अपना पति पराया पुरुष : ओड़िआ/ओड़िशा की लोक-कथा

Apna Pati Paraya Purush : Lok-Katha (Oriya/Odisha)

एक गाँव में एक पति-पत्नी रहते थे। पत्नी एक अजगर साँप के साथ प्रीत लगा बैठी थी। उसने एक दिन अजगर से कहा, मेरे पति जब नहाने के लिए तालाब में उतरेंगे तो उसे निगल लेना। उसके बाद हम दोनों शादी कर लेंगे। अजगर ने हामी भरी।

अजगर उस स्त्री के पति को जब निगलने गया, तभी उस आदमी का कुत्ता एक छुरी लेकर आ गया। उस छुरी से उस आदमी ने अजगर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और तालाब के किनारे फेंक दिए। स्त्री को पता चल गया कि उसके प्रेमी अजगर को उसके पति ने टुकड़े-टुकड़े करके मार दिया है। उसने दो सेर धान देकर हड्डियों को उठवाया और तीन सेर धान देकर हड्डी में कुंदन का काम करवाया, फिर उसका हार बनाकर अपने गले में डाल लिया।

एक दिन वह स्त्री राजा के पास पहुँचकर बोली, “हुज़ूर! मैं अपने पति से एक पहेली पूछूँगी। अगर उसका उत्तर वह दे नहीं पाएँगे तो सात दिन के अंदर उनका गला काट दिया जाएगा।” राजा उसकी बात पर राज़ी हो गए। राज्य में ढिंढोरा पिटवा दिया। ऐसी शर्त सुनकर उस स्त्री के पति की बुद्धि गुम हो गई। मेरी पत्नी मुझे ऐसी दुर्दशा में डाल कर मेरा जीवन लेना चाह रही है? ऐसा सोचकर उसका मन बहुत दुःखी हुआ। संयोग से यह ख़बर उस आदमी की बहन के पास पहुँची। वह अपने भाई को बचाने के लिए अपने गाँव से भाई के गाँव के लिए निकली। रास्ते में शाम घिरने लगी। बहन एक पेड़ के नीचे थोड़ी देर के लिए आराम करने बैठ गई।

उसी पेड़ पर मादा गिद्ध से उसके बच्चे आहार माँग रहे थे। तब माँ अपने बच्चों से बोली, “थोड़ा सब्र कर लो बच्चो। कल राजमहल में एक आदमी को सूली पर चढ़ा दिया जाएगा। कल उसे खाएँगे। आज भर रुक जाओ।” तब बच्चों ने माँ से पूछा, “माँ री माँ, वह आदमी सूली पर क्यों चढ़ेगा?” माँ गिद्ध बोली, “उस आदमी की पत्नी है न, वह चरित्रहीन है। उसका एक अजगर के साथ प्रेम था। इसलिए उसके पति ने उस अजगर को मार दिया। उस साँप की हड्डी की माला बनाकर उसने गले में पहनी है। उसने एक पहेली बनाई है, जिसका उत्तर उसके सिवा किसी और को पता नहीं है। वह पहेली है :

दो सेर देकर उठवाया
तीन सेर देकर कुंदन का काम करवाया
अपने पति से इतर
पर-पुरुष है गले में

जो इस पहेली को कह नहीं पाएगा, उसकी जान गई रे जानो।”

पेड़ के नीचे बैठकर बहन सब सुन रही थी। सब सुनकर उसने एक लंबी साँस छोड़ी। तुरंत वहाँ से उठकर शाम के झुरमुट में वह भाई के घर पहुँची।

उधर घर में उसका भाई मन मारकर बैठा था। बहन ने वहाँ पहुँचकर पूछा, “भाई मन मारकर क्यों बैठे हो? तुम्हारी पत्नी जो पहेली पूछेगी, उसका उत्तर तुम्हारी बहन देगी, यह बात राजा से कह देना। तुम्हारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।”

बहन की बात सुनकर भाई आश्वस्त हुआ।

दूसरे दिन राजा के दरबार में हज़ारों लोगों की भीड़ थी। राजा के कुछ पूछने से पहले बहन बोली, “हुज़ूर! आपकी पहेली का उत्तर देने से पहले आप मेरी एक पहेली का उत्तर दीजिए।” राजा ने कहा, “पूछो।”

बहन बोली, “सूखे पेड़ से कमल खाए। एक के ऊपर तीन आए। राजा की अक्ल गुम हो गई। राजा बोले, “मैं नहीं बता सकता। तुम ख़ुद ही इसका उत्तर दो।” बहन बोली, “रास्ते में आते समय एक सूखे पेड़ से हमने मधु टपकाकर खाया। अपने एक लड़के को इस कंधे पर और दूसरे लड़के को दूसरे कंधे पर, तीसरे को गोदी में उठाकर आई। मेरी पहेली का उत्तर तो आप दे नहीं पाए। अब आपकी पहेली का उत्तर सुनिए।” राजा बोले, “मैंने तो अभी पहेली पूछी ही नहीं है। फिर भी तुम उत्तर दोगी?” बहन बोली, “हाँ।”

मेरी भाभी ने एक अजगर के साथ प्रेम किया। साँप मेरे बड़े भाई को मार देता पर मेरे बड़े भाई ने अजगर को मारकर फेंक दिया। उसी अजगर की हड्डी से एक हार बनाकर भाभी ने गले में पहना है। इसी बात को लेकर एक पहेली बनवाई है। उसके गले की जटा देखिए हुज़ूर, कैसे हड्डी की एक माला पहनी है। राजा ने तुरंत देखा। सच में भाभी के गले में एक हड्डी का हार है। राजा ने उसे फाँसी दे दी। भाई की जान बच गई।

(साभार : ओड़िशा की लोककथाएँ, संपादक : महेंद्र कुमार मिश्र)

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