बिनु व हसिया बलद (पहाड़ी कहानी) : श्याम सिंह बिष्ट
Binu Va Hasiya Balad (Pahadi Kahani) : Shyam Singh Bisht
गांव में खेतों सै फसल कट चुकी थी अब कार्य था दुबारा नई फसल उगाने के लिए बैलों द्वारा हल जोतने का, नई फसल उगाने के लिए हर बार की तरह बैलौ द्वारा खेत जूते जाते थे गांव में खेती कम करने के कारण लोगों के पास बैल कम ही बचे हुए थे ।
आज लक्षि दा - सुबह-सुबह अपना नहर के ऊपर वाला खेत जोतने के लिए अपने दोनों बैल, बिनु व हसिया बैल को हाथ में सिकर (डंडी) लियै व बलद (बैल) कौ मुह मैं महाव (रस्सी द्वारा बनी हुई जाली) पहने हुए ले जा रहे थे, दोनों बैलौ द्वारा आपस की बातचीत कुछ इस प्रकार थी ---
बिनु बलद - आज म्यर गूसै लक्षि दा हमगु राति - राति पर ऊठै है अब हसिया हअ (हल) बाणक मार मार लाग गै, य नहर वाल गार बाणम मयर तो खुसयाल फरिक जानि ।
हसिया बलद - ठिक कूण क्ष बिनुवा, ऊ कऊल गौर, गोट मैं हमगु कस कूणक्षी राति पर कि अब पत चलल तूमगू, मयर मन ऊभ यस करण क्षि ऐक धर दैयो कानक कनजायाऊम कऊलिक ।
बिनु बलद- य लक्षि दा गै लै राति - राति पर तरोर हजिई ना हमगु सैतैण दिनि ना आपण सैतैनी ।
हसिया बलद- आज नहर वाल गारम पूरदा बलद, ललु व कऊ लै बाणि, चलो हम लै गार बै,बे ऊनहु मिल अऊल, भत दिन है गि सयारक गारक हरि घा नि खायि ।
बिनु बलद- होय मोसायर लाग रै, को कै नि कौल ना तौ बिन मौसायर मैं कैं ऊजार लै, गोयो तो ऊ बखयीक शेर दा लौंड मार-मार बैर पुठ लाल करदूयु, नंग शाल ।
हसिया बलद थोड़ा समझदारी दिखाते हुए--पै ऊजयार नि जाई कर, कै क नुकसान करण भल बात नि हुन, ऊसक आजकल गौं मैं मैस अदु झाणि सब तलिह लैगि, गार,भिर, मैं कैय हुण नि रय, जै लै हुण क्ष य बानरूक कवाद अरै कै नि धर राय ।
बिनु बलद- ठिक क्षु मिल सुण हैय, जोरल नि बला ना तो लक्षि दा सूण लयाहल, अब हिठ गार ऐ गो बाणि वाल
जैसे ही लक्षि दा - खेत जोतने वाले खेत में पहुंचे उनके बगल के खेत में ही पुर दा आधा हल जोतने के उपरांत आराम कर रहे थे ।
लक्षि दा- ओर हो पुर दा कै हूरि, कदू बैह हअ, बाण लिजि माट - सार तो नि हरय,
पुर दा - ना हौ दादि, ठीक है र, दयो (वारिष) है र आज भो ।
लक्षि दा - ओर शहर बटि तमर लोंड फोन आतै रूनाल ? और ह अखबार कौ लया ? कै नयी खबर अरै आजकल ?
पुर दा - जोर सै बोलते हूऐ -होय आतै रूनि दादि, य मयर नान लौंड जरक्षि बजार य लया,
लक्षि दा फिर दोबारा बोलते हुए - पै कै अरै नयी खबर ? बताऔ धि जरा ?
पुर दा - दादि बैई india मैच जित गै, कोहलील शतक मार दै, ओर दादि आजकल इन जानवरों पर भत अतयाचार हू रो यस लै खबर आज ईमा अ रै ।
पुर दा कि यह बात सूनकर - हसिया व बिनु बलदा कै कान खड़े हो गए ।
लक्षि दा बोलै - पुर दा अचछा कै लिख र हमा ?
पुर दा - दादि अब कै बतु, जो जानवर बुड़ (बुड्ढा) हजारण क्षै ऊगै राम नगर कसाई को दै ऊणी, ओर शहरौ मैं तो खुलैआम जानवरों का बयापार हू र ।
लक्षि दा - यै तो भत गलत हु र, यू गोर, बलद, तो हमार, जिणक अधार क्षि, हमार खेति - बारि, तो ईनु पर तो चल रै, ना हो पुर दा -मि तो आपण जीवन मैं इन बलदगू रामनगर बैचणक काम कभि नि करूल ।
हसिया व बिनु - नै आपण गुसैं (बैलो का मालिक) कि ऐसी बात सूनकर उनका मन फक्र से ऊंचा हो गया, ओर लक्षि दा नै खेत जोतना चालू कर दिया--
लक्षि दा - खेत मैं ऐक सीक लगानै कै बाद ----
लै हसिया, बिनुवा, नि दैख रयै आख, लै - मलहि को मैल ई, कथाहा जारक्ष ईकर - ईकर रै
हसिया व बिनुवा बलद - मन- मन हसतै हूऐ अपनी धून मैं ---- और खैत जोत तै हुऐ !