बैल और गधा : अलिफ़ लैला

Bail Aur Gadha : Alif Laila

एक बार एक सौदागर था जो बहुत अमीर था। उसके पास बहुत सारे नौकर चाकर और जानवर थे। उसकी एक पत्नी थी और परिवार था और वह अपने खाने पीने के लिये खेती करता था। उसके पास जंगली जानवरों और हर तरह की चिड़िया की बोली समझने की ताकत थी। अपने मरने के समय तो वह अपनी इस ताकत को किसी को भी भेंट कर सकता था पर अपने जीते जी वह इसे किसी को बता नहीं सकता था नहीं तो वह मर जाता। इसलिये उसने इस बात को किसी को बताया नहीं था। सबसे छिपा कर रखा हुआ था।

एक दिन वह अपने नौकरों के साथ बैठा हुआ था और उसके बच्चे उसके आस पास खेल रहे थे। उसने बैल को गधे से कहते सुना — “तुम्हारे नीचे सब साफ और ताजा रहता है। लोग तुम्हारी नौकरी में लगे रहते हैं। वे तुमको साफ छना हुआ बाजरा खिलाते हैं, पीने के लिये साफ पानी देते हैं।

जबकि मेरे साथ ऐसा नहीं है। वे मुझे काम के लिये बीच रात में भी ले जाते हैं। मेरे गरदन पर जुआ रखते हैं और मैं सुबह से शाम तक जमीन जोतते जोतते थक जाता हूँ। उसके बाद भी वे मुझसे अच्छा बरताव नहीं करते। मुझे एक बाड़े में बन्द कर देते हैं और मेरे सामने वे मिट्टी मिला भूसा और दाना फेंक देते हैं।

फिर मैं तो धूल मिट्टी में पड़ा रहता हूँ जबकि तुम साफ जगह रहते हो। मैं अक्सर ही भूखा रहता हूँ जबकि तुमको भर पेट खाना मिलता है।”

गधा बोला — “ओ बैलों के पिता, पहली बात तो यह है कि तुम बहुत सीधे हो और दूसरे तुमको सलाह देने वाला भी कोई नहीं है। तुम ताकत और उत्साह से भरे हुए हो और तुम अपने मालिक के साथ नम्र भी बहुत हो। तुम दूसरों को सुख पहुँचाने के लिये बहुत ज़्यादा तकलीफ तक सह जाते हो।

अब तुम मेरी बात सुनो और अब जैसा मैं तुमसे कहता हूँ वैसा ही करो। जब वे तुमको गन्दी जगह में बाँधते हैं तब तुम अपने माथे से जमीन को खुरच कर उनको यह दिखाते हो कि तुम वहाँ बहुत सन्तुष्ट हो।

जब वे तुम्हारी तरफ सूखा खाना फेंकते हो तब तुम उसके ऊपर बहुत लालची हो कर गिरते हो और उसको बहुत जल्दी से खा जाते हो।

पर अगर तुम मेरी बात मानोगे तो तुम ज़्यादा अच्छे रहोगे और मुझसे भी ज़्यादा अच्छी ज़िन्दगी गुजारोगे।

तो अब तुम मेरी बात ध्यान से सुनो। जब वे तुमको खेत पर ले जायें तो तुम बस लेट जाना और जब तक न उठना जब तक कि वे तुमको बहुत ज़ोर ज़ोर से हिला कर न उठायें। और अगर तुम उठ भी जाओ तो फिर दोबारा लेट जाना।

जब वे तुमको खाना दें तो उसको केवल सूँघ कर छोड़ देना। उसको छूना भी नहीं। बस अपने भूसे और दाने से ही खुश रहना। तुम इसको 3–4 दिन करके देखो तब तुमको शायद थोड़ा आराम मिलेगा।”

बैल ने सोचा कि गधा उसका अच्छा दोस्त था सो उसने उसको धन्यवाद दिया और बोला — “तुम ठीक कहते हो गधे भाई।”

अगले दिन किसान उस बैल को उसकी गरदन पर जुआ रख कर खेत ले गया और उसको काम में लगा दिया। पर बार बार वह बैल उस हल को झटका देता था इस पर उस किसान ने उसको बहुत मारा तो उसने अपनी गरदन पर रखा जुआ नीचे गिरा कर तोड़ दिया।

