बेकर का आलसी बेटा : पुर्तगाली लोक-कथा

Baker’s Idle Son: Lok-Katha (Portugal)

एक बार की बात है कि पुतर्गाल में एक स्त्री बेकर थी। उसके एक बहुत ही आलसी बेटा था।

जब सारे बच्चे आग जलाने के लिये लकड़ी इकठ्ठा करने के लिये जाते थे तो उसको भी लकड़ी लाने के लिये कहा तो जाता था पर वह वहाँ कभी नहीं जाता था।

अपने ऐसे आलसी बेटे को देख कर उस स्त्री को बहुत दुख होता था पर उसकी समझ में नहीं आता कि वह उसके बारे में करे तो करे क्या।

सो एक दिन उसने उस बेटे को जबरदस्ती उन बच्चों के साथ लकड़ियाँ लाने के लिये भेज दिया तो वह भी दूसरे बच्चों के साथ चला गया।

पर जैसे ही वह जंगल पहुँचा तो दूसरे बच्चे तो लकड़ियाँ और पेड़ों की छोटी छोटी शाखें इकठ्ठा करने में लग गये पर वह एक नदी के किनारे अपना खाना खाने बैठ गया जो वह अपने घर से लाया था।

जब वह खाना खा रहा था तो एक मछली वहाँ आयी और उसका गिरा हुआ खाना खाने लगी। आखिर उसने उसको पकड़ लिया। मछली ने उससे प्रार्थना की कि अगर वह उसको मारे नहीं और छोड़ दे तो वह उसकी हर इच्छा पूरी करेगी।

पर उस आलसी लड़के को उस मछली पर विश्वास नहीं हुआ तो वह उससे बोला — “मेरे भगवान और मेरी मछली के नाम पर मैं यह इच्छा करता हूँ कि लकड़ी का एक बहुत बड़ा ढेर जो मेरे साथ वाले सब बच्चों के लकड़ी के ढेरों से भी बड़ा हो मेरे सामने आ जाये। और वह मेरे बिना छुए ही यहाँ से मेरे घर तक चलता जाये।”

तुरन्त ही लकड़ी का बँधा हुआ एक बहुत बड़ा ढेर उसके सामने आ गया। जब उसने लकड़ी के उस ढेर को ठीक से देख लिया तभी उसने उस मछली को समुद्र में जाने दिया। अब वह घर वापस चला। घर जाते समय वह बीच में महल के सामने से गुजर रहा था तो महल की खिड़की पर राजकुमारी बैठी हुई थी।

राजकुमारी के साथ साथ साथ राजा भी बैठा था। उसको उस लकड़ी के ढेर को अपने आप चलते देख कर बहुत आनन्द आया। राजकुमारी को भी वह देखने में इतना अच्छा लगा कि वह हँस पड़ी।

उसको हँसते देख कर आलसी लड़का बोला — “मेरे भगवान और मेरी मछली के नाम पर मैं यह इच्छा करता हूँ कि राजकुमारी के एक बेटा हो और उसको यह पता न चले कि उसका पिता कौन है।”

राजकुमारी को उसी समय से लगने लगा कि उसको बच्चे की आशा हो आयी है। जब राजा को यह पता चला तो वह यह जान कर उससे बहुत नाराज हुआ। उसने उसको उसकी प्रिय दासियों के साथ एक महल में कैद कर दिया। समय आने पर राजकुमारी ने एक बेटे को जन्म दिया।

वह आलसी लड़का फिर जंगल लौटा तो वह मछली फिर आयी और उसने लड़के को बताया कि उस राजकुमारी के बेटा हुआ है। मछली के कहे अनुसार उसने राजा के महल के सामने एक महल बनवाया जो राजा के महल से भी ज़्यादा शानदार था। इसके महल के बागीचे में हर रंग के फूल थे और उनमें एक फलों के पेड़ों का बागीचा भी था। इस फल के बागीचे में एक सन्तरे का पेड़ था जिस पर बारह सुनहरी सन्तरे लगे थे।

