बोतल का साँप : इथियोपिया की लोक-कथा

Bottle Ka Saamp : Ethiopia Folk Tale

बहुत पुरानी बात है कि इथियोपिया में एक बार एक राजा पूर्व दिशा की तरफ गया, पश्चिम दिशा की तरफ गया, उत्तर दिशा की तरफ गया, दक्षिण दिशा की तरफ गया। उसने बहुत सारी चढ़ाइयाँ की और बहुत सारा खजाना लूटा।

अब क्योंकि राजा अक्सर बाहर रहता था इसलिये उसने अपना खजाना रखने के लिये एक बहुत बड़ा कमरा बनवाया और उसकी चौकीदारी के लिये एक आदमी तैनात कर दिया।

यह चौकीदार दूसरों से तो खजाना बचाने में बहुत चतुर था परन्तु उसने खुद ही खजाने में से चोरी करनी शुरू कर दी।

इस तरह कई साल बीत गये उसको चोरी करते करते। वह चौकीदार उस कमरे में से थोड़ा थोड़ा करके खजाना निकालता और उसको ले जा कर अपने भंडारघर में रख देता।

इस तरह उस चौकीदार ने राजा की सारी आलमारियाँ जो सोने चाँदी और रत्नों से भरी हुई थीं, सब खाली कर दीं और उन्हें पत्थरों से भर दिया।

अब राजा बूढ़ा हो गया और लड़ाई के घावों की वजह से अपंग भी हो गया तो अपना खजाना देखने और भोगने के लिये घर लौटा।

चौकीदार राजा के सामने गया और सिर झुका कर बोला - "अब तो जहाँपनाह लौट आये हैं - एक बार फिर शेर अपने घर आ गया है तो अब मेरे जैसे बूढ़े चौकीदार की यहाँ कोई जरूरत ही नहीं रह गयी है इसलिये अब मुझे इजाज़त दीजिये। आपके सिवा अब इस खजाने की रक्षा आपसे ज़्यादा अच्छी और कौन कर सकता है।"

राजा बोला - "तुम सच कहते हो। तुमने बहुत साल हमारी सेवा की है इसलिये सोने से भरी हुई यह बड़ी आलमारी उठा लो और खुशी खुशी अपने घर जाओ और सुखी रहो।" चौकीदार ने वह आलमारी उठायी और घर चला गया।

चौकीदार के जाने के बाद राजा ने अपनी आलमारियाँ देखीं और देखा कि उसकी तो सारी आलमारियाँ पत्थरों से भरी पड़ी हैं। यह देख कर राजा ने अपने एक आदमी को उस बेईमान चौकीदार को लाने के लिये भेजा।

उधर चौकीदार अपनी सब सम्पत्ति ले कर दूसरे देश भाग जाना चाहता था परन्तु राजा का राज्य अब बहुत बड़ा हो गया था और चौकीदार के पास सोने चाँदी व रत्नों से लदे कई खच्चर थे।

इसलिये राजा के आदमियों ने उसको जल्दी ही राजा के राज्य की सीमा के बाहर निकलने से पहले ही पकड़ लिया और कहा - "महाराज तुमसे मिलना चाहते हैं और तुमसे कुछ कहना चाहते हैं।"

चौकीदार ने पूछा - "मगर महाराज मुझसे क्या बात करना चाहते हैं, मैंने तो कोई जुर्म नहीं किया।"

वह आदमी बोला - "यह तो उन्होंने हमें नहीं बताया पर तुमको उनके पास चलना जरूर है।"

जब चौकीदार महल में आया तो राजा ने उसको अपने सिंहासन वाले कमरे में बिठाया और बोला - "मैं तुमको एक बहुत छोटी सी कहानी सुनाना चाहता हूँ। तुम यहाँ बैठो और उस कहानी को ध्यान से सुनो ...

एक बार एक साँप रेंगता हुआ खेत में बने एक घर में घुस गया। वहाँ उसने दूध से भरी तंग गरदन वाली एक खुली हुई बोतल देखी। मौका देख कर वह उस बोतल की खुली गरदन में घुसा और धीरे धीरे उस बोतल की तंग गरदन में से रेंगता हुआ नीचे जा कर दूध पीने लगा।

साँप दूध पीता गया और पीता गया और पीता गया, जब तक वह उस बोतल का सारा दूध नहीं पी गया। दूध पीने की वजह से वह इतना मोटा हो गया कि उसके लिये अब उस बोतल की तंग गरदन में से बाहर निकलना नामुमकिन हो गया।

इतना कह कर राजा रुक गया और चौकीदार की तरफ देख कर मुस्कुराया।

चौकीदार ने पूछा - "क्या यही इस कहानी का अन्त है? मुझे लम्बे सफर पर जाना है इसलिये मैं ज़रा जल्दी जाना चाहूँगा।"

राजा बोला - "अन्त तो यह नहीं है पर तुम्हारे खयाल में साँप को उस बोतल में से बाहर निकलने के लिये क्या करना चाहिये? तुम्हारा क्या खयाल है?"

चौकीदार बोला - "अगर उस साँप को उस बोतल में से बाहर निकलना ही है तो उसने जो दूध पिया है वह उसे उगल देना चाहिये।"

राजा बोला - "तुम ठीक कहते हो। पर क्या उसे सारा दूध उगल देना चाहिये?"

चौकीदार बोला - "अगर वह बाहर निकलना चाहता है तो उसे सारा ही दूध उगलना पड़ेगा।"

राजा बोला - "हाँ बिल्कुल ठीक, सारा का सारा।"

इतने में चौकीदार ने देखा कि राजा के सिपाही उस कमरे के हर दरवाजे से भाले लिये हुए चले आ रहे हैं। चौकीदार के पास अब कोई चारा नहीं था। उसने राजा का सारा खजाना वापस कर दिया।

राजा होशियार भी था और धीरज वाला भी। उसने अपने सिपाहियों को उस चौकीदार से खजाना छीनने की ऐसे ही आज्ञा नहीं दी थी बल्कि एक सीख वाली कहानी सुना कर उसको ऐसा करने पर मजबूर किया।

इस कहानी से हमको दो सीख मिलती हैं। एक तो यह कि धीरज और होशियारी से मुश्किल से मुश्किल परेशानी का हल आसानी से और बिना किसी अप्रिय घटना के निकल आता है।

दूसरे किसी भी आदमी को अपनी सीमा से बाहर कोई काम नहीं करना चाहिये। अगर वह चौकीदार थोड़ी सम्पत्ति चुराता तो शायद राजा को पता न चलता परन्तु क्योंकि उसने राजा की बहुत सारी सम्पत्ति चुरायी इसी वजह से उसको यह दिन देखना पड़ा।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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