बैल का कर्ज : लोककथा (उत्तराखंड)
Bail Ka Karz : Lok-Katha (Uttarakhand)
यह कथा उत्तराखण्ड के विश्व प्रसिद्ध धाम केदारनाथ की घाटी में प्रसिद्ध है । बुजुर्ग इसे सत्यकथा मानते हैं।
एक बार एक यात्री केदारनाथ यात्रा पर आया। केदारनाथ के दर्शन से लौटकर जब वह सोनप्रयाग के नजदीक पहुंचा तो उसे पता चला कि उसके रुपए कहीं गिर गए। उसका घर यहाँ से बहुत दूर था। बिना रुपयों के घर जाना संभव नहीं था। अब घर जाए तो कैसे ? उसने कई लोगों से सहायता के लिए संपर्क किया। अंत में निकट के गाँव का शिवम नाम का व्यक्ति उसे अपने घर ले गया। उसने यात्री को कुछ रुपए दे दिए। घर जाते समय उस यात्री ने कहा कि वह जल्दी ही शिवम के सारे रुपए लौटा देगा।
इस घटना को बीते काफी समय हो गया था। उस यात्री ने शिवम के रुपए नहीं लौटाए। अब शिवम भी रुपयों वाली बात भूल गया था। एक बार शिवम खेतों को जोतने के लिए एक जोड़ी बैल खरीद लाया। इस जोड़ी के घर आते ही उसके घर में खुशहाली छा गई। यह खुशहाली अधिक दिनो तक न रही। एक दिन घास चरते समय बायां वाला बैल गिर गया। उसकी मौत हो गई। अब शिवम बाएं बैल को खरीदने का जुगत करने लगा। उसने एक नया बैल खरीद ही लिया किन्तु इस जोड़ी में पहले जैसी बात नहीं रह गई थी। नयां बायां बैल पुराने दाएं बैल की तुलना में जवान था। पुराना बैल धीरे -धीरे अशक्त होने लगा। कमजोरी के कारण अब उसे हल लगाने में कठिनाई होने लगी। वह धीरे-धीरे बीमार पड़ता गया।
इसी बीच एक दिन एक अपरिचित व्यक्ति शिवम के घर पहुंचा।
‘‘शिवम , क्या आपका ही नाम है ?‘‘
‘‘हाँ !‘‘- उसकी बात को सुनकर शिवम बोला।
‘‘बहुत समय गुजर चुका है अब तो। क्या किसी यात्री ने आपसे कुछ रुपए उधार लिए थे ?‘‘ - उस व्यक्ति ने शिवम से पूछा।
‘‘हाँ ! मैं तो भूल ही गया था। केदारनाथ से लौटने के बाद उस यात्री के रुपए कहीं खो गए थे। मैंने ही उसे कुछ रुपए दिए थे।‘‘- शिवम बोला।
‘‘ मैं उसी यात्री का बेटा हूँ । केदारनाथ से लौटने के तुरन्त बाद मेरे पिता की मृत्यु हो गई थी। मरने से पहले वे कुछ कहने की कोशिश कर रहे थे किन्तु कह नहीं पाए थे।‘‘
‘‘ तो तुम्हें उधार वाली बात किसने बताई ?‘‘- उस व्यक्ति के कहने पर शिवम ने उससे पूछा।
‘‘ मुझे कुछ दिन पहले सपना हुआ। सपने में मैंने पिताजी को देखा। उन्होंने मुझसे कहा कि उन्होंने शिवम नाम के व्यक्ति से कुछ रुपए उधार लिए थे किन्तु वे चुकता नहीं कर पाए थे। सपने में ही उन्होंने मुझे आपके घर का पता बताया था। उन्होंने यह भी बताया था कि इसी उधार को चुकता करने के लिए उन्होंने आपके बैल के रूप में जन्म लिया है। बैल के रूप में सेवा करते - करते उन्होंने काफी उधार चुकता कर लिया है। वे सारा उधार चुकता करना चाहते हैं किन्तु उनके शरीर में जान नहीं रह गई है। वे बीमार हैं। इसलिए उन्होंने मुझे सपने में आदेश दिया कि मैं उनके बचे हुए रुपए आपको लौटा लूं। तभी उन्हें बैल के शरीर से मुक्ति मिलेगी।‘‘
यह कह कर उस व्यक्ति ने शिवम को बाकी रुपए लौटा लिए। जैसे ही शिवम ने वे रुपए अपनी जेब में रखे, शिवम के बीमार बैल ने आखिरी सांस ली।
(साभार : डॉ. उमेश चमोला)