। उसे मेरे कपड़े पर बिठाकर जितना चाहो सोना ले लेना।'

सैनिक बोला, 'यह तो बहुत अच्छा है! पर बूढ़ी जादूगरनी, मुझे तुम्हारे लिए क्या करना होगा? मैं सोचता हूँ तुम्हें भी तो कुछ चाहिएगा?'

बूढ़ी जादूगरनी ने जवाब दिया, 'नहीं, मुझे एक सिक्का भी नहीं चाहिए। मेरे लिए तो सिर्फ वह चकमक डिबिया ले आना जो मेरी दादी पिछली बार वहाँ भूल गई थी।'

सैनिक ने कहा, 'मैं तैयार हूँ। मेरी कमर में रस्सी बाँधो।'

जादूगरनी ने रस्सी बाँधते हुए कहा, 'यह लो मेरा चारखाने का कपड़ा।' सैनिक पेड़ पर चढ़ा, छेद में से फिसला और गलियारे में पहुँच गया, वहाँ सौ से ज्यादा लैंप जल रहे थे।

उसने पहला दरवाज़ा खोला। ओह, वहाँ चाय के प्याले जैसी बड़ी आँखों वाला कुत्ता बैठा उसे घूर रहा था।

कुत्ते को जादूगरनी के कपड़े पर बिठाता हुआ वह बोला, 'तुम सुंदर हो!' उसने अपनी जेबों में ताँबे के सिक्के भरे, तिजोरी बंद की। कुत्ते को वापस उसी जगह बिठा दिया।

फिर वह दूसरे कमरे में गया। आहा! वहाँ चक्की के पाट जैसी बड़ी आँखों वाला कुत्ता बैठा था। सैनिक ने खुशमिजाजी से कहा, 'मुझे ऐसे मत देखते रहो। यह अच्छी बात नहीं है और तुम्हारी आँखें खराब हो जाएँगी।' उसने कुत्ते को जादूगरनी के कपड़े पर बिठाया और तिजोरी खोली। चाँदी के सिक्के दिखने पर उसने ताँबे के सिक्के निकालकर जेबें और झोला चाँदी के सिक्कों से भर लिया।

अब वह तीसरे कमरे में गया। वह कुत्ता इतना बड़ा था कि किसी को भी यहाँ तक कि एक सैनिक को भी डरा सकता था। उसकी गोल टॉवर जितनी आँखें पहियों की तरह घूमती थीं।

सैनिक ने बड़ी नरमाई से कहा, 'शुभ संध्या!' और अपनी टोपी उतार ली क्योंकि उसने ऐसा कुत्ता कभी देखा नहीं था। कुछ देर तक वह खड़ा हुआ उसे देखता ही रहा, फिर अपने आप से बोला, 'काफी हो गया। उसने कुत्ते को उठाकर जादूगरनी के कपड़े पर बिठाया और तिजोरी खोली।

वह चिल्लाया, 'हे भगवान, मुझे बचाओ!' वहाँ इतना सोना था कि पूरा शहर खरीदा जा सकता था; दुनिया भर के सोंठ वाली मीठी रोटी के आदमी, झूलने वाले घोड़े, टीन के सैनिक खरीदे जा सकते थे।

सैनिक ने जल्दी-जल्दी अपनी जेबें और झोला खाली किया और सोने के सिक्के भर लिए; यही नहीं उसने अपने जूतों तथा टोपी को भी भर लिया। फिर उसने कुत्ते को वापिस तिजोरी पर रखा, दरवाज़ा बंद किया और खोखले पेड़ में से आवाज़ दी।

'बूढ़ी जादूगरनी, मुझे ऊपर खींच लो।'

उसने ऊपर से पूछा, 'चकमक डिबिया ले ली?'

सैनिक ने ईमानदारी से कहा, 'मैं भूल गया था।' वह वापिस गया और डिबिया ले आया। जादूगरनी ने उसे ऊपर खींच लिया। वह वापिस सड़क पर पहुँच गया था, पर अब उसकी जेबें, झोला, टोपी, जूते सब सोने से भरे थे। अब वह दूसरी तरह सोच रहा था।

वह बोला, 'तुम्हें यह चकमक डिबिया क्यों चाहिए?'

