भैंस स्त्री : अमरीकी लोक-कथा
Buffalo Woman : American Lok-Katha
(Folktale from Native Americans, Caddo Tribe/मूल अमेरिकी, कैडो जनजाति की लोककथा)
कैडो गाँव के लोगों के डाक्टर बर्फ के चिड़े के एक बेटा था। कुछ बड़ा होने पर उसका नाम रखा गया। बर्फ के चिड़े ने उसका नाम वीरता रख दिया क्योंकि वह बड़ा वीर तथा साहसी था।
कैडो गाँव की बहुत सारी लड़कियाँ उससे शादी करना चाहती थीं पर वह था कि किसी की तरफ भी ध्यान ही नहीं देता था। एक दिन वह शिकार के लिये निकला तो उसने सामने एक पेड़ के नीचे किसी को बैठे हुए देखा। पास जा कर देखा तो वहाँ एक लड़की बैठी हुई थी।
वह उसको देख कर वापस जाने लगा तो उस लड़की ने उसे बड़ी मीठी सी आवाज में पुकारा — “यहाँ आओ।” वीरता उसके पास गया तो उसने देखा कि वह लड़की बहुत छोटी और बहुत सुन्दर थी।
लड़की बोली — “मुझे मालूम था कि तुम यहाँ आओगे इसी लिये मैं तुमसे मिलने के लिये यहाँ चली आयी।”
वीरता बोला — “तुम हमारी जैसी तो नहीं हो, तुमने कैसे जाना कि मैं यहाँ आऊँगा।”
लड़की बोली — “मैं भैंस स्त्री हूँ। मैंने पहले कई बार तुमको दूर से देखा है। मैं चाहती हूँ कि तुम मुझे अपने घर ले चलो और मुझे अपने साथ रखो।”
वीरता बोला — “मैं तुमको अपने घर ले जा तो सकता हूँ परन्तु मेरे साथ रहने के लिये तुमको पहले मेरे माता पिता से पूछना पड़ेगा।” लड़की बोली ठीक है और वीरता उसको अपने घर ले गया।
वहाँ पहुँच कर लड़की ने उसके माता पिता से पूछा कि क्या वह वीरता के साथ शादी कर के वहाँ रह सकती है। वीरता के माता पिता ने कहा कि अगर वीरता ऐसा करना चाहे तो वह ऐसा कर सकता है। उन्हें कोई ऐतराज नहीं है।
सो वीरता और उस भैंस स्त्री दोनों की कैडो जाति के रीति रिवाजों से शादी हो गयी। बहुत दिनों तक वे सुख से रहे। एक दिन वह स्त्री बोली — “वीरता, क्या जैसा मैं कहूँ वैसा तुम करोगे?”
वीरता बोला — “हाँ करूँगा यदि तुमने कोई ऐसी वैसी बात नहीं कही तो।”
वह स्त्री बोली — “मैं चाहती हूँ कि तुम मेरे लोगों से भी मिलो।”
वीरता बोला — “ठीक है।”
और दोनों उस भैंस स्त्री के घर चल दिये।
चलते चलते वे एक पहाड़ी पर आये तो स्त्री ने यकायक वीरता को याद दिलाया — “तुमने कहा था कि मैं जो कुछ कहूँगी वह तुम करोगे।”
वीरता बोला — “हाँ बिल्कुल।”।
स्त्री बोली — “मेरा घर इस पहाड़ी के उस पार है। जब मैं अपनी माँ के पास पहुँचूँगी तो मैं तुमको बता दूँगी। वहाँ कुछ आदमी भी आयेंगे जो तुमको भड़काने की कोशिश करेंगे पर तुम किसी पर भी नाराज मत होना। कुछ लोग तुमको मारने की भी कोशिश कर सकते हैं।”
वीरता ने पूछा — “मगर वे ऐसा क्यों करेंगे?”
