भेड़िये और लोमड़े की कहानी : अलिफ़ लैला

Bhediye Aur Lomade Ki Kahani : Alif Laila

एक बार एक लोमड़ा और एक भेड़िया एक ही घर में रहते थे। भेड़िया बहुत ही बेरहम था जबकि लोमड़ा बहुत नरम दिल था। इसी तरह से रहते हुए उन्हें कुछ दिन हो गये कि एक दिन वह लोमड़ा भेड़िये से बोला — “अगर तुम इसी तरीके से बरताव करते रहे तो अल्लाह तुम्हारे ऊपर राज करने की ताकत आदमी को दे देगा।

क्या तुम्हें मालूम है कि वह चिड़ियों को नीचे ला सकता है, वह मछलियों को पकड़ सकता है, वह पहाड़ तोड़ सकता है। और वह यह सब अपनी होशियारी और चालाकी की वजह से कर सकता है?”

पर भेड़िये ने उसकी यह सलाह नहीं मानी और उससे कुछ गुस्से से में बोला — “तुम मुझसे ऐसा किस अधिकार से बोल सकते हो? आगे से तुम मुझसे इस तरह मत बोलना। कहीं ऐसा न हो कि तुम्हें मुझसे कोई खराब बात सुननी पड़ जाये।”

लोमड़ा बोला — “ठीक है ठीक है। मैं तुमसे ऐसा कुछ नहीं कहूँगा जो तुमको खराब लगे।” पर अपने दिल में उसने सोच लिया था कि एक दिन वह उसको मार कर ही रहेगा।

एक दिन लोमड़ा भेड़िये से बोला — “अल्लाह अपने नौकरों की गलतियों को माफ कर देते हैं। काश तुम जान सकते कि तुम्हारी वजह से मुझे कितना दर्द सहना पड़ा। उतना दर्द तो हाथी भी नहीं सह सकता पर मैं तुमसे कोई शिकायत नहीं कर रहा हूँ। संत लोग कह गये हैं कि गुरू की मार पहले तो तकलीफ देती है पर बाद में फिर आराम देती है।”

भेड़िया बोला — “चलो मैंने तुमको माफ किया पर तुमको हमेशा मेरी ताकत की जानकारी रहनी चाहिये। समझे।” इस पर लोमड़े ने जमीन पर लेट कर उसको सलाम किया और वहाँ से चला गया।

अब एक दिन ऐसा हुआ कि लोमड़ा एक बागीचे में गया तो उसने उसकी दीवार के पास जमीन में एक गड्ढा खुदा हुआ देखा जिसे बन्द नहीं किया गया था। उसको देख कर उसे लगा कि शायद वह गड्ढा किसी मतलब से खोदा गया होगा। ऐसा कौन होगा जो इस गड्ढे को देखे और इसे बन्द न करे क्योंकि इससे तो वह गड्ढा खोदने वाला खुद भी खतरे में पड़ सकता है।

हालँकि यह बात सब अच्छी तरह से जानते हैं कि लोग अपने बागीचों मे लोमड़े की मूर्ति इसलिये बनवाते हैं कि जब कोई लोमड़ा उधर आये तो वह उनके जाल में फँस जाये। पर फिर भी मैं इस गड्ढे का ठीक से ध्यान रखूँगा क्योंकि कहा गया है कि बच के रहना भी आधी होशियारी के बराबर ही है। पर ज़रा देखूँ तो मैं यह गड्ढा है कैसा।”

कह कर वह गड्ढे के पास तक गया और उसने उसके चारों तरफ एक चक्कर लगाया। उसने देखा कि वह गड्ढा काफी गहरा था।

उसने सोचा कि “उस बागीचे के मालिक ने वह गड्ढा शायद इसलिये बनवाया होगा कि जो भी जंगली जानवर उसके बागीचे को खराब करने आये वह उस गड्ढे में गिर जाये और वह उसको पकड़ ले।

वह इस बात से बहुत खुश था कि उसने उस गड्ढे को देख लिया था और वह उस गड्ढे में गिरने से बच गया था। वह गड्ढा मिट्टी और चटाई से ढका हुआ था। उसको लगा कि काश उसका दुश्मन भेड़िया उस गड्ढे में गिर पड़े। बस यह सोचते ही वह वापस घर लौट पड़ा।

वह घर आ कर भेड़िये से बोला — “अल्लाह ने तुम्हारे लिये बागीचे में घुसने का एक बहुत ही आसान रास्ता निकाल कर रखा है ताकि तुम उसके अन्दर जा कर उस बगीचे का आनन्द ले सको।”

भेड़िये ने पूछा — “इसका क्या सबूत है कि तुम सच बोल रहे हो?”