जादूगरनी ने गुस्से से कहा, 'तुम्हें इससे क्या? तुम्हें धन मिल गया, तुम अपना काम करो। मुझे डिबिया दे दो।'

सैनिक ने कहा, 'मुझे फौरन बताओ कि तुम उससे क्या करोगी, नहीं तो मैं तलवार से तुम्हारा सिर उड़ा दूंगा।'

जादूगरनी ने सख्ती से कहा, 'नहीं बताऊँगी।' पर उससे गलती हो गई, क्योंकि सैनिक ने सचमुच उसका सिर काट दिया और वह मर गई। सैनिक ने उसके कपड़े में सारा सोना बाँधा और कंधे पर लाद लिया। फिर डिबिया जेब में रखी और शहर की तरफ चल दिया।

शहर अच्छा था। सैनिक सबसे बढ़िया सराय में गया। वहाँ उसने सबसे बढ़िया कमरा माँगा, फिर अपनी पसंद का बढ़िया खाना खाया क्योंकि अब उसके पास इतना पैसा था कि वह अमीर कहा जा सकता था।

उसके जूतों पर पॉलिश करने वाले नौकर को बड़ा ताज्जुब हुआ कि इतने पैसे वाले आदमी के ऐसे घिसे हुए जूते हैं। पर सैनिक को अभी खरीदारी करने का वक्त ही नहीं था। अगले दिन उसने अपने पैसों के हिसाब से अपने लिए कपड़े और जूते खरीदे। अब वह एक बड़ा आदमी बन गया। लोग उसे अपने शहर और राजा तथा उसकी सुंदर बेटी के बारे में बताने को बेचैन थे।

सैनिक ने कहा, 'मैं उसे देखना चाहूँगा।'

शहरवालों ने बताया, 'उसे कोई नहीं देख सकता। वह एक ताँबे के किले में रहती है जिसके चारों तरफ दीवारें, बुर्ज और खाई है। राजा किसी को वहाँ नहीं जाने देता, क्योंकि यह भविष्यवाणी की गई है कि वह एक मामूली सैनिक से शादी करेगी और राजा यह नहीं चाहता।'

सैनिक सोच रहा था कि काश मैं उसे देख पाता पर यह सोचा भी नहीं जा सकता था।

वह हँसी-खुशी रह रहा था, थियेटर देखने जाता था। उसने एक गाड़ी खरीद ली थी ताकि राजा के बगीचे में चक्कर लगा सके। वह गरीबों को खूब पैसे बाँटता था क्योंकि उसे याद था कि जेब में पैसे न हों तो कैसा लगता है।

वह पैसे वाला था, अच्छे कपड़े पहनता था और इसलिए उसके बहुतसे दोस्त थे। वे सब कहते थे कि वह सच्चा सिपाही है और बहुत दयालु है। उसे अपनी तारीफ सुननी बहुत अच्छी लगती थी। पर क्योंकि वह रोज़ खर्च करता था और मिलते नहीं थे तो जल्दी ही उसके पास सिर्फ दो ताँबे के सिक्के बचे।

उसे नीचे के सुंदर कमरे से, ऊपर दुछत्ती के छोटे-से कमरे में जाना पड़ा। अब वह खुद अपने जूते पॉलिश करता था और बड़ी सुई से उनकी मरम्मत करता था। उसका कोई दोस्त उससे मिलने नहीं आता था। वे कहते थे कि उसके पास पहुँचने के लिए बहुत सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं।

एक शाम को बहुत अँधेरा था। वह एक मोमबत्ती भी नहीं खरीद सकता था। अचानक उसे चकमक डिबिया याद आई जिसमें एक छोटी मोमबत्ती पड़ी थी। उसने डिबिया में से मोमबत्ती निकाली, फिर चकमक को रगड़ा। उसमें से एक चमक निकली और दरवाज़े से चाय के प्याले जैसी बड़ी आँखों वाला कुत्ता आ गया।

कुत्ते ने पूछा, 'मेरे मालिक, आपका क्या हुक्म है?'

सैनिक बोला, 'यह क्या? यह चकमक डिबिया तो बड़ी मज़ेदार है। क्या मैं जो चाहूँ वह मिल सकता है? कुछ रुपए लाओ!' उसने हुक्म दिया। 'धन्यवाद' कहने में जितना वक्त लगता है उससे भी कम वक्त में कुत्ता मुँह में एक बड़ा बोरा लेकर आ गया उसमें ताँबे के सिक्के भरे थे। - अब सैनिक समझा कि जादूगरनी इस डिबिया को इतना कीमती क्यों समझ रही थी। एक बार जलाने पर ताँबे के सिक्कों की तिजोरी पर बैठने वाला कुत्ता आया, दो बार रगड़ने पर चाँदी के सिक्कों की रखवाली वाला कुत्ता आया और तीन बार रगड़ने पर सोने के सिक्कों वाला कुत्ता।

सैनिक फिर नीचे वाले कमरे में चला गया, बढ़िया कपड़े पहनने लगा, दोस्त आने लगे। पहले की तरह वे फिर उसे याद करने लगे।

एक बार दोस्तों के चले जाने के बाद जब वह अकेला बैठा था तो सोचने लगा, 'कितने दुःख की बात है कि कोई उस सुंदर राजकुमारी को नहीं देख सकता। अगर कोई देख ही न सके तो उस खूबसूरती का क्या फायदा? क्या उसे हमेशा ऊँची दीवारों और ताँबे के किले के बुों में छिपे रहना होगा? क्या मैं कभी उसे नहीं देख पाऊँगा?-मेरी चकमक डिबिया कहाँ है?'

