बूचैटीनो : इतालवी लोक-कथा

Buchettino : Italian Folk Tale

एक बार की बात है कि इटली देश में एक बच्चा रहता था जिसका नाम था बूचैटीनो। एक दिन उसकी माँ ने कहा — “बूचैटीनो, ज़रा जा कर सीढ़ियों पर झाड़ू तो लगा दे बेटा।”

बूचैटीनो एक आज्ञाकारी बेटा था। उसको दोबारा कहने की जरूरत नहीं पड़ी। वह तुरन्त गया और सीढ़ियाँ साफ करने लगा। सीढ़ियाँ साफ करते समय उसको वहाँ एक पैनी मिल गयी।

उसने सोचा — “अरे मैं इस पैनी का क्या करूँ? या तो मैं इसके खजूर खरीद लूँ? पर नहीं, उसकी तो मुझे गुठलियाँ फेंकनी पड़ेंगी।

तो फिर मैं इसके कुछ सेब खरीद लेता हूँ। नहीं नहीं, उसके तो मुझे बीच का हिस्सा फेंकना पड़ेगा। तब फिर मैं कुछ गिरियाँ खरीद लेता हूँ। मगर उनका भी मुझे छिलका फेंकना पड़ेगा।

तब फिर मैं क्या करूँ? क्या खरीदूँ? हाँ मैं इस पैनी की अंजीर खरीद लेता हूँ। वे में सारी की सारी खा सकता हूँ। सो तुरन्त ही उसने एक पैनी की अंजीर खरीद लीं। उनको ले कर वह एक पेड़ के नीचे खाने बैठ गया।

जब वह पेड़ के नीचे बैठा अंजीर खा रहा था तो वहाँ से एक ओगरे गुजरा। उसने बूचैटीनो को अंजीर खाते देखा तो उससे बोला —

बूचैटीनो, मेरे प्यारे बूचैटीनो
मुझे एक छोटी सी अंजीर दे दो अपने प्यारे प्यारे हाथों से
अगर तुम नहीं दोगे तो मैं तुम्हें खा जाऊँगा

यह सुन कर बूचैटीनो ने एक अंजीर उसकी तरफ फेंक दी। पर वह तो नीचे जमीन पर गिर पड़ी। यह देख कर ओगरे फिर बोला —

बूचैटीनो, मेरे प्यारे बूचैटीनो
मुझे एक छोटी सी अंजीर दो अपने प्यारे प्यारे हाथों से
अगर तुम नहीं दोगे तो मैं तुम्हें खा जाऊँगा

इस पर बूचैटीनो ने एक और अंजीर उस ओगरे की तरफ फेंक दी। पर इत्तफाक से वह भी जमीन पर नीचे गिर पड़ी। यह देख कर ओगरे फिर बोला —

बूचैटीनो, मेरे प्यारे बूचैटीनो
मुझे एक छोटी सी अंजीर दो अपने प्यारे प्यारे हाथों से
अगर तुम नहीं दोगे तो मैं तुम्हें खा जाऊँगा

बेचारे बूचैटीनो को ओगरे की चाल का पता ही नहीं चला और न ही उसको यह पता चला कि वह ओगरे उसको फँसाने के लिये और उसको पकड़ने के लिये यह सब कर रहा था। अब वह क्या करे?

अब की बार वह अपने पेड़ के सहारे थोड़ा सा लेट गया और तब उसने अपने छोटे छोटे हाथों से एक अंजीर ओगरे की तरफ फेंकी। बस ओगरे को मौका मिल गया उसने हाथ बढ़ा कर बूचैटीनो को पकड़ लिया और उसको अपने थैले में रख लिया।

थैले को उसने अपने कन्धे पर डाला और खूब ज़ोर ज़ोर से गाता हुआ अपने घर की तरफ चल दिया —

प्रिये ओ प्रिये, आग पर बरतन रखो
क्योंकि आज मैंने बूचैटीनो को पकड़ लिया है
प्रिये ओ प्रिये, आग पर बरतन रखो
क्योंकि आज मैंने बूचैटीनो को पकड़ लिया है