लोमड़ा बोला — “मैं खुद वहाँ उस बागीचे तक गया था तो पता चला कि उस बागीचे का मालिक मर गया है। भेड़ियों ने उसे खा लिया है। सो मैं उस बागीचे चला गया और वहाँ मैंने पेड़ों पर बहुत सुन्दर सुन्दर फल लगे देखे।”

भेड़िये को लोमड़े की बातों पर ज़रा सा भी शक नहीं हुआ सो वह उस बागीचे की तरफ चल दिया। लोमड़ा भी उसके पीछे पीछे चल दिया।

जब वह भेड़िया उस गड्ढे के पास पहुँचा तो पीछे से लोमड़ा बोला — “बस अब तुम बागीचे में घुस जाओ। तुमको यहाँ कोई सीढ़ी इस्तेमाल करने की भी जरूरत नहीं है क्योंकि बागीचे की दीवार तो पहले से ही टूटी हुई है।”

यह सुन कर भेड़िया यह सोच कर उस गड्ढे के ऊपर से चला कि वहाँ से वह बागीचे में घुस जायेगा पर जैसे ही वह गड्ढे के बीच में आया वह उस गड्ढे में गिर पड़ा।

इससे लोमड़ा बहुत खुश हुआ और खुशी से नाचने गाने लगा। कुछ देर बाद लोमड़े ने गड्ढे में झाँका तो देखा कि भेड़िया रो रहा था सो दिखाने के लिये वह भी उसके साथ रोने लगा।

भेड़िये ने लोमड़े से पूछा — “क्या तुम मुझ पर रहम दिखाने के लिये रो रहे हो?”

लोमड़ा बोला — “नहीं नहीं, अल्लाह की कसम नहीं। मैं तो इसलिये रो रहा हूँ कि मुझे इस बात का बहुत अफसोस है तुम इस गड्ढे में बहुत पहले क्यों नहीं गिर पड़े?”

भेड़िया बोला — “ओ बुरा काम करने वाले, अभी तुम मेरी माँ के पास जाओ और उसे बताना कि मैं इस गड्ढे में गिर पड़ा हूँ। वह मेरे यहाँ से निकलने का कोई न कोई रास्ता जरूर ही निकाल लेगी।”

लोमड़ा बोला — “तुम्हारे अपने लालच की वजह से ही तुम्हारी यह हालत हुई है। अब तुम यहाँ से कभी बच कर बाहर नहीं निकल सकते। क्या तुमको इस कहावत का पता नहीं है “जो अपने अन्त के बारे में नहीं सोचता किस्मत भी उसकी कोई सहायता नहीं करती और न ही वह खतरों से सुरक्षित रह सकता है।”

भेड़िया बोला — “तुम मेरी दोस्ती के बारे में नहीं सोच रहे हो लोमड़े भाई। केवल अल्लाह ही मुझे इसका इनाम देगा।”

लोमड़ा बोला — “अरे ओ बेवकूफ़ और तुम अपना जिद्दी बरताव और मेरी सलाह की बेइज़्ज़ती भूल गये।”

भेड़िया बोला — “मेरे पुराने पापों के लिये मुझे मत चिढ़ाओ क्योंकि दयावान लोगों से तो केवल माफी की ही उम्मीद रखी जाती है।”

और फिर उसने लोमड़े के साथ बहुत ही नरमी का बरताव किया। वह उसके सामने बहुत रोया बहुत गिड़गिड़ाया और शिकायत की और प्रार्थना की कि वह उसके साथ इतनी बेरहमी का बरताव न करे। इस मुसीबत के समय में उसकी वहाँ से बाहर निकलने में उसकी सहायता करे।