उसने उसे रगड़ा, चाय के प्यालों जैसी आँखों वाला कुत्ता आया। सैनिक बोला, 'मैं जानता हूँ कि बहुत देर हो गई है, पर चाहे एक मिनट के लिए ही सही, मैं उस सुंदर राजकुमारी को देखना चाहता हूँ।'

कुत्ता चला गया और उसी क्षण सोती राजकुमारी को पीठ पर डालकर ले आया। वह बहुत सुंदर थी। कोई भी उसे देखकर समझ सकता था कि वह असली राजकुमारी है। सैनिक सच्चा सैनिक होने के कारण उसे चूमे बिना नहीं रह सका।

कुत्ता राजकुमारी को वापिस उसके ताँबे के किले में छोड़ आया। सुबह माता-पिता के साथ चाय पीते वक्त राजकुमारी ने उन्हें बताया कि उसने उस रात बड़ा अजीब सपना देखा। एक बड़ा कुत्ता आकर उसे एक सैनिक के पास ले गया जिसने उसे चूम लिया।

रानी बोली, 'अच्छी कहानी है।' पर वह सचमुच यह नहीं मानती थी।

अगली रात उसने सोती हुई राजकुमारी की निगरानी के लिए एक बूढ़ी औरत को भेजा ताकि यह पता चल सके कि वह सपना ही है, कोई बुरी बात नहीं।

सैनिक राजकुमारी को देखने के लिए इतना बेचैन था कि सह नहीं पा रहा था। उसने रात को फिर कुत्ते को उसे लाने के लिए भेजा। कुत्ता जितनी तेजी से भाग सकता था भागा, पर वह बुढ़िया भी जूते पहने हुए थी। वह पूरा रास्ता पीछे भागती रही। जब उसने कुत्ते को घर में घुसते देखा तो दरवाज़े पर चॉक से एक निशान बना दिया।

उसने सोचा, 'अब सुबह घर ढूँढ़ना आसान होगा।' और घर जाकर सो गई।

कुत्ता जब राजकुमारी को किले में पहुँचाकर लौटा तो उसने देखा कि उसके मालिक के दरवाज़े पर चॉक का निशान है। उसने पूरे शहर के मकानों पर वैसा ही निशान बना दिया। इस होशियारी की वजह से बुढ़िया को सही दरवाज़े का पता ही नहीं चल सका, क्योंकि अगले दिन सुबह राजा, रानी, वह बुढ़िया और राजा के अफसर शहर का वह घर ढूँढ़ने निकले जहाँ राजकुमारी गयी थी।

पहला दरवाजा देखते ही राजा बोला, 'यह रहा!'

रानी ने दूसरा दरवाज़ा देखकर कहा, 'नहीं प्रिय, यह है।' क्योंकि उसने निशान दूसरे दरवाज़े पर देखा था।

'यह है!'

'वह है!'

सब एक साथ चिल्ला रहे थे, क्योंकि जहाँ भी कोई देख रहा था, दरवाज़ों पर वही एक निशान था; आखिर सब हार गए।

रानी केवल सोने की गाड़ी में सवारी ही नहीं करती थी, वह बहुत चतुर भी थी। उसने सोने की कैंची निकाली, एक बड़ा-सा रेशमी कपड़े का टुकड़ा काटा, उससे एक सुंदर थैला बनाया, उस थैले को कोटू के दानों से भरा और राजकुमारी की कमर से बाँध दिया। उस थैले में रानी ने सिर्फ इतना बड़ा छेद किया कि एक बार में कोटू का एक ही दाना गिरे जिससे पता चल जाए कि कुत्ता राजकुमारी को कहाँ ले गया था।

रात में फिर कुत्ता गया ताकि राजकुमारी को पीठ पर उठाकर सैनिक के पास ले जा सके। अब सैनिक उसे इतना प्यार करने लगा था कि उसकी सिर्फ एक ही इच्छा थी कि वह राजकुमार बनकर उससे शादी कर ले।

