भला साथी : चीनी लोक-कथा

Boon Companion : Chinese Folktale

एक बार की बात है कि शी नाम का एक आदमी था जो बहुत अमीर तो नहीं था पर उसको शराब बहुत अच्छी लगती थी। और इतनी अच्छी लगती थी कि बिना तीन पैग पिये वह रात को ठीक से सो नहीं सकता था। इसलिये उसके बिस्तर के पास ही शराब की बोतल रखी रहती।

एक रात उसकी आँख खुली और उसने करवट बदली तो उसे लगा कि उसके साथ उसके बिस्तर में कोई मौजूद था पर बाद में यह सोचते हुए कि उसके अपने कपड़े ही फिसल गये होंगे उनको महसूस करने के लिये अपना हाथ बाहर निकाला तो उसके हाथ ने कुछ रेशमी सी चीज़ जैसे कोई बिल्ली महसूस की।

उसने रोशनी की तो उसने देखा कि वह तो एक लोमड़ा था। वह तो ऐसी बेहोशी की नींद सो रहा था जैसे कुत्ता सोता है। फिर उसने अपनी शराब की बोतल की तरफ देखा तो उसने देखा कि उसकी तो बोतल भी खाली पड़ी थी।

वह हँसते हुए बोला — “ओह मेरे भले का साथी।”

उसने उसको जगाना ठीक नहीं समझा। बल्कि उसने उसको चादर ओढ़ा दी और उसके ऊपर हाथ रख कर फिर से सो गया। रोशनी उसने जली छोड़ दी ताकि अगर वह अपना रूप बदले तो उसे पता चल जाये।

आधी रात के समय उस लोमड़े ने अँगड़ाई ली तो शी ने उससे पूछा — “क्या तुम्हें रात को नीद ठीक से आयी?”

फिर उसने अपने कपड़े उघाड़े तो देखा कि एक बहुत ही शानदार नौजवान एक विद्वान की पोशाक पहने खड़ा हुआ है। इतने में वह नौजवान कूद कर खड़ा हो गया उसने नीचे तक सिर झुका कर अपने मेजबान को अपना सिर न काटने के लिये धन्यवाद दिया।

शी बोला — “ओह मुझे तो खुद ही शराब बुरी नहीं लगती बल्कि लोगों का कहना है कि मैं शराब बहुत पीता हूँ। अगर तुम्हें कोई ऐतराज न हो तो हम लोग शराब की बोतल और गिलास की तरह के साथी हो जायें।”

सो वे लोग लेट गये और फिर से सो गये। शी ने नौजवान से कहा कि वह उससे अक्सर मिलता रहे और उन लोगों को आपस में एक दूसरे के ऊपर विश्वास भी रखना चाहिये।

लोमड़ा इस सबके लिये राजी हो गया पर जब शी सुबह को जागा तो उसने देखा कि उसके बिस्तर का साथी तो उसके जागने से पहले ही गायब हो चुका था।

इसलिये उसने उसके आने की खुशी में बहुत बढ़िया शराब का एक गिलास बनाया। रात हुई तो वह फिर से उसके पास आया। दोनों ने साथ साथ मिल कर शराब पी फिर लोमड़े ने उसे बहुत सारे चुटकुले सुनाये।

शी बोला कि उसको दुख है कि उससे उसकी जान पहचान पहले क्यों नहीं हुई। नौजवान फिर बोला कि उसे नहीं मालूम कि वह उसने जो शराब उसके लिये बनायी और पिलायी उसका बदला उसे वह कैसे चुकाये।

शी बोला “अरे यह एक पिन्ट शराब क्या चीज़ थी। इसकी तो बात करने की भी जरूरत नहीं है।”

लोमड़ा बोला — “तुम तो एक गरीब विद्यार्थी हो और पैसा कमाना आसान नहीं है। मैं देखता हूँ अगर मैं तुम्हारे लिये कुछ अच्छी शराब ढूँढ सकता हूँ या नहीं।”

अगले दिन जब वह शी के घर आया तो उसने शी से कहा — “यहाँ से दक्षिण पूर्व की ओर दो मील नीचे की तरफ तुमको सड़क पर चाँदी के दो ढेर पड़े मिलेंगे। उससे तुम खाने के लिये कुछ खरीद सकते हो। कल सुबह तुम जल्दी ही उधर चले जाना और उन्हें ले आना।”

सो अगले दिन सुबह को शी जल्दी जल्दी तैयार हुआ और चाँदी लाने के लिये चल दिया। वहाँ पहुँचा तो उसको वहाँ चाँदी के दो ढेर मिल गये। उनसे उसने अपनी शाम की शराब के साथ खाने के लिये कुछ खाना खरीद लिया।

शाम को जब लोमड़ा शी के घर आया तो उसने शी से कहा कि उसके घर के पीछे वाले हिस्से में एक तिजोरी है जिसको उसे खोल लेना चाहिये। जब उसने उसे खोला तो उसमें उसे करीब 100 स्ट्रिंग नकद मिले।

शी तो उसे देख कर खुशी से चिल्ला पड़ा। अब तो मेरे पास इतना पैसा है कि मुझे और शराब खरीदने के लिये पैसे की चिन्ता करने की जरूरत नहीं है।

लोमड़ा बोला — “गड्ढे में पानी तो नपा तुला ही होता है न। मुझे तुम्हारे लिये कुछ और करना चाहिये।”

कुछ दिन बाद लोमड़े ने शी से कहा — “देखो आजकल बाजार में कूटू बहुत सस्ता है। हमको इस दिशा में कुछ सोचना चाहिये।”

सो शी ने 40 टन कूटू खरीद लिया। इससे उसकी बड़ी हँसी हुई। पर धीरे धीरे अकाल की सी हालत हो गयी और सब तरह के अनाज और दालें खराब हो गयीं। केवल कूटू ही उगा। इससे शी ने उस कूटू को 1000 फ़ी सदी फायदे पर बेचा। इससे उसकी सम्पत्ति बढ़ने लगी। उस पैसे से उसने 200 एकड़ जमीन खरीद ली जिस पर लोमड़े की सलाह पर उसने उसमें बहुत सारा अनाज जैसे मक्का बाजरा गेहूँ आदि बोये।

लोमड़ा शी की पत्नी को अपनी बहिन समझता था और उसके बच्चों को अपने बच्चों की तरह से प्यार करता था। पर बाद में जब शी मर गया तब उसने उसके घर आना छोड़ दिया।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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