बाबा यागा और ज़मोरीशैक : रूसी लोक-कथा
Baba Yaga Aur Zamoryshek : Russian Folk Tale
एक बार की बात है कि एक बूढ़ा अपनी बुढ़िया के साथ रहता था। उनके कोई बच्चा नहीं था। और उन्होंने उनको पाने के लिये क्या क्या नहीं किया। कैसे कैसे तो उन्होंने भगवान की प्रार्थना नहीं की पर उसकी पत्नी को बच्चा नहीं हुआ।
एक दिन यह बूढ़ा मशरूम लाने के लिये जंगल में गया तो वहाँ उसको एक और बूढ़ा मिल गया। उसने पहले बूढ़े से कहा — “मैं जानता हूँ कि तुम क्या सोच रहे हो। तुम बच्चों के बारे में सोच रहे हो।
जाओ तुम अपने गाँव वापस चले जाओ और एक एक छोटा अंडा सब घरों से इकठ्ठा कर लो। उन सबके ऊपर एक मुर्गी बिठा दो और फिर देखना कि उसमें से क्या निकलता है।”
उसने घर आ कर ऐसा ही किया। दो हफ्ते बाद वे दोनों उसे देखने गये तो उन्होंने देखा कि उन अंडों में से तो बच्चे निकल आये हैं। उन्होंने उनको फिर देखा फिर देखा तो देखा कि उनमें से 40 बच्चे तो ठीक और तन्दुरुस्त हैं पर एक कुछ कमजोर है। बूढ़े ने उन सबको तो नाम दे दिये पर आखिरी वाले बच्चे के लिये उसके पास कोई नाम नहीं बचा तो उसको उसने नाम दे दिया ज़मोरीशैक ।
उनके ये बच्चे दिनों से नहीं बल्कि घंटों से बढ़ने लगे। वे सब बहुत जल्दी बड़े हो गये और उन्होंने काम करना और अपने माता पिता की सहायता करना भी शुरू कर दिया।
उनके 40 बच्चे तो खेत पर काम करने जाते थे जबकि ज़मोरीशैक घर पर ही रहता था। जब फसल काटने का मौसम आया तो उन चालीसों बच्चों ने भूसे के ढेर बनाने शुरू कर दिये और एक हफ्ते में ही सारा अनाज कट गया। अनाज काट कर वे वापस घर आ गये लेट गये और जो कुछ उनके हिस्से का भगवान ने उनको दिया था वह खा कर सो गये।
बूढ़े ने उनकी तरफ देखा और बोला — “छोटा और हरा दूर जाता है गहरी नींद सोता है और काम अधूरा छोड़ता है।” यह सुन कर ज़मोरीशैक बोला — “आप जाइये और देखिये तो ओ पिता जी ।”
सो बूढ़ा खेतों पर गया। वहाँ उसने 40 ढेर लगे देखे तो उसके मुँह से निकला — “अरे वाह यह तो मेरे 40 बच्चों ने किया है। देखो तो यह सब उन्होंने एक हफ्ते में ही कर दिया है।”
अगले दिन वह उसी जगह फिर गया ताकि वह अपनी चीज़ की प्रशंसा कर सके तो उसने देखा कि वहाँ से तो एक ढेर गायब है। वह फिर से घर आया और बोला — “एक ढेर तो वहाँ से गायब ही हो गया।”
ज़मोरीशैक बोला — “आप चिन्ता न करें पिता जी। हम चोर को ढूँढ देंगे। मुझे 100 रूबल दीजिये और मैं आपका यह काम कर दूँगा।”
ज़मोरीशैक अपने पिता से पैसे ले कर तब एक लोहार के पास गया और उससे एक जंजीर बनाने के लिये कहा। जब जंजीर बन गयी तो वह उसने अपने चारों तरफ लपेट ली। पर जैसे ही उसको खींचा तो वह टूट गयी। सो लोहार ने उसके लिये फिर एक और जंजीर बनायी। वह दूसरी जंजीर भी उसने अपने शरीर के चारों तरफ लपेटी तो वह भी टूट गयी।
तब लोहार ने एक तीसरी जंजीर बनायी। यह पहली वाली जंजीरों से तीन गुना मजबूत थी। यह नहीं टूटी। यह जंजीर लपेट कर वह अपने खेत में जा पहुँचा और एक भूसे के ढेर में जा कर बैठ गया।
आधी रात को अचानक एक तूफान आया। समुद्र उफनने लगा। एक अजीब सी बूढ़ी घोड़ी समुद्र में से बाहर निकली और भूसे के एक ढेर के पास पहुँची और उसे खाना शुरू कर दिया। ज़मोरीशैक अपने ढेर से बाहर निकला जंजीर उसके गले में डाल कर उस पर बैठ गया। घोड़ी तुरन्त ही वहाँ से घाटियों से हो कर पहाड़ियों के ऊपर भाग निकली। वह बहुत हिली डुली पर वह अपने सवार को अपने ऊपर से गिरा नहीं सकी।
आखिर वह रुक गयी और आदमी की आवाज में बोली — “ओ भले नौजवान अब तुम मुझ पर सवारी कर सकते हो। तुम मेरे बच्चों के भी मालिक बन सकते हो।”
उसके बाद वह समुद्र में हो कर हिनहिनाती हुई वहाँ से भाग चली। समुद्र खुल गया और उसमें से 41 घोड़े के बच्चे निकल आये। वे सब बहुत ही बढ़िया घोड़े थे – एक से बढ़ कर दूसरा, दूसरे से बढ़ कर तीसरा। तुम सारी दुनियाँ में घूम आओ पर वैसे घोड़े तुम्हें कहीं नहीं मिलेंगे।
