आस्था और मुक्ति : जे.एच.आनन्द
यह एक बाइबिल-कथा है। इसका रचना-काल पहली शताब्दी है। बाइबिल में ईसा के उपदेश, धार्मिक विश्वास और आस्था तथा ईसा से सम्बन्धित अनेक घटना-कथाएँ हैं।
एक बार यहूदी धर्म के फरीसी सम्प्रदाय के नेता शिमौन ने महात्मा ईसा को अपने घर आमन्त्रित किया। शिमौन धर्म और धन, दोनों का अधिपति था। उसने महात्मा ईसा के सम्मान में विशाल भोज दिया। ऊँचे तबके के लोग पधारे थे। ईसा नीचे तबके के साथ उठते-बैठते, खाते-पीते थे, इसलिए सम्पन्न, उच्चवर्ग को उनके दर्शन दुर्लभ थे। ईसा अपने बारह शिष्यों के साथ आये। शिमौन अपने गण्यमान्य रोमन उच्चाधिकारियों आदि के स्वागत में व्यस्त था। उसने ईसा की ओर ध्यान नहीं दिया। पर उसके गृहप्रबन्धक ने ईसा और उनके शिष्यों को एक स्थान पर बैठा दिया। तभी प्रासाद के द्वार पर हलचल हुई। अनेक नारी-कण्ठों का समवेत स्वर सुनाई दिया - “हटो! हटो! मग्दला नगर की सौन्दर्य-सम्राज्ञी मरियम को मार्ग दो!”
“गणिका! नगर-वधू! शिमौन फरीसी के घर में?”
“ऐयाश कामिनी!”
“पाखण्डी औरत!”- फरीसी सम्प्रदाय के धर्म-गुरुओं ने टिप्पणी की। मरियम ईसा के चरणों के पास बैठ गयी और फूट-फूटकर रोने लगी। उसने अपने आँसुओं से ईसा के पैर धोये और अपने लम्बे रेशमी बालों से उनको पोंछा।
तत्पश्चात पैरों पर इत्र मला। सुगन्ध से उपस्थित जनसमूह मुग्ध हो गया। यजमान शिमौन घोर निराश हुआ। कहाँ तो वह सोच रहा था कि ईसा खुदा का बेटा है, नबी है, पर इसे यह भी नहीं मालूम कि जो औरत उसका स्पर्श कर रही है, वह कौन है, कैसी है? वह पछताने लगा कि ऐसे साधारण आदमी के लिए उसने ऐसा भव्य भोज आयोजित किया।
तभी उसकी विचार-श्रृंखला ईसा के स्वर से टूटी। उसने सुना, ईसा कह रहे थे, “शिमौन, मुझे तुमसे एक बात पूछनी है।”
“पूछिए।”
“किसी महाजन के दो देनदार थे। एक के ऊपर पाँच सौ दीनार का ऋण था और दूसरे पर पचास का। जब देनदार न चुका सके, तब महाजन ने उन्हें क्षमा कर दिया। तुम्हारे विचार से कौन-सा देनदार महाजन से अधिक प्रेम करेगा?”
“जिस पर पाँच सौ दीनार का ऋण था।”
“तुमने उचित कहा,” यीशू ने मरियम की ओर संकेत करके कहा,
“शिमौन, मैं तुम्हारा अतिथि हूँ। पर तुमने यहूदी प्रथा के अनुसार न तो मुझे पैर धोने को पानी दिया, न चुम्बन। तुमने मेरे सिर पर जैतून का तेल भी नहीं उँडेला। देखो इस स्त्री को। मैं जानता हूँ, यह कौन है। पर इसने मेरा स्वागत किया। इसने तुम्हारे प्रेम से अधिक प्रेम किया, इसलिए इसके गुनाह, जो तुम्हारी तुलना में अधिक हैं, अधिक क्षमा किये गये। ईसा ने मरियम मग्दलीनी के सिर पर हाथ रखकर कहा, “जा, बेटी, तेरे गुनाह क्षमा हुए! तेरी आस्था ने, तेरे विश्वास ने तुझे बचा लिया।”