औरत और शेर : इथियोपिया की लोक-कथा
Aurat Aur Sher : Ethiopia Folk Tale
काफी समय पुरानी बात है कि इथियोपिया के एक शहर में फानाये नाम की एक औरत रहती थी। वह बहुत दुखी रहती थी क्योंकि उसका पति उसको बिल्कुल भी प्यार नहीं करता था।
प्यार करना तो दूर वह उससे बोलता तक नहीं था। सुबह वह खाना ले कर अपने काम पर चला जाता और शाम को थका हारा घर आता तो खाना खा कर सो जाता।
एक दिन फानाये जब बहुत परेशान हो गयी तो वह एक अक्लमन्द आदमी के पास गयी और उसको अपना सब हाल कह सुनाया कि उसका पति उसको बिल्कुल प्यार नहीं करता था और उससे पूछा कि इसके लिये वह क्या करे।
उस अक्लमन्द आदमी ने उसकी बात ध्यान से सुनी और बोला - "अब जो मैं तुमको बात बताता हूँ उसे तुम ध्यान से सुनो और उसे जरूर करना। भगवान ने चाहा तो तुम्हारा पति तुमको जरूर ही प्यार करने लगेगा। परन्तु उस काम को करने से पहले मुझे शेर की पूँछ के कुछ बाल चाहिये।"
फ़ानाये यह सुन कर चिन्ता में पड़ गयी पर वह फिर वहाँ से चली गयी। उसको बहुत चिन्ता हो रही थी कि शेर की पूँछ के बाल वह भला कहाँ से लायेगी। यह काम तो नामुमकिन सा दिखायी देता था।
पर अगर उसको अपने पति का प्यार पाना है तो उसे शेर की पूँछ के बाल तो कहीं न कहीं से लाने ही पड़ेंगे। वह इस काम में सफल हो या न हो पर वह कोशिश जरूर करेगी।
जिस शहर में वह रहती थी उस शहर के बाहर एक घना जंगल था और उस जंगल में शेर की एक गुफा थी। एक दिन फानाये ने थोड़ा सा माँस एक पोटली में बाँधा और उस शेर की गुफा की तरफ चल द़ी।
उसने वह माँस शेर की गुफा के बाहर रख दिया और उसके बाहर निकलने का इन्तजार करने लगी। शेर बाहर तो आया परन्तु जैसे ही उसने शेर को देखा तो वह डर गयी और वहाँ से भाग खड़ी हुई। वह शेर से बहुत ज़्यादा डर गयी थी।
अगले दिन वह कुछ और ज़्यादा माँस ले कर शेर की गुफा की तरफ चली। गुफा के पास पहुँच कर उसने वह माँस एक पत्थर पर रख दिया और वह खुद एक पेड़ के पीछे खड़ी हो गयी।
कुछ ही देर में शेर आया और माँस खाने लगा। वह शेर के पीछे से ही उसको माँस खाता देखती रही।
तीसरे दिन वह एक भेड़ ले कर आयी। उस दिन वह तब तक भेड़ के पास ही खड़ी रही जब तक शेर ने भेड़ को खाया।
चौथे दिन वह डरी भी नहीं और भागी भी नहीं, बल्कि उसने शेर को खुद अपने हाथों से माँस खिलाया।
अब वह रोज शेर के लिये माँस ले जाने लगी और वह और शेर दोनों आपस में अच्छे दोस्त बन गये। वह अब उस शेर को पास बिठा कर माँस खिलाती।
एक दिन जब वह शेर माँस खा रहा था तो उसने उसकी पूँछ में से थोड़े से बाल तोड़ लिये। फिर उसने उसको और ज़्यादा माँस दिया और थोड़े से बाल और तोड़ लिये। शेर ने उसकी तरफ देखा भी नहीं।
फ़ानाये अब बहुत खुश थी कि उसको शेर की पूँछ के बाल मिल गये थे। अब वह अक्लमन्द आदमी उसको उसके पति का प्यार पाने की कोई न कोई तरकीब जरूर ही बता देगा।
वह शेर के बाल ले कर तुरन्त उस अक्लमन्द आदमी के घर आयी और वे शेर के बाल उतावली से उसके हाथ में देते हुए बोली - "ये रहे शेर की पूँछ के बाल। अब बताओ मैं क्या करूँ?"
वह अक्लमन्द आदमी शेर की पूँछ के बाल अपने हाथ में ले कर ज़ोर से हँस पड़ा और बोला - "कैसी अजीब बात है, तुम शेर जैसे खूँख्वार जानवर को अपना दोस्त बना कर तो उसकी पूँछ के बाल ला सकती हो पर अपने पति को अपना दोस्त बना कर उसका प्यार नहीं पा सकतीं।"
फ़ानाये यह सुन कर बहुत शरमिन्दा हुई। उसकी समझ में आ गया कि वह कहीं गलती पर थी। धीरे धीरे उसका अपने पति के साथ व्यवहार बदल गया और फिर उसका पति उसको खूब प्यार करने लगा।
(साभार : सुषमा गुप्ता)