चार घोड़े और एक नाविक (अमेरिकी कहानी) : जैक लण्डन
Chaar Ghode Aur Ek Navik (American Story) : Jack London
“ हुँह! चार घोड़ों को चलाएगा! मैं तुम्हारे पीछे नहीं बैठूंगा- चाहे मुझे एक हजार डॉलर दिए जाएँ- उसमें भी पहाड़ी सड़कों पर।"
ऐसा हेनरी ने कहा और उसको यह पता ही होगा, क्योंकि वह स्वयं चार घोड़ों की कोच चलाता था ।
ग्लेन एलेन के एक और दोस्त ने कहा, "क्या, जैक लंदन में ? और वह भी चारों घोड़ों को हाँकेगा ? मुझे तो विश्वास ही नहीं होता है, कैसे? वह तो एक घोड़ा भी चला नहीं सकता।" और सबसे बढ़िया बात यह थी कि वह सही था, मैं किसी तरह से चार घोड़ों की बग्घी को लेकर कुछ सौ मील चला गया, पर मुझे यह भी नहीं पता था कि एक को भी कैसे चलाऊँ ? यह कुछ दिन पहले की ही बात है कि मैं एक पहाड़ पर खड़ी ढलान से नीचे उतर रहा था कि अचानक एक तिरछा घुमाव आ गया। मेरी बघी एक घोड़े पर एक तरफ को झुक गई तथा उसी समय सामने से एक बग्गी आ गई, उसे एक औरत चला रही थी । केवल एक फीट की जगह थी बीच में वहाँ से पास होने की । हमारे घोड़ों को यह पता नहीं था कि किस प्रकार से ऊपर चढ़ाई पर वापस जाएँ। लगभग 200 फीट नीचे ऐसी जगह थी, जहाँ से हमारी घाँ गुजर सकती थीं। दूसरी बग्घी की स्त्री ड्राइवर बोली कि वह भी नीचे पीछे नहीं जा सकती थी, क्योंकि उसका ब्रेक लगेगा या नहीं, वह नहीं जानती थी। मैं एक घोड़े को भी नहीं साधना जानता था, इसलिए मैंने कोशिश नहीं की। अतएव हमने उसके घोड़ों को खोल दिया और हाथ से ही बग्घी को पीछे धकेलकर ले गए। अभी तक तो सब ठीक था, पर अब यह समस्या हुई कि घोड़ों को फिर से बग्घी से कैसे बाँधा जाए ? उसको भी नहीं पता था । मुझे भी नहीं पता था और मुझे उसकी जानकारी पर भरोसा करना था। हमको लगभग आधा घंटा लग गया, जिसमें आपस में कई बार बातचीत हुई और सलाह ली गई। पर मुझे इस बात का पक्का विश्वास था कि घोड़े को भी नहीं पता था कि उन्हें इस प्रकार से कभी भी बाँधा नहीं गया था। पर किसी प्रकार तमाम कोशिशों से यह काम संभव हुआ ।
"नहीं, मैं एक घोड़े को भी नहीं बाँध सकता था, पर मैं घोड़ों को जोत सकता था, जो मुझ पर यह दबाव डालेगा, जो मेरे रहने की जगह थी कि मैं अपनी शुरुआत पर जाऊँ । सोनोमा घाटी को रहने की जगह चुनने के बाद शारमियाँ और मैंने फैसला किया कि हम अपने आसपास की जगह को जान सकें । यह कैसे किया जाए, सबसे पहला सवाल था । मेरी तमाम कमियों में से एक यह थी कि मैं पुराने जमाने का आदमी या ओल्ड फैशंड था । हम गैसोलीन कार के साथ नहीं घुलते-मिलते थे और जैसा कि अच्छे कुशल नाविक को होना चाहिए, हम स्वाभाविक रूप से घोड़ों की ओर आकर्षित होते थे। मैं उस भाग्यशाली व्यक्ति की तरह हूँ, जो अपना ऑफिस अपने साथ-साथ लेकर चलता था। मेरे अपने साथ अपना टाइपराइटर और तमाम पुस्तकें साथ चलती थीं। इससे घोड़ों का संतुलन बिगड़ गया था । शारमियाँ ने सुझाव दिया था, यह सब मैंने उससे ड्राइविंग के दौरान जाना था । उसको मेरे ऊपर कुछ विश्वास था और कुछ फासला तो वह घोड़ों की जोड़ी के साथ स्वयं तय कर सकती थी। पर मैं जब सोचता हूँ कि मुझे अगले तीन माह तक कई पहाड़ों से गुजरना था और इन थके हुए घोड़ों की जोड़ी के साथ यह अक्लमंदी का काम नहीं होगा। अतएव, हम गैसोलीन (मोटरकार) का विकल्प चुनें।
"हम चार घोड़ों का विकल्प क्यों न चुनें?" मैंने कहा, “पर तुम यह नहीं जानते कि कैसे उन्हें चलाया जाए ?" उसको पत्नी ने आपत्ति की। मैंने अपना सीना फुलाकर और कंधा पीछे की ओर करते हुए शाही अंदाज में कहा, "जो एक आदमी कर सकता है, वह मैं भी कर सकता हूँ, और आप यह नहीं भूलिए कि जब हम स्नार्कशिप पर नौकायन के लिए निकले थे, तब मुझे नाव चलाने या उसको नेवीगेट ( रास्ता दिखाने की कोई जानकारी नहीं थी, पर मैंने अपने आप यह चीजें यात्रा (सेलिंग) के दौरान सीख ली थीं।"
"आपने बिल्कुल ठीक कहा, " उसने कहा (और यह उसके विश्वास के लिए काफी था ) " चार काठीवाले घोड़े होंगे, जिन्हें हम अपनी बग्गी में जोत देंगे।"
अब मेरे बोलने की बारी थी, “ पर यह काठी वाले छोरे अभी तक ट्रेंड नहीं किए गए हैं कि जुआ बाँध दिया जाए।"
" तो फिर उनको ब्रेक कर काबू में लाकर दो को ट्रेंड कर दो।"
और मैं घोड़ों के बारे में ही कितना जानता था और उनको 'ब्रेक' करने की बात तो बिल्कुल ही अलग थी। यह बस, उतना ही था, जितना एक सेलर नाविक एक घोड़े के बारे में जान सकता था। कई बार मैं घोड़े द्वारा किक किया गया था उसपर से गिर गया, पीछे धकेला गया और उसके द्वारा कुचला गया। मैं घोड़े का बहुत सम्मान करता था, पर पत्नी का मान तो रखना था और मैंने उसका मान रखा।