इस पर वह बोली — “अब तुम वह सुनो जो मैं तुम्हें बताने जा रही हूँ। तुम्हारे मुझे जानने से पहले से ही मैं तुमको जानती थी। वास्तव में मैंने अपने जादू के ज़ोर से ही उस दिन तुमको अपने पास बुलाया था।
गुस्सा होने के लिये मैंने तुमको इसलिये मना किया है क्योंकि अगर तुम गुस्सा होगे तो बहुत सारे लोग मिल कर तुमसे लड़ेंगे और तुम्हें मार डालेंगे। वे तुमसे जलेंगे क्योंकि उनमें से कई लोगों से मैंने शादी करने से मना कर दिया था।”
वीरता बोला — “पर अब तो तुम मेरी पत्नी हो।”
वह स्त्री बोली — “हाँ, वहाँ जा कर तुम्हें जो कुछ करना है वह मैंने तुमको बता दिया। अब तुम जमीन पर लेट कर दो बार लुढ़क जाओ।”
वीरता उसकी ओर देख कर मुस्कुराया और जैसा उसकी पत्नी ने कहा था उसने वैसा ही किया। जब वह दो बार लुढ़क कर खड़ा हुआ तो वह एक भैंस बन चुका था। उधर वह स्त्री भी दो बार लुढ़क कर भैंस बन चुकी थी।
अब वह स्त्री वीरता को पहाड़ की चोटी पर ले गयी और नीचे सैंकड़ों भैंसों को दिखा कर बोली — “देखो, ये सब मेरे आदमी हैं, और यह मेरा घर है।”
जब सबसे पास वाले भैंसों के झुंड ने उनको आते देखा तो वह वहीं खड़ा हो गया पर बाद में वे उस स्त्री के घर पहुँच गये। वहाँ वे दो महीने रहे। अक्सर कुछ भैंसे आ कर वीरता के गुस्से को जगाने की कोशिश करते परन्तु वीरता उनकी बात सुनी अनसुनी कर देता।
एक रात वह स्त्री बोली — “अब हम घर वापस जायेंगे।”
और वे दोनों पहाड़ी पर निकल गये और वहाँ आये जहाँ वे भैंसों में बदले थे। वहाँ आ कर वे जमीन पर फिर से दो बार लुढ़के और आदमी और स्त्री बन गये।
उस स्त्री ने फिर कहा — “ याद रखना, इस जादू के बारे में तुम किसी को नहीं बताना नहीं तो हमारा बहुत नुकसान हो जायेगा।”
वे लोग वीरता के घर में फिर से एक साल रहे। एक साल बाद उस स्त्री ने कहा कि वह अपने माता पिता के घर फिर जाना चाहती है सो वे दोनों फिर से उस स्त्री के घर चले गये।
वहाँ जा कर उसने वीरता को बताया कि कुछ भैंसे उससे दौड़ का मुकाबला करना चाहते हैं और यदि उसने उनको न हराया तो वे उसको मार देंगे।
उस रात वीरता को नींद नहीं आयी। वह रात में घूमने निकल गया। वह अमावस्या की रात थी। कुछ भी दिखायी नहीं दे रहा था पर वह वहाँ चलती हुई हवा महसूस कर रहा था।
हवा उसके कानों में फुसफुसायी — “तुम अभी जवान हो, ताकतवर हो परन्तु मेरी सहायता के बिना तुम उन भैंसों को नहीं हरा सकते और अगर तुम हार गये तो वे तुम्हें मार डालेंगे और अगर तुम जीत गये तो फिर वे कभी तुमको दौड़ के लिये नहीं ललकारेंगे।”
वीरता ने पूछा — “पर मैं अपना जीवन और अपनी सुन्दर पत्नी को बचाने के लिये क्या करूँ?”
