बेजोड़ बलिदान (प्रेरक कथा) : यशपाल जैन
Bejod Balidaan (Prerak Katha) : Yashpal Jain
बहुत पुरानी बात है । पैगम्बर साहब की मौत के कुछ साल बाद अरबों और रूमियों के बीच जोर की लड़ाई हुई। दोनों ओर के बहुत से लोग मारे गये ।
शाम होने पर लड़ाई बन्द हो जाती थी । तब दोनों पक्षों के लोग अपने रिश्तेदारों और मित्रों की खैर-खबर लेने के लिए आपस में मिलते थे ।
एक दिन जब लड़ाई बन्द हुई तो अरब सेना का एक अरब अपने भाई को, जो दूसरी ओर से लड़ रहा था, ढूंढ़ने निकला । वह चाहता था कि अगर वह लड़ाई में घायल हो गया हो तो उसे ले आवे और उसकी सेवा करे; मारा गया हो तो दफना दे । रवाना होते समय उसने सोचा, हो सकता है कि उसे पानी की जरूरत हो। इसलिए उसने एक लोटा पानी साथ ले लिया ।
एक हाथ में लालटेन और दूसरे में पानी का लोटा लिये वह लड़ाई के मैदान में पहुंचा। वहां बहुत से लोग पड़े थे। कुछ मारे गये थे । कुछ जिन्दा थे और घावों के दर्द से कराह रहे थे। उनके बीच उसे भाई मिल गया । उसके गहरे घाव लगे थे, जिनसे खून बह रहा था । प्यास के मारे वह तड़प रहा था । भाई ने वहां जाकर लालटेन नीचे रख दी और जैसे ही उसे पानी पिलाने को हुआ कि दूसरी ओर से आवाज आई – “पानी ।"
भाई ने अपना मुंह बन्द कर लिया और अरब को इशारा किया कि पहले उस आदमी को पानी पिलाओ।
बेचारा भाई उसी ओर तेजी से चला, जिधर से पानी की पुकार आई थी। पास जाकर देखता क्या है कि वह बहुत बड़ा सरदार है । अरब जैसे ही उसे पानी पिलाने को झुका कि तीसरी ओर से आवाज आई - "पानी !"
सरदार ने बड़ी कठिनाई से, रुक-रुक कर बोलते हुए कहा, “पहले वहां पानी पिलाओ।"
अरब सपाटे से उधर को रवाना हुआ। वहां पहुंच कर जैसे ही घायल के मुंह में पानी डालने को हुआ कि उसने आखिरी सांस ले ली । बेचारे को पानी नसीब न हुआ। तब अरब दौड़ कर सरदार के पास गया । देखा, उसकी भी आंखें सदा के लिए बन्द हो गई थीं। फिर वह उदास और दुखी मन से अपने भाई के पास आया । वह भी इस संसार से बिदा हो चुका था ।
तीन घायलों में से किसी को भी पानी न मिला, पर पहले दो मानवता के इतिहास में अपना नाम सदा के लिए अमर कर गये ।