किंग एक पोलो घोड़ा था, सेंट लुई से और प्रिंस, पैसाडीना से कई प्रकार की चौकड़ी भरनेवाला घोड़ा था। सबसे कठिन काम उनको इकट्ठे बाँधकर खींचने का था । वे पहाड़ी के नीचे जाते-जाते तरह-तरह से उछल-कूद मचाते हुए जाते थे। पर जब वे किसी चढ़ाई पर भारी गाड़ी के साथ चढ़ने को होते, तब वे पीछे मुड़कर हमारी तरफ देखते। तब मैं उनको अनदेखा कर देता था और तभी मेरी परेशानियाँ शुरू होती थीं। मिल्डा, एक 14 साल की, बिना मिलावट के ब्रांचो था, पर उसका स्वभाव एक खच्चर और खरगोश (Jack Rabbit) का बराबर-बराबर मिश्रण था। यदि आप उसको सहलाते तो फिर वह आपके ऊपर ही लेट जाती। यदि आप सिर पकड़कर उसे पीछे मोड़ना चाहते तो वह आपके ऊपर ही चलने लगती और यदि आप उसे पीछे से धक्का देकर उठने को कहते तो वह आपके ऊपर ही बैठ जाती थी । वह चलती भी नहीं थी । मीलों तक मैं इस कोशिश में रहता था कि उसको चलाऊँ, पर वह चलकर ही नहीं देती थी। वह एक नाँद के चारे को खाने के लिए भागती थी । चाहे वह अस्तबल से कितनी ही दूर क्यों हो, शाम के समय 6 बजते ही वह अस्तबल की ओर छोटे-से-छोटे रास्ते से दौड़ती आती। कई बार मैं उसको खारिज भी कर देता था ।
मेरी चौथी और सबसे ठुकराई हुई घोड़ी थी - वह आउटला था। तीन वर्ष की आयु से सात वर्ष की आयु तक उसने सभी हॉर्सट्रेनर्स की अवज्ञा की और कुछ को तो गिराकर उनकी हड्डी -पसली तोड़ दी थी। तब एक लंबा मेक्सिकन कॉऊ - ब्वॉय आया और उसने 50 पाउंड की फीली और चाबुक से उसे कान में लाया। उससे मैंने वह घोड़ा खरीदा था । घुड़सवारी करने के लिए वह मेरी सबसे प्रिय घोड़ी थी । शारमियाँ और मैंने उसे एक पहिए वाली गाड़ी में (Wheeler) में लगाया, जिससे उस पर अधिक कंट्रोल किया जा सके। शारमियाँ की प्रिय घोड़ी मेड थी और मैंने यह सुझाव दिया कि वह उसी पर सवारी करे। शारमियाँ ने यह बताया कि वह एक अच्छी नस्ल की घोड़ी थी, जबकि मेरी घोड़ी एक ब्रांडेड रेंज हॉर्स थी। और यदि उसकी मेड को तीन महीने तक बराबर चलाया गया तो उसके पैर बेकार हो जाएँगे। पर मैंने उसकी बात को काटते हुए कहा कि मेरी थॉसे-ब्रेड आउटला की तरह, जिसके कान नुकीले थे, ऐसी घोड़ी पाना मुश्किल था । उसने फिर मेड की शिन-बोन (पैर के घुटने से एड़ी तक की हड्डी) की ओर इशारा करते हुए कहा कि वह बहुत पतली थी, मैंने कहा कि शायद वह ज्यादा टिकाऊ थी । इससे शारमियाँ का घमंड आहत हो गया। बेशक उसकी थॉरो-ब्रेड अच्छी नस्ल वाली मेड में पुराने लेक्सिंगटन का खून दौड़ रहा था तथा बहुत ताकतवर मोर्गज का भी कुछ अंश था। बेशक वह चल सकती थी, दौड़ सकती थी और मेरे बिना रजिस्टर्ड आउटला को धूल चटा सके तथा यही कारण था कि मैं अपने आउटला को हार्नेस / गाड़ी से बाँधने में कतरा रहा था । उसका अपमान नहीं करना चाहता था । शारमियाँ अपनी बात पर अड़ गए थे। तो ऐसा था कि एक दिन मैंने शारमियाँ को आउटला के पीछे चालीस मील के सफर के लिए लगा दिया। उस चालीस मील में आउटला ने हर इंच पर किक किया, बीच-बीच में कूदी - फाँदी तथा बीच में अपना साथी भी ढूँढ़ लिया और उसको गरदन से पकड़कर पटखनी देना चाहा। एक और ट्रिक, जो आउटला ने उस सफर में ढूँढ़ ली थी, वह यह कि वह चलते-चलते एकदम से समकोण पर मुड़ जाता और अपने साथी को पीछे से ऊपर जाने के लिए धकेलता था । अनिच्छा से शारमियाँ ने अपनी घोड़ी मेड के इस्तेमाल के लिए अनुमति दे दी और उसको फिर खेत (रेंज) में छोड़ दिया गया।
अंततोगत्वा चारों घोड़ों को 'रिंग' में बाँध दिया गया एक स्टूडी बेकर ट्रैप । ढाई घंटे के अभ्यास के बाद, जिसमें उनका उत्साह कम नहीं हुआ था - तमाम जैक पोल और किकिंग मुकाबलों के बाद मैंने अपने आपको सफर के लिए तैयार कर लिया। जब सुबह हुई तो प्रिंस, जो गाड़ी खींचनेवाला था, उसका कंधा बुरी तरह किक किया हुआ था - घायल था । उसके पैरों में सूजन आ गई थी और कई दिन तक बनी रही। हमने उसके लिए कई दिन तक इंतजार किया। दरअसल, प्रिंस अपने आप नहीं मिला था, हमें उसे खोजना पड़ा था, क्योंकि वह चल नहीं पा रहा था। अब केवल आउटला ही बचा था। वह घास के मैदान से चरकर आया था, उसको नाल लगाई गई तथा उसको गाड़ी से जोत दिया गया। हमारे कई मित्रों और रिश्तेदारों ने दुर्घटना पॉलिसी - बीमा हम पर थोपना चाहा, पर शारमियाँ ने मना कर दिया। वह आगे बैठ गई और नकासा जेन, दो साल तक स्नार्क बोट पर हमारा केबिन ब्वॉय (लड़का ) था, वह टाइपराइटर लेकर पीछे बैठ गया, जो वह किसी से नहीं डरता था, मुझसे भी नहीं और नए प्रकार की चलनेवाली गाड़ी से प्रयोग करता रहता था । और हमने अपने आपको अच्छी तरह से धन्यवाद नहीं दिया, खासकर पहले घंटे के बाद, जब आउटला ने किक दिया था, लगभग पचास बार और जिसमें उसने कई बार मेड को गरदन से काटा था और शारमियाँ के गुस्से को भी बढ़ाया था । यह उसके लिए बहुत असहनीय था कि उसकी प्रिय घोड़ी मेड को इस प्रकार से काटा-पीटा जाए तथा जिंदा ही कोई उसे खा जाए।
