भूमिका (आलू और बैगन सुंदरी) : सुमिता पंत

Bhumika : Aaloo Aur Baigan Sundari : Sumita Pant

विश्व में बाल-साहित्य लेखन की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। बाल साहित्य में भी सबसे लोकप्रिय स्थान बाल कहानियों को प्राप्त है। कहानियों को सुनना तो बच्चों की सबसे प्यारी आदत है। कहानियों के माध्यम से ही बच्चों को हम शिक्षा प्रदान करते हैं। बचपन में दादी, नानी, माँ तो कहानियाँ सुनाती ही थीं, साथ ही मेरे पिता- श्री कविवर सुमित्रानंदन पंत जी भी मुझे न केवल कहानियाँ सुनाते थे, वरन नई-नई कहानियाँ गढ़ने के लिए प्रेरित भी करते थे। पिताश्री पंत जी कहानियाँ सुनाते-सुनाते कभी मुझे परियों के देश ले जाते थे, तो कभी सत्य जैसी यथार्थवादी वाली बातें सिखा देते थे। सच में मुझे जन्म मेरी माँ ने दिया, लेकिन मेरे जीवन का निर्माण मेरे पिताश्री ने किया।

साहस, बलिदान, त्याग और परिश्रम ऐसे गुण हैं, जिनके आधार पर एक व्यक्ति आगे बढ़ता है और ये सब गुण हमें अपने माता-पिता के हाथों ही प्राप्त होते हैं। बच्चे का अधिक से अधिक समय तो माता-पिता के साथ ही गुजरता है, माता-पिता ही उसे साहित्य तथा शिक्षा सम्बन्धी जानकारी देते हैं, क्योंकि जो हाथ पालना में बच्चे को झुलाते हैं, वे ही उसे सारी दुनिया की जानकारी देते हैं।

कविवर सुमित्रानंदन पंत जी न केवल मेरे पिता थे, वरन् मेरे मार्गदर्शक और प्रथम गुरु भी वही थे। उन्हीं के श्रीचरणों में बैठकर मैंने लिखना सीखा और जीवन के संघर्ष-पथ पर कदम आगे बढ़ाती चली गर्इ।

मेरे पिताश्री पंत जी खड़ी बोली के कवि थे, उनकी कविता में भाषा के दो गुण विद्यमान हैं – प्रथम चित्रा- त्मकता और द्वितीय संगीतात्मकता। लेकिन कवि के साथ-साथ वे बहुत अच्छे कहानीकार भी थे। उन्होंने कहानियाँ बहुत ज़्यादा तो नहीं लिखी, लेकिन जो भी लिखी, वे सब बच्चों के लिए ही हैं।

मैंने भी पिताश्री के चरणों में बैठकर कुछ बाल कहानियाँ लिखी हैं और मेरे मन में यही आया कि पिताश्री पंतजी की कहानियों के साथ कुछ कहानियाँ मेरी भी हों और इस प्रकार पिता और पुत्री दोनों की कहानियाँ संयुक्त रूप से इस संकलन में समाहित की गई हैं।

सच तो यह है कि मैंने मात्र सात वर्ष की उम्र में अपनी पहली कहानी लिखी थी, लेकिन उस कहानी को संपादन द्वारा विस्तार पिताश्री ने ही दिया। मेरी बाल कहानियों पर पिताश्री के संपादन, मार्गदर्शन और शिक्षा की ही स्पष्ट छाप है।

जिस प्रकार नारायण पंडित ने पंचतंत्र नामक पुस्तक में कहानियों में पशु-पक्षियों को माध्यम बनाकर बच्चों को शिक्षा प्रदान की, ठीक उसी प्रकार इस पुस्तक में भी पशु-पक्षियों को कहानियों का मुख्य पात्र बनाया गया है, लेकिन इनमें आधुनिक युग और आधुनिक ज्ञान-विज्ञान का भी पुट दिया गया है।

इस संकलन की कहानियाँ बचपन की स्मृतियों में डूबकर लिखी गई हैं, इसलिए जब आप इन्हें पढ़ेंगे तो आप भी अपने आपको एक बार फिर बचपन की दहलीज पर खड़ा हुआ महसूस करेंगे। इस संकलन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी भाषा बच्चों की आम बोलचाल की भाषा रखी गई है।

- सुमिता पंत

(कहानी संग्रह : आलू और बैगन सुंदरी 'से'
साभार : सुमिता पंत)

  • मुख्य पृष्ठ : सुमित्रानंदन पंत की कहानियाँ, निबंध, उपन्यास और अन्य गद्य कृतियां
  • मुख्य पृष्ठ : संपूर्ण काव्य रचनाएँ ; सुमित्रानंदन पंत
  • मुख्य पृष्ठ : संपूर्ण हिंदी कहानियां, नाटक, उपन्यास और अन्य गद्य कृतियां