Bhoomika Ujli Aag : Ramdhari Singh Dinkar

भूमिका : उजली आग (मकड़ी और मधुमक्खी) : रामधारी सिंह 'दिनकर'

मकड़ी ने मधुमक्खी से कहा, ‘‘हाँ, बहन ! शहद बनाना तो ठीक है, लेकिन, इसमें तुम्हारी क्या बड़ाई है ? बौरे हुए आम पर चढ़ो, तालाब में खिले हुए कमलों पर बैठो, काँटों से घिरी कलियों से भीख माँगों या फिर घास की पत्ती-पत्ती की खुशामद करती फिरो, तब कहीं एक बूँद तुम्हारे हाथ आती है। मगर, मुझे देखो। न कहीं जाना है न आना, जब चाहती हूँ जाली पर जाली बुन डालती हूँ। और मजा यह कि मुझे किसी से भी कुछ माँगना नहीं पड़ता। जो भी रचना करती हूँ, अपने दिमाग से करती हूँ, अपने भीतर संचित संपत्ति के बल पर करती हूँ। देखा है मुझे किसी ने किसी जुलाहे या मिलवाले से सूत माँगते ?
मधुमक्खी बोली, ‘‘सो तो ठीक है बहन ! मगर, कभी यह भी सोचा है कि तुम्हारी जाली फिजूल की चीज है, जब कि मेरा बनाया हुआ मधु मीठा और पथ्य होता है ?’’

कहानियाँ और अन्य गद्य कृतियाँ : रामधारी सिंह दिनकर

संपूर्ण काव्य रचनाएँ : रामधारी सिंह दिनकर