हमारा नेता बहुत खुशमिजाज किंग एक पोलो-पॉनी (घोड़ी ) थी और मिल्डा एक खरगोश के भाँति फुरतीली वे किसी भी मोड़ पर खूबसूरती से मुड़ सकते थे तथा भाग सकते थे, जैसे कि कोई प्रेयरीवाला भेडिया किसी गाड़ी के आगे से भाग जाता हो । मिल्डा को हमेशा यही डर लगा रहता था कि कहीं लीड - बार मेनडंडा उसके ऊपर ही न आ गिरे। ऐसा जब होता था तो तीन चीजें होती थीं। वह लीड- बार के ऊपर बैठ जाती तथा उसे तब तक किक करती रहती, जब तक कि उसकी पीठ लीड - बार के नीचे न आ जाए, या एकदम से आगे को दौड़ पड़ती - पर उसकी लगाम, उसको कूदने से रोक देती थी ।
जब तक कि वह लीड - बार को एकदम सफाई से हटा न देती और उस पर ब्रेक डाउन तक नाचती रहती, उसके बाद वह अच्छे से व्यवहार करती । नकाता और मैं मिलकर मोटी - मजबूत रस्सी से उसकी मरम्मत करते, जो लोहे के तार से ज्यादा मजबूत होती थी और फिर हम अपने रास्ते पर आगे बढ़ जाते थे।
इस दौरान मैं चार घोड़ों के साथ चलना सीख रहा था, न कि उन चारों को बिना किसी औजार के काबू कैसे रखूँ। अब हमारे पास चार लाइट घोड़े थे, जो कई टन का बोझ खींच रहे थे। पर शुरुआत 4 हलके घोड़े, चारों दौड़ते हुए, पर एक ऐसी लाइटिंग, जो उनसे आगे बढ़ जाती थी। पर जब ऐसी घटनाएँ होती हैं तो वे जल्दी ही हो जाता है। मेरी कमजोरी थी, संपूर्ण अज्ञान । खासकर मेरी उँगलियाँ, जिन्हें कोई खास ट्रेनिंग नहीं थी और मैं अपनी आँखों पर भरोसा कर रहा था कि वह लगाम को कंट्रोल करने में सक्षम होंगी। पर इसका नतीजा बड़ा खतरनाक दृष्टि-भ्रम हुआ। जब मैं आगे वाली लगाम खींचना चाहूँ तो पीछे पहिए से जुड़ी लगाम खिंच जाए और जब पीछे की खींचना चाहूँ तो आगे की खिंच जाए। इससे बड़ी गड़बड़ होती थी । घोड़े और ड्राइवर एक जैक-पोल की भाँति सड़क पर उछल- कूद करते, नाचने लग जाते और उसकी गाड़ी धीरे-धीरे सड़क पर खिसकती रहती । ये सब एक ही 'रिंग' से जुड़े रहते थे ।
अब मैं 'जैक - पोल' नहीं करता और मैं इस आदत से कैसे बाहर आया, मैं स्वयं नहीं जानता । यह मेरी आँखें थी, जो मेरी उँगलियों को बुरी प्रकार से जकड़े थी । अतएव मैंने अपनी आँखें मूँद लीं और मैंने अपनी उँगलियों से ही काम लेना शुरू किया। आज मेरी उँगलियाँ मेरी आँखों से स्वतंत्र हैं और स्वयं काम करती हैं। मैं नहीं देखता कि मेरी उँगलियाँ क्या कर रही हैं। वे बस, काम करती है। मैं केवल संतोषजनक परिणाम देखता हूँ।
फिर भी किसी तरह से हम उस दिन पहली बार वहाँ से चल सके, नीचे धूपवाली सोनोमा घाटी से पुराने सोनोमा घाटी की ओर । ओल्ड सोनोमा वैली, जो जनरल वैले द्वारा सबसे उत्तरी सीमांत प्रांत की तरह स्थापित की गई थी। इसका उद्देश्य था कि जेंटाइल्स, जो सबसे ज्यादा खतरनाक इंडिया (देसी) निवासी थे, उनके आक्रमण से बचा जा सके । यहाँ पर इतिहास रचा गया था । यहाँ पर आखिरी स्पेनिश मिशन पोषित हुआ था। यहीं पर सबसे पहले बीयर फ्लैग ( भालू अंकित झंडा ) ऊँचा लहराया गया था। यहीं पर सबसे पहले एडवेंचर्स जैसे कि किट कारसन एंड फ्री मांट, सोने की खोज में यहाँ आकर बसे थे।
हम झूलते-झालते ऊँचे-नीचे पहाड़ों के बीच से, कई-कई मील डेरी फार्मों के बीच से, मुरगी पालनेवाले मैदानों से होते हुए नीचे ढलान से उतरकर पेटलूमा घाटी पहुँच गए। यहाँ पर सन् 1776 में कैप्टन क्विरोस सान पाब्लो खाड़ी से समुद्र तट पर बोंडेगा खाड़ी की खोज में वह पेटलुमा क्रीक पर पहुँच गए थे। और यहाँ पर बाद में रूसी और अलास्का के शिकारी चमड़े की नावों में, फोर्ट रॉस से समुद्री ऊदबिलाव की खोज और शिकार के लिए आए थे। समुद्री ऊदबिलाव सैन फ्रांसिस्को की खाड़ी में पाए जाते थे। यहाँ पर फिर बाद में जनरल वैलेजो ने एक किला बनवाया था, जो अब भी मौजूद है। यह स्पेनिश स्थापत्य का एक खूबसूरत नमूना है, जो हमारे लिए शेष है। और यहाँ पर हमारे घोड़ों ने एक व्यक्तिगत इतिहास बनाया, चमत्कारी सफलता के साथ। यहाँ पर हमारा पोलो-पोनी, जिसका कोई दोस्त नहीं था, लँगड़ा हो गया। इतना ज्यादा अपंग कि कोई भी एक्सपर्ट यह नहीं पता कर पाया कि उसका लँगड़ापन खुरों की वजह से था या पाँवों में भी या कंधे में थी या सिर में थी, कुछ पता नहीं। मेड को एक कील लग गई थी और वह भी लँगड़ाने लगी थी। मिल्डा, यह सोचकर कि दिनभर में काफी काम हो गया है, वह चारे के लिए भूख की वजह से खरगोश की तरह कूदने लगी थी । उसको केवल बल - रस्सी ने पकड़ा हुआ था । आउटला, जो अब तक बचा हुआ था, वह पहले की सभी बातें भुलाकर, जैसे कि खाल हटाना, पेंट को खराब कर दे, या घोड़े को काटना/खाना, सब भूल गया था। यहाँ पर हम लोगों ने विश्राम किया और किंग को रैंच पर वापस भेज दिया था और उसकी जगह प्रिंस (घोड़े) को बुलवा लिया था । यहाँ पर प्रिंस ने अपने आपको उत्कृष्ट गाड़ी खींचनेवाला साबित किया । उसको नेतृत्व (Lead Horse) चाहिए था । आउटला अपनी पुरानी जगह आ गया था। एक कहावत है कि अच्छा गाड़ी खींचनेवाला एक अच्छा नेतृत्व करनेवाला नहीं बन पाता है। मैं इस पुराने विशेषण पर आपत्ति करता हूँ। एक अच्छा गाड़ी खींचनेवाला घोड़ा बहुत ही बुरा लीडर साबित होता