वह किसान तो यह सब देख कर हैरान रह गया। उसने बैल को खाने के लिये दाना और भूसा दिया पर बैल ने उसको केवल सूँघा और उसको वहीं छोड़ कर उससे जितनी दूर हो सकता था उतनी दूर जा कर लेट गया। सारी रात उसने बिना खाये ही निकाल दी।

अगले दिन जब किसान आया तो उसने सारा का सारा भूसा और दाना ऐसा का ऐसा ही पड़ा देखा और बैल को बिना खाना खाये अपनी पीठ के बल लेटा देखा तो वह उसके बारे में चिन्ता करने लगा।

उसने सोचा कि बैल बीमार लगता है इसी लिये यह कल खेत भी नहीं जोत सका और ठीक से खाना भी नहीं खा सका। उसने जा कर सौदागर से कहा कि लगता है बैल बीमार है उसने कल खेत पर भी काम नहीं किया और कल से खाना भी नहीं खाया।

सौदागर सब समझ गया कि ऐसा क्यों हो रहा था क्योंकि उसने कल बैल और गधे की बात सुन ली थी। सो वह बोला — “उस गधे को ले जाओ और हल का जुआ उसकी गरदन पर रख दो। बैल का काम उस गधे को करने दो।”

सो उस दिन सारे दिन बैल का काम गधे ने किया। जब शाम को गधा घर वापस आया तो मुश्किल से हिल डुल पा रहा था। जबकि बैल सारा दिन आराम से रहा और अपना दाना और भूसा खाता रहा। उसने इस सबके लिये गधे को बहुत बहुत धन्यवाद दिया।

जब गधा बाड़े में लौट कर आया तो बैल उसकी इज़्ज़त में उठ कर खड़ा हो गया और बोला — “धन्यवाद गधे भाई। आज केवल तुम्हारी वजह से ही मैं सारा दिन आराम कर सका और मैंने अपना खाना भी बड़ी शान्ति से खाया।”

पर गधे ने इस बात का उसे कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि वह बहुत थका हुआ था और बैल को अपनी सलाह देने के लिये पछता रहा था कि केवल उसी की सलाह से आज उसको बैल का काम करना पड़ा। फिर उसने उसको अपनी जगह लौटाने का फैसला किया।

जब गधा अपनी जगह लौट आया तो सौदागर चाँदनी का आनन्द लेने के लिये अपनी छत पर आया। उसने गधे को बैल से कहते सुना — “कल तुम क्या करोगे?”

बैल बोला — “जैसा तुमने मुझे करने के लिये कल कहा था वैसा ही मैं कल भी करूँगा।”

गधा बोला — “नहीं, कल तुम वैसा नहीं करोगे।”

“क्यों?”

“अब मै तुमको एक और अच्छी सलाह देता हूँ। क्योंकि आज मैंने मालिक को यह कहते सुना है कि “अगर बैल काम करने के लिये न उठे तो उसको कसाई को दे आना ताकि वह उसको काट सके और उसका माँस गरीब लोगों को दे सके।” इसलिये अब मुझे तुम्हारे लिये डर लगता है। इसलिये तुम्हारे लिये अच्छा तो यही होगा कि कल तुम काम पर चले जाओ।” बैल ने गधे को इस सलाह के लिये भी धन्यवाद दिया और ज़ोर से रँभाया।

अगली सुबह वह सौदागर अपनी पत्नी के साथ उस जगह गया जहाँ वह बैल बँधा हुआ था। तभी किसान उसको खेत पर ले जाने के लिये वहाँ आया तो उसका रोज का सा बरताव देख कर वह एक बार फिर आश्चर्य में पड़ गया।

यह देख कर सौदागर इतनी जोर से हँसा कि वह तो लेट सा ही गया। उसकी पत्नी ने पूछा — “तुम इतना क्यों हँस रहे हो जी?” सौदागर बोला — “कोई खास बात नहीं। मैं एक ऐसी छिपी हुई

बात पर हँस रहा हूँ जो मैंने सुनी है पर मैं तुमको तब तक नहीं बता सकता जब तक मैं मर न रहा होऊँ।”