जब ओगरे अपने घर के पास पहुँचा तो उसने अपना थैला जमीन पर रख दिया और कुछ और करने के लिये वहाँ से चला गया।

बूचैटीनो ने जब अपने आस पास सब शान्त सुना तो उसने अपने पास रखे चाकू से वह थैला फाड़ डाला और उसमें से बाहर निकल आया।

बाहर निकल कर उसने उस थैले को पत्थरों से भर दिया और गाता हुआ वहाँ से भाग गया —

ओ मेरी टाँगों तुमको भागने में कोई शर्म नहीं है
जबकि तुमको भागने की जरूरत हो

कुछ देर में ही ओगरे वापस लौटा और लापरवाही से अपना थैला उठा कर घर में घुसा और अपनी पत्नी से बोला — “क्या तुमने आग पर पानी उबालने के लिये बरतन रख दिया?”

पत्नी तुरन्त ही बोली — “हाँ रख दिय।”

इस पर ओगरे बोला — “आज हम बूचैटीनो को पकायेंगे। ज़रा यहाँ आओ और उसको बाहर निकालने में मेरी सहायता तो करो।”

दोनों ने मिल कर वह थैला उठाया और अंगीठी की तरफ ले चले। वहाँ जा कर वे बूचैटीनो को गरम पानी के बरतन में डालने ही वाले थे कि उन्होंने देखा कि वहाँ बूचैटीनो तो था नहीं बल्कि उनके थैले में तो पत्थर भरे थे।

ज़रा सोचो उन पत्थरों को देख कर उस ओगरे का क्या हाल हुआ होगा। वह तो यह धोखा खा कर पागल सा ही हो गया होगा।

अपने इस पागलपन में उसने तो अपने दाँतों से अपने हाथ ही काट लिये। वह इस चाल को सह नहीं सका और बूचैटीनो को बदला लेने के लिये फिर से पकड़ने चल दिया।

अगले दिन वह सारे शहर में घूमता फिरा और सब छिपने वाली जगहों को देखता फिरा कि कहीं उसको बूचैटीनो मिल जाये। आखिर बूचैटीनो उसको एक छत पर बैठा दिखायी दे गया।

वह ओगरे की तरफ देख कर उसकी इतनी हँसी उड़ा रहा था कि उसका मुँह उसके कानों तक फैल रहा था।

पहले तो ओगरे ने सोचा कि वह उसके ऊपर अपना गुस्सा दिखाये पर फिर उसने अपने आपको रोक लिया और बूचैटीनो से बहुत ही नम्रता से पूछा — “बूचैटीनो, ज़रा यह तो बताओ कि तुम वहाँ इतनी ऊपर चढ़े कैसे?”

बूचैटीनो ने पूछा — “क्या तुम सचमुच ही यह जानना चाहते हो कि मैं यहाँ चढ़ा कैसे? तो सुनो। मैंने प्लेटों के ऊपर प्लेटें रखीं, गिलास के ऊपर गिलास रखे, पैन के ऊपर पैन रखे, केटली के ऊपर केटली रखी और यहाँ चढ़ कर बैठ गया।”

“अच्छा ऐसा है? तो थोड़ा इन्तजार करो।”

यह कह कर ओगरे ने प्लेटें गिलास केटली पैन इकठ्ठे किये और उनका एक पहाड़ सा बना लिया। फिर उसके ऊपर उसने बूचैटीनो को पकड़ने के लिये चढ़ना शुरू किया।

जैसे ही वह उन प्लेटों गिलासों केटलियों और पैनों के पहाड़ के ऊपर पहुँचा तो यह क्या? फड़ाक। बरतनों का वह सारा पहाड़ नीचे गिर पड़ा और इस तरह से वह ओगरे एक बार फिर से धोखा खा गया।

बूचैटीनो यह देख कर बहुत खुश हुआ और अपनी माँ के पास भाग गया। माँ ने उसको इतना खुश देख कर एक छोटी सी कैन्डी उसके छोटे से मुँह में रख दी।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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