बूढ़ा सुलतान : परी कहानी
Boodha Sultan : Fairy Tale
एक गाँव में एक किसान अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रहता था। उसने एक कुत्ता पाल रखा था, जिसका नाम था सुलतान। वह कुत्ता बूढ़ा हो चुका था। उसके दाँत भी टूट गए थे। इससे गाँव के लोग उससे डरते नहीं थे। एक दिन सुलतान घर के दरवाजे के सामने लेटा हुआ था, तो उसने अपने मालिक को कहते सुना, 'अब यह सुलतान हमारे किसी काम का नहीं है। न तो अच्छी तरह घर की रखवाली कर सकता है और न ही हमारी भेड़ों की। अब तो यह हमारे लिए बोझ है। मैं कल ही इसे गोली मार दूंगा।'
उसकी पत्नी को अपने कुत्ते से बहुत प्यार था। वह कुत्ते को नहीं मारना चाहती थी। इसलिए वह अपने पति से बोली, 'इस सुलतान ने इतने वर्षों तक हमारे घर और खेतों की रखवाली की है। क्या हम इसे इसकी सेवा का यही इनाम देंगे? ईश्वर ने हमें सबकुछ दिया है। हम इसे दो वक्त की रोटी तो दे ही सकते हैं।' पर किसान अपनी पत्नी की बात से सहमत नहीं था, वह सुलतान की जगह एक नया कुत्ता लाना चाहता था। इसलिए वह उस कुत्ते से पीछा छुड़ाना चाहता था। वह बोला, 'तू मूर्ख है। इस कुत्ते से अच्छी तरह घर और खेतों की रखवाली नहीं होती। अब यह हमारे काम का नहीं है। जब यह किसी काम का नहीं, तो इसे बेकार पालने से क्या लाभ? अगर इसने इतने साल हमारी सेवा की, तो हमने भी इसे भरपूर भोजन और मांस इत्यादि देकर इसे प्यार से पाला, पर अब मैं इसे और नहीं पालना चाहता।'
कुत्ते ने अपने मालिक और मालकिन की बातें सुन ली। अब उसे लगा कि कल तक उसका मालिक उसे जरूर गोली मार देगा। मौत से तो सभी को डर लगता है। अत: वह वहाँ से भागकर अपने दोस्त भालू के पास गया, जो पास के जंगल में रहता था। उसने उसे अपने मालिक की बात बताई और अपने भाग्य को कोसने लगा। तब उसका मित्र बोला, 'दोस्त, घबराओ मत। इस मुसीबत में मैं तेरी सहायता जरूर करूँगा। मेरे दिमाग में एक विचार है। अगर तू उसपर अमल करेगा तो तेरी जान बच सकती है।'
उसने सुलतान को अपनी योजना बताई-कल सुबह किसान अपनी पत्नी और छोटे बच्चे के साथ खेतों में जाएगा, क्योंकि उसके छोटे बच्चे की देखभाल करनेवाला उसके घर में कोई नहीं है। खेतों में काम करते समय वह अपने बच्चे को वहीं घास-फूस पर लिटा देगा। उस समय तू उस बच्चे की रखवाली करने बैठ जाना। जब मैं इस बच्चे को उठाने आऊँगा तब तू भौंक-भौंककर और मुझसे लड़कर मुझे वहाँ से भगा देना। मैं बच्चे को वहीं छोड़कर जंगल की ओर भाग जाऊँगा। इससे तेरा मालिक खुश हो जाएगा और तुझे गोली नहीं मारेगा। उसे लगेगा कि तू अभी भी भालू जैसे जानवर से उसके बच्चे को बचा सकता है, तो तू अभी भी जंगली जानवरों से उसकी और उसके बच्चे की रक्षा कर सकता है।