कुत्ते ने ध्यान नहीं दिया और न ही उसे पता चला कि कोटू के दाने ताँबे के किले से लेकर सैनिक के कमरे तक एक लकीर छोड़ आए थे। सुबह राजा-रानी को बिना परेशानी के पता चल गया कि राजकुमारी कहाँ गई थी। उन्होंने सैनिक को जेल में डाल दिया।

बेचारा सैनिक अँधेरी कोठरी में अकेला बैठा था। उसे सबसे बड़ी फिक्र यह थी कि सभी कह रहे थे, 'कल तुम्हें फाँसी दी जाएगी।'

यह कोई हँसी की बात नहीं थी। काश उसके पास चकमक डिबिया होती, पर वह तो उसे कमरे में भूल आया था। जब सूरज चढ़ा तो उसे खिड़की की सलाखों के बाहर लोग दिखे जो जल्दी-जल्दी शहर के बड़े फाटक की तरफ जा रहे थे। फाँसी शहर की दीवारों के बाहर ही दी जानी थी। सैनिक को ड्रमों और सैनिकों के पैरों की आवाज़ सुनाई दे रही थी। सब भागे जा रहे थे। तभी उसे जूते बनाने वाले का एक चेला दिखाई दिया। वह अपना चमड़े का एप्रन और स्लीपर पहने हुए थे। वह अपनी टाँगें इतनी ऊँची उठा रहा था जैसे कूद रहा हो। तभी उसका एक स्लीपर उछलकर सैनिक की खिड़की के पास आ गिरा।

जैसे ही वह उसे लेने आया, सैनिक चिल्लाया, 'ऐ! सुनो, एक मिनट रुककर बात सुनो। जब तक मैं नहीं पहुँचता तब तक वहाँ कुछ नहीं होगा। अगर तुम सराय तक जाकर मेरी चकमक डिबिया, जो मैं वहीं भूल आया, ला दोगे, तो मैं तुम्हें चार ताँबे के सिक्के दूँगा। पर इसके लिए तुम्हें टाँगों को इस्तेमाल करना होगा, नहीं तो बहुत देर हो जाएगी।'

उस लड़के के पास एक सिक्का भी नहीं था। चार मिलने की उम्मीद में वह भागा और सैनिक को वह डिबिया लाकर दे दी।

और अब सुनो कि इसके बाद क्या हुआ!

शहर के फाटक के बाहर एक फाँसी का फंदा तैयार किया गया था। वहाँ राजा के सिपाही और सैकड़ों दूसरे लोग खड़े हुए थे। राजा और रानी अपने सुंदर सिंहासन पर बैठे थे। जज और राजा के मंत्री उनके सामने बैठे थे।

सैनिक मंच पर खड़ा था, पर जब फंदा उसके गले में डाला जाने लगा तब वह बोला कि कानून के मुताबिक मरने वाले की एक इच्छा पूरी की जाती है। उसकी इच्छा सिर्फ तंबाकू का एक पाइप पीने की है।

राजा मना नहीं कर पाया। सैनिक ने अपनी चकमक डिबिया निकाली, उसे रगड़ा, एक बार, दो बार, तीन बार। फौरन तीन कुत्ते उसके सामने आ गए। एक जिसकी आँखें चाय के प्याले जितनी थीं; दूसरा जिसकी आँखें चक्की के पाट जैसी थीं और तीसरा, जिसकी आँखें शहर के बड़े गोल टॉवर जितनी बड़ी थीं।

सैनिक चिल्लाया, 'मेरी मदद करो, मैं फाँसी पर चढ़ना नहीं चाहता।'

कुत्ते जज और मंत्रियों की तरफ दौड़े। उन्होंने एक की टाँग पकड़ी, दूसरे की नाक, फिर उन्हें हवा में इतना ऊपर उछाला कि वापिस ज़मीन पर गिरने से उनके टुकड़े-टुकड़े हो गए।

राजा चीखा, 'मुझे नहीं!' पर सबसे बड़े कुत्ते ने राजा और रानी दोनों को उतना ही ऊँचा उछाला जितना औरों को उछाला था।

राजा के रक्षक डर गए; लोग चिल्लाने लगे, 'सैनिक तुम हमारे राजा बन जाओ और राजकुमारी से शादी कर लो।'

सैनिक राजा की सोने की गाड़ी में सवार हुआ; तीनों कुत्ते आगे-आगे -नाचते हुए भौंक रहे थे : 'हुर्रे!'

छोटे बच्चे सीटी बजा रहे थे। राजा के रक्षक उसको सम्मान दे रहे थे। राजकुमारी को किले से लाया गया, उसे शादी करके रानी बनना बहुत अच्छा लगा। एक हफ्ते तक शादी की दावत चलती रही। तीनों कुत्ते मेज़ पर बैठकर लोगों को आँखें दिखाते रहे।

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