तब हवा ने वीरता को दो चीजें, दीं – एक तो जादुई जड़ी बूटी और दूसरी जादू की मिट्टी, और बोली — “दौड़ में जब भैसें तुम्हारे पास आ जायें तो पहले तुम अपने पीछे की तरफ यह जड़ी बूटी फेंक देना और अगर वे दोबारा तुम्हारे पास तक आ जायें तो उनके ऊपर यह सूखी मिट्टी फेंक देना।”
वीरता वे दोनों चीजें ले कर घर वापस आ गया और सो गया। अगले दिन दौड़ शुरू हुई। पहले तो वीरता बड़ी तेज़ी से दौड़ा पर जल्दी ही दूसरे भैंसे उससे आगे निकलने लगे। उसने तुरन्त ही हवा की दी हुई जादू की जड़ी बूटी पीछे की तरफ फेंक दी।
इस समय उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बहुत थक गया था और अब और नहीं दौड़ सकता था।
उसने पीछे मुड़ कर देखा कि एक भैंसा अपना सिर पकड़े बड़ी तेज़ी से भागता चला आ रहा था। जैसे ही वह उसके पास तक आया वीरता ने तुरन्त ही वह जादुई मिट्टी भी पीछे की तरफ फेंक दी।
वह तुरन्त ही उन भैंसों से फिर से काफी आगे निकल गया परन्तु हवा की दी हुई दोनों ही चीज़ें उसने खर्च कर डाली थीं। वह अपनी दौड़ खत्म होने वाली लाइन के पास पहुँचने ही वाला था कि उसने उन भैंसों के पैरों की आवाजें फिर से सुनी।
इसी समय उसके मुँह पर हवा का एक तेज झोंका लगा जिससे बहुत सारी धूल उड़ी और उस धूल की वजह से पीछे वाले भैंसें पीछे ही रह गये और वीरता ने वह दौड़ जीत ली।
उसके बाद किसी ने उसको कुछ नहीं कहा और वीरता और उसकी पत्नी दोनों वहाँ आराम से रहे। कुछ दिन उस स्त्री के घर रहने के बाद वे दोनों फिर से वीरता के घर आ गये।
वहाँ आ कर उस स्त्री ने एक सुन्दर पुत्र को जन्म दिया। उन्होंने उसका नाम भैंस लड़का रख दिया।
एक दिन जब वह स्त्री खाना बना रही थी तो वह लड़का बाहर खेलने गया हुआ था। वहाँ उसने अपने साथियों के साथ बहुत सारे खेल खेले और फिर एक ऐसा खेल खेला जिसमें वे सब भैंस बने।
उनमें से कुछ बच्चे भैंसों की तरह जमीन पर लुढ़के भी। पर क्योंकि वे सामान्य बच्चे थे और वे तो केवल नकल कर रहे थे सो उनको तो कुछ नहीं हुआ। पर जब वह भैंस लड़का लुढ़का और वह लड़का दो बार लुढ़का तो वह असली भैंस का बच्चा बन गया।
दूसरे बच्चे यह देख कर डर गये और अपने अपने घरों को भाग गये।
इसी समय उस भैंस लड़के की माँ उसे ढूँढती हुई आ गयी तो उसने देखा कि दूसरे बच्चे अपने अपने घरों की तरफ भागे जा रहे हैं तो वह समझ गयी कि जरूर कुछ गड़बड़ है।
तभी उसको अपना बेटा भैंस की शक्ल में दिखायी दिया। उसको गोद में उठा कर वह भी वहाँ से भाग ली। कुछ दूर जा कर उसने अपने आपको भी भैंस में बदल लिया और पश्चिम की तरफ चल दी।
शाम को वीरता जब घर वापस आया तो न तो उसे अपनी पत्नी दिखायी दी और न ही अपना बेटा। बाहर बच्चों से पूछने पर पता चला कि वे भैंसों का एक खेल खेल रहे थे और जादू से उस का बेटा भैंस बन गया।
पहले तो वीरता को इस बात पर विश्वास ही नहीं हुआ पर बाद में उसको ध्यान आया कि वह ज़रूर ही दो बार ज़मीन पर लुढ़क गया होगा और भैंस बन गया होगा।
तब उसको लगा कि वह सब तो सच हो सकता था। उसने उन दोनों को ढूँढने की बहुत कोशिश की परन्तु वे दोनों उसको फिर कभी नहीं मिले।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है)