सुलतान को उसकी योजना बहुत पसंद आई। अगली सुबह तड़के जब किसान अपनी पत्नी और बच्चे के साथ खेतों के लिए चला, तो उनका सुलतान भी उनके साथ हो लिया। खेतों में पहुँचकर किसान की पत्नी ने अपने बच्चे को पुआल का बिस्तर बनाकर उसपर कपड़ा बिछाकर लिटा दिया। सुलतान भी उस बच्चे से कुछ दूरी पर बैठकर भालू के आने की प्रतीक्षा करने लगा। थोड़ी देर बाद भालू चुपके से आया और बच्चे को उठाकर चल दिया। सुलतान भौंकता-भौंकता उस भालू के पीछे दौड़ा। तब भालू बच्चे को वहीं छोड़कर भाग गया। जब किसान और उसकी पत्नी ने सुलतान का भौंकना सुना और बच्चे को उठाकर ले जाते भालू को देखा तो दोनों ही डर के मारे जोर-जोर से चिल्लाते हुए भालू की ओर दौड़े, पर उन दोनों के पहुंचने से पहले ही भालू बच्चे को छोड़कर जंगल में घुस गया और सुलतान उस बच्चे को उठाकर अपने मालिक के पास ले आया। किसान बच्चे को ठीक-ठाक देखकर बहुत खुश हुआ और सुलतान को बहुत प्यार किया, क्योंकि सुलतान की वजह से ही उसके बच्चे की जान बची थी। वह खुश होकर अपनी पत्नी से बोला, 'अब मैं अपने सुलतान को नहीं मारूँगा। आज
इसी ने हमारे बच्चे की जान बचाई है। आज से तुम इसे रोटियाँ दूध में भिगोकर देना, क्योंकि यह बेचारा रोटियाँ अच्छी तरह चबा नहीं सकता।'
बच्चे की जान बचाने के बाद से रोज सुलतान की खूब सेवा होती। अब किसान ने कभी भी उसे गोली मारने की बात नहीं की। सुलतान की जिंदगी आराम से गुजरने लगी। एक दिन सुलतान रात के समय घर के आगे बैठा घर की रखवाली कर रहा था। तभी उसका दोस्त भालू उसके पास पहुँचा और बोला, 'मेरे मित्र आजकल कई दिनों से मुझे कोई अच्छा शिकार हाथ नहीं लगा है। क्या मैं तुम्हारे मालिक की एक तगड़ी सी भेड़ को उठाकर ले जाऊँ? मैंने मुसीबत में तुम्हारी सहायता की थी। अब मेरी मुसीबत में तुम मेरी सहायता करो।'
सुलतान बोला, 'यह नहीं हो सकता। तुम मेरे सामने मेरे मालिक की भेड़ उठाकर नहीं ले जा सकते। मैं अपने मालिक का नुकसान नहीं होने दूंगा।'
भालू ने सोचा कि सुलतान उससे ऐसे ही कह रहा है। उसने सुलतान की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया। उस रात तो वह चुपचाप वहाँ से चला गया, पर अगली रात वह जैसे ही भेड़ों के नजदीक पहुँचा, सुलतान ने जोर-जोर से भौंकना शुरू कर दिया। सुलतान का भौंकना सुनकर किसान और उसकी पत्नी बाहर आए, तो भालू को अपनी जान बचाकर वहाँ से भागना पड़ा। भालू को सुलतान पर बहुत गुस्सा आया। उसने सोचा कि सुलतान ने उसके साथ गद्दारी की है। अब सुलतान से इसका बदला लेना ही पड़ेगा, क्योंकि जब तक सुलतान जिंदा रहेगा, वह किसान की भेड़ें कभी नहीं चुराने देगा।
कुछ दिनों बाद भालू अपने साथ एक और भालू को लेकर एक अँधेरी रात में किसान के घर पहुँचा। सुलतान ने जब भालू के आने की आहट सुनी तो भौंकना शुरू कर दिया, पर जब तक उसका मालिक उसका भौंकना सुनकर बाहर निकलता तब तक दोनों भालुओं ने मिलकर सुलतान को मार डाला।
इस प्रकार वफादार सुलतान ने अपनी जान दे दी, पर अपने मालिक का नुकसान नहीं होने दिया।
(ग्रिम्स फेयरी टेल्स में से)