है, अब मैं जानता हूँ। मुझे जानना चाहिए था। कुछ सौ मीलों तक जब मैंने प्रिंस को लीड - हॉर्स की तरह दौड़ाया था। न उससे वह कोई बेहतर न बुरा, अपने पहले दिन की तुलना में; उसका बुरा उससे भी कही ज्यादा बुरा है, जीतना आप सोच सकते है। वैसे वह खतरनाक नहीं था। पर ऐसा नहीं था कि वह बदमाश था, जोकि चीनी के लिए किसी से हाथ मिला ले, या बहुत ज्यादा दोस्ती दिखाने पर वह आपके पंजों पर चढ़ जाए या आपके कठिन समय में आपको प्यार करता रहे। पर वह आपके रास्ते से हटेगा भी नहीं । जब भी वह कुछ गड़बड़ करने के लिए डाँटा जाता है, तब वह मिल्डा को उसके गले के पीछे काट लेती है। जब भी मैं तेज आवाज में बोलता हूँ, तब ही वह कूदकर एक तरफ हो जाती है, जिससे वह उसकी पहुँच के बाहर हो जाए । यह सब बहुत परेशान करनेवाला था । आप स्वयं इसकी कल्पना कर सकते हैं। आप एक नीची-ऊँची पहाड़ी, गोल चक्कर से तीखी ढलान पर जा रहे हैं और आपका घोड़ा तेजी से कूद-कूदकर चल रहा है। आगे पत्थर की दीवार आपकी नजर से ओझल है और उस मोड़ के पीछे एक खाई है। यह घुमाव बहुत सँकरा है और आगे बिना रेलिंग वाला एक पुल है। आप उस घुमाव पर आते हैं और आपके आगे वाला घोड़ा उस दीवार के सामने आ जाता है और आपके आगे वाला घोड़ा काम कर रहा हैं। सामनेवाले घोड़े दीवार को ऐसे गले लग रहे हैं, जैसे फाख्ते अपने घोसलों में वापस आते हैं। आप मुड़ जाते हैं और पुल को छोड़ जाते हैं। अब वह क्षण आ गया, जब लीडर्स (घोड़ों) को एकदम तेजी से आगे बढ़ना था । लीडर्स के पीछे अब दूसरे घोड़े और रिंग है ( बग्घी की) आपने ब्रेक को ढीला छोड़ दिया, जिससे पर्याप्त झटका मिल सके और उस तीखे मोड़ से निकल जाएँ । यदि कभी भी टीम वर्क की जरूरत थी तो अब इसका मौका था । मिल्डा आगे बढ़ने की कोशिश करती है, वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करती है, परंतु प्रिंस, जो शैतानी से भरा था, वह पीछे-पीछे चल रहा था, मिल्डा उससे आधी लंबाई आगे थी । वह क्षणमात्र का समय लेता है। मेड, जो पहिए से जुती हुई थी, उससे आगे बढ़ने की कोशिश किया और स्वाभाविक तौर पर उसने उसको काट लिया। इससे आउटला, जो अभी तक सही था, थोड़ा विचलित हो गया और मेड की ओर दौड़ पड़ता है। इसी समय प्रिंस यह पक्का समझकर कि यह सब मिल्डा की गलती थी, वह उसकी अनारक्षित गरदन में अपने दाँत गड़ा देता है। यह सब एक सेकंड मात्र में हो जाता था । मिल्डा इस अचानक हमले से घबराकर और काटने के दर्द से मिल्डा या तो आगे को कूदकर अपनी साज- सज्जा और लीड - बार को हिला देती है या दीवार के साथ लड़ जाती है तथा लीड - बार के अपने ऊपर गिर जाने से | उससे थोड़ा पहले रुक जाती है और एकदम से कुछ दुलत्तियाँ मारती है। इस क्षण को आउटला चुनता है पेंट उखाड़ने के लिए। जब उसके बाद सारी चीजें सुलझा ली जाती हैं, तब वह यह समझ पाता है कि वह खतरे से बाल-बाल बच गया था। इसके बाद वह अपने चुने हुए शब्दों से उसको बुरा-भला कहता है और प्रिंस अपनी आँखों में नमी भरे तथा दया की भीख माँगते उसकी ओर हाथ बढ़ाता है। चीनी के लिए मैं इसको छोड़ देता हूँ - एक नाविक कभी भी ऐसा व्यवहार नहीं करता है।
खाड़ी के उत्तर के बारे में भी हमारे पास कुछ इतिहास है। आज से लगभग साढ़े तीन सौ साल पहले सर फ्रांसिस ड्रेक, जो प्रशांत महासागर में स्पेनिश गैलियवस को ढूँढ़ रहे थे, वह इस पॉइंट राइस के सोते पर लंगर डाला, जहाँ पर आज दुनिया की एक सबसे बड़ी डेरी इस क्षेत्र में है । यहीं पर उसके दो दशकों बाद सेवास्टियन कारमेनन फिलीपींस से एक सिल्क से भरा जहाज लेकर आया था। यहीं पर बाद में रूसी अवैध शिकारी फर की तलाश में विडारका के साथ आए थे और चोरी-छिपे गोल्डेन गेट से होते हुए प्रतिबंधित सैन फ्रांसिस्को खाड़ी पहुँच गए थे।
आगे समुद्र तट सोनोमा काउंटी में रशियन बस्ती के पास डेरा डाला। बोडेगा खाड़ी में, जो आज रशियन नदी कहलाता है, वहाँ पर उनका एंकरेज (लंगर) है, जबकि नदी के उत्तर की ओर उन्होंने अपना किला बनाया था। और फोर्ट रॉस का अभी भी काफी कुछ शेष है। किले की लकड़ी की बुर्ज, चर्च और अस्तबल अभी भी ठीक-ठाक खड़े हैं, हाँ, कब्जों अब जंग लग गए थे और चूँ-चूँ करने लगे थे। और यहीं पर हमने डबल फायर - प्लेटो में अपने आपको गरम किया और यहीं पर लकड़ी के बीम (शहतीर) तथा वो है की स्पाइस सभी थे। काली छत के नीचे सोए थे। वहाँ डबल - फायर प्लेस भी था । हम वहाँ गए, जहाँ इतिहास रचा गया था और हमने वहाँ कई अच्छे दृश्य भी देखे । उस दिन हम अपनी लंबी-सैर पर निकले, तब हम सुंदर टॉमेल्स खाड़ी पर इंवरनेस, सेनोवे ओलेमा खाड़ी से होते हुए बोलिना खाड़ी पर पहुँचे। यह सब उस बड़े जलाशय विलो कैंप और ऊपर समुद्री - ब्लफ, जो तामालपाई किले के चारों तरफ थे और नीचे साक्षा लिटो को चले जाते थे । बोलिना खाड़ी के सिरे से विलो कैंप तक समुद्र तट के साथ-साथ की