पर यह सब तो उसे उस मछली और परियों का दिया हुआ था। वह खुद तो बहुत आलसी था। महल बन जाने के बाद वह आलसी लड़का उस महल में गया और एक राजकुमार बन कर रहने लगा। दूसरे लोग उसको केवल राजकुमार की तरह से ही जानते थे किसी और तरह जानते ही नहीं थे।

एक दिन राजा ने उस लड़के के पास यह सन्देश भेजा कि वह उसका महल देखना चाहता है। उस आलसी लड़के ने कहा कि वह खुशी से अपना महल उसको दिखायेगा। उसने राजा और उसके सारे दरबारियों को सुबह के नाश्ते के लिये बुला लिया।

राजा और उसके दरबारी उसका महल देख कर बहुत खुश हुए कि उसमें कितने आराम के साधन थे। महल देखने के बाद वे उसका बागीचा देखने गये।

बागीचे में इतने सारे फूल देख कर वे आश्चर्यचकित रह गये पर सबसे ज़्यादा आश्चर्य तो उन सबको सन्तरे का पेड़ देख कर हुआ जो उसके फलों के बागीचे में लगा हुआ था और जिस पर सुनहरी सन्तरे लगे हुए थे।

उस आलसी लड़के ने राजा और उसके दरबारियों से कहा कि वे वहाँ से कुछ भी ले जा सकते था सिवाय सुनहरी सन्तरों के। सब कुछ देख कर वे सब नाश्ते के लिये महल लौटे और नाश्ते के लिये बैठे। जब नाश्ता खत्म हो गया तो राजा और दरबारी लोग अपने महल जाने के लिये लौटे।

जाते समय उस लड़के ने राजा से कहा कि वह उन सबको अपने महल में बुला कर बहुत खुश था और उसने उनका बहुत अच्छे से स्वागत किया पर वह इस बात से बहुत दुखी था कि इतने अच्छे स्वागत के बावजूद उसका एक सन्तरा गायब था।

दरबारियों ने तो साफ मना कर दिया कि उनमें से किसी ने उसका कोई सन्तरा नहीं लिया। उन्होंने उस लड़के को अपने कोट उतार कर भी दिखाये ताकि वह खुद अपनी आँखों से यह देख सके कि उसका उनको अपराधी ठहराना ठीक नहीं था।

राजा को यह सुन कर बहुत शरम आयी क्योंकि अब केवल वही एक देखने से रह गया था।

उसने अपना कोट उतारा पर जाँच करने पर उसकी जेबों से कुछ नहीं मिला। सो वह जब अपने कोट को दोबारा पहनने लगा तो उस लड़के ने उससे एक बार फिर से अपनी जेबें देखने के लिये कहा क्योंकि जब वह सन्तरा उसके दरबारियों ने नहीं लिया तो जरूर उसी ने लिया होगा।

सो राजा ने फिर से अपनी जेब में हाथ डाला तो उसको अबकी बार अपनी जेब में एक सन्तरा मिल गया। उसने वह सन्तरा अपनी जेब से निकाल लिया।

पर राजा यह देख कर बहुत परेशान हो गया कि यह सन्तरा उसकी जेब में आया कहाँ से? क्योंकि उसने तो सन्तरा छुआ भी नहीं था। उसको बहुत शर्म आयी।

आलसी लड़के ने कहा कि आप चिन्ता न करें क्योंकि यही राजकुमारी के साथ भी हुआ जिसने यह जाने बिना एक बेटे को जन्म दिया कि उसका पिता कौन था।

इस तरह मछली के ऊपर पड़ा हुआ जादू टूट गया। अब वह एक सुन्दर राजकुमार बन गयी और उसने राजकुमारी से शादी कर ली।

और वह आलसी लड़का एक बहुत ही अमीर आदमी बन कर अपने घर लौट गया।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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