औरतें और बरतन : इथियोपिया की लोक-कथा
Aurten Aur Bartan : Ethiopia Folk Tale
इथियोपिया के एक बड़े शहर के पास एक औरत रहती थी जिसका नाम था अलमास। एक दिन उसने बहुत सारी लकड़ियाँ इकठ्ठी कीं और उनको बाजार में बेचने के लिये चल दी।
उधर से उसकी एक दोस्त ऐस्टर बाजार से तैफ़ खरीद कर लौट रही थी। तैफ़ एक तरह का अन्न होता है जो इथियोपिया और अरब के दक्षिण पश्चिम हिस्से मे बहुत उगता है और वहाँ बहुत खाया जाता है। वहाँ के लोग उसका दक्षिण भारत का दोसा सा बना कर खाते हैं।
दोनों दोस्त बहुत दिनों के बाद मिली थीं सो बहुत प्रेम से मिलीं। उन्होंने आपस में बहुत सारी बातें की, बाजार की, बच्चों की, अपने पतियों की और अपनी मेहनत की जो वे सुबह से शाम तक करती थीं।
अलमास ने ऐस्टर से कहा - "हम लोग हमेशा ही कितनी मेहनत करते हैं, बड़े बड़े गठ्ठरों का बोझ उठाते हैं, बच्चों की देखभाल करते हैं फिर भी राजा ऊँचे ओहदे आदमियों को ही देता है हम लोगों को नहीं। मैंने उसको कभी कोई ऊँचा ओहदा किसी औरत को देते नहीं देखा। ऐसा क्यों ऐस्टर?"
ऐस्टर बोली - "बहिन, यह तो तुम ठीक कहती हो। चलो हम लोग चल कर इस बारे में राजा से ही बात करते हैं कि वह ऐसा क्यों करता है।" और वे दोनों एक दिन राजा के महल में जा पहुँचीं।
वहाँ पहुँच कर दोनों ने राजा को घुटनों के बल बैठ कर सलाम किया और फिर अलमास बोली - "राजा साहब, हम आपसे एक सवाल पूछना चाहते हैं। मेहरबानी करके आप हमें यह बताइये कि आप ऊँचे ओहदे केवल आदमियों को ही क्यों देते हैं? और औरतों को हमेशा नीचे ओहदे ही क्यों मिलते हैं।
राजा बोला - "यह बात मैं तो तुम्हें नहीं बता सकता, पर रुको, मैं तुम लोगों को अपने मन्त्री के पास भेजता हूँ। वह तुम लोगों को बतायेगा कि ऐसा क्यों होता है।
ऐसा करो कि तुम यह बरतन मेरे मन्त्री के पास ले जाओ। इस बरतन में मेरे मन्त्री के नाम एक चिठ्ठी है जिसमें मैंने तुम्हारे सवाल के बारे में लिख दिया है।
इस बरतन को तुम उसको दे देना। वह तुम्हारे सवाल का जवाब जरूर दे देगा। और हाँ एक बात और, यह बरतन तुम अपने आप मत खोलना। बस ले जा कर उसको दे देना।"
दोनों औरतों ने पूछा - "क्या हम देख सकते हैं कि इस बरतन में क्या है?"
राजा बोला - "नहीं नहीं, यह काम तुम लोग किसी भी हाल में न करना।"
"ठीक है।" कह कर दोनों औरतों ने राजा का कहा मानने का वायदा किया और वह बरतन ले कर राजा के मन्त्री के पास चल दीं।
थोड़ी दूर जाने के बाद ही ऐस्टर बोली - "अलमास, मैं यह बरतन खोल कर देखना चाहती हूँ कि आखिर इस बरतन के अन्दर है क्या।"
अलमास बोली - "इच्छा तो मेरी भी यही है पर क्या करें राजा ने मना किया है।"
ऐस्टर बोली - "पर राजा को कैसे पता चलेगा कि हमने यह बरतन खोला है? हम इसमें से कुछ निकालेंगे थोड़े ही। बस देखेंगे कि इसमें क्या है और फिर इसे बन्द कर देंगे।"
सो दोनों एक जगह बैठ गयीं और उन्होंने वह बरतन खोल दिया। जैसे ही उन्होंने बरतन का ढकना उठाया, एक पीले रंग की चिड़िया उसमें से निकल कर ऊपर आसमान में उड़ गयी और महल के अन्दर चली गयी।
अलमास और ऐस्टर दोनों डर गयीं पर अब तो कुछ हो नहीं सकता था।
उन्होंने उस बरतन के अन्दर झाँका तो उसमें एक कागज का टुकड़ा रखा था जिस पर लिखा था "क्योंकि औरतें हुकुम मानना नहीं जानतीं।"
अब उन दोनों औरतों की समझ में आया कि राजा औरतों को ऊँचे ओहदों पर क्यों नहीं रखता था।
(साभार : सुषमा गुप्ता)