ड्राइव, जो वास्तव में आधे-आधे मील की थी, जिसमें से थोड़ा हिस्सा खाड़ी के पानी में भी था, बहुत ही आनंददायक थी। अभी और आश्चर्यचकित करनेवाला हिस्सा आनेवाला था। बहुत कम सैन फ्रांसिस्को वाले और उससे भी कम कैलिफोर्निया वाले इस सुंदर ड्राइव, जो विलो कैंप से उत्तर और पूर्व की ओर पोस्ट के खेत, जहाँ पर सैकड़ों फीट नीचे समुद्र हिलोरें मार रहा था और उसके बाद वह गोल्डेन गेट पुल था, जिसके बाद सैन फ्रांसिस्को आ जाता था, जो कई पहाड़ों पर बसा था। वहाँ से काफी दूर समुद्र के वृक्ष से और घने कुहरे से धुँधलाट फैसलोनेस को देखा जा सकता था। इसे सर फ्रांसिस ड्रेक इस कोहरे की वजह से देख नहीं पाए थे। चाहे इसकी जो कुछ भी कहें, या कुछ अन्य नाम दें, उसने सर फ्रांसिस ड्रेक को सैन फ्रांसिस्को खाड़ी के सुंदर दर्शन से वंचित कर दिया था ।
इस ड्राइव के कुछ हिस्से में मैंने असली में पहाड़ी पर ड्राइविंग करना सीखा, सच कहा जाए तो यहीं असली पर्वतों पर ड्राइविंग की थी - चाहे अच्छा या बुरा ऐसे पर्वतों पर मैंने पहले कभी ड्राइविंग नहीं की थी ।
और फिर एकदम से विरोधाभासी दृश्य । सासुआलेटो से पार्क की तरफ दोनों तरफ पेड़ लगी हुई सड़कें, जहाँ रेड-वुड के खूबसूरत पेड़ लगे हुए थे और मिल वैली के घर बने हुए थे। उससे आगे बढ़कर मरियन काउंटी फल-फूल रही थी, आगे दलदलों में छोटे-छोटे टीलों का समूह था, जो अच्छा दृश्य प्रस्तुत कर रहा था, इससे आगे हम सैन रैफेश, जो हलके गरम पहाड़ों के बीच था, से पास हुए और उसके बाद पेटलुमा घाटी और उसके बाद सोनोमा पर्वतों के नीचे हरी-भरी घासों वाली घाटी से गुजरे और फिर घर । उस दिन हम पचपन मील चले थे। इतना बुरा भी नहीं शैतान प्रिंस, पेंट हटानेवाला आउटला, जो पतली टाँग का अच्छी नस्ल वाला और खरगोश की तरह कूदनेवाला था। वे ठंड और अपनी नाँदों व चारे की ओर आए ।
हम रुके नहीं। हमने सोचा कि हम अभी शुरू ही कर रहे थे और वह कई हफ्ते पहले की बात थी । हमने छह काउंटी पार किया था, यात्रा काफी बड़ी रही, यदि कैलिफोर्निया से तुलना की जाए तो और हम लोग अभी भी चल रहे थे। हम टेढ़े-मेढ़े रास्तों और समतल रास्तों, एक-दूसरे को इधर-उधर से क्रॉस करते रहते नापा और लेक काउंटी के अंदरूनी भाग से गुजरते हुए, सैकड़ों मील समुद्र तटीय सड़कों पर चलते रहे। और मूरेका, हम बोल्ट खाड़ी पर आ गए, यह सोना खोजनेवाले लोगों ने अचानक ही खोज लिया था, जब वे ट्रिनिटी डिगिंग्स को खोज रहे थे । यहाँ पर गोरे रंग के लोगों के इतिहास से पहले, रशियन लोगों ने भी समुद्री ऊदबिलाव की खोज में लंगर डाला था । और पहुँचे थे, इसके पहले कि यांकी व्यापारी यहाँ पहुँचते और रॉकी पहाड़ों को पार करते तथा ग्रेट अमेरिकन रेगिस्तान में प्यास के मारे बेहाल होते और बर्फीली हवाएँ के धूप की किरणें चूमते हुई जमीन पर आते । हम अपने घोड़ों को यहाँ बोल्ट खाड़ी में विश्राम नहीं करा रहे थे । हम अंबालोन्स और मुसेल्स खा रहे थे (abolones and musales) और बड़ी सीपियों की खोज करते थे और तमाम समुद्री ट्राउट मछलियों को पकड़ा और पथरीली कॉडर मछली को भी। जब हम समुद्र में सेलिंग या मोटर बोट में सैर या तैर नहीं रहे होते थे, यहाँ की जलवायु समशीतोष्ण थी, जैसे हमने अनुभव किया था । ये बड़ी-बड़ी काउंटीज, बड़े-बड़े साम्राज्य हैं। उदाहरण के तौर पर हम्बोल्ट (Humbolt) खाड़ी को लीजिए, यह रोहडस द्वीप से तिगुनी तथा डेलावेयर की डेढ़ गुना है और मैसाचुस्टेस की आधी है। अग्रणी खोजियों ने इस क्षेत्र में खाड़ी के उत्तरी क्षेत्र में काम किया था और नीचे डाली गई तथा तमाम जनता के आने और बसने की तैयारी में शुरू किया गया था । और संसाधनों को विकसित किया जाने लगा, जो अभी तक नहीं हुआ था। यह क्षेत्र आगे चलकर छह काउंटी लाखों लोगों की बसाहट बननेवाला था । और इस बीच और धन की खोज करनेवालों और उससे पहले अच्छी जलवायु की तलाश करनेवालों, अब वह समय आया जब आप जमीन पर पैर रखें।
रॉबर्ट ईगरसॉल ने एक बार कहा था कि कैलिफोर्नियन, दो-तीन पीढियों में, मेक्सिकन की तरह हो जाएँगे - प्रति रविवार को वह मुरगों को बगल में दबाकर मुर्गों की लड़ाई के लिए ले जाया करेंगे। इस तरह का एक सामान्य कथन इसके पहले कभी भी नहीं किया गया था । यह कथन तथ्यों पर बिल्कुल आधारित नहीं था। इस पर केवल हँसा जा सकता है । इस तरह की ऊर्जावान और स्वस्थकर जल - वायु और कहीं पाई नहीं जाती थी। इससे आपकी शक्ति प्रकृति के उतार चढ़ाव को आसानी से, बिना शारीरिक शक्ति के क्षीण हुई । यहाँ पर आदमी 365 दिन काम कर सकता है, बिना कमजोर हुए और यहाँ पर रात में तीन सौ पैंसठ दिन आदमी को कंबल ओढ़कर सोना पड़ेगा। इससे ज्यादा और कोई क्या कह सकता है। मैं, 6 टाइम जोनों से से पाँच टाइप जोनों में यात्रा कर चुका हूँ और अपने आपमें एक तरह का मौसम एक्सपर्ट (विशेषज्ञ) हो गया था। अंटार्कटिक का मुझे पता नहीं, पर अवश्य ही इससे बेहतर मौसम वाली जगह नहीं होगी। हो सकता है कि इंगरसाल की तरह मैं भी गलत घोड़ों पर था, फिर भी इस तरह के मौसम में कोई दवाई नहीं लेता, यहाँ की जलवायु ही मेरे लिए दवाई है। केवल यही एक दवाई है, जिसका मैं सेवन करता हूँ ।