सो वह लोमड़े से फिर बोला — “जाओ और एक रस्सी ले कर आओ। उसका एक सिरा वहाँ ऊपर एक पेड़ से बाँध दो और उसका दूसरा सिरा मुझे दे दो ताकि मैं उसको पकड़ कर इस गड्ढे में से बाहर आ सकूँ। बाहर आने के बाद मैं तुमको जो कुछ भी मेरे पास है मैं वह सब तुमको दे दूँगा। मेरा यकीन करो।”

लोमड़ा बोला — “तुम मुझसे यों ही बेकार की बात कर रहे हो क्योंकि तुम्हारी ये बातें तुमको इस गड्ढे में से बाहर नहीं निकालने वाली। तुमने मेरे साथ जो जो बुरे काम किये हैं उनको तुम एक बार फिर याद कर लो और सोचो कि तुम पत्थरों की मार से मारे जाने के कितने करीब हो।”

भेड़िया बोला — “तुम ऐसा क्यों नहीं सोचते कि जो कोई एक आदमी को मरने से बचाता है वह सारी जाति को मरने से बचाता है इसलिये तुम मुझे यहाँ से आजाद कराने की पूरी कोशिश करो लोमड़े भाई।”

लोमड़ा बोला — “मैं तुम्हारे इरादों को बाज़ और तीतर के बराबर रख सकता हूँ।”

भेड़िया बोला — “वह कैसे?” और लोमड़े ने कहना शुरू किया — “एक बार मैं अंगूर खाने के लिये एक अंगूर के बागीचे में घुस गया तो मैंने वहाँ एक बाज़ को एक तीतर को पकड़ते हुए देखा पर तीतर उसकी पकड़ से निकल गया।

बाज़ उसके पीछे भागा और उससे बोला — “मुझे लगा कि तुम भूखे हो सो मुझे तुम्हारे ऊपर दया आ गयी। मैं तुम्हारे खाने के लिये कुछ दाने ले कर आया और तुमको पकड़ा ताकि मैं उन दानों को तुमको खाने के लिये दे सकूँ पर तुम तो मुझसे दूर भाग गये। मुझे नहीं मालूम कि तुम मुझसे दूर क्यों भागे। आओ बाहर आ जाओ और ये दाने ले लो जो मैं तुम्हारे खाने के लिये ले कर आया हूँ। इससे तुम्हारी तन्दुरुस्ती अच्छी हो जायेगी।”

जब तीतर ने यह सुना तो उसे बाज़ के ऊपर विश्वास हो गया और वह बाहर आ गया। इसी समय बाज़ ने उसे अपने पंख से मारा और फिर से पकड़ लिया।

तीतर बोला — “तो तुमने मुझसे झूठ बोला। अल्लाह करे कि जब तुम मेरा माँस खाओ तो वह तुम्हारे लिये जहर बन जाये।” सो जब बाज़ ने तीतर का माँस खाया तो उसका माँस सचमुच में ही उसके लिये जहर बन गया। उस माँस के खाते ही बाज़ के पंख नीचे गिर पड़े, वह कमजोर हो गया और वहीं मर गया।

लोमड़ा आगे बोला — “सो ओ भेड़िये, जो अपने भाइयों के लिये गड्ढा खोदता है वह खुद भी उसमें जल्दी ही गिर जाता है। पहले तुमने मुझे धोखा दिया था और अब तुम मुझसे दया की भीख माँग रहे हो।”

भेड़िया बोला — “तुम मुझे ये सब कहानियाँ मत सुनाओ। मेरे बुरे कामों की भी मुझे याद मत दिलाओ। एक सच्चे दोस्त की तरह से मेरे ऊपर दया करो। सच्चा दोस्त तो सच्चे भाई से भी कहीं ज़्यादा अच्छा होता है।

अगर तुम मुझे आज बचा लोगे तो मैं तुम्हें कुछ खास चालें सिखाऊँगा, जैसे बागीचे का दरवाजा खोलना, पेड़ों से फल तोड़ना, आदि आदि।”

लोमड़ा बोला — “तुम्हारे जैसे बेवकूफ के मुँह से ऐसी बातें बड़ी अजीब सी लगती हैं।”

“तो फिर अक्लमन्द लोग क्या कहते हैं?”

