भेड़िया और तीन लड़कियाँ : इतालवी लोक-कथा
Bhediya Aur Teen Ladkiyan : Italian Folk Tale
एक बार तीन लड़कियाँ एक ही शहर में काम करती थीं। एक दिन उनको खबर मिली कि उनकी माँ जो बोरगोफ़ोर्ट में रहती थी बहुत बीमार थी।
सो सबसे बड़ी बहिन ने दो टोकरी में चार शराब की बोतलें रखीं और चार केक रखीं और अपनी माँ को देखने के लिये बोरगोफ़ोर्ट की तरफ रवाना हो गयी।
रास्ते में उसको एक भेड़िया मिला। उसने उससे पूछा — “तुम इतनी जल्दी में कहाँ भागी जा रही हो?”
“मैं बोरगाफ़ोर्ट जा रही हूँ अपनी माँ को देखने के लिये। वह बहुत बीमार है।”
“उन टोकरियों में क्या है?”
“चार बोतलें शराब की और चार केक।”
“उनको मुझे दे दो वरना .... अगर मैं सीधी बात कहूँ तो मैं तुमको खा जाऊँगा।” लड़की ने वे सब चीज़ें उसको दे दीं और भागती हुई अपनी बहिनों के घर चली गयी।
उसके बाद बीच वाली बहिन ने अपनी टोकरियाँ भरीं और वह भी अपनी माँ को देखने के लिये बोरगाफ़ोर्ट की तरफ चल दी। रास्ते में उसको भी भेड़िया मिला।
उसने उससे भी वही पूछा — “इतनी जल्दी जल्दी तुम कहाँ जा रही हो?”
“मैं बोरगाफ़ोर्ट जा रही हूँ अपनी माँ को देखने के लिये। वह बहुत बीमार है।”
“इन टोकरियों में क्या है?”
“चार बोतल शराब है और चार केक हैं।”
“उनको मुझे दे दो वरना .... अगर मैं सीधी बात कहूँ तो मैं तुमको खा जाऊँगा।” लड़की ने उसके सामने अपनी टोकरियाँ खाली कर दीं और भागती हुई घर चली गयी।
अब सबसे छोटी बहिन ने कहा — “अब मेरी बारी है। मैं देखती हूँ उस भेड़िये को।”
उसने भी शराब और केक की टोकरियाँ तैयार कीं और बोरगाफ़ोर्ट की तरफ रवाना हो गयी। लो भेड़िया तो रास्ते में ही खड़ा था।
उसने उससे भी पूछा — “इतनी जल्दी जल्दी कहाँ जा रही हो?”
“मैं बोरगाफ़ोर्ट जा रही हूँ अपनी माँ को देखने के लिये। वह बहुत बीमार है।”
“और इन टोकरियों में क्या है?”
“चार बोतल शराब और चार केक।”
“उनको मुझे दे दो वरना .... अगर मैं सीधी बात कहूँ तो मैं तुमको खा जाऊँगा।”
“हाँ हाँ क्यों नहीं। लो अपना मुँह खोलो।”
भेड़िये ने केक खाने के लिये अपना मुँह खोल दिया।
छोटी लड़की ने एक केक उठायी और उसे भेड़िये के खुले हुए मुँह की तरफ फेंक दी। उसने वह केक खास करके उस भेड़िये के लिये ही बनायी थी और उसे कीलों से भर दिया था।
भेड़िये ने वह केक अपने मुँह में पकड़ ली और जैसे ही उसने उसको काटा उसके मुँह का तलवा कीलों से जख्मी हो गया।
उसने तुरन्त ही वह केक थूक दिया, पीछे की तरफ कूदा और यह चिल्लाते हुए भाग गया — “तुमको इसकी कीमत देनी पड़ेगी ओ लड़की। तुमने मेरे साथ धोखा किया है।”
वह भेड़िया छोटा वाला रास्ता ले कर जो केवल उसी को ही मालूम था आगे आगे भाग गया और उस लड़की से पहले ही बोरगाफ़ोर्ट में उसकी माँ के घर पहुँच गया।
वह उस छोटी लड़की की बीमार माँ के घर में घुस गया और उसकी माँ को खा कर उसके बिस्तर में लेट गया।
वह छोटी लड़की जब अपनी माँ के घर में आयी तो उसने अपनी माँ को एक चादर से आँखों तक ढके लेटे पाया।
वह बोली — “माँ तुम इतनी काली कैसे हो गयी हो?”
भेड़िया बोला — “मेरे बच्चे, क्योंकि मैं इतनी बीमार जो थी।”
“तुम्हारा सिर भी कितना बड़ा हो गया है माँ।”
“क्योंकि मुझको चिन्ता बहुत थी, मेरे बच्चे।”
लड़की बोली — “मैं तुम्हारे गले लगना चाहती हूँ माँ।”
“हाँ हाँ बेटी क्यों नहीं।”
और जैसे ही वह लड़की अपनी माँ को गले लगाने के लिये आगे बढ़ी कि भेड़िया उसको भी सारा का सारा खा गया।
अब उस लड़की और उसकी माँ को अपने पेट में लिये वह भेड़िया वहाँ से घर के बाहर की तरफ भागा। पर गाँव के लोगों ने उसको उस घर में से भागते देख लिया सो उन्होंने सोचा कि “यह भेड़िया इस घर में से क्यों भाग रहा है जरूर दाल में कुछ काला है।
सो वे सब अपनी अपनी कुल्हाड़ियाँ और फावड़े उठा कर उसके पीछे दौड़े।
उन्होंने उस भेड़िये को मार कर और उसका पेट फाड़ कर उस लड़की और उसकी माँ दोनों को उसके पेट में से बाहर निकाल लिया। वे अभी तक ज़िन्दा थीं।
बाद में उन लड़कियों की माँ ठीक हो गयी और वह छोटी लड़की अपने घर वापस चली गयी। जा कर उसने अपनी बहिनों से कहा — “देखो मैं सुरक्षित वापस आ गयी।”
(साभार : सुषमा गुप्ता)