अब हम फिर से घोड़ों की ओर लौटते हैं। आगे अब कुछ सुधार हुआ है। मिल्डा ने अब चलना सीख लिया है। मेड भी अपनी अच्छी नस्ल को साबित करते हुए सबसे लंबे दिनों में भी बिना थके चलती रही, बीच में बिना कोई परेशानी पैदा किए, बस, कभी-कभी आउटला को किक मार देती थी तथा तेज दौड़नेवाली घोड़ी थी। और आउटला शायद ही कभी सरपट दौड़ता था, अपना काम करता है और समय-समय पर मेड के मेडुला ओबलोंमय (गरदन) में किक करता है। सबसे आश्चर्यजनक तो यह है कि वह वास्तव में थोड़ी सुस्त हो गई थी। प्रिंस सुधर नहीं रहा था, पर वह उसी प्रकार से प्यारा था और प्यार करनेवाला था । और हम सब कैसे प्रदेश में से होकर आए थे ! बाईं ओर नापा तथा लेक काउंटी के बीच से ड्राइव करके गया सांटारोजा से सोमोना घाटी से हम अपने आपको कई रास्तों से होकर आने से रोक नहीं पाए थे। हर जगह सड़कें मशीन (मोटर) और घोड़ों दोनों के लिए उत्कृष्ट थीं। और एक सड़क सांटा रोजा से आगे पुराने आलटूरिया, फिर मार्क वेस्ट स्प्रिंग्स, फिर दाईं ओर और फिर नापा घाटी कालिस्टगा में बहुत ही बढ़िया थी ।
यदि आप बाईं ओर से आएँ तो रशियन रिवर घाटी से होते हुए मीलों लंबा क्लॉवर डेल में अस्तिवाइनयार्ड (अंगूर के बाग) और फिर पिएटा, विश्व और हाइलैंड स्प्रिंग्स लेकपोर्ट पहुँच जाएँगे । इसके अलावा जो हमने एक रास्ता और चुना था, साओ पाब्लो खाड़ी के चारों तरफ सोनोमा घाटी से होते हुए, ऊपर नापा घाटी में जा रही थी । नापा से आप इधर-उधर पोप घाटी और बेरीसा घाटी होते हुए, एटना स्प्रिंग्स और फिर इससे भी आगे प्रसिद्ध लोग ट्राईरांच से होते हुए लेक काउंटी में ।
यदि आप नापा घाटी में आगे बढ़ते जाएँ, दोनों और पथरीली बाउंड्री और रेडवुड के जंगल और अंतहीन अंगूर के बागीचे और तमाम पत्थर के पुलो को पार करते हुए, जिसके लिए काउंटी प्रसिद्ध है और जो कि सुंदरता के पारखी लोगों के लिए खुशी प्रदान करते हैं और चार घोड़े वाले नौसिखियों चालकों के लिए भी। इसके बाद फिर कैलिस्टोगा, जिसमें पुराने मिट्टी के हमाम थे। ( Mud-baths) और चिकन सूप के झरने (Chicken Soup & Prings), साथ में सेंट हेलेना और उसकी बड़ी सी कोठी, जो हमारे सामने एक ऊँचे स्तंभ की भाँति थी । हम पहाड़ों पर ऊँची चढ़ाई वाले रास्ते पर चढ़े और उतरे तो वहाँ पारे की खानें थीं, जहाँ से आगे गीजर की गहरी गहरी नदी खाइयाँ थीं। हम रात को वहीं रुके और सुबह छोटी सी पर भव्य ज्वालामुखी देखा और जो हमने ग्रैंड ( चढ़ाई) लिया, वहाँ पहाड़ों के साथ वाली मंजानिटास में दोपहर की धूप में छोटे-छोटे पक्षी आवाज करते हुए उड़ रहे थे। हम और ऊपर गए तो बड़े-बड़े चारागाहों में पशु चर रहे थे और उसके ऊपर पथरीली चोटी थी । वहाँ पर हमने अचानक एक दृश्य या मृगतृष्णा देखा । महासागर, जो हमने कई दिन पहले छोड़ दिया था, वह सुदूर सूरज की रोशनी में चमक रहा था, जिसके दूसरे सिरे पर मजबूत पर्वत थे और आगे खेती की जमीन दिख रही थी। हमारे सामने एक साफ झील थी और चूँकि हम सही मायनों में सेलर्स थे, हम सेलिंग के लिए समुद्र पर लौट आए। सेलिंग करने और तैरने के लिए, मछली पकड़ने आदि के लिए और फिर हम थके- थकाए शाम की लेकपोर्ट कंबलों में घुस गए। क्या लेक काउंटो, वाल्ड इन काउंटी कहलाती तो ! पर वहाँ रेलवे आ रही थी। लोगों का कहना है कि क्लीयर - लेक का रास्ता वैसे ही है, जैसे लेश्लूसर्न पहुँचने का रास्ता है। पर चाहे जैसे ये दूर बर्फ से ढकी चोटियों, अवश्य आल्पाइन कही जा सकती थीं।
इससे अधिक उत्कृष्ट और क्या हो सकता था - ' वह खुबसूरत ड्राइव क्लिचर लेक से बरास्ता ब्लूलेक श्रृंखला, हर एक मोड़ पर बहुत सुंदर अवर्णनीय दृश्य था ! पीछे मुड़कर देखें तो बिल्कुल सुंदर रेखाओं और रंगों का कंपोजीशन था। पानी का गहरा नीला रंग अति सुंदर ओक के हरे-भरे बागानों से भरा था और नारंगी रंग के पॉवीज के बगीचे बहुत सुंदर दृश्य पेश कर रहे थे । और वे बगलों से मुड़- मुड़कर देखना, कुछ खतरनाक भी था । शारमियां और मैं इस बात पर असहमत थे कि किन रास्तों की दोनों धाराएँ मिलती थीं? फिर इस बात पर फैसले के लिए हम होटल के मैनेजर के पास गए, लेकिन वहाँ पर भी मैनेजर और क्लर्क दोनों ही की अलग-अलग राय थी। फिर शारमियां ने सुझाया कि दोनों रास्ते से ऐसा लगता है कि हम कभी भी नहीं जान पाएँगे कि कौन सा रास्ता है। मैं ऐसी कोई भी जलधारा नहीं जानता, जो कि यह दोनों काम एक समय में संपन्न कर सके। एक ही रियायत, जो मैं कर सकता हूँ, वह यह कि कभी वह नदी इधर से बहती है, तो कभी दूसरी दिशा में। शायद ही कोई नेत्र- विज्ञानी यह बता पाए !