पत्नी बोली — “तुमको यह बात मुझे बतानी ही होगी चाहे तुम उसकी वजह से मर ही क्यों न जाओ।”

वह बोला — “क्या कह रही हो तुम? क्या तुम चाहती हो कि मैं मर जाऊँ? मैं तुमको अपनी मौत के डर की वजह से जानवरों और चिड़ियों की भाषा नहीं बता सकता।”

पत्नी को पति की इस बात पर विश्वास ही नहीं हुआ कि वह जानवरों और चिड़ियों की भाषा जानता था और उसको बताने से वह मर भी सकता था।

इसलिये वह बोली — “अल्लाह कसम, लगता है कि तुम मुझसे झूठ बोल रहे हो। तुम मेरे ऊपर हँस रहे हो। और क्योंकि तुम मुझे बता नहीं रहे हो इसलिये मैं अब तुम्हारे साथ नहीं रहने वाली। मैं जा रही हूँ।” और उसने रोना शुरू कर दिया।

सौदागर बोला — “क्या हो गया है तुम्हें? कम से कम अल्लाह से तो डरो और मुझसे कोई और सवाल मत पूछो।”

“पर तब तुम मुझे यह तो बताओ कि तुम हँस क्यों रहे थे?” वह बोला — “जब मैंने अल्लाह से जानवरों और चिड़ियों की बोली समझने की प्रार्थना की उस समय मैंने कसम खायी थी कि मैं अपना यह भेद मरते दम तक किसी को नहीं बताऊँगा।”

पर उसकी पत्नी तो कुछ सुनना ही नहीं चाहती थी। उसने उससे फिर उस बात को बताने की जिद की — “मुझे इस बात से कोई मतलब नहीं कि तुम्हारा क्या होता है। मुझे तो तुम बस इतना बता दो कि बैल और गधे के बीच में क्या भेद की बात हुई।”

जब उसकी पत्नी किसी तरह से नहीं मानी तो उसने उससे कहा कि वह अपने माता पिता को, दूसरे सगे रिश्तेदारों को और पड़ोसियों को वहाँ बुलवा ले ताकि सब लोग यह जान लें कि वह क्यों मरा।

उसके ऊपर इस बात का भी कोई असर नहीं पड़ा और उसने ऐसा ही किया। उसने अपने माता पिता और सभी सगे रिश्तेदारों को और पड़ोसियों को अपने घर बुलवा लिया। फिर सौदागर ने काज़ी और अपने वकील को बुलवाया और अपनी वसीयत तैयार की क्योंकि वह एक भेद खोलने जा रहा था और उस भेद को खोलने के बाद वह मर जाता।

सौदागर अपनी पत्नी को बहुत प्यार करता था क्योंकि वह उसकी चाची की बेटी थी और उसके बच्चों की माँ थी। उसको उसके साथ रहते 20 साल हो गये थे।

जब सब लोग इकट्ठा हो गये तब वह बोला — “मेरे पास एक आर्श्चयजनक कहानी है अगर उसको मैं किसी को भी बताऊँगा तो मैं मर जाऊँगा। इसलिये पहली बात तो यह है कि इस औरत को समझाओ कि यह अपनी जिद छोड़ दे क्योंकि इससे इसका पति और इसके बच्चों का पिता दोनों मर जायेंगे।”

पर पत्नी बोली — “पर मैं अपनी बात से नहीं मुकरने वाली चाहे मेरा पति मर ही क्यों न जाये। मुझे तो यह जान कर ही रहना है कि उस बैल और गधे के बीच में क्या भेद की बात हुई।”

यह सुन कर सौदागर उठा, उसने वज़ू किया और अपनी नमाज पढ़ी और अपना भेद बताने और मरने के लिये वापस लौटा।

अब हुआ यह कि उस सौदागर के पास 50 मुर्गियाँ और एक मुर्गा भी था। वह उनसे विदा लेने के लिये उनके बाड़े में गया।

वहाँ उसने अपने कई कुत्तों में से एक कुत्ते को मुर्गे से बात करते हुए सुना। वह मुर्गा उस समय एक मुर्गी के ऊपर से दूसरी मुर्गी के ऊपर कूद रहा था।

कुत्ता कह रहा था — “तुम कितने नीच हो। जिसने भी तुमको पाला होगा वह तुमसे कितना नाउम्मीद होगा। क्या तुमको आज जैसे दिन भी, जैसा कि आज का दिन है, अपनी करनी पर शरम नहीं आती?”