लोमड़ा बोला — “अक्लमन्द लोगों का कहना है कि मोटे शरीर में मोटी अक्ल रहती है – अक्लमन्दी से कहीं दूर और इसी लिये तुम बेवकूफ हो।

मैं तुम्हारे बुरे बरताव को देखते हुए तुम्हारा सच्चा दोस्त कैसे हो सकता हूँ। मैं तो तुमको अपना सच्चा दुश्मन मानता हूँ जो अपनी मुश्किलों में भी खुश हो रहा है।

तुम कहते हो कि तुम मुझे चालें सिखाओगे। पहले तुम यहाँ से अपने बाहर निकलने के लिये अपनी चाल तो इस्तेमाल कर लो। तुम तो उस बीमार आदमी की तरह हो जो दूसरे बीमार आदमी से कह रहा हो — “मैं तुम्हें ठीक कर सकता हूँ।”

तो दूसरा बीमार आदमी कहता है — “पहले तुम अपने आपको ठीक क्यों नहीं कर लेते?”

यह सुन कर पहला बीमार आदमी वहाँ से चला गया और दूसरे बीमार को वही छोड़ गया। अब तुम भी वहीं रहो जहाँ हो।”

भेड़िया समझ गया कि उसको इस लोमड़े से कोई सहायता नहीं मिलने वाली सो वह रोने लगा।

फिर वह अपने आपसे बोला — “अगर मैं यहाँ से बाहर निकल गया तो मैंने अपने से कमजोर लोगों के साथ जो बुरे काम किये हैं उनका प्रायश्चित जरूर करूँगा। मैं पहाड़ पर चला जाऊँगा और अल्लाह की प्रार्थना करूँगा। मैं जंगली जानवरों के साथ नहीं रहूँगा और गरीबों को खाना खिलाऊँगा।”

यह सुन कर लोमड़े को भेड़िये पर दया आ गयी। वह खुशी से भर गया। वह अपने पिछले पैरों पर खड़ा हो गया और उसने अपनी पूँछ उस गड्ढे में लटका दी ताकि भेड़िया उसकी पूँछ पकड़ कर उस गड्ढे से बाहर आ सके।

पर लोमड़ा तो यह देख कर बहुत गुस्सा हो गया कि भेड़िया उठा और उसने लोमड़े की पूँछ पकड़ कर बाहर आने की बजाय उसे खींच लिया जिससे वह लोमड़ा भी उस गड्ढे में गिर गया।

भेड़िया बोला — “अब बताओ तुम मेरे दुख में क्यों खुशी मना रहे थे? अब तुम मेरे पास आ गये हो तो साथ साथ मरने में ज़्यादा मजा आयेगा। अब इससे पहले कि तुम मुझे मारो मैं तुमको मार दूँगा।”

लोमड़ा बोला — “मुझे मत मारो। मुझे मार कर तुमको कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि इससे तो हम दोनों ही यहाँ मर जायेंगे।”

भेड़िया बोला — “तो बताओ कि यहाँ से बाहर निकलने की तुम्हारे पास क्या तरकीब है?”

लोमड़ा बोला — “जब मैंने तुम्हारे वायदों को सुना तो मुझे तुम्हारे ऊपर दया आ गयी और मैंने अपनी पूँछ तुमको पकड़ने के लिये इसलिये इस गड्ढे के अन्दर डाल दी ताकि तुम उसे पकड़ कर बाहर आ जाओ।पर तुमने अपनी गन्दी आदत नहीं छोड़ी। अब हम लोगों को केवल एक ही तरकीब बचा सकती है, अगर तुम उस पर राजी हो तो।”

भेड़िये ने पूछा — “वह क्या?”