थूकिया से विलिस तक और घाटियाँ थीं। इसके बाद हम पश्चिम की ओर मुड़े तथा रेड-वुड के जर्जिर जंगल ओक वुड से गुजरे । अल्पाइन में हम रात में रुके और अपनी यात्रा जारी रखी - मेंडिस्लो, काउंटी से फोर्ट ब्रैग और 'साल्ट वाटर' तक गोल्डन गेट से हमारी तटीय यात्रा बिल्कुल सुरक्षित रही । तटीय मौसम शीतल और खूबसूरत और ड्राइविंग भी बढिया रही। विशेषकर फोर्ट रॉस वाली सड़क, जो बहुत रोमांचक थी, जबकि हम समुद्र के साथ-साथ चल रहे थे । हरेक छोटी-बड़ी धाराएँ ( नदियाँ) एक नुकीली चट्टान होती थीं, जिसके चारों ओर होकर हमें जाना पड़ता था बार-बार । सारे रास्ते हरे- भरे जंगल थे, सड़क के दोनों ओर जंगली फूल लग रहे - लाइलक, जंगली गुलाब, पॉजीज और ल्यूपेन के बड़े-बड़े गुच्छे, जो कई रंगों और शेड में थे। मोडिसनो मार्ग पर शारमियां कई जगहों पर जल्दी बैल्कबेरी स्ट्राबेरी और थिंबल बेरीज चुनने लगती थी, जिससे हमें देरी हो गई थी। जगह-जगह हमने देखा कि दो मरतूल वाले राफ्ट (बड़ी स्पष्ट नाव) पर लकड़ी के लट्ठे लादे जा रहे थे, पथरीली खाड़ियों में भरे जा रहे थे । दिन-पर-दिन हम तमाम हरे भरे जंगलों को पार करते हुए, फलते-फूलते गाँवों में जा रहे थे और आगे आरा मशीन वाले भी छोटे-छोटे शहर थे। मेंडिसिको सिटी से बड़ी नदी तट पर हमारी लांच ट्रिपनी बड़ी यादगार रही। यहाँ पर लांचों के स्टीयरिंग गीयर्स दुनिया भर से अलग, उल्टी तरफ चलते हैं, जहाँ पर हमने नदी में बड़े - बड़े 6 से 12 से 15 फीट तक व्यास थे, जिन्होंने मीलों तक नदी को घेर रखा था कि उसमें पानी नहीं दिख रहा था, जहाँ पर हमें बताया गया कि सफेद या आल्विनो रेड-वुड वृक्ष पाए जाते।
सभी नदियाँ और धाराएँ ट्राउट फिश से भरी हुई थीं और एक बार से अधिक हमने ढलानों पर साइड हिल सालमन देखी गई। नहीं, सालमन एक पेशेपैरेटिक मछली नहीं है, वह एक बिना मौसम के (dear) डियर हैं। पर ट्राउट! गुआलाला में शारमियां ने अपनी पहली ट्राउट पकड़ी। अपने जीवन में मैंने दो बार ट्राउटफिश पकड़ी थी। मैंने एक बार फ्लाई और स्पिनर से कोशिश की, पर एक भी फिश पकड़ नहीं पाया था। पर फ्लाई-फिशिंश प्रकृति को नकल करने का एक तरीका था । और अपने आपको मैं एकदम मछली पकड़नेवाला समझने लगा था, जब तक कि नकारा ने अपनी बंशी में ब्रेड का टुकड़ा लगाकर ही एक सबसे बड़ी ट्राउट मछली पकड़ ली थी। एक बार पहले मैं एक-दो एंगलवार्म ही पकड़ पाया था। पर गुआलाला नदी में मैंने ट्राउट पकड़ी थी और काफी सारी । अब मैं दावे से कह सकता हूँ कि विज्ञान और कला में कुछ नहीं रखा। फिर भी उस दिन से हमारे सामान में डंडे और टोकरियाँ भी शामिल हो गईं। हम प्रत्येक नदीं में अब मछली पकड़ लेते हैं। हमें जिनका कुल जोड़ अभी पता नहीं है ।
असल में फोर्ट ब्रैग के उत्तर में मीलों तक कई पहाड़ी और दर्शनीय स्थल दिखाई पड़े। हम फिर मेंडोसिना के अंदरूनी भाग में पहुँच गए और कई पहाड़ी - श्रृंखलाओं को पार करते हम बोल्ट काउंटी, जो बेल नदी और गार्बरविले के काँटे पर बना था, पर पहुँचे। रास्ते भर हमें आगाह किया गया कि मरीन काउंटी नॉर्थ से आगे सड़कें खराब थीं। पर हमें ऐसी सड़कें कहीं भी नहीं मिलीं - हम हमेशा या तो उनसे हम आगे बढ़ जाते थे, या पीछे रह जाते थे । हम जितना आगे बढ़ते जाते, उतनी ही अच्छी सड़कें मिलती थीं, संभवतः इसलिए भी कि हम चार घोड़ों और एक हलकी रिंग के साथ अब अधिक-से- अधिक चलना भी सीख गए थे। इस प्रकार से हम तमाम काउंटीज के साथ अपना मुँह बचा रहे थे। मैं सड़कों के बारे में ऐसा द्वेषपरक बयान नहीं देना चाहता हूँ। मैं यहाँ पर यह जोड़ना चाहूँगा कि केवल कुछ दृष्टांतों को छोड़कर, इसने अपने घोड़ों को कठिन से कठिन ढलानों पर से उतारा है। इसमें से न तो कोई घोड़ा गिरा, न ही किसी के रिंग को लोहार की दुकान पर मरम्मत के लिए भेजना पड़ा।