अगली सुबह बूढ़े ने अपने घर के दरवाजे पर हिनहिनाने की आवाज सुनी तो वह यह सोचने लगा कि यह आवाज कैसी है। उसने दरवाजा खोला तो देखा कि दरवाजे पर तो उसका बेटा ज़मोरीशैक बहुत सारे घोड़ों के साथ खड़ा था।
वह चिल्लाया — “बहुत अच्छे बेटा।”
फिर वह अपने दूसरे बेटों से बोला — “जाओ अब तुम्हारी शादी का समय हो गया।”
यह सुन कर वे सब वहाँ से चले गये। माता पिता ने उनको आशीर्वाद दिया और वे दूर के रास्ते पर चल दिये। वे लोग अपनी दुलहिनें देखने के लिये दूर देशों में निकल गये।
वे सब अलग अलग तो शादी करते नहीं और उन्हें ऐसी कौन सी ऐसी माँ मिलती जिसके 41 बेटियाँ होतीं। वे 13 देशों में घूमते फिरे। तो उनको एक बहुत ही सीधी चढ़ाई वाला पहाड़ दिखायी दिया।
उस पहाड़ पर सफेद पत्थर का एक महल खड़ा था जिसके चारों तरफ ऊँची ऊँची दीवार थी लोहे के खम्भे और फाटक थे। उन्होंने गिने वे 41 खंभे थे। उन्होंने अपने अपने घोड़े एक एक खम्भे से बाँध दिये और उस महल में घुस गये।
अन्दर उन्हें बाबा यागा मिली। वह बोली — “जिनको मैं ढूँढ नहीं रही थी जिनको मैंने बुलाया नहीं था ऐसे मेहमानों तुम लोगों ने अपने घोड़े मेरे महल के खम्भों से बाँधने की हिम्मत कैसे की।”
“छोड़िये भी ओ बुढ़िया माई , आप किस बात की शिकायत कर रही हैं। पहले तो आप हमें कुछ खाना पीना दीजिये। फिर हमको नहाने की जगह दिखाइये फिर हमारा हाल पूछिये और उसके बाद जो कुछ पूछना हो वह पूछिये।”
सो बाबा यागा ने उनको खाना खिलाया शराब पिलायी। उनको नहाने की जगह ले गयी। उसके बाद उसने उनसे पूछा — “क्या तुम लोग किसी काम से आये हो या फिर काम से बचने के लिये आये हो।”
वे बोले — “हम लोग यहाँ काम से आये हैं दादी माँ।”
“तुम्हें क्या काम है।”
“हम अपने लिये दुलहिनें ढूँढने आये हैं।”
इस पर बाबा यागा बोली — “मेरे पास लड़कियाँ हैं।”
कह कर वह अपने बड़े बड़े कमरों में चली गयी और वहाँ से 41 लड़कियाँ ले कर आ गयी। वहाँ उनकी शादी हो गयी और सब लोगों ने दावत खायी।
जब शाम हो गयी तब ज़मोरीशैक बाहर अपने घोड़े को देखने के लिये गया। उसके घोड़े ने भी उसे देखा और आदमी की आवाज में बोला — “मालिक जब आप सब अपनी पत्नियों के साथ सोयें तो आप उनको अपने कपड़े पहना दीजियेगा और उनके कपड़े आप लोग पहन लीजियेगा नहीं तो आप मारे जायेंगे।”
सुन कर वह चला गया और अपने भाइयों को यह बात बता दी। रात हुई और सब सोने चले गये। केवल ज़मोरीशैक जागता रहा। आधी रात को बाबा यागा बहुत ज़ोर से चीखी — “ओ मेरे वफादार नौकरों मेरे बिन बुलाये मेहमानों के सिर काट दो।”
तुरन्त ही उसके नौकर दौड़े और उन्होंने लड़कियों को लड़का समझ कर उन सबके सिर काट दिये। ज़मोरीशैक ने फिर अपने भाइयों को उठाया और उन्हें बताया कि क्या हुआ था।
उन सबने उन 41 लड़कियों के सिर अपने अपने साथ लिये और बाहर लगे खम्भों पर रख दिये और वहाँ से अपने अपने घोड़ों पर भाग लिये।
सुबह को जब बाबा यागा उठी तो उसने अपनी छोटी से खिड़की से बाहर देखा तो देखा कि उसके खम्भों पर तो सिर लगे हुए हैं। यह देख कर वह बहुत गुस्सा हुई।
उसने तुरन्त ही अपनी आग वाली ढाल को बुलाया और कूद कर उनके पीछे पीछे चल दी। वह सब दिशाओं में अपनी आग वाली ढाल को घुमाती हुई चली जा रही थी।
अब वे नौजवान कहाँ छिपें। उनके सामने था नीला समुद्र और उनके पीछे थी बाबा यागा। वह अपनी उस आग वाली ढाल से अपने रास्ते में आती सब चीज़ों के जलाती चली आ रही थी। इसलिये उनको भी मर जाना पड़ जाता।
पर ज़मोरीशैक एक होशियार आदमी था। वह बाबा यागा का रूमाल लेना नहीं भूला था। उसने वह रूमाल अपने सामने हिलाया कि सारे उत्तरी समुद्र के ऊपर एक पुल बन गया। सब नौजवान सुरक्षित रूप से उस समुद्र के पार उतर गये।
उसके बाद ज़मोरीशैक ने वही रूमाल अपने बाँये हाथ की तरफ हिलाया तो वह पुल गायब हो गया। अब बाबा यागा उस समुद्र को पार नहीं कर सकी तो उसको वहाँ से वापस जाना पड़ा। सब भाई लोग सुरक्षित अपने घर पहुँच गये।