मुर्गा बोला — “आज के दिन में क्या खास बात है। क्या हुआ आज?”

कुत्ता बोला — “क्या तुम्हें मालूम नहीं कि आज हमारे मालिक मरने जा रहे हैं? उनकी पत्नी ने यह जिद पकड़ रखी है कि वह अपना भेद उसको बतायें और अगर उन्होंने उसको वह भेद बताया तो फिर वह मर जायेंगे।

हम कुत्ते तो उनके लिये दुख मना रहे हैं और तुम खुशी मना रहे हो। यह समय क्या खुशी मनाने का है यह समय तो दुखी होने का है।”

मुर्गा ज़ोर से हँसा और बोला — “तब फिर ऐसा लगता है कि हमारे मालिक में अक्ल की कमी है। अगर वह अपने मामले एक पत्नी के साथ नहीं सिलट सकता तो उसकी पत्नी इस लायक ही नहीं है कि उसके साथ आगे रहा जा सके।

मुझे देखो, मेरे पास 50 मुर्गियाँ हैं। मैं एक को खुश करता हूँ तो दूसरी को छेड़ता हूँ, एक को भूखा रखता हूँ तो दूसरी को ज़्यादा खिलाता हूँ। और मेरे शासन में सब मुर्गियाँ मेरी बात मानती हैं। वह बेवकूफ है जो एक पत्नी को भी ठीक से नहीं रख सकता।”

इस पर कुत्ता बोला — “पर तुम क्या सोचते हो कि इस समय उसको क्या करना चाहिये।”

मुर्गा बोला — “उसको शहतूत के पेड़ की कुछ डंडियाँ लेनी चाहिये और उसकी पीठ पर उसको उससे रोज मारना चाहिये जब तक कि वह रो रो कर यह न कहने लगे — “मेरे स्वामी, मुझसे गलती हो गयी। मैं वायदा करती हूँ कि अब जब तक मैं ज़िन्दा रहूँगी तब तक ऐसे सवाल मैं फिर कभी नहीं पूछूँगी।”

उसके बाद भी उसे उसको एकाध बार और मारना चाहिये तभी वह आजादी से रह सकता है और ज़िन्दगी का आनन्द ले सकता है। पर क्या करें, इस हमारे मालिक के पास न तो अक्ल है और न ही वह कुछ सोच सकता है।”

यह सुन कर सौदागर एक शहतूत के पेड़ के पास गया, उसकी कुछ डंडियाँ तोड़ीं और उनको अपनी पत्नी के कमरे में छिपा दिया। फिर उसने उसको बुलाया — “आओ यहाँ आओ इस कमरे में, मैं तुमको वह भेद यहाँ बताता हूँ ताकि कोई मुझे देखे नहीं और बस फिर मैं मर जाऊँगा।”

पत्नी उसके साथ उस कमरे में घुसी तो उसने दरवाजा बन्द कर लिया और उसके शरीर के हर हिस्से पर यह कहते हुए उन डंडियों से उसकी पिटाई की — “अब आगे से क्या तुम फिर ऐसे सवाल पूछोगी जिनसे तुम्हारा कोई मतलब नहीं है?”

वह उसको तब तक मारता रहा जब तक वह मार खा खा कर बेहोश नहीं हो गयी। और जब तक वह उसे मारता रहा वह बार बार यही कहती रही — “मैं सच कहती हूँ मैं अब आपसे कोई सवाल नहीं करूँगी। मुझे छोड़ दीजिये। मैं अब आपसे कुछ नहीं पूछूँगी।”

फिर पत्नी ने पति के हाथ और पैर दोनों चूमे और दोनों उस कमरे में से बाहर आ गये। अब वह एक बहुत ही अच्छे स्वभाव की औरत बन गयी थी जैसी कि उसको होना चाहिये था। पत्नी के माता पिता अपने दामाद को ज़िन्दा देख कर बहुत खुश हुए और सौदागर ने इस तरह से मुगेर् से अपना घर चलाना सीखा। फिर वे मरते दम तक खुशी खुशी रहे।

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