हाँ, मैं चाबुक चलाना सीख रहा हूँ, यदि कोई चालक यह सोचता है कि एक छोटे हैंडल वाले लंबे लैश (चाबुक / कोड़ा) को यहाँ पर वह चलाना आसान होता है तो यह नहीं होता । उसको एक स्वचालित वाहन का चश्मा (गॉगल्स) पहन करके देखे ! फिर थोड़ा पुनर्विचार करके सोचे कि उस वायर-फेंसिंग गॉगल्स पहन ले। मैंने उस चाबुक को कई बार देखा । मैं उससे मोहित हो जाता हूँ और यह डर से होता है। शारमियां और नताका के भी इसी प्रकार मुग्ध होते देखा है और जब वे मुझे चाबुक उठाते हुए देखती है तो अपने सिर को अपनी बाँहों से ढक लेती थी।
यहाँ पर समस्या है। प्रिंस बग्गी को ईमानदारी से खींचने के बजाय, वह इस कोशिश में रहता है कि कैसे वह मिल्डा की गरदन पर काट ले ! मेरे हाथ में चार लगाम हैं, मैं इनको अपने बाएँ हाथ में ठीक से पकड़ लेता हूँ और चाबुक को दाएँ हाथ में ठीक से पकड़ता हूँ और मेड को बचाते हुए, प्रिंस पर चाबुक मारता हूँ। अगर मैं मेड को मार देता हूँ तो उसकी अच्छी नस्ल का होने का धक्का लगता है और वह हवा में उछलने लगेगी और मेरे पास घोड़े को हिस्टोरियाँ हो जाने का केस हो जाएगा- जो आधे घंटे तक चलता रहेगा। पर साथियो ! समस्या तो आपसे अभी तक बताई नहीं गई। आप मान लीजिए कि मैं मेड को मिस कर देता हूँ तथा अपने वांछित लक्ष्य पर पहुँच जाता हूँ। जिस क्षण प्रिंस पर कोड़ा लगता है, सारे घोड़े उछलने-कूदने लगते हैं, प्रिंस सबसे ज्यादा और वह बदमाश अपने दाँतों को खोलते हुए मिल्डा पर झपटता है और आउटला मेड की गरदन पर झपट्टा मारना चाहता है और मेड, जो पहले ही कूद - फाँद कर चुकी थी, अब तेजी से भाग निकलना चाहती है तथा और तेजी से । और इस सब झगड़े-झंझट में मैं सबकी लगाम को अपने बाएँ हाथ में कसकर पकड़े रखने की कोशिश करता हूँ, जबकि व्हिप - लैश मेरी तरफ वापस आ रही होती है। अब तीन चीजें एक समय में होती है, चारों लगाम कसकर बाएँ हाथ में पकड़ना, एकदम से ब्रेक लगाना - पैर से और जब चाबुक का कोड़ा वापस आ रहा हो तो उसे दाएँ बगल में दबा लेना । फिर चार लगामों से दो लगाम को अपने दाएँ हाथ में और घोड़ों को भागने से रोकना, यानी वे ऊपर चढ़ाई पर न चढ़ जाएँ। आप कभी इसकी कोशिश करके देखें, आप पाएँगे कि यह कितना थकाऊ काम है ! क्योंकि जब पहली बार मैंने निशाने पर लगाम, रिवॉल्वर की शॉट की तरह मारा था, तब मैं बड़ा अचंभित हुआ था और प्रसन्न भी । पर उस समय मैं संज्ञाहीन हो गया था। कई और चीजें, जो साथ - साथ में करनी थीं, नहीं कर पाया था । चाबुक का कोड़ा वापस आते समय मेड के साज में फँस गया था और फिर मुझे शारमियां को सहायता के लिए बुलाना पड़ा। परंतु मैं अभी भी हर रोज चाबुक लगाना सीख रहा हूँ। मैं अपने पास कुछ पत्थर के कंकड़ रखता हूँ। वह प्रिंस पर सही जगह पर लगे, यही कोशिश करता हूँ । पर जब तक मैं कंकड़ रखूँगा, मैं चाबुक चलाना सीख नहीं पाऊँगा। अतएव, घर जाकर मैं उन्हें फेंक दूंगा। मैं केवल अपना मजाक उड़ाता रहूँगा कि मैं चार घोड़ों को साध सकता हूँ ।
गारबरविले से, जहाँ हमने पेटभर ईल (eel) खाया और वहाँ के मूल निवासियों (aborgines ) से मिले। हम ईल नदी की घाटी के साथ-साथ चलते रहे तथा सबसे बढिया रेड-वुड के जंगलों से गुजरे। ऐसे जंगल हमने कैलिफोर्निया में कहीं और नहीं देखे थे। डायर विले से यूरेका जाते समय हमने रेलवे की पटरी बिछाने का काम देखा और कंक्रीट के पुलों के निर्माण को भी देखा, जिससे यह पता चलता था कि हमवोल्ट भी बाकी देश से शीघ्र ही रेलवे से जुड़ जाएगा।
हम अब भी यही सोच रहे थे कि हमारी यात्रा अभी ही शुरू हुई है! जैसे ही जल्द ही जल्द वह यूरेका से मेल की जाती है, घोड़ों के लिए ऊँचाई पर चलेंगे। हम समुद्र तट के साथ चलते रहेंगे और हूपा रिजर्वेशन की ओर और सोने की खानों की ओर तथा वहाँ से ट्रिनिटी और ट्रिनिटी नदियों में इंडियन कैनोस (लंबी-बड़ी नावों) में होते हुए रेका को। उसके बाद हम डेलमोर्टे काउंटी और फिर ओरेगन को जाएँगे। अभी तक की यात्रा से यह प्रतीत होता था कि हम जाड़े की बरसात तक घर नहीं पहुँच पाएँगे । और अंत में मैं घर जाकर यह कोशिश करने का प्रयोग करूँगा कि आउटला को सामने के पहिए के साथ लगाया जाए और प्रिंस को उसकी पुरानी पोजीशन, पिछले वाले पहिए के साथ। तब शायद मुझे कंकड़ों को साथ रखने की जरूरत नहीं रह जाएगी।