बेवकूफ गधा : इथियोपिया की लोक-कथा

Bewakoof Gadha : Ethiopia Folk Tale

इथियोपिया के उत्तरपूर्वी प्रदेश टिगरे में एक नमक का व्यापारी रहता था। यहाँ नमक बहुत होता है तो लोग वहाँ जाते हैं और नमक काट कर ले आते हैं। फिर उसको देश के दूसरे हिस्सों में ऊंचे दामों पर बेच देते हैं। यह व्यापारी भी यही करता था।

टिगरे में रेगिस्तान भी काफी था इसलिए गधों को उस रेगिस्तान में चलने में बहुत परेशानी होती थी। उस व्यापारी के कई गधों में से एक गधे को यह परेशानी कुछ जरा ज़्यादा ही महसूस होती थी।

जब नमक पीठ पर लाद कर उसको रेगिस्तान से गुजरना होता था या पहाड़ी के ऊंचे नीचे रास्तों पर चलना होता था तब तो उसको बस अपनी नानी याद आ जाती थी।

जब ये लोग रेगिस्तान की तरफ जाते थे तो रास्ते में एक नदी भी पड़ती थी। बारिश के मौसम में यह नदी बहुत बड़ी हो जाती थी। एक बार वह नदी खूब चढ़ी हुई थी और वह गधा अपनी पीठ पर नमक का बोझ रख कर उसे पार कर रहा था।

जब वह बीच नदी में पहुंचा तो पानी के तेज़ बहाव की वजह से उसका पैर फिसल गया और वह गिर पड़ा। बड़ी मुश्किल से उठ कर उसने वह नदी पार की।

पर इस बीच उसने महसूस किया कि गिरने के बाद से उसका बोझ काफी हलका हो गया है। इससे वह बहुत खुश हुआ।

अगले महीने वह व्यापारी फिर से नमक लेने आया। जब वह नमक ले कर वापस जा रहा था तो उस नदी के पास से गुजरते समय उस गधे को अपनी पुरानी घटना याद आ गयी।

इस बार वह जान बूझ कर नदी में गिर पड़ा और जब वह नदी के किनारे पर पहुंचा तो फिर हलका हो गया था। उसको यह तरीका बहुत पसन्द आया और उसने इस तरीके को बार बार इस्तेमाल करने का फैसला कर लिया।

इधर व्यापारी ताड़ गया कि पिछली बार तो यह गधा सचमुच में ही नदी में फिसल गया था पर इस बार इसने मेरे साथ चालाकी खेली है सो उसने गधे को सबक सिखाने का फैसला कर लिया।

अगली बार जब वह नमक लाने गया तो उसने उस गधे के थैलों में बजाय नमक के मिट्टी भर कर उसके ऊपर लाद दी।

अब मिट्टी तो भारी होती है तो गधे ने इस बार थैले भारी तो महसूस किये पर वे उसको इस लिये भारी नहीं लग रहे थे क्योंकि वह सोच रहा था कि वह फिर से उस नदी में डुबकी लगा कर अपना बोझ हलका कर लेगा।

जब वह नदी में पहुंचा तो उसने वैसा ही किया। वह नदी में गिर पड़ा। पर यह क्या? पिछली बार तो वह पानी में से आसानी से उठ गया था पर इस बार तो उससे हिला भी नहीं जा रहा था।

उधर व्यापारी नदी के पास खड़ा खड़ा सोच रहा था कि इस बार गधे को अच्छा सबक मिलेगा। जब गधा कोशिश करने पर भी न उठ सका तो व्यापारी नदी के बीच में गया, उसकी पीठ से मिट्टी के थैले उतारे, तब जा कर वह कहीं उठ सका। वह गधा बेचारा मालिक के सामने सिर झुकाये खड़ा था।

मालिक ने उसको थपथपाया और फिर से नमक लाने चल दिया। उस दिन के बाद गधे ने फिर कभी ऐसा काम नहीं किया। वह अब बहुत ही वफादार गधा हो गया था।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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