भ्रातृ हत्या : फ़्रेंज़ काफ़्का
साक्ष्य से पता चलता है कि हत्या इस प्रकार की गई थी: हत्यारा शमार रात नौ बजे स्वच्छ चाँदनी रात में एक कोने में उस स्थान पर जाकर खड़ा हो गया, जहाँ उसका शिकार वेस गली में, जहाँ उसका ऑफि स था वहाँ से आना था। वह वहीं रहता भी था ।
रात में कँपकँपा देनेवाली ठंड थी । फिर भी शमार एक पतला नीला सूट पहने हुआ था, जैकेट का बटन भी खुला था। फिर भी उसे ठंड नहीं लग रही थी । इसके अलावा वह लगातार चल ही रहा था । वह अपना हथियार जो आधा ब्लेड और आधा किचन चाकू की तरह था, दृढ़ता से हाथ में नंगा पकड़े हुए था। उसने चाँद की रोशनी में चाकू को देखा। उसकी धार चमक रही थी, फिर भी वह शमार को काफी नहीं लगा। पेवमेंट की ईंट पर उसने उसे तब तक रगड़ा जब तक कि वह चमकने नहीं लगा। बाद में शायद वह पछताया । फिर वह एक टाँग पर खड़ा होकर आगे की ओर झुककर जूते के तल्ले के सहारे उसे सही करने की कोशिश की, जो कि वायलिन के चाप की तरह मुड़ गया था। वह ध्यान से चाकू के धार से निकलनेवाली आवाज तथा चौराहे की ओर से आनेवाली आवाज को सुन रहा था।
लेकिन पलास, जो वहाँ का नागरिक था और सब कुछ अपनी दूसरी मंजिल के घर से देख रहा था, यह सब कुछ होने दिया? मानव स्वभाव के अनसुलझे रहस्य ! ड्रेसिंग गाउन पहने उसका कॉलर ऊपर किए, वह वहाँ खड़ा नीचे देख रहा था और अपना सिर हिला रहा था, गली के विपरीत पाँच घर आगे, नाइट गाउन के ऊपर रोवेंदार कोट पहने श्रीमती वेस अपने पति को देखने के लिए झाँकी, जो आज रात अभी तक वहाँ रुका था ।
अंततः वेसे के ऑफिस के दरवाजे पर घंटी बज गई, इतनी जोर से कि प्रायः दरवाजे की घंटी इतनी ऊँची नहीं होती है। प्राय: पूरे शहर में गूँज गई । वेस, परिश्रमी रात्रिकर्मी, अचानक अंदर से निकली । गली के अँधेरे में अभी भी अदृश्य, दरवाजे की घंटी से गुंजायमान, तभी पेवमेंट पर उसके खामोश कदमों की आवाज आई।
पलास बहुत आगे झुक गया, उसमें कुछ भी खोने का साहस नहीं था। श्रीमती वेसे ने घंटी की आवाज से पूर्णत: आश्वस्त होने के बाद तेजी के साथ अपनी खिड़की बंद कर दी । शमार घुटने के सहारे झुका । चूँकि उसके शरीर का कोई भी भाग नंगा नहीं था, उसने पेवमेंट के सहारे अपना चेहरा और हाथ दबाए । वहाँ हर चीज ठंड के कारण जमी हुई लग रही थी, लेकिन शमा अंगारे की तरह चमकता प्रतीत हो रहा था।
दो गलियों को विभाजित करने वाले कोने पर वेसे रुकी। उसके साथ उसे सहारा देनेवाली छड़ी मात्र थी। अचानक एक सनक सुनी। उसे लगा मानो काली रात ने उसे आमंत्रित किया है अपने गीले, नीले और सुनहरे रंगों को देखने। अनजाने में ही वह उस ओर ताकने लगा, अनजाने में ही उसने अपनी टोपी खोली और अपने बालों को सहलाने लगा। वहाँ उसे अपने आनेवाले समय के बारे में कुछ भी पता नहीं चला। सब कुछ अपने अर्थहीन रहस्यमय स्थिति में थी। अपने आप में यह बड़ा ही तर्कसंगत था कि वेसे को चलना चाहिए, लेकिन वह तो शमार की चाकू के ऊपर चला।‘“वेसे!" अपने पैर की उँगलियों के सिरे के सहारे, अपनी बाँहें फैलाए शमार चिल्लाया। चाकू ठीक नीचे झुक गया, “वैसे, अब कभी भी तुम जूलिया से नहीं मिल पाओगे ।"
शमार ने उसके गले के दाएँ ओर बाएँ ओर तथा पेट में चाकू घोंपा । वाटर रैट खुल गया और उससे ऐसी आवाजें आई जैसी कि वेसे के मुँह से निकली थीं ।
" हो गया, " शमार ने कहा, और तेजी से चाकू सीधा किया, अब निकटतम घर के सामने अत्यधिक खून के धब्बे थे।‘“हत्या करने का आनंद। किसी का खून बहाने से मिली खुशी और राहत! वेसे, तुम रात के बूढ़े पक्षी, दोस्त, शराब के पुराने साथी, इस गली के नीचे, मिट्टी में तुम्हारा खून बह रहा है । तुम सिर्फ खून की एक थैली मात्र ही क्यों नहीं थे, ताकि मैं शीघ्र ही तुम्हारा अस्तित्व खत्म कर देता। हम जो कुछ भी चाहते हैं वह सब कुछ सही नहीं होता है, सभी सपने जो खिलते हैं उनके फल नहीं आते। तुम्हारा मृत शरीर यहाँ पड़ा रहेगा जो पहले ही किसी ठोकर के प्रति उदासीन है । उन मूर्खतापूर्ण सवालों का क्या फायदा जो तुम पूछ रहे हो?"
पलास, गुस्से से भरा अपने दरवाजे पर खड़ा था जैसे ही दरवाजा खुला । " शमार ! " शमार! मैंने सब कुछ देखा, कुछ भी मेरी नजरों से ओझल नहीं था । पलास और शमार ने गहरी नजरों से एक-दूसरे को देखा। इस गहरी जाँच के नतीजे से पलास संतुष्ट था, लेकिन शमार किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाया । श्रीमती वेसे लोगों की विशाल भीड़ के साथ वहाँ आई। इस घटना आघात से उनका चेहरा बूढ़ा दिखाई पड़ रहा था । उनका रोवेंदार कोट खुल गया और वेसे के शरीर पर गिर पड़ी। नाइट गाउन में लिपटा यह शरीर वेसे के लिए था। जोड़े के ऊपर मखमली घास की तरह फैला रोवेंदार कोट उस भीड़ का था ।
अपनी अंतिम घुटन से बड़ी मुश्किल से लड़ते हुए शमार ने पुलिसवाले के कंधे में अपना मुँह रगड़ा, जो दृढ़ कदमों के साथ उसे ले गए।
(अनुवाद: अरुण चंद्र)