लोमड़ा बोला — “मैं तुम्हारे ऊपर चढ़ जाता हूँ। तुम अपनी पूरी लम्बाई पर खड़े हो जाओ जब तक मैं जमीन के बराबर आ जाऊँ। फिर मैं जमीन पर कूद जाऊँगा और जब मैं गड्ढे के बाहर निकल जाऊँगा तो फिर मैं तुमको जो कुछ भी तुम पकड़ कर बाहर आ सकोगे तुमको पकड़ा कर बाहर निकाल लूँगा।”

भेड़िया बोला — “मुझे तुम्हारे ऊपर भरोसा नहीं है।” इस पर लोमड़े ने पूछा — “तो क्या फिर इस गड्ढे से बाहर निकलने की तुम्हारे पास कोई दूसरी तरकीब है? अगर है तो मुझे बताओ और अगर नहीं है तो मेरे ऊपर भरोसा करो। तुमको मेरे ऊपर किसी एक चीज़ के लिये तो भरोसा करना ही पड़ेगा – या तो मैं तुमको निकालने के लिये किसी को ले कर आऊँगा या फिर तुमको यहाँ मरने के लिये छोड़ जाऊँगा। “भरोसा करना अच्छी बात है और भरोसा न करना बुरी बात है।” इसलिये तुम मुझ पर भरोसा रखो।”

भेड़िया बोला — “ठीक है। मैं तुम्हारी बात माने लेता हूँ पर अगर तुमने मुझे धोखा दिया तो देख लेना कि तुम भी बचोगे नहीं।”

इतना कह कर भेड़िया बिल्कुल सीधा खड़ा हो गया और लोमड़े को उसने अपने कंधों पर उठा लिया और जमीन के बराबर तक पहुँचा दिया। लोमड़े ने उसके कंधों पर से एक कूद मारी और वह जमीन के ऊपर पहुँच गया। उ

सके बाहर कूदते ही भेड़िया चिल्लाया — “मुझे यहाँ से बाहर निकालना नहीं भूलना।”

लोमड़ा भी चिल्लाया — “मैंने अपनी पूँछ नीचे गिरा कर तुम्हें बचाने का अपना काम कर दिया है लेकिन तुमने तो मुझे भी गिरा दिया। अब तुम मुझसे क्या उम्मीद रखते हो?”

यह सुन कर भेड़िये ने तो अपना सिर पीट लिया और लोमड़े से बोला — “अगर तुम मुझको बाहर निकाल दोगे तो मैं तुमको भारी इनाम दूँगा।”

लोमड़ा बोला — “तुम्हारे इनाम देने के इस वायदे से तो मुझे एक साँपिन की कहानी याद आ गयी।

एक साँपिन थी जो भागी चली जा रही थी। उसको भागते हुए देख कर एक आदमी ने पूछा — “ओ साँपिन तुम इतनी तेज़ तेज़ क्यों भाग रही हो?”

साँपिन बोली — “मैं एक सँपेरे से डर कर भाग रही हूँ जो मुझे पकड़ कर बन्द कर लेना चाहता है। अगर तुम मुझे उससे बचा लोगे तो मैं तुमको अच्छा इनाम दूँगी।”

उस आदमी ने उसको उठा कर अपनी छाती के पास वाली जेब में रख लिया।जब सँपेरा वहाँ से चला गया तब उसने उस साँपिन को अपनी जेब से बाहर निकाल दिया।

अब साँपिन को उससे कोई डर नहीं था सो वह जाने लगी तो आदमी ने कहा — “मेरा इनाम कहाँ है जो तुमने मुझे देने का वायदा किया था?”

साँपिन बोली — “तो फिर तुम ही बताओ कि मैं तुम्हारे शरीर के किस हिस्से में काटूँ?” इतना कह कर उसने उसको तुरन्त ही काट लिया और वह वहीं मर गया।”

यह कह कर लोमड़ा एक पहाड़ी पर चढ़ गया और बागीचे के रखवालों को जगाने के लिये बहुत ज़ोर से चिल्लाया। वे जाग गये और गड्ढे के पास आ गये जहाँ भेड़िया उसमें गिरा पड़ा था। लोमड़ा उनको आते देख कर वहाँ से भी भाग चुका था।

बागीचे के रखवालों ने भेड़िये को इतने पत्थर मारे कि वह मर गया। लोमड़ा फिर वहीं अपने घर लौट आया और वहाँ ज़िन्दगी भर खुशी खुशी रहा।

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